InterviewSolution
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| 51. |
यदि परिपथ को उच्च आवृत्ति की आपूर्ति (240 V, 10 kHz) से जोड़ा जाता है तो प्रश्न 13 (a) तथा (b) के उत्तर निकालिए । इससे इस कथन की व्याख्या कीजिए कि अति उच्च आवृत्ति पर किसी परिपथ में प्रेरक लगभग खुले परिपथ के तुल्य होता है । स्थिर अवस्था के पश्चात किसी D.C. परिपथ में प्रेरक किस प्रकार का व्यवहार करता है ? |
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Answer» दिया है - `v=10kHz=10^(4)Hz` `omega=2piv=2pixx10^(4)"rad s"^(-1),V_(rms)=240` `:." "I_(0)=(V_(0))/(sqrt(R^(2)+omega^(2)L^(2)))` `=(sqrt(2)xx240)/(sqrt((100)^(2)+(2pixx10^(4))^(2)xx(0*5)^(2)))` `=1*08xx10^(-2)A` `X_(L)` की तुलना में R को नगण्य लेने पर, `tanphi=(X_(L))/(R)=(2pixx10^(4)xx0*5)/(100)=100pi` `phi` का मान रेडियन में होगा । `:.` समय पश्चात `=(phi)/(2piv)=(pi)/(4pixx10^(4))` `=0.25xx10^(-4)` सेकण्ड इस स्थिति में `I_(0)` का मान अत्यंत कम होने के कारण यह मान सकते है कि उच्च आवृत्ति पर प्रेरक कुण्डली एक खुले परिपथ के समान व्यवहार करती है स्थायी D.C. परिपथ के लिए v=0 अतः प्रेरकत्व एक शुद्ध चालक के समान व्यवहार करता है । |
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| 52. |
यदि परिपथ को 110 V, 12 KHz आपूर्ति से जोड़ा जाए तो प्रश्न (a) व (b) का उत्तर निकालिए | इससे इस कथन की व्याख्या कीजिए कि अति उच्च आवृतियों पर एक संधारित्र चालक होता है | इसकी तुलना उस व्यवहार से कीजिए जो किसी DC परिपथ में एक संधारित्र प्रदर्शित करता है | |
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Answer» दिया है-वोल्टेज का rms मान, `V_(rms) = 110V` ,brgt संधारित्र की आवृत्ति `(f) = 12 kHz = 12000Hz` संधारित्र की धारिता`(C ) = 10^(-4) F` प्रतिरोध `(R ) = 40 Omega` धारितीय प्रतिघात, `X_(C)=(1)/(2pifC)=(1)/(2xx3.14xx12000xx10^(-4))=0.133Omega` धारा का rms मान, `I_(rms)=(V_(rms))/(sqrt(X_(C)^(2)+R^(2)))=(110)/(sqrt((40)^(2)+(0.133)^(2)))=2.75A` धारा का अधिकतम मान, `I_(0)=sqrt(2)I_(rms)=1.414xx2.75=3.9A` अतः `X_(C)` का मान बहुत कम तथा C नगण्य लेने पर, `tanphi=(1)/(omegaCR)=(1)/(2xx3.14xx12000xx10^(-4)xx40)=(1)/(96pi)` यह अति है | अति उच्च आवृत्ति पर, `phi to 0` तुलना करने पर अति उच्च आवृत पर संधारित्र के कारण प्रतिरोध नगण्य है अतः यह एक शुद्ध धारिता वाला संधारित्र है जिसकी धारितीय प्रतिघात नगण्य है | DC परिपथ में, `omega=0` (स्थायी अवस्था में ) `X_(C) = (1)/(omegaC) = oo` अतः यह खुले परिपथ की भांति कार्य करता है | |
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| 53. |
L.C.R. अनुनादी परिपथ में अनुनादी आवृत्ति से कम आवृत्ति पर परिपथ की प्रकृति क्या होगा ? |
| Answer» धारतीय, क्योकि इस स्थिति में `(1)/(omegaC)gtomegaL` हो जायेगा । | |
| 54. |
एक कुण्डली में 6 ऐम्पियर विघुत धारा बहती है जब इसे 36 वोल्ट दिष्ट धारा स्त्रोत से जोड़ा जाता है | यदि उसी कुण्डली को 36 वोल्ट, 50 चक्कर/सेकण्ड की प्रत्यावर्ती धारा स्त्रोत से जोड़ते है, तो परिपथ में 3.6 ऐम्पियर वैघुत धारा बहती है | कुण्डली के प्रेरण प्रतिघात की गणना कीजिये | |
