InterviewSolution
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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1. |
एक धातु से पृष्ठ से उत्सर्जित प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों का निरोधी विभव `V_(1)` है , जब आवृत्ति `v_(1)` का एकवर्णीय प्रकाश इस एकवर्णीय प्रकाश इस पर डाला जाता है । जब एक अन्य आवृत्ति का एकवर्णीय प्रकाश डाला जाता है , तो निरोधी विभव `V_(2)` हो जाता है , यदि h प्लांक नियतांक है तथा e इलेक्ट्रॉन का आवेश है तो दूसरी स्थिति में प्रकाश की आवृत्ति है :A. `v_(1)-(e)/(h)(V_(2)-V_(1))`B. `v_(1)+(e)/(h)(V_(2)+V_(1))`C. `v_(1)-(e)/(h) (V_(2)+V_(1))`D. `v_(1)+(e)/(h)(V_(2)-V_(1))`. |
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Answer» Correct Answer - D `hv_(1) = W + eV_(1)` `hv_(2) = W + eV_(2)` `h(V_(2) - V_(1)) = e (V_(2) - V_(1))` `v_(2) = (e)/(h) (V_(2) - V_(1))+v_(1)`. |
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| 2. |
एक धातु के पृष्ठ को 400 nm के प्रकाश से प्रदीप्त किया जाता है । उत्सर्जित प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा 1.68 eV पायी जाती है । धातु का कार्य फलन है : (hc=1240 eV nm)A. 1.68 eVB. 3.09 eVC. 1.42 eVD. 1.52 eV |
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Answer» Correct Answer - C `W=(hc)/(lambda)-E_(k)=(1240)/(400) eV - 1.68eV - 1.68 eV = 3.1 eV - 1.68 eV` `=1.42 eV`. |
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| 3. |
जब किसी धातु के पृष्ठ पर आवृत्ति `2v_(0)` ( यहाँ `v_(0)` देहली आवृत्ति है ) का प्रकाश आपतन करता है , तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का अधिकतम वेग `v_(1)` है । जब आपतित विकिरणों की आवृत्ति बढ़ाकर `5v_(0)` कर दी जाती है, तो उसी पृष्ठ से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का अधिकतम वेग `v_(2)` होता है । `v_(1)` और `v_(2)` का अनुपात है :A. `1:2`B. `2:1`C. `4:1`D. `1:4` |
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Answer» Correct Answer - A `(1)/(2) mv_(1)^(2)= 2 hv_(0) - hV_(0) = hv_(0)` `(1)/(2) mv_(2)^(2) = 5 hv_(0) - hv_(0) = 4 hv_(0)` भाग करने पर `(v_(1)^(2))/(v_(2)^(2))=(1)/(4) ` अथवा `(v_(1))/(v_(2))=(1)/(2)`. |
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| 4. |
चित्र में तीन विभिन्न आपतित विकिरणों के लिए, एक फोटो-सुग्राही पृष्ठ से प्राप्त प्रकाशवैधुत धारा तथा एनोड विभव के बीच ग्राफ दर्शाये गये हैं । माना कि वक्रों a, b, c के संगत , आपतित विकिरणों कि तीव्रताएँ क्रमशः `I_(a), I_(b) , I_(c)` हैं तथा आवृत्तियाँ क्रमशः`f_(a), f_(b) , f_(c)` हैं । निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य है ? A. `f_(a)=f_(b)` तथा `I_(a)!=I_(b)`B. `f_(a)=f_(c)` तथा `I_(a)=I_(c)`C. `f_(a)=f_(b)` तथा `I_(a)=I_(b)`D. `f_(b)=f_(c)` तथा `I_(b)=I_(c)`. |
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Answer» Correct Answer - A निरोधी विभव (ऋण एनोड विभव ) आपतित विकिरण कि आवृत्ति बढ़ने पर बढ़ता है तथा संतृप्त धारा आपतित विकिरण कि तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होती है । |
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| 5. |
प्रकाशवैधुत प्रभाव में प्रयुक्त किये जाने वाले प्रकाश की आवृत्ति तथा धातु से उत्सर्जित प्रकाश - इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम ऊर्जा में ग्राफ खींचिए तथा बताइए : ( i ) ग्राफ का ढलान क्या प्रदर्शित करता है ? (ii ) ग्राफ से धातु के पृष्ठ का कार्य फलन कैसे ज्ञात किया जा सकता है ? ( iii ) ग्राफ की प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि आपतित प्रकाश की तीव्रता दोगुनी कर दी जाये अथवा नीचे कार्य फलन की धातु ली जाये ? |
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Answer» ग्राफ चित्र 5 में खींचा गया है । (i) प्लांक - नियतांक (h), (ii) कार्य फलन ऊर्जा - अक्ष पर अन्तःखण्ड से ज्ञात किया जा सकता है , (iii) आपतित प्रकाश की तीव्रता दोगुनी करने पर इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा पर कोई प्रभाव नहीं होगा , अतः ग्राफ की प्रकृति पर भी कोई प्रभाव नहीं होगा । नीचे कार्य फलन की धातु लेने पर ग्राफ समान्तर सरल रेखा ही होगी , परन्तु इसके v-अक्ष पर तथा `E_(k)`- अक्ष पर अन्तःखण्ड छोटे हो जायेंगे । |
