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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1. | अजन्ता गाँव से थोड़ी दूर पर पहाड़ों के पैरों में साँप-सी लोटती बाधुर नदी कमान-सी मुड़ गयी है। वहीं पर्वत का सिलसिला एकाएक अर्द्धचन्द्राकार हो गया है, कोई दो-सौ पचास फुट ऊँचा हरे वनों के बीच मंच पर मंच की तरह उठते पहाड़ों का यह सिलसिला हमारे पुरखों को भा गया और उन्होंने उसे खोदकर भवनों-महलों से भर दिया। सोचिए, जरा ठोस पहाड़ की चट्टानी छाती और कमजोर इंसान का उन्होंने मेल जो किया, तो पर्वत का हिया दरकता चला गया और वहाँ एक-से-एक बरामदे, हॉल और मन्दिर बनते चले गये।(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।(स)⦁ प्रस्तुत गद्यांश में लेखक क्या कहना चाहता है ?⦁ अजन्ता की भौगोलिक स्थिति का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।[ अर्द्धचन्द्राकार = आधे चन्द्रमा के आकार का। पुरखे = पूर्वज। भा गया = अच्छा लगा।] | 
| Answer» (अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित तथा भारतीय पुरातत्त्व के महान् विद्वान् श्री भगवतशरण उपाध्याय द्वारा लिखित ‘अजन्ता’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। अथवा निम्नवत् लिखेंपाठ का नाम-अजन्ता। लेखक का नाम—भगवतशरण उपाध्याय। (ब) रेखांकित अंश की व्याख्या-लेखक श्री भगवतशरण उपाध्याय जी का कहना है कि दो-सौ पचास फुट ऊँचे पर्वतों की अर्द्धचन्द्राकार पंक्ति हमारे पूर्वजों को बहुत अच्छी लगी और उन्होंने वहाँ पर्वतों को काट-छाँटकर भवन और महल बना दिये। विचार करके देखिए कि दुर्बल मनुष्य और कठोर चट्टानों का जो मेल हुआ उससे पर्वतों का हृदय कटता चला गया और वहाँ एक-से-एक सुन्दर बरामदे, हॉल और मन्दिरों का निर्माण होता चला गया। मनुष्य के दुर्बल हाथों ने पर्वतों की कठोर चट्टानों को काटकर सुन्दर भवन, उनके विभिन्न भाग और मन्दिरों का निर्माण कर डाला। (स) | |
| 2. | जिन्दगी को मौत के पंजों से मुक्त कर उसे अमर बनाने के लिए आदमी ने पहाड़ काटा है। किस तरह इंसान की खूबियों की कहानी सदियों बाद आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचायी जाए, इसके लिए आदमी ने कितने ही उपाय सोचे और किये। उसने चट्टानों पर अपने संदेश खोदे, ताड़ों-से ऊँचे धातुओं-से चिकने पत्थर के खम्भे खड़े किये, ताँबे और पीतल के पत्तरों पर अक्षरों के मोती बिखेरे और उसके जीवन-मरण की कहानी सदियों के उतार पर सरकती चली आयी, चली आ रही है, जो आज हमारी अमानत-विरासत बन गयी है।(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।(स)⦁ प्रस्तुत गद्यांश में लेखक क्या कहना चाहता है ?⦁ व्यक्ति ने आगामी पीढ़ी तक अपनी बातों को पहुँचाने के लिए क्या-क्या किया है ?⦁ आगामी पीढ़ी तक पहुँचायी गयी बातें आज हमारे लिए क्या स्थान रखती हैं ?⦁ लेखक की दृष्टि में अजन्ता की गुफाओं के निर्माण का क्या उद्देश्य रहा है ?[ सरकती = फिसलती। अमानत = सुरक्षित रखने के लिए दी गयी वस्तु, धरोहर। विरासत = पूर्वजों से। प्राप्त सम्पत्ति या गुण, उत्तराधिकार।] | 