| Answer» Correct Answer - 8 ओम | |
| 55. |
(i) एक कुण्डली को जब 12 वोल्ट दिष्ट धारा स्त्रोत से जोड़ते है तो उसमे 4 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित होती है | यदि उसी कुण्डली को 12 वोल्ट, 50 रेडियन/सेकण्ड के प्रत्यावर्ती स्त्रोत से जोड़ते है तो उसमे 2.4 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित होती है | कुण्डली का प्रेरकत्व ज्ञात कीजिये | (ii) यदि इस कुण्डली के श्रेणीक्रम में 2500 `muF` का संधारित्र जोड़ दे तो परिपथ की प्रतिबाधा, धारा तथा इसमें ऊष्मा क्षय ज्ञात कीजिये | |
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Answer» (i) जब दिष्ट धारा (dc) स्त्रोत जोड़ा जाता है, `I = (V)/(R )` अथवा `R = (V)/(I) = (12)/(4) = 3` ओम जब प्रत्यावर्ती धारा (ac) स्त्रोत जोड़ा जाता है, `i= (V)/(Z)` अथवा `Z = (12)/(2.4) = 5` ओम परन्तु `Z = sqrt(R^(2) + (X_(L))^(2))` `(X_(L))^(2) = Z^(2) - R^(2) = (5)^(2) - (3)^(2) = 25 - 9 = 16` `therefore X_(L) = 4` `L = (X_(L))/(omega) = (4)/(omega) = (4)/(50)` = 0.08 हेनरी (ii) कुण्डली के श्रेणीक्रम में `250 muF` संधारित्र जोड़ने पर, `X_(C) = (1)/(omegaC) = (1)/(50 xx 2500 xx 10^(-6)) = (1000)/(125) = 8 Omega` `therefore Z = sqrt(R^(2) + (X_(L) - X_(C))^(2)) = sqrt((3)^(2) + (4-8)(2))` = 5 ओम `i=(V)/(Z) = (12)/(5) = 2.4` ऐम्पियर `barP = V_(rms) * i_(rms) cos phi` ` = 12 xx 2.4 xx (R)/(Z) = 12xx2.4xx (4)/(5)` ` = 17.28` वाट |
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| 56. |
प्रत्यावर्ती धारा क्या है ? |
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Answer» वह विधुत धारा जिसका परिमाण और दिशा दोनों समय के साथ निरंतर आवर्ती रूप से परिवर्तित होते रहते है प्रत्यावर्ती धारा कहलाती है | प्रत्यावर्ती धारा का समीकरण निम्न है `I=I_(0)sinomegat` जहाँ, I = धारा का तात्क्षणिक मान, `I_(0)` = धारा का शिखर मान तथा `omega` = कोणीय आवृत्ति है । |
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| 57. |
प्रत्यावर्ती धारा के शिखर तथा औसत मान क्या है ? |
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Answer» प्रत्यावर्ती धारा के अधिकतम मान को उसका आयाम या शिखर मान कहते है इसे `I_(0)` से व्यक्त करते है । प्रत्यावर्ती धारा के एक पूर्ण चक्र में औसत मान को प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान कहते है इसे `I_(av)` से व्यक्त करते है |
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| 58. |
दिष्ट धारा परिपथ में ट्रांसफार्मर का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है ? |
| Answer» ट्रांसफार्मर की प्राथमिक कुण्डली को दिष्ट धारा परिपथ में जोड़ने पर द्वितीयक कुण्डली में फ्लक्स नियत रहता है जिसके कारण निर्गत वोल्टता शून्य रहती है | | |
| 59. |
दिष्ट धारा की आवृत्ति कितनी होती है ? |
| Answer» Correct Answer - शून्य | |
| 60. |
चित्र 7.31 में ज्ञात कीजिये- (i) प्रेरक कुण्डली का प्रतिघात (ii) परिपथ में धारा |
