This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 20251. |
प्रोटेस्टैण्ट धर्म के उदय के क्या कारण थे? |
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Answer» यूरोप में धर्म सुधार आन्दोलन, ने चर्च के दोषों का भण्डाफोड़ कर दिया। सारे यूरोप में पोप की प्रभुसत्ता के विरुद्ध आवाजें उठने लगीं। इस प्रकार कैथोलिक धर्म की बुराइयों के विरोध में प्रोटेस्टैण्ट (सुधारवादी) धर्म का उदय हुआ। प्रोटेस्टैण्ट धर्म के उदय के मूल कारण पोप की निरंकुश सर्वोच्च सत्ता, चर्च का भ्रष्टाचार और कैथोलिक धर्म के अन्धविश्वास एवं धार्मिक पाखण्ड थे। |
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| 20252. |
पोप के क्या-क्या धार्मिक अधिकार थे? |
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Answer» मध्य युग में रोम के पोप के निम्नलिखित अधिकार थे |
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| 20253. |
बाबर के भारत पर पाँचवें आक्रमण का क्या परिणाम निकला? |
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Answer» इस लड़ाई में दौलत खाँ लोधी पराजित हुआ और सारे पंजाब पर बाबर का अधिकार हो गया। |
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| 20254. |
दौलत खाँ लोधी ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए क्यों बुलाया? |
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Answer» दौलत खाँ लोधी दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोधी की शक्ति का अन्त करके स्वयं पंजाब का स्वतन्त्र शासक बनना चाहता था। |
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| 20255. |
दौलत खाँ लोधी ने बाबर का सामना कब किया? |
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Answer» बाबर द्वारा भारत पर पांचवें आक्रमण के समय दौलत खाँ लोधी ने उसका सामना किया। |
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| 20256. |
दौलत खाँ लोधी बाबर के विरुद्ध क्यों हआ? |
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Answer» दौलत खाँ लोधी को विश्वास था कि विजय के पश्चात् बाबर उसे सारे पंजाब का गवर्नर बना देगा। परंतु जब बाबर ने उसे केवल जालन्धर और सुल्तानपुर का ही शासन सौंपा तो वह बाबर के विरुद्ध हो गया। |
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| 20257. |
श्री गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ(A) 1269 ई० में(B) 1469 ई० में(C) 1526 ई० में(D) 1360 ई० में |
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Answer» सही विकल्प है (B) 1469 ई० में |
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| 20258. |
बाबर ने 1526 की लड़ाई में हराया(A) दौलत खां लोधी को(B) बहलोल लोधी को(C) इब्राहिम लोधी को(D) सिकंदर लोधी को |
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Answer» सही विकल्प है (C) इब्राहिम लोधी को |
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| 20259. |
रिक्त स्थानों की पूर्ति-बाबर ने पंजाब को …………… ई० में जीता।सैय्यद अपने आप को हज़रत मुहम्मद की पुत्री …………. की संतान मानते थे।इब्राहिम लोधी ने ………… लोधी को दण्ड देने के लिए दिल्ली बुलवाया।तातार खां लोधी के बाद …………. को पंजाब का सूबेदार बनाया गया।मुस्लिम अमीरों द्वारा पहनी जाने वाली तुर्रेदार पगड़ी को ……….. कहा जाता था।…………. दौलत खां लोधी का पुत्र था। |
Answer»
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| 20260. |
यूरोप में पुनर्जागरण के प्रसार का विवरण दीजिए। |
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Answer» पुनर्जागरण का प्रसार यूरोप में साहित्य, कला एवं विज्ञान के क्षेत्र में पुनर्जागरण का तीव्र गति से प्रसार हुआ, जिसका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है ⦁ साहित्य में पुनर्जागरण–सर्वप्रथम इटली में साहित्यिक पुनर्जागरण आरम्भ हुआ। इटली के पहले महान कवि दान्ते (1265-1321 ई०) ने ‘डिवाइन कॉमेडी’ नामक महाकाव्य लिखा। दान्ते के बाद ‘मानववाद के पिता पेट्रार्क ने लैटिन साहित्य पर अनेक पुस्तकें लिखीं जिनमें ‘अफ्रीका’, ‘कैवलियर’, |