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| 6. |
दी - ब्रोगली की द्रव्य - तरंगों की अवधारणा स्पष्ट कीजिए । |
| Answer» `lambda=(h)/(p)=(h)/(mv)`. | |
| 7. |
प्रकाश वैधुत प्रभाव के प्रयोग में निरोधी विभव `V_(0)` तथा आपतित प्रकाश की आवृत्ति v के बीच ग्राफ खींचने पर एक सरल रेखा प्राप्त होती है जो v अक्ष से `theta` कोण बनाती है । यदि पृष्ठ का कार्य फलन W हो , तो ` tan theta` का मान होगा :A. `(h)/(e)`B. `(e)/(h)`C. `-(W)/(e)`D. `(eh)/(W)` |
| Answer» Correct Answer - A | |
| 8. |
निरोधी विभव का मान आपतित प्रकाश की आवृत्ति तथा तीव्रता पर किस प्रकार निर्भर करता है ? ग्राफ खींचकर व्यक्त कीजिए । |
| Answer» निरोधी विभव प्रकाश - इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा `E_(k)` की माप है । अतः आइन्सटीन के समीकरण `E_(k)=h(v-v_(0))` के अनुसार तथा प्रकाश की आवृत्ति v के बीच ग्राफ एक सरल रेखा होगी जिसका ढलान h होगा (चित्र 5 ) । निरोधी विभव (अथवा `E_(k)` ) का मान प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं है । अतः निरोधी विभव तथा प्रकाश के बीच ग्राफ तीव्रता - अक्ष के समान्तर सीधी रेखा होगी । | |
| 9. |
कुछ फोटोग्राफिक प्लेटें लाल प्रकाश से प्रभावित नहीं होतीं परन्तु श्वेत प्रकाश में तुरंत काली पड़ जाती हैं , क्यों ? |
| Answer» लाल प्रकाश के फोटॉन की ऊर्जा कम होती है, अतः वे प्लेट को प्रभावित नहीं कर पाते । | |
| 10. |
किसी धातु के पृष्ठ पर प्रकाश डालने पर उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों को क्या कहते हैं और क्यों ? ये कहाँ से आते हैं ? |
| Answer» फोटो - इलेक्ट्रॉन (अथवा प्रकाश - इलेक्ट्रॉन ), क्योंकि ये फोटॉनों (अथवा प्रकाश ) कि ऊर्जा द्वारा उत्सर्जित होते हैं । ये धातु के पृष्ठ से तथा धातु के भीतर से भी आते हैं । | |
| 11. |
क्या सभी प्रकाश - इलेक्ट्रॉन समान ऊर्जा से उत्सर्जित होते हैं ? क्यों ? |
| Answer» नहीं, पृष्ठ से आने वाले , प्रकाश - इलेक्ट्रॉन कि ऊर्जा अधिकतम होती है । भीतर से आने वाले अपनी कुछ ऊर्जा धातु के परमाणुओं से टकराने में खो देते हैं। | |
| 12. |
किसी धातु के पृष्ठ से नियत तरंगदैर्घ्य `(lambda ) ` के प्रकाश द्वारा इलेक्ट्रॉन निकल रहे हैं । प्रकाश कि तीव्रता बढ़ाने से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों कि संख्या तथा उनमें से प्रत्येक कि गतिज ऊर्जा पर क्या प्रभाव होगा ? प्रकाशवैधुत सेल से प्रवाहित धारा पर क्या प्रभाव होगा ? संक्षिप्त कारण भी दीजिए । |
| Answer» प्रकाश कि तीव्रता बढ़ाने से धातु पर प्रति सेकण्ड अधिक फोटॉन गिरेंगे जिससे कि उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों कि संख्या ( अतः प्रकाशवैधुत सेल से धारा ) बढ़ेगी । तीव्रता बढ़ाने से फोटॉन कि ऊर्जा नहीं बढ़ेगी , अतः उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों कि गतिज ऊर्जा भी नहीं बढ़ेगी । | |
| 13. |
किसी प्रकाश कि तीव्रता में वृद्धि , प्रकाश की तरंगदैर्घ्य को स्थिर रखते हुए कि जाती है। किसमें वृद्धि होगी : फोटॉन कि ऊर्जा में अथवा फोटॉनों कि संख्या में ? |
| Answer» फोटॉनों की संख्या में । | |
| 14. |
यदि हम किसी धातु पर केवल एक ही आवृत्ति का ( एकवर्णी ) प्रकाश डालें तब भी उत्सर्जित प्रकाश - इलेक्ट्रॉनों कि ऊर्जाएँ भिन्न होती हैं , क्यों ? |
| Answer» प्रकाश - इलेक्ट्रॉन धातु के पृष्ठ से ही नहीं , बल्कि धातु के भीतर से भी उत्सर्जित होते हैं । | |
| 15. |
निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए : ( a) ऐसा विचार किया गया है कि प्रोटॉन पर न्यूट्रॉन के भीतर क्वार्क पर आंशिक आवेश होते हैं [`(+2//3)e, (-1//3)e` ] । यह मिलिकन तेल -बूँद प्रयोग में क्यों नहीं प्रकट होते ? (b ) e/m संयोग की क्या विशिष्टता है ? हम e तथा m के विषय में अलग - अलग विचार क्यों नहीं करते । ? (c ) गैसें सामान्य दाब पर चालन प्रारम्भ कर देती हैं । क्यों ? (d ) प्रत्येक धातु का एक निश्चित कार्य - फलन होता है यदि आपतित विकिरण एकवर्णी हो तो सभी प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन समान ऊर्जा के साथ बाहर क्यों नहीं आते हैं ? प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों का एक ऊर्जा वितरण क्यों होता है ? (e ) एक इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा तथा इसका संवेग इससे जुड़े पदार्थ - तरंग की आवृत्ति तथा इसके तरंगदैर्घ्य के साथ निम्न प्रकार संबंधित होते हैं : `E=hv, p=(h)/(lambda)`, परंतु `lambda` का मान जहाँ भौतिक महत्त्व का है , v के मान ( और इसलिए कला चाल `v lambda` का मान ) का कोई भौतिक महत्त्व नहीं है । क्यों ? |