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Answer» (i) प्रेरक कुण्डली का प्रतिघात `X_(L) = omegaL` प्रश्नानुसार, `omega = 1000` रेडियन/सेकण्ड `L = 20 mH = 20 xx 10^(-3) H` `therefore " "X_(L) = (1000) (20 xx 10^(-3))` ओम (ii) परिपथ में धारा `L_(rms) = (V _(rms))/(X_(L))` यहाँ `" " V_(rms) = (V_(0))/(sqrt(2)) = (10)/(sqrt(2)) = 5sqrt(2)` वोल्ट `therefore " " I_(rms) = (5sqrt(2))/(20) = (sqrt(2))/(4) = 0.35` ऐम्पियर |
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| 61. |
धरो में आपूर्ति की जाने वाली प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति कितनी है ? यह एक सेकण्ड में कितनी बार शून्य होती है ? |
| Answer» Correct Answer - 50 हर्ट्ज, 100 बार | |
| 62. |
प्रत्यावर्ती धारा के आयाम एवं आभासी मान को समझाइये तथा सम्बन्ध स्थापित कीजिए । |
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Answer» प्रत्यावर्ती धारा का आयाम या शिखर मान - प्रत्यावर्ती धारा के अधिकतम मान को उसका आयाम या शिखर मान कहते है इसे `I_(0)` से व्यक्त किया जाता है । प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग - माध्य - मूल मान या आभासी मान - प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग - माध्य - मूल मान एक पूर्ण चक्र पर `I^(2)` के माध्य के वर्गमूल के बराबर होता है । इसे `I_(rms)` या `I_(av)` से व्यक्त करते है । माना कि प्रत्यावर्ती धारा का समी. निम्नलिखित है - `I=I_(0)sinomegat` जहाँ I धारा का तात्क्षणिक मान है `I_(0)` उसका शिखर मान तथा `omega` कोणीय आवृत्ति है परिभाषानुसार, `I_(rms)^(2)=(fint_(0)^(T)I^(2)dt)/(T)=(1)/(T)int_(0)^(T)I_(0)^(2)sin^(2)omegat" "dt` `I_(rms)^(2)=(I_(0)^(2))/(T)int_(0)^(T)(1)/(2)(1-cos2omegat)dt` `=(I_(0)^(2))/(2T)int_(0)^(T)(1-cos2omegat)dt` `I_(rms)^(2)=(I_(0)^(2))/(2T)int_(0)^(T)dt-(I_(0)^(2))/(2T)int_(0)^(T)cos2omegat" "dt` `I_(rms)^(2)=(I_(0)^(2))/(2T)[T]-(I_(0)^(2))/(2T)int_(0)^(T)cos2omegat" "dt` `=(I_(0)^(2))/(2)-(I_(0)^2)/(2T)[(sin2omegat)/(2omega)]_(0)^(T)` `=(I_(0)^(2))/(2)-(I_(0)^(2))/(4Tomega)[sin2omegaT-sin0]` `=(I_(0)^(2))/(2)-(I_(0)^(2))/(4Tomega)[sin2omega*(2pi)/(omega)-sin0]` `=(I_(0)^(2))/(2)-(I_(0)^(2))/(4Tomega)[sin4pi-sin0]` `I_(rms)^(2)=(I_(0)^(2))/(2)," "{{:(Qsin4pi=0),(sin0=0):}}` अब `I_(rms)=I_(av)` `=sqrt(I_(rms)^(2))` `=sqrt((I_(0)^(2))/(2))` `I_(rms)=(I_(0))/(sqrt(2))=0*707I_(0)` अतः प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग - माध्य मूल मान उसके शिखर का `(1)/(sqrt(2))` या `0*707` गुना होता है । |
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| 63. |
प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग माध्य मूल मान से क्या तातपर्य है ? |
| Answer» (a) `i_(rms) = i_(0) //sqrt(2), ` | |
| 64. |
एक परिपथ के धारा क्षण t पर `i=i_(0)((t)/(tau))` है `t = 0` से `t = tau` तक के समय में इसकी वर्ग माध्य मूल मान ज्ञात कीजिए | |
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Answer» धारा के वर्ग माध्य मूल मान `i_(rms)=(int_(0)^(t)sqrt(t^(2)dt))/(tau)=(1)/(tau)int_(0)^(t)(i_(0)t)/(tau)dt` `=(i_(0))/(tau^(2))[(t^(2))/(2)]^(tau)` `=(i_(0))/(tau^(2))xx((tau^(2))/(2)-0)` `= (i_(0))/(2)` |