| Answer» (अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित तथा भारतीय पुरातत्त्व के महान् विद्वान् श्री भगवतशरण उपाध्याय द्वारा लिखित ‘अजन्ता’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। अथवा निम्नवत् लिखेंपाठ का नाम-अजन्ता। लेखक का नाम—भगवतशरण उपाध्याय। (ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या-मनुष्य का जीवन क्षणभंगुर है। मृत्यु सबको निगल जाती है। मृत्यु से छुटकारा पाने का एक ही उपाय है, वह है कृति (रचना)। मनुष्य को कुछ ऐसी रचना कर देनी चाहिए, जो अनन्तकाल तक स्थायी रहे। जब तक वह रचना विद्यमान रहेगी, उसके रचयिता का नाम जीवित रहेगा। लोग उसे भी याद करेंगे। किसी व्यक्ति विशेष को अगली पीढ़ियाँ जानें और सैकड़ों-हजारों वर्षों के बाद आने वाली पीढ़ियाँ भी अपने महान् पूर्वजों की विशेषताओं और इतिहास से परिचित हों, इसके लिए मनुष्य ने अनेक उपाय सोचे और उन उपायों को कार्यरूप में परिणत भी किया। द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या–लेखक का कहना है कि अपनी बातों को अग्रिम पीढ़ी तक पहुँचाने के उद्देश्य से मनुष्य ने पत्थर की विशाल चट्टानों पर सन्देश खुदवाये जिससे आने वाली सन्तति उन्हें पढ़े और जाने। कभी मनुष्य ने ताड़ के वृक्षों के समान ऊँचे चिकने पत्थरों से स्तम्भ बनवाये तथा ताँबे और पीतल के पत्रों पर सुन्दर मोती जैसे अक्षरों में लेख लिखवाये जो आगे आने वाली पीढ़ियों को उनके पूर्वजों की कहानी सुनाएँ। इसी प्रकार मानव-जाति का इतिहास एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चला आ रहा है। ये पहाड़ों की गुफाएँ, चट्टान, स्तम्भ तथा लेख आज हमारे समाज की धरोहर हैं। ये हमारे पूर्वजों की परम्परा से चली आती हुई हमारी सम्पत्ति हैं। हम इन पर गर्व करते हैं। (स) | |
| 3. | जैसे संगसाजों ने उन गुफाओं पर रौनक बरसायी है, चितेरे जैसे रंग और रेखा में दर्द और दया की कहानी लिखते गये हैं, कलावन्त छेनी से मूरतें उभारते-कोरते गये हैं, वैसे ही अजन्ता पर कुदरत का नूर बरस पड़ा है, प्रकृति भी वहाँ थिरक उठी है। बम्बई के सूबे में बम्बई और हैदराबाद के बीच, विन्ध्याचल के पूरब-पश्चिम दौड़ती पर्वतमालाओं से निचौंधे पहाड़ों का एक सिलसिला उत्तर से दक्खिन चला गया है, जिसे सह्याद्रि कहते हैं।(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।(स)⦁ प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने किस स्थान का और कैसा चित्रण किया है ?⦁ अजन्ता के गुफा मन्दिर किस पहाड़ की श्रृंखला को सनाथ करते हैं ?⦁ सह्याद्रि की भौगोलिक स्थिति को स्पष्ट कीजिए। [ संगसाज = शिल्पी, पत्थरों पर चित्र कुरेदने वाले। रौनक = सुन्दरता। कलावन्त = कलाकार। कुदरत = प्रकृति। नूर = आभा, चमक। निचौंधे = नीचे का। गुहा = गुफा।] | 