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Answer» (a) प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की संरचना में क्वार्क का विशेष महत्त्व है । क्वार्कों पर भिन्नात्मक आवेश होता है `(+(2)/(3)e)` तथा `(-(1)/(3) e)` जिससे वे ऐसे बलों से बँधे रहते हैं । उनको दूर खींचने पर ये बल प्रबल होते हैं । यद्यपि प्रकृति में भिन्नात्मक आवेश हो सकते हैं । तथापि प्रेक्षणीय आवेश e के पूर्ण गुणज ही होता है । जैसा कि मिलिकन तेल बूँद प्रयोग से स्पष्ट होता है । (b) इलेक्ट्रॉन के विद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्रों में गति सम्बन्धी सूत्रो से स्पष्ट है कि ` (1)/(2) mv^(2) = eV` तथा `B e c = (mv^(2))/(r)` `(e)/(m)=(v^(2))/(2V)` तथा `(e)/(m) = (v)/(Br)` यहाँ इलेक्ट्रॉन की गतिकी e व m दोनों द्वारा एक साथ होती है , अलग-अलग नहीं होती है । बल्कि e/m द्वारा ही निर्धारित होती है । (c) सामान्य दाब पर गैस आयनीकरण में बहुत कम धन आयन तथा इलेक्ट्रॉन प्राप्त होते हैं , जिससे विधुत विसर्जन नहीं होता है और गैस अचालक ही बनी रहती है । कम दाब व उच्च विभव पर विसर्जन नली में उत्पन्न आयन पर्याप्त ऊर्जा अर्जित कर लेते हैं तथा गैस के अणुओं से टकराते हैं तथा आयनीकरण करते हैं, जिससे आयनों की संख्या बढ़ती है । आयनों तथा इलेक्ट्रॉनों के उचित इलेक्ट्रोड की ओर चलने से धारा प्रवाह होता है । इस प्रकार गैसें कम दाब तथा उच्च विभव पर चालक का कार्य करती हैं । (d) किसी धातु का कार्य फलन इलेक्ट्रॉन को चालक बैण्ड के ऊपरी स्तर से धातु से बाहर निकालने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा है । परन्तु धातु के सभी इलेक्ट्रॉन एक ही ऊर्जा स्तर में नहीं रहते हैं । परिणामस्वरूप एक ही आपतित विकिरण के लिए विभिन्न स्तरों से निकले इलेक्ट्रॉन विभिन्न ऊर्जाओं के साथ निर्गत होते हैं । (e) इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा तथा संवेग को निम्न ऊर्जा हैं : इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा `E=(1)/(2) mv^(2)` इलेक्ट्रॉन का संवेग `p=mv=(h)/(lambda)` `(E)/(p^(2))=(1)/(2m)` या `E=(p^(2))/(2m)=((h/lambda)^(2))/(2m)=(h^(2))/(2lambda^(2) m)` यहाँ संवेग `p=(h)/(lambda)` यहाँ ऊर्जा E तथा p में सम्बन्ध से स्पष्ट है कि सूत्र में `lambda ` का एक भौतिक महत्त्व है , किन्तु आवृत्ति का महत्त्व नहीं होता है । |
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| 16. |
जब किसी धात्विक पृष्ठ को तरंगदैर्घ्य `lambda` के विकिरणों से प्रदीप्त किया जाता है , तो निरोधी विभव V है । यदि इसी पृष्ठ को तरंगदैर्घ्य `2 lambda` के विकिरणों से प्रदीप्त किया जाये , तो निरोधी विभव V/4 हो जाता है । इस धात्विक पृष्ठ की देहली तरंगदैर्घ्य है :A. `4lambda`B. `5lambda`C. `(5)/(2) lambda`D. `3lambda` |
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Answer» Correct Answer - D आइन्सटीन की प्रकाशवैधुत समीकरण द्वारा स्थिति - I `eV=(hc)/(lambda)-(hc)/(lambda_(0)) " " ...(i)` स्थिति - `II " " e(V)/(4) = (hc)/(2 lambda) - (hc)/(lambda_(0))` अथवा `eV=(2hc)/(lambda) - (4 h c)/(lambda_(0)) " " ...(ii)` समी . (i) व (ii) से `(hc)/(lambda) - (2hc)/(lambda)=-(4hc)/(lambda_(0))+(hc)/(lambda_(0))` अथवा `-(hc)/(lambda)=-(3hc)/(lambda_(0))` अथवा ` lambda _(0)=3 lambda`. |
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| 17. |
किसी धातु के लिए कार्य फलन 4.2 eV है। क्या 330 नैनोमीटर तरंगदैर्घ्य के आपतित प्रकाश के लिए धातु प्रकाशवैधुत उत्सर्जन करेगा ? |
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Answer» आपतित फोटॉन की ऊर्जा , `E=(hc)/(lambda)=(6.63xx10^(-34)xx3.0xx10^(8))/(330xx10^(-9))` `=6.03xx10^(-19)` जूल `=(6.03xx10^(-19))/(1.6xx10^(-19))=3.77` eV. आपतित फोटॉन की ऊर्जा धातु के कार्य फलन से कम है , अतः प्रकाशवैधुत उत्सर्जन नहीं होगा । |