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| 65. |
एक प्रतिरोधहीन कुण्डली का प्रेरकत्व `(1)/(pi)` हेनरी है | इसमें 0.2 ऐम्पियर की प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करने पर कितना विभवान्तर उतपन्न होगा यदि धारा की आवृत्ति 50 हर्ट्ज है ? कुंलदि में उतपन्न विभवान्तर एवं उसमे प्रवाहित धारा में कितना कलान्तर होगा ? |
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Answer» कुण्डली का प्रेरण प्रितघात, `X_(L) = omegaL = 2pifL = 2 pi xx 50 xx (1)/(pi) = 100` ओम यदि कुण्डली में धारा I है तब उतपन्न विभवान्तर, `V= iX_(L) = 0.2 xx 100` = 20 वोल्ट केवल प्रेरकत्व वाले परतव्रती परिपथ में विभवान्तर V, धारा i से कला में `90(@)` अग्रगामी होता है | |
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| 66. |
एक प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में धारा `i = i_(0) sin (omegat-pi//2)` प्रवाहित है | परिपथ के सिरों के बीच प्रत्यावर्ती विभव `V = V_(0) sin omegat` लगाया गया है | परिपथ में व्यय शक्ति होगी-A. `V_(0)i_(0) sqrt(2)`B. `V_(0)i_(0)//2`C. `V_(0)i_(0)//sqrt(2)`D. शून्य |
| Answer» Correct Answer - D | |
| 67. |
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में किसी यंत्र में प्रवाहित धारा i तथा आरोपित विभवान्तर V, समीकरण `i=2 sin omegat` ऐम्पियर तथा `V = 5 cos omegat` वोल्ट द्वारा दिये गये है | यंत्र में क्षय शक्ति होगी-A. शून्यB. 10 वाटC. 5 वाटD. 2.5 वाट |
| Answer» Correct Answer - A | |
| 68. |
`i=(3)/(sqrt(2)) sin (100pit + (pi)/(3))` द्वारा एक प्रत्यावर्ती धारा निरूपित की जाती है | धारा का वर्ग माध्य मूल मान और आवृत्ति ज्ञात कीजिये |
| Answer» 1.5 ऐम्पियर, 50 हर्ट्ज | |
| 69. |
एक पर्यावर्ती धारा परिपथ में विभवांतर का वर्ग माध्य मूल मान `100sqrt(2)` वोल्ट है | ज्ञात कीजिये : (i) विभवांतर का शिखर (महत्तम) मान, (ii) धनात्मक आधे चक्र के लिये विभवांतर का औसत मान तथा (iii) पूर्ण चक्र के लिये इसका औसत मान | |
| Answer» (i) 200 वोल्ट, (ii) 127.4 वोल्ट, (iii) शून्य | |
| 70. |
एक प्रत्यावर्ती वोल्टता की समीकरण `V = 200sqrt(2) sin (450 pit)` वोल्ट है | वोल्टता का शिखर मूल, मान, आवृत्ति तथा आवर्तकाल ज्ञात कीजिये | |
| Answer» `200sqrt(2)` वोल्ट, 200 वोल्ट, 225 हर्ट्ज, 0.0044 सेकण्ड | |
| 71. |
प्रत्यावर्ती धारा के rms मान तथा शिखर मान में सम्बन्ध लिखिये | |
| Answer» Correct Answer - 10 ऐम्पियर | |
| 72. |
ac परिपथ में धारा निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित है- `I = 5sqrt(2) sin (314t - pi//4)`, जहाँ i ऐम्पियर में तथा t सेकण्ड में है, ज्ञात कीजिये : (i) धारा का शिखर मान तथा वर्ग माध्य मूल मान, (ii) औसत मान, (iii) आवृत्ति | |
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Answer» (i) समीकरण `I = i_(0) sin (omegat - phi)` से तुलना करने पर धारा का शिखर मान, `i_(0) = 5sqrt(2)` ऐम्पियर वर्ग माध्य मूल मान, `i_(rms) = (i_(0))/(sqrt(2)) = (5sqrt(2))/(sqrt(2)) = 5` म्पियर (ii) धारा का औसत मान, `i_(av) = (2i_(0))/(pi) = (2xx5sqrt(2))/(3.14) = 4.50` ऐम्पियर (iii) आवृत्ति `f = (omega)/(2pi) = (314)/(2xx3.14) = 50` हर्ट्ज |