| Answer» (अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित तथा भारतीय पुरातत्त्व के महान् विद्वान् श्री भगवतशरण उपाध्याय द्वारा लिखित ‘अजन्ता’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। अथवा निम्नवत् लिखेंपाठ का नाम-अजन्ता। लेखक का नाम—भगवतशरण उपाध्याय। (ब) रेखांकित अंश की व्याख्या-अजन्ता की गुफाओं को देखकर ऐसा लगता है कि पत्थरों को काटकर मूर्ति बनाने वाले कलाकारों ने इन गुफाओं में चारों ओर सौन्दर्य की वर्षा कर दी है। चित्रकारों ने रंगों और रेखाओं के माध्यम से पीड़ा और करुणा की भावनाओं को व्यक्त करने वाले सजीव चित्र अंकित कर दिये हैं। शिल्पकारों ने अपनी छेनी की चोटों से पत्थरों को काटकर और उभारकर सजीव मूर्तियाँ बना दी हैं। अजन्ता की गुफाओं में प्रकृति ने भी विशेष सौन्दर्य बरसाया है। ऐसा लगता है कि प्रकृति भी उस कलात्मक सौन्दर्य को देखकर आनन्द से नृत्य करने लगी है। (स) | |
| 4. | इन पिछले जन्मों में बुद्ध ने गज, कपि, मृग आदि के रूप में विविध योनियों में जन्म लिया था और संसार के कल्याण के लिए दया और त्याग का आदर्श स्थापित करते वे बलिदान हो गये थे। उन स्थितियों में किस प्रकार पशुओं तक ने मानवोचित व्यवहार किया था, किस प्रकार औचित्य का पालन किया था, यह सब उन चित्रों में असाधारण खूबी से दर्शाया गया है और उन्हीं को दर्शाते समय चितेरों ने अपनी । जानकारी की गाँठ खोल दी है।(अ) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए। (ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।(स) अपनी जानकारी की गाँठ खोलने का क्या आशय है ?[कपि = बन्दर। औचित्य = उचित होने का भाव। चितेरों = चित्रकारों। गाँठ खोलना = बात प्रकट करना।] | 
| Answer» (अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित तथा भारतीय पुरातत्त्व के महान् विद्वान् श्री भगवतशरण उपाध्याय द्वारा लिखित ‘अजन्ता’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। अथवा निम्नवत् लिखेंपाठ का नाम-अजन्ता। लेखक का नाम—भगवतशरण उपाध्याय। (ब) रेखांकित अंश की व्याख्या–प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने अजन्ता की गुफाओं में चित्रित चित्रों का वर्णन किया है। बुद्ध के अनेक योनियों में जन्म लेने की कथा ‘जातक’ नामक ग्रन्थ में वर्णित है। वे लिखते हैं कि जब बुद्ध का जन्म विविध जानवरों की योनियों में हुआ था, उस समय विद्यमान अन्य जानवरों ने भी ऐसा व्यवहार किया था, जो कि मनुष्यों के लिए उचित हो। उन सभी ने किस प्रकार औचित्य अथवा उपयुक्तता का निर्वाह किया था यह सब कुछ अजन्ता के चित्रों में अत्यधिक खूबी के साथ चित्रित किया गया है। आशय यह है कि बुद्ध के पूर्वजन्मों के समस्त विवरणों का विशेष चित्रांकन किया गया है। (स) अपनी जानकारी की गाँठ खोलने का आशय यह है कि अपने ज्ञान को विस्तार से प्रकट कर देना। | |
