Explore topic-wise InterviewSolutions in .

This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

गंगा के तट पर किसकी खेती की गई है ?

Answer»

गंगा के तट पर तरबूजों की खेती की गई है।

2.

रजत-स्वर्ण मंजरियाँ किन्हें कहा गया है ?

Answer»

रजत-स्वर्ण मंजरियाँ आम के बौर को कहा गया है, जिनमें फल आनेवाले हैं।

3.

अब रजत स्वर्ण मंजरियों सेलद गई आम्र तरु की डाली,झर रहे ढाक, पीपल के दल,हो उठी कोकिला मतवाली !महके कटहल, मुकुलित जामुन,जंगल में झरबेरी झुली,फूले आडू, नींबू, दाडिम,आलू, गोभी, बैंगन, मूली !भावार्थ : कवि कहते हैं कि आम के पेड़ की डालियाँ सोने-चाँदी की मंजरियों से लद गई हैं। ढाक और पीपल के पत्ते गिरने लगे हैं। कोयल वसंत ऋतु की मादकता में मतवाली हो गई है। अर्थात् आम डालियों पर बैठकर कूकने लगी है। कटहल के पेड़ों और जामुन के अधखिले फूलों से सारा वातावरण महक उठा है। जंगल में झरबेरी की झाड़ियाँ फूलों से लदकर लटक गई हैं। आड़ के पेड़ में फूल आ गए हैं, नीबू और अनार फलों से लद गए है। खेतों में आलू, गोभी, बैंगन, मूली आदि सब्जियाँ लहलहा रही हैं।1. आम के पेड़ का सौन्दर्य कैसा है ?2. ढाक और पीपल के वृक्ष कैसे हो गए हैं ?3. किन पेड़ों के फूल से वातावरण सुगंधित हो गया है ?4. किन पेड़ों के फूल से वातावरण सुगंधित हो गया है ?5. ‘जंगल में झरबेरी झूली’ में कौन-सा अलंकार है ?

Answer»

1. आम के पेड़ पर सोने-चाँदी जैसी चमकदार मंजरियाँ आ गई हैं, जिनसे खुश्बू निकल रही है। कोयल कूक कूककर मतवाली
हो गई है। इस तरह, आम का पेड़ बेहद सुंदर लग रहा है।

2. ढाक और पीपल के वृक्ष के पत्ते गिर रहे है। उनमें एक तरफ पत्ते गिर रहे हैं तो दूसरी तरफ नए पत्ते आ रहे हैं।

3. आम, करहल, जामुन, झरबेरी, आड़, नींबू, अनार आदि के पेड़ों के फूल से वातावरण सुगंधित हो गया है।

4. कवि ने आलू, गोभी, बैंगन, मूली आदि सब्जियों का उल्लेख किया है।

5. ‘जंगल में हारबेरी झूली’ में ‘झ’ वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है।

4.

रंग-बिरंगी तितलियाँ कहाँ घूम रही हैं ?

Answer»

रंग-बिरंगी तितलियाँ भिन्न-भिन्न रंग के फूलों पर घूम रही हैं।

5.

पीले मीठे अमरूदों मेंअब लाल लाल चित्तियाँ पड़ी,पक गए सुनहले मधुर बेर,अँवली से तरु की डाल जड़ी !लहलह पालक, महमह धनिया,लौकी औ’ सेम फलीं,फैली मखमली टमाटर हुए लाल,मिरचों की बड़ी हरी थैली !भावार्थ : कवि कहते हैं कि अमरूद पककर पीले और मीठे हो गए हैं। उन पर लाल-लाल चित्तियाँ (धब्बे) पड़ गए हैं। मीठे बेर पककर सुनहरे हो गए हैं। आँवले से लदी पेड़ की डालियाँ ऐसे लगती हैं जैसे उन पर सितारे जड़ दिए गए हों। लौकी और सेम की लताएँ जमीन पर फैल गई हैं और उनमें फल लग गए हैं। टमाटर मखमल की तरह लाल हो गए हैं। मिर्ची के गुच्छे बड़ी-सी हरी थैली जैसे दिख रहे हैं।1. अमरूद पककर कैसे हो गए हैं ?2. बेर के फल में क्या परिवर्तन आ गया है ?3. आँवला का पेड़ कैसा दिखाई दे रहा है ?4. टमाटर किसकी तरह लाल हो गए हैं ?5. ‘मिरचों की बड़ी हरी थैली’ का क्या अभिप्राय है ?6. काव्यांश में किस भाषा का प्रयोग हुआ है ?