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| 73. |
प्रत्यावर्ती धारा के शिखर मान और वर्ग माध्य - मूल मान की परिभाषा लिखिये तथा उनमे सम्बन्ध स्थापित कीजिए । |
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Answer» प्रत्यावर्ती धारा का आयाम या शिखर मान - प्रत्यावर्ती धारा के अधिकतम मान को उसका आयाम या शिखर मान कहते है इसे `I_(0)` से व्यक्त किया जाता है । प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग - माध्य - मूल मान या आभासी मान - प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग - माध्य - मूल मान एक पूर्ण चक्र पर `I^(2)` के माध्य के वर्गमूल के बराबर होता है । इसे `I_(rms)` या `I_(av)` से व्यक्त करते है । माना कि प्रत्यावर्ती धारा का समी. निम्नलिखित है - `I=I_(0)sinomegat` जहाँ I धारा का तात्क्षणिक मान है `I_(0)` उसका शिखर मान तथा `omega` कोणीय आवृत्ति है परिभाषानुसार, `I_(rms)^(2)=(fint_(0)^(T)I^(2)dt)/(T)=(1)/(T)int_(0)^(T)I_(0)^(2)sin^(2)omegat" "dt` `I_(rms)^(2)=(I_(0)^(2))/(T)int_(0)^(T)(1)/(2)(1-cos2omegat)dt` `=(I_(0)^(2))/(2T)int_(0)^(T)(1-cos2omegat)dt` `I_(rms)^(2)=(I_(0)^(2))/(2T)int_(0)^(T)dt-(I_(0)^(2))/(2T)int_(0)^(T)cos2omegat" "dt` `I_(rms)^(2)=(I_(0)^(2))/(2T)[T]-(I_(0)^(2))/(2T)int_(0)^(T)cos2omegat" "dt` `=(I_(0)^(2))/(2)-(I_(0)^2)/(2T)[(sin2omegat)/(2omega)]_(0)^(T)` `=(I_(0)^(2))/(2)-(I_(0)^(2))/(4Tomega)[sin2omegaT-sin0]` `=(I_(0)^(2))/(2)-(I_(0)^(2))/(4Tomega)[sin2omega*(2pi)/(omega)-sin0]` `=(I_(0)^(2))/(2)-(I_(0)^(2))/(4Tomega)[sin4pi-sin0]` `I_(rms)^(2)=(I_(0)^(2))/(2)," "{{:(Qsin4pi=0),(sin0=0):}}` अब `I_(rms)=I_(av)` `=sqrt(I_(rms)^(2))` `=sqrt((I_(0)^(2))/(2))` `I_(rms)=(I_(0))/(sqrt(2))=0*707I_(0)` अतः प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग - माध्य मूल मान उसके शिखर का `(1)/(sqrt(2))` या `0*707` गुना होता है । |
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| 74. |
220 व वर्ग माध्य मूल मान तथा 50 हर्ट्ज की प्रत्यावर्ती वोल्टता का (i) शिखर मान (ii) तात्कालिक मान क्या होगा ? |
| Answer» (i) `220sqrt(2)` वोल्ट (ii) `V = 220sqrt(2) sin (100pi t)` वोल्ट | |
| 75. |
एक पूर्ण चक्र में प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान कितना होता है ? |
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Answer» आधे चक्र में विधुत धारा एक दिशा में तथा अगले आधे चक्र में धारा विपरीत दिशा में होती है, अतः एक पूर्ण चक्र में धारा का औसत मान शून्य होता है । अर्थात `I_(av)=0` |
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| 76. |
यदि L तथा R क्रमश ल विप्रेरक तथा प्रतिरोध हैं तब L /R की विमा होगी -A. `[M^(0)L^(0)T^(-1)]`B. `[M^(0)LT]`C. `[M^(0)L^(0)T]`D. `[M^(0)LT^(-1)]` |
| Answer» Correct Answer - C | |
| 77. |
किसी वोल्टमीटर से नापने पर प्रत्यावर्ती वोल्टेज का मन 280 वोल्ट है | इसका -(i) rms मान, (ii) शिखर मान क्या होगा ? |