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| 20261. |
छापेखाने का आविष्कार सबसे पहले कब और किस व्यक्ति ने किया? |
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Answer» जर्मनी के निवासी गुटेनबर्ग ने सबसे पहले 1465 ई० में छापेखाने का आविष्कार किया था। |
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| 20262. |
जर्मनी में धर्म सुधार आन्दोलन का प्रसार किस प्रकार हुआ? |
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Answer» जर्मनी में धर्म-सुधार धर्म : |
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| 20263. |
पुनर्जागरण का प्रारम्भ सर्वप्रथम कब और किस देश में हुआ? |
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Answer» पुनर्जागरण का प्रारम्भ 1300 ई० में इटली में हुआ। |
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| 20264. |
मानवतावादी विचारों के क्या अभिलक्षण थे? |
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Answer» मानववाद प्राचीन यूनानी दर्शन और साहित्य के अध्ययन के फलस्वरूप लोगों का जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदलने लगा। उनकी रुचियों में अच्छे और बुरे के सम्बन्धों के मानदण्डों में भारी परिवर्तन हो गया। यही परिवर्तन मानवतावादी विचारों के अभिलक्षण कहे जा सकते हैं। प्राचीन यूनानी विद्वान मानवता का अध्ययन करते थे। इन यूनानी विद्वानों को मानव रुचि के विषयों का अध्ययन करने में आनन्द आता था, परन्तु इसके विपरीत मध्यकाल में देवत्व (Divinity) या ध्यात्मिक ज्ञान, शिक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग था और आध्यात्मिक उन्नति उनका एकमात्र लक्ष्यथा। पुनर्जागरण काल में लोग प्राचीन यूनानी साहित्य की ओर आकर्षित हुए तथा उसके आगे मध्यकालीन आत्म-निग्रह तथा वैराग्य के आदर्श फीके पड़ गए एवं मानवता को प्रधानता दी जाने लगी। आत्म-निग्रह की बजाय आत्म-विकास, आत्म-विश्वास और मानव जीवन के सुखों पर जोर दिया जाने लगा, फलस्वरूप व्यक्तिवाद और वैयक्तिक हित की भावना का विकास हुआ। पुनर्जागरण आन्दोलन के इसी रूप को मानववाद (Humanism) कहते हैं। मानववाद का जन्मदाता पेट्रार्क (Petrarch) था, जिसने मानव हितों को विशेष प्रोत्साहन दिया। पेट्रार्क पुराने प्रतिष्ठित साहित्य को इतना अधिक पसन्द करता था कि वह उसका प्रशंसक बन गया। मानववाद का दूसरा बड़ा मर्थक इरास्मस (Erasmus) था। जिसने अपनी पुस्तक ‘Praise of Folly’ में संन्यासियों के अज्ञान तथा अन्धविश्वासों पर कटाक्ष किया। इस प्रकार मानववाद ने प्रत्यक्ष रूप में प्रोटेस्टेण्ट आन्दोलन के लिए मार्ग तैयार कर दिया। |
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| 20265. |
महारानी विक्टोरिया ने घोषणा पत्र में भारतीयों के लिए कौन-से आश्वासन दिए गए? |
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Answer» महारानी के घोषणा पत्र में भारतीयों के लिए निम्न आश्वासन दिए गए| 1. क्षेत्रे के सीमा विस्तार की नीति समाप्त कर दी गई। 2. अँग्रेजों की हत्या के दोषियों को छोड़ शेष सभी को क्षमा कर दिया गया। 3. विद्रोह में भाग लेने वाले तालुकेदारों को राजभक्ति प्रदर्शित करने पर उन्हें उनकी जागीर वापस कर दी गई। 4. बिना भेद-भाव तथा योग्यता के आधार पर सरकारी सेवा में भर्ती करने का वचन दिया गया। |
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| 20266. |
इण्डियन काउंसिल एक्ट पास किया गया(क) 1892 ई० में(ख) 1861 ई० में(ग) 1883 ई० में(घ) 1885 ई० में |
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Answer» सही विकल्प है (क) 1892 ई० में |
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| 20267. |
सी०वी० रमन ने अपने कार्य और योगदान के आधार पर भौतिकी के क्षेत्र में कौन-सा पुरस्कार प्राप्त किया? |
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Answer» सी०वी० रमन ने अपने कार्य और योगदान के आधार पर भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। |