Answer»

1. अमरूद पककर पीले और लाल चित्तियोंवाले हो गए हैं।

2. बेर के फल पककर मीठे हो गए हैं। उनका रंग सुनहरा हो गया है।

3. आँवला का पेड़ छोटे-छोटे अनगिनत फलों से लद गया है। उसकी डालियाँ बड़ी खूबसूरत लग रही हैं। ऐसा लगता है कि जैसे आँवले की डालियों पर सितारे जड़ दिए गए हों।

4. टमाटर मखमल की तरह लाल हो गए हैं।

5. कवि यहाँ मिरचों को बड़ी हरी थैली जैसा कह रहा है। सामान्यतः मिचों की बात करते ही हमारा ध्यान उनके लम्बे आकार की तरफ ही जाता है, परन्तु कवि यहाँ बड़े-बड़े आकारवाले शिमला मिर्च की बात कर रहा है, जो पौधों से लटकती हुई थैली की तरह दिखाई देते हैं।

6. काव्यांश में तत्सम युक्त खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।

6.

‘अब रजत-स्वर्ण मंजरियों से’ में कौन-सा अलंकार है ?

Answer»

‘अब रजत-स्वर्ण मंजरियों से’ में रूपक अलंकार है।

7.

हरियाली का सौन्दर्य किसके कारण बढ़ रहा है ?

Answer»

हरियाली का सौंदर्य सूर्य की कोमल किरणों के कारण बढ़ रहा है।

8.

भाव स्पष्ट कीजिए –क. बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेतीख. हँसमुख हरियाली हिम-आतप सुख से अलसाए-से सोए

Answer»

क. बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेती

भाव : गंगा के किनारे फैली रेत पर जब सूर्य प्रकाश पड़ता है तो प्रकाश विभाजन के कारण वह रेत रंग-बिरंगी नजर आती है । पानी की लहरों और हवा के कारण जो टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ बन गई हैं, वे साँपों के रेंगने से बने निशान जैसी लग रही हैं ।

ख. हँसमुख हरियाली हिम-आतप सुख से अलसाए-से सोए

भाव : सर्दी की नर्म और कोमल धूप में हरियाली चमक रही है, ऐसा लग रहा है जैसे कि हरियाली हँस रही है । सर्दी की धूप भी खिली-खिली है, जिससे ऐसा भी लगता है कि धूप और हरियाली दोनों ही एक-दूसरे से मिलकर सोए हुए हैं।

9.

 बालू के साँपों से अंकितगंगा की सतरंगी रेतीसुंदर लगती सरपत छाईतट पर तरबूजों की खेती;अँगुली की कंघी से बगुलेकलँगी संवारते हैं कोई,तिरते जल में सुरवाब, पुलिन परमगरौठी रहती सोई !भावार्थ : कवि कहते हैं कि गंगा के किनारे सतरंगी रेत पर बनी टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें देखकर लगता है जैसे वे लकीरें साँपों के आनेजाने से बनी हों। नदी किनारे पर तरबूजों की खेती और रखवाली के लिए बनाई गई सरपत की झोपड़ियों बड़ी सुंदर लग रही हैं। तट पर पानी में खड़े बगुले सिर खुजला रहे हैं, जिसे देखकर लगता है कि वे अपनी अंगुली से अपनी कलँगी में कंघी कर रहे हैं। पानी में सुरखाब तैर रहे हैं और किनारे पर मुरगाबी (मगरौठी) नामक पक्षी सोई हुई है।\1. गंगा की रेती को सतरंगी क्यों कहा गया है ?2. बालू पर साँपों के चलने से बने निशान जैसे क्यों दिखाई दे रहे हैं ?3. पानी में खड़े बगुले क्या कर रहे हैं ?4. कौन-सा पक्षी तट पर सोया पड़ा है ?5. ‘बालू के साँपों से अंकित’ में कौन-सा अलंकार है ?