| Answer» (i) 280 वोल्ट (ii) `280sqrt(2)` वोल्ट | |
| 78. |
चित्र में प्रदर्शित अज्यावक्रिय प्रत्यावर्ती धारा के लिये-(i) शिखर मान, (ii) `i_(av)`, (iii) `i_(rms)` का मान लिखिये | |
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Answer» (i) `i_(0) = 2` ऐम्पियर (ii) धनात्मक अर्द्ध चक्र के लिये, `i_(av) =2` ऐम्पियर ऋणात्मक अर्द्ध चक्र के लिये, `i_(av) = -2` ऐम्पियर `therefore " "|i_(av)| =2` ऐम्पियर (iii) `i_(rms)=sqrt(((2)^(2)*T//2+(2)^(2)*T//2)/(T))` `=sqrt(((2)^(2)+(2)^(2))/(2))=2`ऐम्पियर |
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| 79. |
एक प्रत्यावर्ती धारा की शिखर वोल्टता 440 V है | इसकी आभासी वोल्टता होगीA. 220 VB. 440 VC. `220 sqrt(2) V`D. `440 sqrt(2) V` |
| Answer» Correct Answer - C | |
| 80. |
दोलन करने वाले L-C परिपथ की आवृत्ति है-A. `(1)/(2pisqrt(LC))`B. LCC. `(1)/(2piLC)`D. `(1)/(sqrt(LC))` |
| Answer» Correct Answer - A | |
| 81. |
प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग-माध्य-मूल मान (root-mean-square) से क्या समझते है ? तथा वर्ग-माध्य-मूल मान एवं धारा के शिखर मान में क्या संबंध है ? |
| Answer» प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग-माध्य-मूल मान `(I_("rms"))=(I_(0))/(sqrt(2))," जहाँ, "I_(0)` प्रत्यावर्ती धारा का शिखर मान है | | |
| 82. |
किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में धारा का शिखर मान `V_(0)` व आभासी मान `V_(rms)` है तो संबंध होगा-A. `V_(0)=1/2V_(rms)`B. `V_(0)=sqrt2V_(rms)`C. `V_(0)=sqrt3V_(rms)`D. `V_(0)=V_(rms)` |
| Answer» Correct Answer - B | |
| 83. |
क्या किसी प्रत्यावर्ती धारा के लिये `i_(rms) = i_(av) = i_(0)` हो सकता है ? |
| Answer» हाँ, प्रत्यावर्ती तरंग प्रत्यावर्ती धारा के लिये | | |
| 84. |
ac परिपथ में प्रतिघात प्रतिरोध से `sqrt(3)` गुनी है | धारा तथा वोल्टेज के बीच कलान्तर है- |
| Answer» Correct Answer - C | |
| 85. |
प्रतिरोध तथा प्रतिघात में अंतर लिखिए । |
| Answer» धारा के मार्ग में चालाक द्वारा डाले गए अवरोध को प्रतिरोध कहते है तथा प्रत्यावर्ती धारा के मार्ग में प्रेरण कुण्डली या संधारित्र द्वारा डाले गए अवरोध को प्रतिघात कहते है प्रतिरोध जहाँ आवृत्ति पर निर्भर करता है । | |
| 86. |
प्रत्यावर्ती धारा के चुम्बकीय और रासायनिक प्रभाव शून्य क्यों होते हैं ? |
| Answer» आधे चक्र में विद्युत् धारा एक दिशा में तथा आधे चक्र में विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है। जिससे पूर्ण चक्र में धारा का औसत मान शून्य होता है। अंत: प्रत्यावता धारा के चुम्बकीय और रासायनिक प्रभाव शून्य होते हैं। | |
| 87. |
प्रत्यावर्ती धारा के मापन हेतु अमीटर एवं वोल्टमीटर आधारित होते हैं-A. a.धारा के ऊष्मीय प्रभाव परB. b.धारा के रासायनिक प्रभाव परC. c.धारा के चुंबकीय प्रभाव परD. d.उपर्युक्त सभी पर । |
| Answer» Correct Answer - A | |
| 88. |
प्रत्यावर्ती धारा का मापन चल कुण्डली धारामापी से नहीं किया जा सकता है, क्यों? |