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| 20268. |
मैकाले भारतीयों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा क्यों देना चाहता था? |
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Answer» अंग्रेज शासकों, प्रशासकों ने भारत में आधुनिक शिक्षा का प्रसार इस उद्देश्य से किया कि अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त भारतीय उनके समर्थक बन जाएँगे। अंग्रेजी भाषा के रूप में उन्हें सम्पर्क भाषा प्राप्त हुई, जिसके परिणामस्वरूप वे अंग्रेजी साहित्य के सम्पर्क में आए। लार्ड मैकाले ने जब अंग्रेजी साहित्य की शिक्षा और अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने की नीति बनाई थी तो उसका उद्देश्य था कि इस शिक्षा से ऐसे व्यक्ति तैयार होंगे जो आत्मा और आस्था से ब्रिटिशवादी होंगे। मैकाले का अनुमान बहुत हद तक सही था। |
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| 20269. |
किस अधिनियम के द्वारा वाइसराय की परिषद् के सदस्यों की संख्या 12-16 कर दी गईं?” |
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Answer» इण्डिया काउंसिल एक्ट 1892 के द्वारा वाइसराय की परिषद् के सदस्यों की संख्या 12-16 कर दी गई। |
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| 20270. |
टॉड की कौन-सी पुस्तक लेखक ने पढ़ी थी?(क) राजस्थान का इतिहास(ख) राजपूत जीवन संध्या(ग) वीर जयमले(घ) वीर प्रताप। |
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Answer» (क) राजस्थान का इतिहास |
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| 20271. |
चौदहवीं और पन्द्रहवीं शताब्दियों में यूनानी और रोमन संस्कृति के किन तत्त्वों को पुनजीवित किया गया? |
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Answer» चौदहवीं और पन्द्रहवीं सदी में यूरोप में परिवर्तनों का दौर चल रहा था। इससे यूनान और रोम भी अछूते नहीं रहे। चौदहवीं और पन्द्रहवीं सदी में लोगों में रोम और यूनानी सभ्यता को जानने की इच्छा बढ़ी। इन सदियों में शिक्षा में उन्नति हो ही चुकी थी। लोगों ने यूनानी और रोम सभ्यताओं पर खोज कार्य प्रारम्भ कर दिए। धर्म, शिक्षा, समाज के प्रति लोग अधिक जागरूक हो गए। नए व्यापारिक मार्ग भी सामने आए। यूरोप में तथा यूरोप के बाहर अनेक खोजे हुईं जिससे अनेक सांस्कृतिक रूपों और समूह सभ्यताओं का पता चला और इन सभ्यताओं के सभी आवश्यक सांस्कृतिक तत्त्वों को पुनजीवित किया गया। |
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| 20272. |
सोलहवीं शताब्दी के आरम्भ में पंजाब की राजनीतिक दशा की विवेचना कीजिए। |
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Answer» सोलहवीं शताब्दी के आरम्भ में पंजाब का राजनीतिक वातावरण बड़ा शोचनीय चित्र प्रस्तुत करता है। उन दिनों यह प्रदेश लाहौर प्रान्त के नाम से जाना जाता था और यह दिल्ली सल्तनत का अंग था। इस काल में दिल्ली के सभी सुल्तान (सिकन्दर लोधी, इब्राहिम लोधी) निरंकुश थे। उनके अधीन पंजाब में राजनीतिक अराजकता फैली हुई थी। सारा प्रदेश षड्यन्त्रों का अखाड़ा बना हुआ था। पूरे पंजाब में अन्याय का नंगा नाच हो रहा था। शासक वर्ग भोगविलास में मग्न था। सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचारी हो चुके थे और वे अपने कर्तव्य का पालन नहीं करते थे। इन परिस्थितियों में उनसे न्याय की आशा करना व्यर्थ था। गुरु नानक देव जी ने कहा था कि न्याय दुनिया से उड़ गया है। भाई गुरुदः । श्री इस समय में पंजाब में फैले भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का वर्णन किया है। |
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| 20273. |
सत्रहवीं शताब्दी के यूरोपियों को विश्व किस प्रकार भिन्न लगा? उसका एक सुचिन्तित विवरण दीजिए। |
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Answer» सत्रहवीं शताब्दी ईसवी के यूरोपवासियों को विश्व निम्नलिखित प्रकार से भिन्न लगा ⦁ तत्कालीन विभिन्न ग्रन्थों में बताया गया कि ज्ञान-विश्वास पर नहीं टिका रहता बल्कि अवलोकन और परीक्षण पर आधारित होता है। |