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| 18. |
किसी प्रकाशवैधुत पृष्ठ को, क्रमशः `lambda` तथा `lambda//2` तरंगदैर्घ्य के एकवर्णी प्रकाश से प्रदीप्त किया जाता है । यदि उत्सर्जन प्रकाशवैधुत इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा का मान दूसरी दशा में, पहली दशा से 3 गुना है तो , इस पृष्ठ के पदार्थ का कार्य फलन है : ( h= प्लान्क स्थिरांक , c= प्रकाश का वेग)A. `(hc)/(lambda)`B. `(2hc)/(lambda)`C. `(hc)/(lambda)`D. `(hc)/(2lambda)` |
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Answer» Correct Answer - D `E_(1) =(hc)/(lambda) - W` `E_(2) = (hc)/(lambda//2) -W=(2hc)/(lambda)-W` `E_(2) = 3 E_(1) ` (दिया है ) `:. (2hc)/(lambda) - W = 3 ((hc)/(lambda)-W)` `2W = (hc)/(lambda) ` अथवा `W=(hc)/(2 lambda)`. |
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| 19. |
एक धातु पृष्ठ पर 5 eV ऊर्जा का फोटॉन आपतित होता है । उत्सर्जित प्रकाश - इलेक्ट्रॉन हेतु निरोधी विभव 3.5 वोल्ट है । धातु के कार्य फलन की गणना जूल में कीजिए । |
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Answer» `hv=W+1/2 mv^(2)` `W=hv-eV_(0)=5eV-3.5 eV=1.5 eV` `=1.5 eV xx 1.6xx10^(-19)J//eV=2.4xx10^(-19)J` |
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| 20. |
एक धातु की सतह पर हरा प्रकाश डालने पर इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन होता है किन्तु पीले रंग का प्रकाश डालने पर नहीं । क्या नीले रंग का प्रकाश डालने पर इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन होगा ? कारण भी बताइए । |
| Answer» होगा, क्योंकि ` v_(B) gt v_(G)`. | |
| 21. |
किसी धातु का कार्य फलन 3.2 eV है। यदि दो फोटॉन जिसमें प्रत्येक कि ऊर्जा 2.0eV है , धातु के पृष्ठ पर आपतित हों , तो क्या फोटो - इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होगा ? कारण स्पष्ट कीजिए । यदि पृष्ठ पर केवल एक फोटॉन जिसकी ऊर्जा 4.0eV है, आपतित हो , तो क्या फोटो -इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होगा ? यदि हाँ , तो उसकी गतिज ऊर्जा जूल में कितनी होगी ? |
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Answer» (i) नहीं, एक प्रकाश -इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जन में केवल एक फोटॉन का प्रभाव होता है । किसी पृष्ठ से इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन तब ही सम्भव है जबकि प्रत्येक आपतित फोटॉन की ऊर्जा पृष्ठ के कार्य फलन से अधिक हो । (ii) हाँ, गतिज ऊर्जा `=4.0-3.2=0.8eV` `=0.8xx1.6xx10^(-19)` `=1.28xx10^(-19)` जूल । |
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| 22. |
बिस्मथ धातु का कार्य फलन 2.5eV है । यदि प्रत्येक 1.5eV ऊर्जा वाले दो फोटॉन बिस्मथ पर एक साथ आपतित हों , तो क्या वे फोटो - इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित कर सकेंगे ? समझाइए । |
| Answer» नहीं, क्योंकि एक फोटॉन ही इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करता है । अतः एक फोटॉन की ऊर्जा कार्य फलन से अधिक होनी चाहिए । | |
| 23. |
(a ) एक X- किरण नली विकिरण का एक संतत स्पेक्ट्रम , जिसका लघु तरंगदैर्घ्य सिरा `0.45 Å` पर है , उत्पन्न करता है । विकिरण में किसी फोटॉन की उच्चतम ऊर्जा कितनी है? ( b) अपने ( a) के उत्तर से अनुमान लगाइए कि किस कोटि कि त्वरक वोल्टता (इलेक्ट्रॉन के लिए ) कि इस नली में आवश्यकता है ? |
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Answer» (a) फोटॉन की ऊर्जा `E=hv=(hc)/(lambda)` प्रश्नानुसार, `lambda=0.45 Å= 0.45xx10^(-10)` मीटर यहाँ `h = 6.63xx10^(-34)` J-s तथा `c=3xx10^(8)` मीटर/सेकण्ड `E=(6.63xx10^(-34)xx3xx10^(8))/(0.45xx10^(-10))` जूल `=(6.63xx3xx10^(-26))/(0.45xx10^(-10)xx1.6xx10^(-19))` eV `E=27.6` keV . (b) X- किरण नलिका में प्रति कैथोड (लक्ष्य ) पर टकराने वाले इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा = eV यह ऊर्जा 27.6 keV होनी चाहिए `eV=27.6 keV` `rArr V=27.6 kV` अतः आवश्यक त्वरणकारी विभव `gt 27.6 kV` कोटिमान `~= 30 kV`. |
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| 24. |