| 5. | और उधर वह बन्दरों का चित्र है, कितना सजीव-कितना गतिमान्। उधर सरोवर में जल-विहार करता वह गजराज कमलदण्ड तोड़-तोड़कर हथिनियों को दे रहा है। वहाँ महलों में प्यालों के दौर चल रहे हैं, उधर वह रानी अपनी जीवन-यात्रा समाप्त कर रही है, उसका दम टूटा जा रहा है। खाने-खिलाने, बसने-बसाने, नाचने-गाने, कहने-सुनने, वन-नगर, ऊँच-नीच, धनी-गरीब के जितने नज़ारे हो सकते हैं, सब आदमी अजन्ता की गुफाओं की इन दीवारों पर देख सकता है।(अ) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।(स) आदमी अजन्ता की गुफाओं की दीवारों पर क्या देख सकता हैं ?[ सरोवर = तालाब। गजराज = हाथियों का राजा।] | 
| Answer» (अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित तथा भारतीय पुरातत्त्व के महान् विद्वान् श्री भगवतशरण उपाध्याय द्वारा लिखित ‘अजन्ता’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। अथवा निम्नवत् लिखेंपाठ का नाम-अजन्ता। लेखक का नाम—भगवतशरण उपाध्याय। (ब) रेखांकित अंश की व्याख्या–प्रस्तुत गद्यांश में लेखक अजन्ता की गुफाओं में चित्रित चित्रों का वर्णन करते हुए लिख रहे हैं कि गुफा में एक ओर सरोवर में जल-क्रीड़ा करते हुए गजराज और हथिनियों को चित्रित किया है, जिसमें वह सरोवर में उगे हुए कमल-नाल को तोड़कर साथ में क्रीड़ा करने वाली हथिनियों को दे रहा है तो दूसरे चित्र में महलों में मनाये जाने वाले किसी उत्सव का चित्रण है। इस चित्र में लोगों को मद्यपान करते हुए दिखाया गया है। जहाँ एक ओर महल में कुछ लोग जश्न मना रहे हैं तो दूसरी ओर एक रानी को प्राण-त्याग करते हुए दर्शाया गया है। यह चित्र इतना सजीव है कि ऐसा प्रतीत होता है कि उसकी जीवन-लीला अब समाप्त होने ही वाली है। ऐसे सजीव दृश्य अजन्ता की गुफा की दीवारों पर ही देखे जा सकते हैं, अन्यत्र कहीं नहीं। (स) व्यक्ति अजन्ता की गुफा की दीवारों पर खाने-खिलाने, बसने-बसाने, नाचने-गाने, कहने-सुनने, वन-नगर, ऊँच-नीच, अमीर-गरीब से सम्बन्धित जितने भी सम्भव दृश्य हो सकते हैं, उन सभी को देख सकता है। | |
| 6. | अजन्ता संसार की चित्रकलाओं में अपना अद्वितीय स्थान रखता है। इतने प्राचीन काल के इतने सजीव, इतने गतिमान, इतने बहुसंख्यक कथा-प्राण चित्र कहीं नहीं बने। अजन्ता के चित्रों ने देश-विदेश सर्वत्र की चित्रकला को प्रभावित किया। उसका प्रभाव पूर्व के देशों की कला पर तो पड़ा हीं, मध्य-पश्चिमी एशिया भी उसके कल्याणकर प्रभाव से वंचित न रह सका।(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।(स) अजन्ती की कला का प्रभाव किन-किन देशों पर पड़ा ? या अजन्ता की चित्रकला का बाहर के देशों पर क्या प्रभाव पड़ा? | 
| Answer» (अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित तथा भारतीय पुरातत्त्व के महान् विद्वान् श्री भगवतशरण उपाध्याय द्वारा लिखित ‘अजन्ता’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। अथवा निम्नवत् लिखेंपाठ का नाम-अजन्ता। लेखक का नाम—भगवतशरण उपाध्याय। (ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या-लेखक का कथन है कि अजन्ता की चित्रकला अद्भुत और बेजोड़ है। संसार में उसका उपमान नहीं है। निस्सन्देह, विश्व में चित्रकला का यह सर्वोत्कृष्ट