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| 20274. |
दिए गए गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।कहते हैं, दुनिया बड़ी भुलक्कड़ है! केवल उतना ही याद रखती है, जितने से उसका स्वार्थ सधता है। बाकी को फेंककर आगे बढ़ जाती है। शायद अशोक से उसका स्वार्थ नहीं सधा। क्यों उसे वह याद रखती? सारा संसार स्वार्थ का अखाड़ा ही तो है।(i) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।(iii) अशोक को विस्मृत करने का आधार किसे माना गया है?(iv) लेखक ने दुनिया का किस तरह का व्यवहार बताया है?(v) स्वार्थ का अखाड़ा किसे कहा गया है? |
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Answer» (i) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘गद्य-गरिमा’ में संकलित तथा हिन्दी के सुविख्यात निबन्धकार आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित ‘अशोक के फूल’ नामक ललित निबन्ध से अवतरित है। (ii) रेखांकित अंश की व्याख्या-द्विवेदी जी कहते हैं कि यह संसार बड़ा स्वार्थी है। यह उन्हीं बातों को याद रखता है, जिनसे उसका कोई स्वार्थ सिद्ध होता है, अन्यथा व्यर्थ की स्मृतियों से यह अपने आपको बोझिल नहीं बनाना चाहता। यह उन्हीं वस्तुओं को याद रखता है, जो उसके दैनिक जीवन की स्वार्थ-पूर्ति में सहायता पहुँचाती हैं। बदलते समय की दृष्टि में अनुपयोगी होने से यदि कोई वस्तु उपेक्षित हो जाती है तो यह उसे भूलकर आगे बढ़ जाता है। (iii) अशोक को विस्मृत करने का आधार स्वार्थवृत्ति को माना गया है। (iv) लेखक ने दुनिया के व्यवहार को इस तरह का बताया है कि यह केवल उतना ही याद रखती है जितने से इसका स्वार्थ सधता है। बाकी को फेंककर आगे बढ़ जाती है। (v) सारे संसार को स्वार्थ का अखाड़ा कहा गया है। |
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| 20275. |
1835 ई० में कौन-सी भाषा भारतीय प्रशासन की सरकारी भाषा बनी? |
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Answer» 1835 ई० में अंग्रेजी भाषा भारतीय प्रशासन की सरकारी भाषा बनी। |
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| 20276. |
चित्तौड़गढ़ जाते हुए लेखक अनुभव कर रहा था(क) उत्सुकता(ख) व्याकुलता(ग) प्रसन्नता(घ) धीरता। |
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Answer» (ग) प्रसन्नता |
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| 20277. |
पिजारों ने इंका राज्य को जीता(क) 1532 ई० में(ख) 1533 ई० में(ग) 1534 ई० में(घ) 1535 ई० में |
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Answer» सही विकल्प है (क) 1532 ई० में |
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| 20278. |
एजटेक और मेसोपोटामियाई लोगों की सभ्यता की तुलना कीजिए। |
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Answer» एजटेक और मेसोपोटामियाई लोगों की सभ्यता की तुलना निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर की जा सकती है |
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| 20279. |
ऐसे कौन-से कारण थे जिनसे 15वीं शताब्दी में यूरोपीय नौचालन को सहायता मिली? |
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Answer» निम्नलिखित कारणों से यूरोपीय नौचालन में सहायता प्राप्त हुई ⦁ नौका का आकार बड़ा हो गया था और इसमें अधिक सामान भरा जा सकता था। |
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| 20280. |
सूडानी सभ्यता का केन्द्र नहीं था(क) घाना(ख) माली(ग) बोनू(घ) डेन्यूब |
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Answer» सही विकल्प है (घ) डेन्यूब |
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| 20281. |
माया पंचांग में प्रत्येक मास कितने दिन का होता था?(क) 20 दिन(ख) 24 दिन(ग) 21 दिन(घ) 22 दिन |
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Answer» सही विकल्प है (क) 20 दिन |
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| 20282. |
माया लोगों के पंचांग में वर्ष में कितने होते थे?(क) 365(ख) 365(ग) 366(घ) 368 |