Answer»

1. गंगा की रेती सूर्यप्रकाश में चमकती है और प्रकाश विभाजन के कारण रंग-बिरंगी दिखाई देती है इसीलिए गंगा की रेती को सतरंगी कहा गया है।

2. बालू पर पानी की लहरों से टेढ़े-मेढ़े निशान बन जाते हैं, उन टेढ़ी-मेढ़ी रेखाओं को देख्नने से लगता है कि जैसे ये साँपों के चलने से बनी हों।

3. पानी में खड़े बगुले पैर से सिर खुजला रहे हैं, ऐसा लगता है जैसे बालों में कंधी कर रहे हों।

4. मगरौठी (गुरगाबी) पक्षी तट पर सोई पड़ी है।

5. ‘बालू के साँपों से अंकित’ में उपमा अलंकार है।

10.

 फैली खेतों में दूर तलकमखमल की कोमल हरियाली,लिपटीं जिससे रवि की किरणेंचाँदी की सी उजली जाली !– तिनकों के हरे हरे तन परहिल हरित रुधिर है रहा झलक,श्यामल भू तल पर झुका हुआनभ का चिर निर्मल नील फलक !भावार्थ : गाँव की प्राकृतिक सुषमा और समृद्धि का मनोहारी वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि गाँव के खेतों में दूर-दूर तक मखमली कोमल हरियाली फैली हुई है। उस पर जब सूरज की किरणें पड़ती हैं तो लगता है कि जैसे चाँदी की जाली बिछी हुई है। जब हरे-हरे तिनके हिलते हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे उनमें हरा रक्त बह रहा हो। हरी-भरी धरती पर फैला आसमान मानो धरती को बाहों में भरने के लिए झुका हुआ है।1. हरियाली को मखमली क्यों कहा गया है ?2. हरियाली पर फैली सूरज की किरणें कैसी लग रही है ?3. भूतल पर कौन झुका हुआ है ?4. हरियाली का सौन्दर्य किसके कारण बढ़ रहा है और क्यों ?5. स्वच्छ आसमान को देखकर कवि क्या कल्पना करता है ?6. ‘चाँदी की सी उजली जाली’ में कौन-सा अलंकार है ?

Answer»

1. गाँव के खेतों में हरी-भरी फसलें लहरा रही हैं। उनके तने और पत्तियाँ एकदम कोमल हैं इसीलिए कवि ने हरियाली को मखमली कहा है।

2. हरियाली पर फैली सूरज की किरणें उस पर लिपटी चाँदी की जाली जैसी सफेद लग रही हैं।

3. भूतल पर नीला आसमान झुका हुआ है।

4. हरियाली का सौन्दर्य सूर्य के कारण बढ़ रहा है। दूर-दूर तक मखमल जैसी कोमल हरियाली फैली हुई है। उस मखमली हरियाली पर जब सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो ऐसा लगता है कि चाँदी की सफेद जाली हो।

5. स्वच्छ आसमान को देखकर कवि को लगता है कि नीला आसमान मानो धरती को बाहों में भरने के लिए झुका हुआ है।

6. ‘चाँदी की सी उजली जाली’ में उपमा अलंकार है।

11.

कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ क्यों कहा है ?

Answer»

कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ इसलिए कहा है कि गाँव की सुंदरता अद्भुत है। गाँव में चारों ओर खेतों में दूर-दूर तक हरियाली फैली हुई है। मखमली हरियाली पर जब धूप पड़ती है तो वह हँसती हुई नजर आती है। खेतों में गेहूँ, जौ, अरहर, सनई तथा सरसों की फसलें लहरा रही हैं। उनके रंग-बिरंगे फूलों पर भिन्न-भिन्न रंग की तितलियाँ मंडरा रही हैं।

वृक्षों फूलफल आ गए हैं, जिनसे सारा वातावरण गमक रहा है। खेतों में आलू, गोभी, बैंगन, मूली आदि सब्जियाँ उगी हुई हैं। गंगा किनारे तरबूजों की खेती, तालाब में तैरते पक्षी, ऊँगली की कंघी से कलंगी संवारते करते बगुले गाँव की सुंदरता में वृद्धि कर रहे हैं। हरा-भरा गाँव मरकत (पन्ना रत्न) के समान सुंदर है।

12.