नमूना है। दुनिया में कोई दूसरा ऐसा स्थान नहीं, जहाँ इतने प्राचीन और इतने सजीव चित्र पाये जाते हों। ऐसी कोई चित्रशाला नहीं, जहाँ ऐसे गतिशील तथा इतनी बड़ी संख्या में चित्र मिलते हों, जिनमें कथाओं को चित्रित कर दिया गया हो। ऐसे स्थान समस्त संसार में दुर्लभ हैं। इसीलिए देश और विदेश की चित्रकलाओं पर अजन्ता की चित्रकला का विशेष प्रभाव पड़ा है। द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या–प्रस्तुत गद्यांश में लेखक का कहना है कि अजन्ता की चित्रकला का विशेष प्रभाव अपने देश पर ही नहीं विदेश की चित्रकलाओं पर भी पड़ा है। चीन, जापान, इण्डोनेशिया आदि पूर्व के देशों में इसके जैसे प्रयोग स्पष्ट रूप से देखने को मिलते हैं। साथ ही ईरान, मिस्र आदि मध्य-पश्चिमी एशिया के देशों की चित्रकला भी इसके प्रभाव से अपने को मुक्त नहीं कर सकी है। | |
| 7. | यह हाथ में कमल लिये बुद्ध खड़े हैं, जैसे छवि छलकी पड़ती है, उभरे नयनों की जोत पसरती जा रही है। और यह यशोधरा है, वैसे ही कमल-नाल धारण किये त्रिभंग में खड़ी। और यह दृश्य है। महाभिनिष्क्रमण का-यशोधरा और राहुल निद्रा में खोये, गौतम दृढ़ निश्चय पर धड़कते हिया को सँभालते। और यह नन्द है, अपनी पत्नी सुन्दरी का भेजा, द्वार पर आए बिना भिक्षा के लौटे भाई बुद्ध को जो लौटाने आया था और जिसे भिक्षु बन जाना पड़ा था। बार-बार वह भागने को होता है, बार-बार पकड़कर संघ में लौटा लिया जाता है। उधर वह यशोधरा है बालक राहुल के साथ।(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।(स)⦁ प्रस्तुत गद्यांश में क्या वर्णित किया गया है ? या प्रस्तुत गद्यांश में कहाँ के दृश्यों का चित्रण किया गया है ?⦁ “महाभिनिष्क्रमण’ क्या है ? इसके दृश्य का विस्तृत वर्णन कीजिए।(जोत = प्रकाश। त्रिभंग = शरीर को तीन जगह से टेढ़ा करके खड़ा होना। दृढ़ निश्चय = पक्का इरादा।] | 
| Answer» (अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित तथा भारतीय पुरातत्त्व के महान् विद्वान् श्री भगवतशरण उपाध्याय द्वारा लिखित ‘अजन्ता’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। अथवा निम्नवत् लिखेंपाठ का नाम-अजन्ता। लेखक का नाम—भगवतशरण उपाध्याय। (ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या–प्रस्तुत गद्यांश में लेखक भगवान् बुद्ध के घर त्यागते समय के अजन्ता के चित्रों का वर्णन करते हुए कहते हैं कि एक तरफ हाथ में कमल पकड़े हुए भगवान् बुद्ध खड़े हैं जिनका सौन्दर्य सर्वत्र छलककर बिखरता प्रतीत हो रहा है और उनकी आँखों का प्रकाश सर्वत्र फैल रहा है। उनकी पत्नी यशोधरा भी, वैसा ही कमल का फूल, कमल-नाल पकड़कर त्रिभंगी (तीन स्थान से बल पड़ी हुई) मुद्रा में खड़ी हुई चित्रित की गयी हैं। यह चित्र बड़ा ही जीवन्त लग रहा द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या–प्रस्तुत गद्यांश में लेखक भगवान् बुद्ध के गृह-त्याग के पश्चात् भिक्षा माँगने के एक चित्र का वर्णन करते हुए कहते हैं कि एक चित्र में गौतम बुद्ध के साथ उनका भाई नन्द है, जो अपनी पत्नी सुन्दरी के द्वारा भेजा गया है गौतम बुद्ध को वापस लौटा लाने के लिए। सुन्दरी ने भिक्षा माँगने आए गौतम बुद्ध को बिना भिक्षा दिये द्वार से ही वापस कर दिया था। लेकिन नन्द बुद्ध को वापसे तो नहीं लौटा पाता वरन् उनके उपदेशों से प्रभावित होकर स्वयं भिक्षु बन जाता है। (स) | |