| Answer» चल कुण्डली धारामापी धारा के चुम्बकीय प्रभाव पर आधारित है। प्रत्यावती धारा का एक पूर्ण चक्र में औसत मान शून्य होता है। अतः प्रत्यावती धारा चुम्बकीय प्रभाव प्रदर्शित नहीं करती। फलस्वरूप चल कुण्डली धारामापी की सहायता से प्रत्यावती धारा का मापन नहीं किया जा सकता। | |
| 89. |
क्या कारण है कि प्रत्यावर्ती धारा मापन के लिए चल कुण्डली धारामापी प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है ? |
| Answer» चल कुण्डली धारामापी धारा के चुम्बकीय प्रभाव पर आधारित है और प्रत्यावर्ती धारा का एक चक्र में औसत मान शून्य होता है जिस कारण प्रत्यावर्ती धारा चुम्बकीय प्रभाव व्यक्त नहीं करती है चल कुण्डली धारा मापी में विक्षेप उसमे प्रवाहित धारा के मान के अनुक्रमानुपाती होता है अतः यदि हम प्रत्यावर्ती धारा को मापन के लिए चल कुण्डली धारा से प्रवाहित करते है तब प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान शून्य होने के कारण हमें धारामापी में कोई विक्षेप प्राप्य नहीं होगा अतः हम प्रत्यावर्ती धारा का मापन चल कुण्डली धारामापी से नहीं कर सकते । | |
| 90. |
प्रत्यावर्ती वोल्टेज का समीकरण लिखिए । इस समीकरण में प्रयुक्त संकेतो के नाम लिखिए । |
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Answer» प्रत्यावर्ती वोल्टेज का समीकरण `V=V_(0)sinomegat` जहाँ, V प्रत्यावर्ती वोल्टेज का समय t पर तात्क्षणिक मान है `V_(0)` । प्रत्यावर्ती वोल्टेज का समय t पर शिखर मान है `omega` प्रत्यावर्ती वोल्टेज का समय t पर कोणीय आवृत्ति है । |
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| 91. |
ट्रांसफॉर्मर की क्रोड बनायी जाती है-A. स्टील कीB. नर्म लोहे कीC. ताँबे कीD. इनमें से कोई नहीं। |
| Answer» Correct Answer - B | |
| 92. |
दिष्ट धारा परिपथ में L प्रेरकत्व वाली कुण्डली का प्रतिरोधी कितना होता है ? |
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Answer» ए. सी. परिपथ में कुण्डली का प्रतिरोध अर्धात् प्रेरण प्रतिघात `X_(L)=omegaL=2pivL` दिष्ट धारा के लिए v = 0 अत: दिष्ट धारा परिपथ में कुण्डली का प्रतिरोध `X_(L)=2pi.0.L=0` |
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| 93. |
प्रत्यावर्ती धारा प्रयुक्त नहीं की जा सकती-A. ऊष्मीय प्रभाव के लिएB. प्रकाश उत्पन्न करने के लिएC. विद्युत् अपघटन के लिएD. यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए। |
| Answer» Correct Answer - C | |
| 94. |
संधारित्र दिष्ट धारा को रोकता है तथा प्रत्यावर्ती धारा को गुजरने देता है क्यों ? |
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Answer» संधारित्र का प्रतिघात `X_(C)=(1)/(omegaC)` जहाँ `omega` संधारित में से प्रवाहित धारा की आवृत्ति है चूँकि दिष्ट धारा की आवृत्ति शून्य होती है इसलिए दिष्ट धारा के लिए संधारित्र का प्रतिरोध `X_(C)=(1)/(0xxC)=oo` अतः दिष्ट धारा के लिये संधारित्र अनंत प्रतिरोध उत्पन्न करता है इसलिये संधारित्र दिष्ट धारा को रोकता है अब यदि दिष्ट धारा के स्थान पर अन्य आवृत्ति की प्रत्यावर्ती धारा संधारित्र से गुजरती है तब संधारित्र का प्रतिघात `X_(C)` अल्प होगा, जिस कारण प्रत्यावर्ती धारा संधारित्र से गुजर जाती है । |
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| 95. |