 रोमांचित सी लगती वसुधाआई जौ गेहूँ में बाली,अरहर सनई की सोने कीकिंकिणियाँ हैं शोभाशाली !उड़ती भीनी तैलाक्त गंधफूली सरसों पीली पीली,लो, हरित धरा से झाँक रहीनीलम की कलि, तीसी नीली !भावार्थ : कवि कहते हैं कि जौ और गेहूँ में बालियाँ आ जाने से धरती खुशी और रोमांच से भर गई है। अरहर और सनई में फलियाँ लग गई हैं, वे पक कर सुनहली हो गई हैं, हिलने पर उनमें से मधुर ध्वनि निकलती है। ऐसा लगता है कि धरती की करधनी में लगे घुघरूँ हों, जो बजकर रोमांच को बढ़ा रहे हैं। चारों ओर सरसों के फूल हैं, जो समूचे वातावरण में अपनी तैलीय गंध बिखेर रहे हैं। इसी समय हरी-भरी धरती से अलसी के नीले फूल नीलम पत्थर के नगीने की तरह दिखाई दे रहे हैं।1. वसुधा रोमांचित सी क्यों लगती है ?2. अरहर और सनई खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं ?3. सरसों का वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ा है ?4. ‘तीसी नीली’ से क्या अभिप्राय है ?5. काव्यांश में किन फसलों का उल्लेख किया गया है ?

Answer»

1. वसुधा पर इस समय गेहूँ और जौ में बालियाँ लग गई हैं। अरहर और सनई की फलियाँ पककर दानेदार हो गई हैं जो हर हवा के झोंके पर करधनी में लगे धुंघरूओं की तरह बजती हैं। हर दिशा में सरसों के पीले-पीले फूल नजर आ रहे हैं, जो समूचे वातावरण में अपनी तैलीय गंध बिखेर रहे हैं। इस तरह, अपना ऐसा सौन्दर्य देखकर वसुधा रोमांचित-सी लग रही है।

2. अरहर और सनई की फसलों में लगी फलियाँ अब पककर सुनहली हो गई है। उनमें दाने पुष्ट हो गए हैं। हवा के हर छोके। के साथ करधनी में लगे धुंघरुओं की तरह बजते हैं। इस तरह, अरहर और सनई के खेत के कारण पृथ्वी का रोमांच प्रदर्शित हो रहा है।

3. समूची धरती सरसों के पीले-पीले फूलों से सुशोभित हो रही है। उन सरसों के पीले फूलों से तैलीय गंध निकल रही है, जिसने वातावरण को सुगंधित और मादक बना दिया है।

4. तीसी के पौधे छोटे होते हैं और उनके फूल नीले होते है। हरी-भरी धरती के बीच उनके नीले-नीले फूलों को देखकर लगता है कि जैसे वे छोटे-छोटे नीलम पत्थर के नगीने हों।

5. काव्यांश में गेहूँ, जौ, अरहर, सनई, सरसों और तीसी की फसल का उल्लेख किया गया है।

13.