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Answer» सही विकल्प है (क) 365 |
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| 20283. |
कौन-सी नई खाद्य वस्तुएँ दक्षिणी अमेरिका से बाकी दुनिया में भेजी जाती थीं? |
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Answer» दक्षिणी अमेरिका से बाकी दुनिया को भेजी जाने वाली खाद्य वस्तुएँ निम्नलिखित थीं आलू, तम्बाकू, गन्ने से बनी चीनी, रबड़, लाल मिर्च, इमारती लकड़ी, कोको और चॉकलेट बनाने के लिए ककाओ। |
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| 20284. |
दक्षिणी अमेरिका की खोज ने यूरोपीय उपनिवेशवाद के विकास को कैसे जन्म दिया? |
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Answer» अटलाण्टिक महासागर के तट पर स्थित ऐसे अनेक देश थे; विशेष रूप से इंग्लैण्ड, फ्रांस, बेल्जियम और हॉलैण्ड, जिन्होंने इन खोजों का लाभ उठाया और उनके उपनिवेश स्थापित किए। इन देशों के व्यापारियों ने संयुक्त पूँजी कम्पनियाँ बनाईं और बड़े-बड़े व्यापारिक अभियान चलाए। यूरोप में अमेरिका से आए सोने-चाँदी ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार और औद्योगीकरण का भरपूर विस्तार किया। यूरोपवासियों को नई दुनिया में पैदा होने वाली नई-नई वस्तुओं; जैसे तम्बाकू, आलू, गन्ने से बनी चीनी, रबड़ आदि का ज्ञान हुआ जिसे वे उपनिवेशों से प्राप्त करने का प्रयास करने लगे। |
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| 20285. |
पन्द्रहवीं तथा सोलहवीं शताब्दी की भौगोलिक खोजों का संक्षेप में वर्णन कीजिए। या भौगोलिक खोजों के कारण तथा महत्त्व पर प्रकाश डालिए। |
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Answer» नवीन स्थानों की खोज तथा खोज-यात्राएँ। पुनर्जागरण काल में यूरोप के साहसी नाविकों ने लम्बी-लम्बी समुद्री यात्राएँ करके नवीन देशों की खोज की; अतः पुनर्जागरण काल को ‘खोजों का काल’ भी कहा जाता है। भौगोलिक खोजों के लिए सर्वप्रथम पुर्तगाली और स्पेनिश नाविक उतरे, बाद में इंग्लैण्ड, फ्रांस, हॉलैण्ड व जर्मनी के लोग भी खोज कार्य में जुट गए। पुनर्जागरण काल में नए देशों की खोज ⦁ उत्तमाशा अन्तरीप की खोज : भौगोलिक खोजों का कारण पुनर्जागरण काल यूरोपीय इतिहास का अत्यधिक प्रगतिशील युग था। इसमें साहित्य व ज्ञान के क्षेत्र में नवीन क्षेत्रों की खोजें तीव्र गति से हुईं, जिस कारण व्यावहारिक रूप में संसार का ज्ञान प्राप्त करने की उत्कंठा लोगों के मन में जाग्रत हुई। इसी उत्कंठा को मूर्तरूप देने के लिए साहसिक लोगों ने संसार का परिभ्रमण कर नवीन भौगोलिक खोजों को उद्घाटित किया तथा मानव के ज्ञान को समृद्ध किया। भौगोलिक खोजों के परिणाम (महत्त्व) भौगोलिक खोजों के अनेक महत्त्वपूर्ण परिणाम हुए, जिनका विवरण इस प्रकार है |
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| 20286. |
1857 ई० के स्वाधीनता-संग्राम के चार प्रमुख नेताओं के नाम लिखिए। |
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Answer» 1857 ई० स्वाधीनता संग्राम के चार प्रमुख नेताओं के नाम निम्नलिखित हैं – 1. रानी लक्ष्मीबाई 2. कुंवर सिंह 3. मंगल पाण्डे तथा 4. नाना साहब |
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| 20287. |
1857 ई० के भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दो प्रमुख नेताओं के जीवन एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।यामहारानी लक्ष्मीबाई कौन थीं ? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।यासन् 1857 ई० के स्वतन्त्रता संघर्ष के चार क्रान्तिकारियों का उल्लेख कीजिए। उनमें से किन्हीं दो का अंग्रेजों के प्रति असन्तोष और उनके द्वारा किये गये संघर्ष का विवरण दीजिए।यारानी लक्ष्मीबाई कौन थी ? उसने अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष क्यों किया ?यासन् 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम के किन्हीं दो क्रान्तिकारियों के अंग्रेजों के प्रति असन्तोष और उनके संघर्ष पर प्रकाश डालिए।यादेश के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई की क्या भूमिका थी? संक्षेप में लिखिए। |