भारत में प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति है-A. 50 हर्ट्जB. 60 हर्ट्जC. 40 हर्ट्जD. 70 हर्ट्ज। |
| Answer» Correct Answer - A | |
| 96. |
संधारित्र दिष्ट धारा को रोकता है तथा उच्च आवृत्ति की प्रत्यावर्ती धारा को गुजारता है, क्यों? |
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Answer» प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में संधारित्र का धारितीय प्रतिघात `X_(C)=1/(2pifC)` दिष्ट धारा के लिए, f=0 अत: `X_(C)=1/0=oo` फलस्वरूप संधारित्र दिष्ट धारा को रोक देता है। पुन: चूँकि `X_(C)prop1/f` से आवृत्ति f का मान अधिक होने पर धारितीय प्रतिघात `X_(C)` का मान कम होता है अतः संधारित्र उच्च आवृति की प्रत्यावर्ती धारा को गुजरने देता है। |
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| 97. |
प्रत्यावर्ती धारा के माध्य मान एवं वर्ग-माध्य-मूल मान (rms value) के क्या अर्थ है ? इनमें क्या संबंध है ? |
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Answer» प्रत्यावर्ती धारा का माध्य मान- प्रत्यावर्ती धारा की प्रबलता समय के साथ बदलती रहती है | प्रत्यावर्ती धारा के आधे आवर्तकाल (half the period) पर लिया गया माध्य (mean), इसका माध्य मान कहा जाता है | `I_(av)=(2I_(0))/(pi)," जहाँ "I_(0)=` प्रत्यावर्ती धारा का शिखर (peak) मान है | प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग-माध्य-मूल मान- प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग-माध्य-मूल मान (rms value) एक पूर्ण चक्र (one complete cycle) पर `I^(2)` के माध्य के वर्ग मूल के बराबर होता है | `I_("rms")=(I_(0))/(sqrt(2))," जहाँ "I_(0)=` प्रत्यावर्ती धारा का शिखर (peak) मान है | संबंध- `I_("av")=(2I_(0))/(pi)" तथा "I_("rms")=(I_(0))/(sqrt(2))` `therefore" "I_("rms")=(2I_(0))/(2sqrt(2))xx(pi)/(pi)=(pi)/(2sqrt(2))xx(2I_(0))/(pi)" या "I_("rms")=(pi)/(2sqrt(2))I_("av").` |
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प्रत्यावर्ती धारा का रूप (आवृत्ति ) गुणांक (form factor of ac ) F क्या है ? |
| Answer» `F = (i_(rms))/(i_(av)) = (i_(0)//sqrt(2))/(2i_(0)//pi) = (pi)/(2sqrt(2)) = 1.11` | |
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दर्शाइये कि प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान शून्य होता है । |
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Answer» माना कि प्रत्यावर्ती धारा का समीकरण निम्नलिखित है - `I=I_(0)sinomegat` जहाँ I प्रत्यावर्ती धारा का तात्क्षणिक मान, `I_(0)` धारा का शिखर मान एवं `omega` कोणीय आवृत्ति है अतः प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान `I_(av)=I_(0)sinomegat` का एक पूर्ण के लिए औसत मान `=I_(0)xx"("sinomegat` का एक पूर्ण चक्र के लिए औसत मान) `=I_(0)xx0=0` इसी प्रकार एक पूर्ण चक्र के लिए प्रत्यावर्ती वोल्टेज का औसत मान भी शून्य होता है । अर्थात `V_(av)=0`. |
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| 100. |
प्रत्यावर्ती धारा के rms मान व औसत मान में कौन अधिक होता है ? |
| Answer» Correct Answer - rms मान | |