| 8. | कितना जीवन बरस पड़ा है इन दीवारों पर; जैसे फसाने अजायब का भण्डार खुल पड़ा हो। कहानी से कहानी टकराती चली गयी है। बन्दरों की कहानी, हाथियों की कहानी, हिरनों की कहानी, क्रूरता और भय की, दया और त्याग की। जहाँ बेरहमी है, वहीं दया का भी समुद्र उमड़ पड़ा है। जहाँ पाप है, वहीं क्षमा की सोता फूट पड़ा है। राजा और कैंगले, विलासी और भिक्षु, नर और नारी, मनुष्य और पशु सभी कलाकारों के हाथों सिरजते चले गये हैं। हैवान की हैवानी को इंसान की इंसानियत से कैसे जीता जा सकता है, कोई अजन्ता में जाकर देखे। बुद्ध का जीवन हजार धाराओं में होकर बहता है। जन्म से लेकर निर्वाण तक उनके जीवन की प्रधान घटनाएँ कुछ ऐसे लिख दी गयी हैं कि आँखें अटक जाती हैं, हटने का नाम नहीं लेतीं।(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।(स)⦁ अजन्ता की दीवारों पर किनकी कहानियाँ चित्रित हैं ?⦁ अजन्ता की गुफाओं में किस महापुरुष के जीवन को विस्तार से चित्रित किया गया है?⦁ अजन्ता की गुफाओं में किन-किन विरोधी भावों और व्यक्तियों का चित्रण है ? या दीवारों पर बने चित्र किन-किन से सम्बन्धित हैं ?⦁ कलाकारों के हाथों क्या सिरजते चले गये हैं?[ फसाने = कहानियाँ। बेरहमी = निर्दयता। सिरजना = बनाना। हैवान = क्रूर। हैवानी = क्रूरता। इंसान = मनुष्य। इंसानियत = मानवता।] | 
| Answer» (अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित तथा भारतीय पुरातत्त्व के महान् विद्वान् श्री भगवतशरण उपाध्याय द्वारा लिखित ‘अजन्ता’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। अथवा निम्नवत् लिखेंपाठ का नाम-अजन्ता। लेखक का नाम—भगवतशरण उपाध्याय। (ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या–प्रस्तुत गद्यांश में लेखक कहते हैं कि अजन्ता की गुफाओं की दीवारों पर बने चित्र इतने सुन्दर हैं कि उन्हें देखकर लगता है कि इन दीवारों पर मानो जीवन स्वयं ही उतर आया है। अजन्ता के इन भित्ति-चित्रों में आश्चर्यजनक कथा-कहानियाँ एक-दूसरे से जुड़ती हुई चली गयी हैं। इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि आश्चर्यजनक कथाओं का एक विशाल भण्डार ही यहाँ स्थित है। बन्दरों, हाथियों और हिरणों की चित्र-कथाओं द्वारा क्रूरता, भय, दया और त्याग की भावनाओं का यहाँ सजीव चित्रण हुआ है। किसी चित्र में क्रूरता है तो किसी में असीम दया की कहानी चित्रित है। कहीं पाप का दृश्य अंकित है तो कहीं क्षमा का भी दृश्य है। द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या-श्री भगवतशरण उपाध्याय जी का कहना है कि अजन्ता की गुफाओं