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Answer» सन् 1857 ई० के स्वतन्त्रता संग्राम में अनेक क्रान्तिकारियों (नेताओं) ने उल्लेखनीय योगदान दिया, जिनमें निम्नलिखित मुख्य हैं 1. नाना साहब – नाना साहब, पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे। इनका वास्तविक नाम धुन्धुपन्त था। अंग्रेजों ने इन्हें पेशवा का उत्तराधिकारी मानने से इनकार कर दिया तथा इनकी 80 हजार पौण्ड की पेंशन बन्द कर दी। इससे नाना साहब के मन में अंग्रेजों के प्रति असन्तोष फैल गया तथा वे उनके सबसे बड़े शत्रु बन गये। हिन्दू उन्हें बाजीराव का कानूनी उत्तराधिकारी समझते थे तथा उनके प्रति अंग्रेजों का यह व्यवहार अन्यायपूर्ण समझा गया। नाना साहब ने विद्रोहियों में स्वयं को एक नायक प्रमाणित किया। अजीमुल्ला खान ने उनकी सहायता की। अंग्रेजों से संघर्ष करने के लिए नाना साहब ने मुगल सम्राट के प्रति निष्ठा की घोषणा कर दी और स्वतन्त्रता के संघर्ष को राष्ट्रीय जागृति के रूप में प्रस्तुत करने का कार्य किया। फलत: नाना साहब अंग्रेजों के विरुद्ध क्रान्तिकारियों का नेतृत्व करने वालों में आगे आ गये। संघर्ष का परिणाम यह हुआ कि उन्होंने कानपुर पर अधिकार कर लिया तथा वहाँ अनेक अंग्रेज मौत के घाट उतार दिये। कुछ समय पश्चात् ही कानपुर के निकट बिठूर नामक स्थान पर वे अंग्रेजों से पराजित हो गये। क्रान्ति समाप्त होने 2. महारानी लक्ष्मीबाई – महारानी लक्ष्मीबाई झाँसी के राजा गंगाधर राव की महारानी थीं। राजा गंगाधर राव की सन् 1853 ई० में मृत्यु हो गयी। अपने पति की मृत्यु के बाद, उन्होंने दामोदर राव नामक एक अल्पवयस्क बालक को गोद ले लिया और पुत्र की संरक्षिका बनकर शासन-कार्य प्रारम्भ कर दिया। लॉर्ड डलहौजी ने गोद-निषेध नियम का लाभ उठाकर झाँसी के राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया। इससे महारानी असन्तुष्ट हो गयीं तथा अंग्रेजों के प्रति उनके मन में असन्तोष व्याप्त हो गया। उन्होंने अंग्रेजों से बड़ी वीरता के साथ लोहा लिया तथा 1858 ई० में कालपी के निकट हुए संग्राम में वीरगति प्राप्त की। 3. मंगल पाण्डे – मंगल पाण्डे बैरकपुर की छावनी में कार्यरत एक वीर सैनिक था। इसने सबसे पहले 6 अप्रैल, 1857 ई० को चर्बीयुक्त कारतूसों का प्रयोग करने से स्पष्ट इनकार कर दिया था। जब कारतूसों के प्रयोग के लिए उससे जबरदस्ती की गयी तो वह भड़क उठा और उसने शीघ्र ही दो अंग्रेज अधिकारियों को मार डाला। उस पर हत्या का आरोप लगा, परिणामस्वरूप उसे मृत्युदण्ड दिया गया। 8 अप्रैल, 1857 ई० को मंगल पाण्डे को फाँसी पर चढ़ा दिया गया। मंगल पाण्डे का बलिदान 1857 ई० की महाक्रान्ति का तात्कालिक कारण बना। 4. कुँवर सिंह – कुंवर सिंह बिहार प्रान्त में आन्दोलन की रणभेरी बजाने वाले महान् स्वतन्त्रता सेनानी थे। कुंवर सिंह जगदीशपुर के जमींदार थे। राजा के नाम से विख्यात 80 वर्षीय कुंवर सिंह ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया। इन्होंने आजमगढ़ और बनारस में सफलताएँ प्राप्त की। अपने युद्ध-कौशल और छापामार युद्ध-नीति द्वारा इन्होंने अनेक स्थानों पर अंग्रेजों के दाँत खट्टे कर दिये। ब्रिटिश सेनानायक मारकर ने इन्हें पराजित करने का भरसक प्रयास किया, परन्तु कुंवर सिंह गंगा पार कर अपने प्रमुख गढ़ जगदीशपुर पहुँच गये और वहाँ अप्रैल, 1858 ई० में अपने को स्वतन्त्र राजा घोषित कर दिया। दुर्भाग्यवश कुछ ही दिनों बाद इनकी मृत्यु हो गयी। 5. तात्या टोपे – तात्या टोपे स्वतन्त्रता की बलिवेदी पर चढ़ जाने वाले महान् सेनानी थे। ये नाना साहब के सेनापति थे। इन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध 1857 ई० के स्वतन्त्रता आन्दोलन को दीर्घकाल तक जारी रखा। अपनी सेना को लेकर इन्हें संकटकाल में जंगलों में छिपे रहना पड़ता था। तात्या टोपे रानी लक्ष्मीबाई के साथ भी रहे। रानी द्वारा ग्वालियर के किले पर अधिकार करने में इनकी उल्लेखनीय भूमिका रही। रानी के वीरगति प्राप्त करने पर ये क्रान्ति की मशाल लेकर दक्षिण में पहुँचे। ये अन्तिम समय तक अंग्रेजों से लड़ते रहे। एक विश्वासघाती ने इन्हें सोते समय गिरफ्तार करवा दिया। अंग्रेजों ने 15 अप्रैल, 1859 ई० को इस महान् देशभक्त को तोप से उड़वा दिया। |