X-किरण फोटॉन की तरंगदैर्घ्य `lambda=1Å` है । उसकी ऊर्जा ( eV में ) ज्ञात कीजिए । |
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Answer» `E=(hc)/(lambda) = (6.6xx10^(-34)xx3xx10^(8))/(1xx10^(-10) xx 1.6xx10^(-19))` `=1.24 xx 10^(4) eV`. |
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| 25. |
किसी धातु का कार्य फलन 3.3 eV है । (i ) किस निम्नतम आवृत्ति का तथा (ii ) अधिक से अधिक किस दीर्घतम तरंगदैर्घ्य का फोटॉन इस धातु से फोटो - इलेक्टॉन उत्सर्जित कर सकेगा ? |
| Answer» (i) `0.8xx10^(15) ` हर्ट्स , (ii) 3750 Å . | |
| 26. |
किसी धातु का कार्य फलन 1.5 eV है । इसके लिये देहली तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए । |
| Answer» Correct Answer - 8250 Å. | |
| 27. |
कमरे के ताप (`27^(@)C`) और 1 वायुमण्डल दाब पर He परमाणु से जुड़े प्ररूपी दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए और इन परिस्थितियों में इसकी तुलना दो परमाणुओं के बीच औसत दूरी से कीजिए । |
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Answer» प्रश्नानुसार, `T=27^(@)C+273=300 K` बोल्ट्समैन नियतांक `=1.38xx10^(-23)` J/mol K P=1 वायुमण्डल `=1.01xx10^(5)` Pa He परमाणु का द्रव्यमान `=(" परमाणु भार")/(" आवोगाद्रो संख्या")=(4)/(6xx10^(23))` ग्राम `=(4)/(6xx10^(26))` किग्रा दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य `lambda=(h)/(sqrt(2m K))=(h)/(sqrt(3m k T))` `=(6.63xx10^(-34))/(sqrt(3xx(4)/(6xx10^(26))xx1.38xx10^(-23)xx300))` `lambda=0.73xx10^(-10)` मीटर औसत दूरी `r=(V)/(N)^(1/3)=(kT)/(P)^(1/3)=((1.38xx10^(-23)xx300)/(1.01xx10^(5)))^(1/3)` `r=3.4xx10^(-9)` मीटर `(lambda)/(r)=(0.73xx10^(-10))/(3.4xx10^(-9))=0.021` औसत दूरी r तरंगदैर्घ्य `lambda` से अधिक है । |
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| 28. |
(a ) न्यूट्रॉन की किस गतिज ऊर्जा के लिए दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य `1.40xx10^(-10)` मी होगा ? ( b) एक न्यूट्रॉन , जो पदार्थ के साथ तापीय साम्य में है और जिसकी 300 K पर औसत गतिज ऊर्जा `(3)/(2) kT` है , का भी दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए । |
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Answer» (a) न्यूट्रॉन के लिये, `lambda=1.40xx10^(-10)` मीटर, `m=1.67xx10^(-27)` किग्रा दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य, `lambda=(h)/(sqrt(2mK))` अथवा `K=(h^(2))/(2m lambda^(2))` `((6.63xx10^(-34))^(2))/(2xx(1.67xx10^(-27))xx(1.40xx10^(-10))^(2))` `=6.7xx10^(-21)` जूल `=(6.7xx10^(-21))/(1.6xx10^(-19))eV=4.19xx10^(-2)` eV. (b) न्यूट्रॉन के लये , `lambda=(h)/(sqrt(2m K))=(h)/(sqrt(2mxx3/2 kT))=(h)/(sqrt(3m kT))` जहाँ बोल्ट्जमैन नियतांक , `k=1.38xx10^(-23)"जूल"//K, T=300 K` `:. lambda=(6.63xx10^(-34))/(sqrt(3xx1.67xx10^(-27)xx1.38xx10^(-23)xx300))` `=1.456xx10^(-10)` मीटर `=1.456 Å`. |
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| 29. |
एक X-किरण फोटॉन की ऊर्जा 100 इलेक्ट्रॉन -वोल्ट है । इसकी तरंगदैर्घ्य का मान क्या है ? |
| Answer» Correct Answer - 123.75 Å . | |
| 30. |
किसी प्रकाशवैधुत कैथोड पर 5500Å तरंगदैर्घ्य का विकिरण डालने से फोटो-इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं, जिनकी अधिकतम गतिज ऊर्जा `0.4xx10^(-19)` जूल है । 4500 Å तरंगदैर्घ्य का विकिरण डालने से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा `1.2xx10^(-19)` जूल हो जाती है । प्रकाशवैधुत कैथोड का कार्य फलन तथा देहली आवृत्ति की गणना कीजिए । |
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Answer» कार्य फलन `=3.2xx10^(-19)` जूल , देहली आवृत्ति `=4.8xx10^(14) " सेकण्ड"^(-1)`| । |
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| 31. |
एक न्यूट्रॉन का द्रव्यमान m है तथा यह T (कैल्विन ) ताप पर कठोर जल के साथ उष्मीय सन्तुलन में है । इसकी दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य होगी :A. `(h)/(sqrt(mkT))`B. `(h)/(sqrt(3mkT))`C. `(2h)/(sqrt(2mkT))`D. `(2h)/(sqrt(mkT))`. |
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Answer» Correct Answer - B `lambda=(h)/(sqrt(2m K ))=(h)/(sqrt(2mxx(3)/(2) k T))=(h)/(sqrt(3 m k T))`. |