हंसमुख हरियाली हिम-आतपसुन से अलसाए-से सोए,भीगी अँधियाली में निशि कीतारक स्वप्नों में से खोएमरकत डिब्बे सा खुला ग्रामजिस पर नीलम नभ आच्छादननिरुपम हिमांत में स्निग्ध शांतनिज शोभा से हरता जन मन !भावार्थ : कवि गाँव की सुंदरता का वर्णन करते हुए कहते हैं कि हरियाली पर सर्दी की धूप पड़ती है तो लगता है कि हरियाली हँस रही है। सर्दी की धूप चमकते ही लगता है कि हरियाली अलसाकर सो गई है। ओस से रात भीग चुकी हैं। चारों की चमक फीकी पड़ गई है, वे सपनों में खोए-से लगते हैं। सुंदर गाँव पन्ना नामक मोतियों से भरे खुले डिब्बे के समान प्रतीत हो रहा है, जिस पर नीला आसमान छाया हुआ है। सर्दी के अंत के साथ एक कोमल सुखद शांति छाई हुई है। गाँव अपने मोहक सौन्दर्य से लोगों का मन अपनी ओर खींच रहा है।1. हरियाली को हँसमुख्न क्यों कहा गया है ?2. भींगी हरियाली से क्या तात्पर्य है ?3. तारों भरी रात का वर्णन कीजिए।4. ‘मरकत का डिब्बा’ किसे कहा गया है ?5. जन-मन को कौन आकर्षित कर रहा है ?6. ‘तारक स्वप्नों में से खोए’ में कौन-सा अलंकार है ?

Answer»

1. हरियाली पर जाड़े की नर्म धूप पड़ रही है, जिससे हरियाली चमक रही है। संभवतः यही देखकर कवि ने हरियाली को हँसमुख
कहा है।

2. भींगी हरियाली से तात्पर्य ठंडी की रात में पड़नेवाली ‘ओस’ से है जिसकी वजह से अंधेरा भीगा हुआ लगता है।

3. ठंडी की रात है। चन्द्रमा के न निकलने से गहरा अंधकार है। तारे आकाश में जगमगा रहे हैं। इस ओस से भीगी रात में तारे सपनों में खोए से लग रहे हैं।

4. ‘मरकत का डिब्बा’ गाँव की धरती को कहा गया है।

5. जन-मन को हरा-भरा सुंदर गाँव आकर्षित कर रहा है।

6. ‘तारक स्वप्नों में से खोए’ में मानवीकरण अलंकार है। यहाँ ‘तारों’ को जीवंत मानव की तरह स्वप्न देखते बताया गया है।

14.

नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुंदर है,सूर्य-चंद्र युग मुकुट मेखला रत्नाकर हैं।नदियाँ प्रेम-प्रवाह, फूल तारे मंडल हैं,बंदीजन खग-वृंद, शेषफल सिंहासन हैकरते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस देश कीहे मातृभूमि ! तू सत्य ही सगुण मूर्ति सर्वेश की।जिसके रज में लोट-लोटकर बड़े हुए हैं।घुटनों के बल सरक-सरक कर खड़े हुए है,परम हंस सम बाल्यकाल में सब सुख पाये,जिसके कारण ‘धूल भरे हीरे’ कहलाए।हम खेल-कूदे हर्षयुत, जिसकी प्यारी गोद मेंहे मातृभूमि ! तुझको निरख, मग्न क्यों न हो मोद मोद में !निर्मल तेरा नीर अमृत के सम उत्तम है,शीतल मंद सुगंध पवन हर लेता श्रम है,षट्ऋतुओं का विविध दृश्य युत अद्भुत क्रम है,शुचि सुधा सींचता रात में, तुम पर चंद्रकाश हैहे मातृभूमि ! दिन में तरणि करता तम का नाश है।उपर्युक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए1. काव्यांश में ‘हरित पट’ किसे कहा गया है ?2. ‘बलिहारी इस देश की’ – कवि ऐसा क्यों कहता है ?3. ‘बलिहारी इस देश की’ – कवि ऐसा क्यों कहता है ?4. कवि ने निर्मल जल को किसके सदृश बताया है ?5. ‘हे मातृभूमि ! तू सत्य ही सगुण मूर्ति सर्वेश की’ में कौन-सा अलंकार है ?

Answer»

1. काव्यांश में हरित पट हरी-भरी फसलोंवाली धरती को कहा गया है।

2. कवि अपनी सुंदर मातृभूमि से प्यार करता है, जो साक्षात् ईश्वर का रूप है। इसलिए कवि कहता है कि बलिहारी इस देश की।

3. कवि ने मातृभूमि का सिंहासन शेषनाग के फन को बताया है।

4. कवि ने निर्मल जल को अमृत सदृश बताया है।

5. ‘हे मातृभूमि ! तू सत्य ही सगुण मूर्ति सर्वेश की’ में ‘स’ वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है।