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| 20288. |
अमेरिका की खोज किसने की थी? |
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Answer» अमेरिका की खोज सर्वप्रथम कोलम्बस ने की थी। |
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| 20289. |
भौगोलिक खोजों के दो परिणाम लिखिए। |
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Answer» ⦁ उपनिवशवाद का विस्तार और |
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| 20290. |
1857 ई० के संग्राम में महिला क्रान्तिकारियों के योगदानों की चर्चा संक्षेप में कीजिए।याभारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम (सन् 1857) में निम्नलिखित में से किन्हीं दो का परिचयदेते हुए उनके योगदान का वर्णन कीजिए(क) रानी लक्ष्मीबाई(ख) बेगम हजरत महल तथा(ग) रानी अवन्ती बाई। |
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Answer» 1857 ई० की क्रान्ति में महिला क्रान्तिकारियों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं – 1. महारानी लक्ष्मीबाई – महारानी लक्ष्मीबाई झाँसी के राजा गंगाधर राव की महारानी थीं। राजा गंगाधर राव की सन् 1853 ई० में मृत्यु हो गयी। अपने पति की मृत्यु के बाद, उन्होंने दामोदर राव नामक एक अल्पवयस्क बालक को गोद ले लिया और पुत्र की संरक्षिका बनकर शासन-कार्य प्रारम्भ कर दिया। लॉर्ड डलहौजी ने गोद-निषेध नियम का लाभ उठाकर झाँसी के राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया। इससे महारानी असन्तुष्ट हो गयीं तथा अंग्रेजों के प्रति उनके मन में असन्तोष व्याप्त हो गया। उन्होंने अंग्रेजों से बड़ी वीरता के साथ लोहा लिया तथा 1858 ई० में कालपी के निकट हुए संग्राम में वीरगति प्राप्त की। 2. बेगम हजरत महल – अवध में बेगम हजरत महल ने क्रान्तिकारियों का नेतृत्व किया। ये साहसी, धैर्यवान और प्रबुद्ध महिला थीं। इन्होंने अपने राज्य के सम्मान को बचाने के लिए अंग्रेजों से टक्कर ली। कुछ समय के लिए ये लखनऊ क्षेत्र को स्वतन्त्र कराने में भी सफल हुईं। बाद में जनरल कैम्पबेल की सेनाओं ने 31 मार्च, 1858 ई० को लखनऊ पर अधिकार कर लिया था। बेगम हजरत महल अंग्रेजों के हाथ नहीं पड़ीं और वहाँ से बचकर निकल गयीं। 3. बेगम जीनत महल – सन् 1857 ई० की क्रान्ति राष्ट्रीयता की लड़ाई थी, इस तथ्य को बेगम जीनत महल जैसी साहसी महिला ने आन्दालेन में सक्रिय भाग लेकर सिद्ध कर दिया। बेगम जीनत महल प्रतिभाशाली और आकर्षक व्यक्तित्व वाली महिला थीं। इन्होंने भी सम्राट के साथ आन्दोलन की लड़ाई को बड़े धैर्य और साहस के साथ लड़ा। राष्ट्र की स्वतन्त्रता से बेगम जीनत को विशेष स्नेह था, तभी अपनी सुख-सुविधा को छोड़कर इन्होंने स्वयं को राष्ट्र-सेवा में समर्पित कर दिया। 4. रानी अवन्ती बाई – मध्य प्रदेश की रियासत रामगढ़ की रानी अवन्ती बाई ने अंग्रेजी सेना से संघर्ष करने के लिए एक सशस्त्र सेना का निर्माण किया और क्रान्ति के दौरान युद्ध में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये। बाद में अंग्रेजों की संगठित सेना के विरुद्ध लड़ते हुए रानी ने वीरतापूर्वक वीरगति प्राप्त की। |
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एलीफैण्टा गुफाओं में किसका मन्दिर है और उसे किस रूप में चित्रित किया है? |
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Answer» एलीफैण्टा गुफा में सबसे प्रसिद्ध शिव का मन्दिर है जो एक गुफा में खोदा गया है। यहाँ भगवान् शिव को सृजनहार, पालनहार और प्रलयंकर तीनों रूपों में अंकित किया गया है। |
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एलीफैण्टा की गुफाओं में सबसे प्रसिद्ध मन्दिर है(क) राम का मन्दिर(ख) विष्णु को मन्दिर(ग) ब्रह्मा का मन्दिर(घ) शिव का मन्दिर। |
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Answer» (घ) शिव का मन्दिर। |