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| 32. |
एक इलेक्ट्रॉन जिसकी गतिज ऊर्जा 120 eV है , उसका (a) संवेग, ( b ) चाल और ( c) दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य क्या है ? |
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Answer» इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा , `K=120 eV=120xx1.6xx10^(-19)` `=192xx10^(-19)` जूल (a) संवेग, `p=sqrt(2mK)` `=sqrt(2xx9.1xx10^(-31)xx192xx10^(-19))` `=5.91xx10^(-24)` किग्रा-मी/से । (b) चाल, `v=(p)/(m)=(5.91xx10^(-24))/(9.1xx10^(-31))` `=6.5xx10^(6)` मीटर /सेकण्ड । (c) दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य , `lambda=(h)/(p)=(6.63xx10^(-34))/(5.91xx10^(-24))` `=1.12xx10^(-10)` मीटर = 1.12 Å. |
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| 33. |
56 V विभवांतर के द्वारा त्वरित इलेक्ट्रॉनों का (a ) संवेग, और (b ) दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य परिकलित कीजिए । |
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Answer» (a) संवेग, `p=sqrt(2mK)` V वोल्ट विभवान्तर पर त्वरित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा, `K=eV` `:. P=sqrt(2 meV)` `=sqrt(2xx(9.1xx10^(-31))xx(1.6xx10^(-19))xx56)` `=4.04xx10^(-24)` किग्रा-मी/से । (b) दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य , `lambda=(h)/(p)=(6.63xx10^(-34))/(4.04xx10^(-24))` `=1.64xx10^(-10)` मी `=1.64` Å. वैकल्पिक विधि : `lambda=(12.27)/(sqrt(V))=Å=(12.27)/(sqrt(56))` `=(12.27)/(7.48)Å=1.64 Å` |
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| 34. |
किसी आवेशित कण द्रव्यमान m तथा इस पर q आवेश है । यदि कण V विभवान्तर से त्वरित किया जाए, तो इससे सम्बन्धित दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य का सूत्र लिखिए । |
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Answer» `lambda=(h)/(p)`, जहाँ `p=mv` तथा `qV=1/2 mv^(2) :. V=sqrt((2qV)/(m))` इस प्रकार `mv = sqrt(2mqV) :. lambda=(h)/(sqrt(2mqV))`. |
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| 35. |
वायु में 300 K ताप पर एक नाइट्रोजन अणु का दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य कितना होगा ? यह मानें कि अणु इस ताप पर अणुओं के चाल वर्ग माध्य से गतिमान है । (नाइट्रोजन का परमाणु द्रव्यमान `=14.0076 u` ) |
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Answer» नाइट्रोजन अणु की चाल = इसके अणुओं की वर्ग -माध्य-मूल चाल `v=v_("rms")=sqrt((3kT)/(m))` नाइट्रोजन अणु की दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य , `lambda=(h)/(mv)=(h)/(msqrt((ekT)/(m)))=(h)/(sqrt(2m kT))` नाइट्रोजन अणु का द्रव्यमान , `m=2xx` परमाणु द्रव्यमान `=2xx14.0076 u` `=28.0152xx1.66xx10^(-27)` किग्रा तथा बोल्ट्समैन नियतांक, `k=1.38xx10^(-23)` जूल/केल्विन `:. lambda=(6.63xx10^(-34))/(sqrt(3xx28.0152xx1.66xx10^(-27)xx1.38xx10^(-23)xx300))` `=0.276xx10^(-10)` मीटर `= 0.028` नैनोमीटर । |
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| 36. |
एक इलेक्ट्रॉन (द्रव्यमान `=1xx10^(-30)` किग्रा, आवेश `=1.6xx10^(-19)` कूलॉम ) जिसकी गतिज ऊर्जा 200 eV है , दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य है : (`h=6.6xx10^(-34)` जूल - से )A. `9.60xx10^(-11)` मीB. `8.25xx10^(-11)` मीC. `6.25xx10^(-11)` मीD. `5.00xx10^(-11)` मी |
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Answer» Correct Answer - B `lambda=(h)/(sqrt(2m K))=(6.6xx10^(-34))/(sqrt(2xx10^(-30)xx200xx1.6xx10^(-19)))` `=sqrt(6.6xx10^(-34))/(sqrt(4xx16xx10^(-29)xx10^(-19)))` `=(6.6)/(8) xx(10^(-34))/(10^(-24)) = 0.825xx10^(-10) ` मीटर `=8.25xx10^(-11)` मीटर । |
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| 37. |
एक इलेक्ट्रॉन और एक फोटॉन प्रत्येक का तरंगदैर्घ्य 1.00 नैनोमीटर है । (a ) इनका संवेग , (b ) फोटॉन की ऊर्जा , और (c ) इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए । |
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Answer» (a) प्रत्येक का संवेग, `p=(h)/(lambda)=(6.63xx10^(-34))/(1.00xx10^(-9))` `=6.63xx10^(-25)` किग्रा -मी/से। (b) फोटॉन की ऊर्जा, `E=(hc)/(lambda)=pc` `=6.63xx10^(-25)xx3.0xx10^(8)` `=19.89xx10^(-17)` जूल `=(19.89xx10^(-17))/(1.6xx10^(-19))` `=1.24xx10^(3)` eV `=1.24` keV. (c) इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा, `K=(p^(2))/(2m_(e))=((6.63xx10^(-25))^(2))/(2xx9.1xx10^(-31))` `=2.412xx10^(-19)` जूल `=(2.412xx10^(-19))/(1.6xx10^(-19))=1.51` eV. |
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| 38. |
तरंगदैर्घ्य 5000 Å के प्रकाश - फोटॉन की ऊर्जा लगभग 2.5 eV होती है । 1 Å तरंगदैर्घ्य की X-किरणों के फोटॉन की ऊर्जा लगभग होगी :A. `2.5 div 5000 eV`B. `2.5 div (5000)^(2)eV`C. `2.5xx5000 eV`D. `2.5xx(5000)^(2)eV`. |
| Answer» Correct Answer - C | |
| 39. |
यदि किसी कण का संवेग दोगुना कर दिया जाये, तो इसकी दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य होगी :A. अपरिवर्तितB. चार गुनीC. दोगुनीD. आधी । |
| Answer» Correct Answer - D | |
| 40. |
100 ग्राम द्रव्यमान की एक गेंद 30 मी/से के वेग से चल रही है । इससे सम्बद्ध दी- ब्रोगली तरंगदैर्घ्य होगी :A. `4.4xx10^(-34)`मीB. `2.4xx10^(-27)`मीC. `2.2xx10^(-34)` मीD. `2.0xx10^(-10)`मी | |
| Answer» Correct Answer - C | |
| 41. |
निम्नलिखित कण एक ही वेग से गतिमान हैं। अधिकतम दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य वाला कण है :A. `beta`-कणB. प्रोटॉनC. `alpha`-कणD. न्यूट्रॉन । |
| Answer» Correct Answer - A | |
| 42. |
` lambda` दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य वाले एक द्रव्य कण की गतिज ऊर्जा में दोगुनी वृद्धि करने पर, कण की दी - ब्रोगली तरंगदैर्घ्य हो जाती है :A. `lambda//sqrt(2)`B. `lambda sqrt(2)`C. `lambda//2`D. `2lambda`. |
| Answer» Correct Answer - A | |
| 43. |
फोटॉन के गतिज द्रव्यमान का सूत्र है :A. `(hv)/(c)`B. `(hv)/(c^(2))`C. `(hc)/(v)`D. `(c^(2))/(h v)` . |
| Answer» Correct Answer - B | |
| 44. |
V वोल्ट से त्वरित होकर इलेक्ट्रॉन `v` चाल से एक लक्ष्य से टकराता है । 2 V वोल्ट से त्वरित होने पर इलेक्ट्रॉन की चाल हो जायेगी :A. `2v`B. `4 v`C. `sqrt(2)v`D. `v//2` |
| Answer» Correct Answer - C | |
| 45. |
किसी गतिमान आवेशित कण से सम्बद्ध दी- ब्रोगली तरंगदैर्घ्य निर्भर नहीं करती है कण के :A. द्रव्यमान परB. आवेश परC. वेग परD. द्रव्यमान पर |
| Answer» Correct Answer - B | |
| 46. |
`lambda` तरंगदैर्घ्य का प्रकाश निर्वात नलिका के भीतर एक कैथोड पर गिरता है, जैसा कि गिरता है , जैसा कि चित्र में दिखाया गया है । कैथोड की सतह का कार्य फलन W है एवं एनोड , जोकि चालकीय पदार्थ के तारों की जाली है , कैथोड से d दूरी पर स्थित है । इलेक्ट्रोड के बीच विभवान्तर V स्थिर है । यदि एनोड को पार करने वाले इलेक्ट्रॉनों की न्यूनतम दी-ब्रोगली (de-Broglie ) तरंगदैर्घ्य `lambda_(e)` है, तब अग्रलिखित में से कौन - सा कथन सत्य है ? A. यदि `lambda lt hc//W` है, तो `lambda` के साथ `lambda_(e)` एकसमान दर से बढ़ेगाB. उच्च विभवान्तर `(V gt gt W//e)` पर यदि V को चार गुना बढ़ाया जाये , तो `lambda_(e)` लगभग आधा हो जायेगाC. d को दुगना करने पर `lambda_(e)` लगभग आधा हो जायेगाD. W तथा `lambda` को बढ़ाने पर `lambda_(e)` कम होगा । |
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Answer» Correct Answer - B `E_(k) = (hc)/(lambda) - W` एनोड पर पहुँचने वाले इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा `K=(hc)/(lambda) - W + eV` इलेक्ट्रॉनों की दी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य `lambda_(e) = (h)/(sqrt(2mK))=(h)/(sqrt(2m((hc)/(lambda)-W+eV)))` जब ` eV gt gt W, lambda_(e) = (h)/(sqrt(2m ((hc)/(lambda)+ eV)))` जब V को चार गुना बढ़ाया जाता है , तो `lambda_(e)` लगभग आधा हो जायेगा । |
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| 47. |
प्रकाश सेल के निरोधी विभव में परिवर्तन गणना कीजिए यदि आपतित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य 4000Å के स्थान पर 4500 Å कर दी जाये । (`h=6.6xx10^(-34)` जूल-सेकण्ड ,`c=3.0xx10^(8)` मीटर/सेकण्ड , `e=1.6xx10^(-19)` कूलॉम ) |