में राजा हो या दरिद्र, विलासी हो या भिखारी, पुरुष हो या स्त्री, मनुष्य हो या पशु कलाकारों ने इन सभी के चित्रों में रंग-रेखाओं के द्वारा जीवन भर दिया है और यह भाव व्यक्त किया है कि ‘असाधु साधुना जयेत्’ अर्थात् दुष्ट को सज्जनता से जीतना चाहिए, क्योंकि मानवता के सामने हैवानियत नतमस्तक हो जाती है। अजन्ता की गुफाओं में बने ऐसे चित्रों को देखकर कोई भी व्यक्ति सत्प्रेरणा ग्रहण कर सकता है। (स) | |
| 9. | पहले पहाड़ काटकर उसे खोखला कर दिया गया, फिर उसमें सुन्दर भवन बना लिए गए, जहाँ खंभों पर उमादी मूरतें विहँस उठीं। भीतर की समूची दीवारें और छतें रगड़कर चिकनी कर ली गयीं और तब उनकी जमीन पर चित्रों की एक दुनिया ही बसा दी गयी। पहले पलस्तर लगाकर आचार्यों ने उन पर लहराती रेखाओं में चित्रों की काया सिरज दी, फिर उनके चेले कलावन्तों ने उनमें रंग भरकर प्राण फेंक दिए। फिर तो दीवारें उमग उठीं, पहाड़ पुलकित हो उठे।(अ) प्रस्तुत गद्यांश का सन्दर्भ (पाठ और लेखक का नाम) लिखिए।(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।(स) पहाड़ों को किस प्रकार जीवन्त बनाया गया?[ मूरतें = मूर्तियाँ। विहँस = मुसकराना, खिलना। सिरजना = बनाना। कलावन्तों = कलाकारों। प्राण फेंक देना = जीवन्त बना देना।] | 
| Answer» (अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित तथा भारतीय पुरातत्त्व के महान् विद्वान् श्री भगवतशरण उपाध्याय द्वारा लिखित ‘अजन्ता’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। अथवा निम्नवत् लिखेंपाठ का नाम-अजन्ता। लेखक का नाम—भगवतशरण उपाध्याय। (ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या-प्रस्तुत गद्यांश में लेखक कहते हैं कि सर्वप्रथम गुफाओं के अन्दर की दीवारों और छतों को रगड़-रगड़कर अत्यधिक चिकना बना लिया गया। तत्पश्चात् उस चिकनी पृष्ठभूमि पर चित्रकारों के द्वारा अनेकानेक चित्र  बना दिये गये, जिनको देखकर ऐसा लगता है। कि चित्रों की एक नयी दुनिया ही निर्मित कर दी गयी हो।। (स) पहाड़ों को काटकर भवन का रूप दिया गया। दीवारों, छतों और खम्भों को चिकना कर उन पर सजीव चित्र निर्मित किये गये। चित्रों में रंग भी भरा गया। इस प्रकार पहाड़ों को जीवन्त बना दिया गया। | |
| 10. | अपने पिछले जन्मों में बुद्ध ने किन-किन रूपों में जन्म लिया था? | 
| Answer» अपने पिछले जन्मों में बुद्ध ने गज, कपि, मृग आदि के रूपों में जन्म लिया था। | |
| 11. | हमारे देश में पहाड़ काटकर मन्दिर बनाने की परिपादी कितनी पुरानी हैं ?(क) दो हजार वर्ष(ख) सवा दो हजार वर्ष(ग) सवा तीन हजार वर्ष(घ) तीन हजार वर्ष | 
| Answer» हमारे देश में पहाड़ काटकर मंदिर बनाने की परिपाटी सवा दो हजार वर्ष पुरानी हैं। | |
| 12. | आदमी ने जिन्दगी को अमर बनाने के लिए क्या किया ? | 
| Answer» आदमी ने जिन्दगी को अमर बनाने के लिए पहाड़ काटे, चट्टानों पर अपने संदेश खोदे, ऊँचे पत्थरों के खम्भे खड़े किए और तांबे-पीतल के पतरों पर लेख अंकित किए। | |