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एलीफैण्टा की गुफाओं को स्थानीय निवासी और मल्लाह किस नाम से पुकारते हैं?(क) ब्रह्मपुरी(ख) घरपुरी(ग) धरपुरी(घ) धर्मपुरी। |
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Answer» एलीफैण्टा की गुफाओं को स्थानीय निवासी और मल्लाह घरपुरी नाम से पुकारते हैं। |
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अपहरण की नीति किसने लागू की? इसकी मुख्य विशेषता क्या थी? |
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Answer» अपहरण की नीति लॉर्ड डलहौजी ने लागू की। इसकी मुख्य विशेषता देशी राज्यों पर बलपूर्वक अधिकार प्राप्त करना था। |
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बंगाल छावनी के किस सिपाही ने कारतूस का प्रयोग करने से मना कर दिया था? |
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Answer» बंगाल छावनी के सिपाही मंगल पाण्डे ने कारतूस का प्रयोग करने से मना कर दिया था। |
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चित्तौड़गढ़ के दुर्ग का वर्णन लेखक ने किस प्रकार किया है? लिखिए। |
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Answer» चित्तौड़गढ़ एक पहाड़ी पर स्थित है। गढ़ की दीवारों और उनके बुर्ज खंडित हो गये हैं। करीब-करीब सारी इमारतें विनष्ट हो चुकी हैं। उन खण्डहरों के बीच दो स्तम्भ, कीर्ति स्तम्भ और विजय स्तम्भ खड़े हैं। कीर्ति स्तम्भ पुराना और जर्जर है। परन्तु विजय स्तम्भ उसके बाद का है और वीरता के इतिहास का सच्चा प्रतीक है। विजय स्तम्भ सात खण्डों का है। कला और सौन्दर्य की दृष्टि से भी विजय स्तम्भ अपूर्व है। महान् वीरता का इतिहास विजय स्तम्भ के साथ जुड़ा है। इसे गढ़ में देखने योग्य कुछ नहीं बचा है। पर लेखक को ऐसा लगा मानो इसका एक-एक कण और एक-एक पत्थर वीर गाथाएँ सुना रहा हो। केसरिया बाना पहनकर वीरों ने प्राणों को तुच्छ मानकर हँसते-हँसते बलिदान कर दिया। लेखक ने वहाँ की धूल को मस्तक से लगाया और सहर्ष प्रणाम किया। |
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लेखक ने चित्तौड़गढ़ की धूलि को बार-बार मस्तक से क्यों लगाया? |
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Answer» चित्तौड़गढ़ की भूमि वीरों की भूमि है, बलिदानियों की भूमि है। इस भूमि के कण-कण में बलिदानियों की वीरता की कहानी छिपी पड़ी है। यह भूमि वीरांगनाओं के जौहर की कहानी सुना रही है। विजय स्तम्भ वीरता के इतिहास का सच्चा प्रतीक है। सात खण्डों वाले विजय स्तम्भ को देखकर लेखक गदगद हो गया। महान् वीरता का इतिहास विजय स्तम्भ से जुड़ा है। लेखक को लगा विजय स्तम्भ का एक-एक कण, एक-एक पत्थर अपने अन्दर छिपी वीर-गाथाओं को सुना रहा है। लेखक इतना भावुक हो गया कि उसने उस स्थल को सन्ध्या से पूर्व नहीं छोड़ा। वीरों की, बलिदानियों की याद करके लेखक ने वहाँ की धूलि को बार-बार मस्तक से लगाया। लेखक ने धूलि को मस्तक से लगाया क्योंकि उसके हृदय में वीरों के प्रति श्रद्धा का भाव जागृत हो गया था। |
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| 20298. |
“मुझे इसकी धूलि के एक-एक कण वीर-गाथाएँ गाते जान पड़े।” कहाँ के धूलिकण वीर-गाथा गाते जान पड़े?(क) विजय स्तम्भ के(ख) हल्दी घाटी के(ग) कीर्ति स्तम्भ के(घ) चित्तौड़गढ़ के। |
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Answer» (घ) चित्तौड़गढ़ के। |
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1835 ई० में कम्पनी के सिक्कों से किसका नाम हटा दिया गया? |
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Answer» 1835 ई० में कम्पनी के सिक्कों से मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर का नाम हटा दिया गया। |
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चित्तौड़गढ़ पहुँचकर लेखक ने क्या देखा? |
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Answer» लेखक ने देखा कि गढ़ की दीवारें और उनके बुर्ज खंडित हो गये हैं। करीब-करीब सारी इमारतें जमींदोज हो गई हैं। |
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