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Answer» माना कि सतह का कार्य फलन W तथा सतह पर गिरने वाले प्रकाश की आवृत्ति v है । तब आइन्सटीन की प्रकाशवैधुत समीकरण के अनुसार , सतह से उत्सर्जित प्रकाश-इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा `E_(k)=hv-W=(hc)/(lambda)-W` यदि संस्तब्ध वोल्टेज `V_(0)` है तब इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा `E_(k)=eV_(0)` `:. eV_(0)=(hc)/(lambda)-W` अथवा `V_(0)=(hc)/(e lambda)-(W)/(e)` यदि आपतित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य `lambda_(1)` से बढ़ाकर `lambda_(2)` कर दी जाये , तब संस्तब्ध विभव में परिवर्तन ( कमी) `DeltaV_(0)=(V_(0))_(2)-(V_(0))_(1)` `=((hc)/(e lambda_(2))-(W)/(e))-((hc)/(elambda_(1))-(W)/(e))` `=(hc)/(e) ((1)/(lambda_(2))-(1)/(lambda_(1)))=(hc)/(e)((lambda_(1)-lambda_(2))/(lambda_(1)xxlambda_(2)))`. h, c व e के दिये गये मान तथा `lambda_(1)=4000 Å = 4.0xx10^(-7)` मीटर व `lambda_(2)=4500 Å= 4.5 xx10^(-7)` मीटर रखने पर , `DeltaV_(0)=((6.6xx10^(-34)" जूल-सेकण्ड")xx(3.0xx10^(8)" मीटर /सेकण्ड"))/(1.6xx10^(-19)" कूलॉम ")` `[(-0.5xx10^(-7)" मीटर")/((4.0xx10^(-7)" मीटर")xx(4.5xx10^(-7)" मीटर"))]` `=-0.34` जूल/कूलॉम = - 0.34 वोल्ट । |
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| 48. |
एक नियॉन लैम्प से उत्पन्न 640.2 नैनोमीटर (1 नैनोमीटर `=10^(-9)` मीटर ) तरंगदैर्घ्य का एकवर्णी विकिरण टंगस्टन पर सीजियम से निर्मित प्रकाश-संवेदी पदार्थ को विकिरित करता है । निरोधी वोल्टता 0.54 वोल्ट मापी जाती है । स्रोत्र को एक लौह -स्रोत्र से बदल दिया जाता है । इसकी 427.2 नैनोमीटर वर्ण - रेखा उसी प्रकाश सेल को विकिरित करती है । नयी निरोधी वोल्टता ज्ञात कीजिए। |
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Answer» प्रथम स्थिति में , तरंगदैर्घ्य `(lambda_(1))=640.2` नैनोमीटर `=640.2xx10^( -9)` मीटर निरोधी विभव `(V_(0))_(1)=0.54` वोल्ट दूसरी स्थिति में, तरंगदैर्घ्य `(lambda_(2))=427.2` नैनोमीटर ` =427.2xx10^(-9)` मीटर माना नया निरोधी विभव `(V_(0))_(2)` है , जो ज्ञात करना है । तब `eV_(0)=(hc)/(lambda)-W` से, `V_(0)=(hc/e lambda)-(W/e)` अतः पहली स्थिति में नियॉन लैप के लिए `(V_(0))_(1)=[((hc)/(e)).(1)/(lambda_(1)) ] -(W/e) ` ...(i) दूसरी स्थिति में लौह-स्रोत के लिए `(V_(0))_(2)=[((hc)/(e)).(1)/(lambda_(2))]-(W/e)` ...(ii) समीकरण (ii) में से समीकरण (i) को घटाने पर, `(V_(0))_(2)-(V_(0))_(1)=(hc)/(e) [(1)/(lambda_(2))-(1)/(lambda_(1))]` `=[((6.63xx10^(-34))(3xx10^(8)))/(1.6xx10^(-19))]` `[((1)/(640.2xx10^(-9)))-((1)/(427.2xx10^(-9)))]` वोल्ट `=(6.63xx3)/(1.6)xx10^(-7)xx(1)/(10^(-9))[(213.0)/(640.2xx427.2)]` वोल्ट = 0.968 वोल्ट `(V_(0))_(2)=[0.968+(V_(0))_(1)]` `=(0.968+0.54)` वोल्ट = 1.508 वोल्ट । |
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| 49. |
एक 100 W सोडियम बल्ब ( लैम्प ) सभी दिशाओं में एकसमान ऊर्जा विकिरित करता है । लैम्प को एक ऐसे बड़े गोले के केंद्र पर रखा गया है , जो इस पर आपतित सोडियम के सम्पूर्ण प्रकाश को अवशोषित करता है । सोडियम प्रकाश का तरंगदैर्घ्य 589 नैनोमीटर है । (a ) सोडियम प्रकाश से जुड़े प्रति फोटॉन की ऊर्जा कितनी है ? (b ) गोले को किस दर से फोटॉन प्रदान किये जा रहे हैं? |
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Answer» सोडियम लैम्प की , `P=100` वाट `=100 ` जूल `"सेकण्ड"^(-1)` सोडियम प्रकाश की तरंगदैर्घ्य = 589 नैनोमीटर `=589xx10^(-9)` मीटर (a) सोडियम के प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा, `E=(hc)/(lambda)=(6.63xx10^(-34)xx3.0xx10^(8))/(589xx10^(-9))` `=3.38xx10^(-19)` जूल | (b) गोले को प्रति सेकण्ड दिये जाने वाले फोटॉनों की संख्या `=(P)/(E)=(100)/(3.38xx10^(-19))` `=2.96xx10^(20)=3.00xx10^(20)`. |
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| 50. |
किसी धात्विक पृष्ठ से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन तभी सम्भव है, जब आपतित प्रकाश की आवृत्ति :A. देहली आवृत्ति की आधी होB. देहली आवृत्ति की एक तिहाई होC. देहली आवृत्ति से कुछ कम होD. देहली आवृत्ति से अधिक हो । |
| Answer» Correct Answer - D | |