InterviewSolution
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नियंत्रण की उपयोगिता, महत्त्व, लाभ स्पष्ट कीजिए । |
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Answer» संचालन के प्रत्येक कार्य की सफलता का आधार अंकुश ही है । इकाई में आयोजन के अनुसार निश्चित की गई योजनाओं के अनुसार कार्य का निरीक्षण अंकुश द्वारा सरल बनता है । अंकुश के द्वारा कर्मचारियों को कार्य सौंपने में सरलता रहती है । अंकुश से कर्मचारी आयोजन या आदेश के अनुसार कार्य कर रहा है या नहीं इसके निरीक्षण का कार्य सरल बनता है । कर्मचारियों के द्वारा कार्य करते समय आनेवाली बाधायें, कठिनाईयों को अंकुश द्वारा दूर कर सकते हैं । अत: जिन इकाईयों में अंकुश का कार्य सक्रिय या नियमित नहीं किया जाता वह इकाई बिना चालक के वाहन समान है । महत्त्व :
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नियंत्रण यह निषेधात्मक प्रवृत्ति नहीं है । विधान की यथार्थता समझाइए । |
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Answer» यह विधान सत्य है । अंकुश यह सुधारात्मक प्रवृत्ति है, न कि निषेधात्मक कारण कि अंकुश द्वारा कर्मचारी के कार्य का निरीक्षण किया जाता है । कार्य में आनेवाली कठिनाईयों को दूर किया जाता है । कार्य को कार्यक्षम ढंग से करने के लिए योग्य पहलू अपनाए जाते है । अंकुश यह सुधारात्मक प्रवृत्ति है, न कि अंकुश से कर्मचारियों को मानसिक त्रास, आर्थिक दण्ड, डिमोशन, मेमो या नोटिस देना नही है । मात्र भविष्य में होने वाली भूलों का पुनरावर्तन न हो उसका विशेष ख्याल रखा जाता है । अत: अंकुश यह निषेधात्मक प्रवृत्ति नहीं है । |
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आयोजन एवं नियंत्रण परस्पर पूरक है । कथन समझाइए । |
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Answer» इकाई में निश्चित उद्देश्य को समयानुसार सफल बनाने के हेतु से भूतकाल के अनुभव एवं भविष्य के अनुमानों के आधार पर वर्तमान में निश्चित की जानेवाली योजनाएँ आयोजन कहलाती है । संचालन के कार्यों में से सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य आयोजन है । परन्तु यदि अंकुश की प्रवृत्ति न की जाए अर्थात् देखरेख या निरीक्षण न किया जाए तो आयोजन के अनुसार कार्य निर्धारित समय में आदेशानुसार नही हो सकता अतः किसके उपर अंकुश रखना, कौन-सा कार्य, कितने समय में होना चाहिए, इन सभी प्रश्नों का उत्तर प्राप्त होने के पश्चात् ही अंकुश की प्रक्रिया की जाती है । इन सभी प्रश्नों की सूची आयोजन में तैयार की जाती है । इसलिए अंकुश के लिए आयोजन आवश्यक है । |
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नियंत्रण का अर्थ एवं इसके लक्षण समझाइए । |
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Answer» प्रस्तावना : संचालन के कार्यों में से अंकुश एक महत्त्वपूर्ण कार्य है । संचालन के द्वारा निर्धारित हेतु के अनुसार आयोजन तैयार किया जाता है । आयोजन के अनुसार व्यवस्थातंत्र एवं कर्मचारी व्यवस्था की नियुक्ति की जाती है । कर्मचारियों को तैयार किए गए आयोजन के अनुसार आदेश दिए जाते हैं । परन्तु दिए गए आदेश के अनुसार कार्य हुआ या नहीं, नहीं हुआ तो क्यों नहीं ? इसकी देखरेख्न रखना उच्चस्तर के अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है । अत: अंकुश रखना अनिवार्य बनता है । अंकुश से कार्य सरल एवं आनेवाली कठिनाईयों का निराकरण सरल बनता है । परिभाषा : अंकुश की अलग-अलग लेखकों के द्वारा परिभाषाएँ दी गई है । इनमें से महत्त्वपूर्ण लेखकों की परिभाषाएँ निम्नलिखित (1) श्रीमती मेरी सी. नाइल्स के मतानुसार, ‘आयोजन के परिपालन में आनेवाली कठिनाइयों को दूर करने की प्रक्रिया अर्थात् अंकुश ।’ लक्षण : अंकुश के लक्षण निम्नलिखित है : (1) आयोजन के साथ सम्बंध (Related to Planning) : इकाई के निश्चित उद्देश्य के अनुसार आयोजन तैयार किया जाता है । आयोजन में निश्चित की गई योजनाओं के अनुसार कार्य करवाने का आधार अंकुश पर है । अतः आयोजन एवं अंकुश जुड़वाँ बालक के समान है। (2) संचालन का अंतिम कार्य (End Activity of Managment) : संचालकों के द्वारा संचालन की प्रवृत्ति करते समय सर्वप्रथम आयोजन तैयार किया जाता है । आयोजन के अनुसार व्यवस्थातंत्र की रचना, इसके बाद कर्मचारी व्यवस्था, दिशा-निर्देश इसके पश्चात का कार्य अंकुश का है । प्रवृत्तियों का प्रारम्भ होने के बाद ही अंकुश रखा जाता है । (3) सतत प्रक्रिया (Continuous Process) : अंकुश आयोजन की तरह सतत प्रक्रिया है । कर्मचारी साधनों एवं प्रवृत्तियों पर निरन्तर नियमित निरीक्षण रखना आवश्यक है तथा आनेवाले विवादों को दूर किया जाता है । जिससे आयोजन के अनुसार प्रवृत्ति की जाए । (4) रचनात्मक प्रवृत्ति (Positive Activity) : कर्मचारियों के द्वारा की जानेवाली प्रवृत्तियों में रुकावट पैदा करना अंकुश कहलाता है । परन्तु ऐसा नहीं वास्तव में कर्मचारियों के द्वारा कार्य आयोजन के अनुसार हो इसका मार्गदर्शन प्रदान करना अंकुश है । (5) गतिशील प्रक्रिया (Dynamic Process) : अंकुश कोई स्थिर प्रक्रिया नहीं है । इकाई में होनेवाले आंतरिक एवं बाहरीय परिवर्तनों के साथ-साथ अंकुश की प्रक्रिया में भी परिवर्तन किया जाता है । (6) व्यक्तिलक्षी (Personal Process) : संचालन यह मानवी प्रवृत्ति है । सम्पूर्ण प्रवृत्ति मानव के द्वारा की जाती है । मानव के द्वारा की जानेवाली प्रवृत्ति पर अंकुश मानव के द्वारा ही रखा जाता है । (7) आंतरिक प्रक्रिया (Internal Process) : इकाई की सीमा में रहकर की जानेवाली प्रवृत्ति आंतरिक प्रवृत्ति कहलाती है । जैसे आयोजन तैयार करना, कर्मचारियों को कार्य सौंपना इत्यादि अन्य प्रवृत्तियों की देखरेख के लिए व्यक्तियों की नियुक्ति की जाती है । अत: यह आंतरिक प्रक्रिया है । (8) संचालन के प्रत्येक स्तर पर होनेवाला कार्य (Controlling at Every All Level of Management) : अंकुश का कार्य संचालन के प्रत्येक स्तर पर होता है, न कि किसी एक विभाग के लिए । प्रत्येक संचालक संचालन की प्रवृत्ति करते समय कम या ज्यादा योग्य प्रमाण में अपने सहायक कर्मचारियों पर देखरेख्न रखता ही है । (9) भविष्य के साथ सम्बंध (Related to Future) : अंकुश के द्वारा इकाई में की जानेवाली प्रवृत्ति का मूल्यांकन करके आनेवाले विवादों को दूर किया जाता है । अंकुश के द्वारा भूतकाल में हुई भूलों का पुनरावर्तन भविष्य में न हो उसका विशेष ध्यान रखा जाता है । अतः यह भविष्य के साथ संबंध रखती है । (10) विधेयात्मक प्रवृत्ति (Positive) : अंकुश विधेयात्मक प्रवृत्ति है । अंकुश द्वारा कर्मचारियों के कार्य में विलम्ब, मानसिक त्रास, आर्थिक दण्ड, डिमोशन नहीं किया जाता है । सिर्फ कर्मचारी द्वारा कार्य करते समय आनेवाली दुविधाओं को दूर करना, नुकसान को कम करना, भूतकाल की गलतियों के पुनरावर्तन को रोकना ही मुख्य हेतु है । (11) नियंत्रण औपचारिक या अनौपचारिक हो सकता है : इकाई में व्यवस्थातंत्र व उत्पादन प्रवृत्ति के संदर्भ में नियंत्रण की व्यवस्था औपचारिक स्वरूप में स्थापित की जाती है, परन्तु समयान्तर में अनौपचारिक स्वरूप की नियंत्रण व्यवस्था भी विकसित होती |
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‘आयोजन और नियंत्रण एक सिक्के दो पहलू है ।’ समझाइए । |
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Answer» आयोजन और नियंत्रण दोनों ही संचालन के बहुत ही महत्त्व के परस्पर आधारित कार्य हैं । आयोजन की सफलता का आधार नियंत्रण पर है । नियंत्रण द्वारा प्रवृत्तियों में विचलन रह गये हैं, उन्हें खोजकर सुधारात्मक उपाय किये जाते है । जबकि दूसरी ओर नियंत्रण कार्य का अस्तित्व आयोजन के बिना सम्भव नहीं । क्योंकि नियंत्रण के कार्य में आयोजन के लक्ष्य सिद्ध हुये है नहीं इसकी जाँच की जाती है, अर्थात् यदि आयोजन न बनाया हो तो नियंत्रण कार्य की कोई आवश्यकता नहीं होती । (Planning and Controlling are two side of a same coin.) |
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अंकुश एवं आयोजन के बीच सम्बन्ध समझाइये । |
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Answer» आयोजन एवं अंकुश एक सिक्के के दो पहलू के समान है । आयोजन के बिना अंकुश और अंकुश के बिना आयोजन अधूरा है । संचालन के कार्यों में जहाँ आयोजन होगा वहाँ अंकुश अवश्य ही होगा । इसके विपरीत जहाँ अंकुश होगा वहाँ पहले से ही आयोजन होगा ही । आयोजन तैयार करते समय इकाई के आंतरिक एवं बाहरीय परिवर्तनो को ध्यान में रखते हुए योजनाएँ तैयार की जाती है । तैयार की गई योजनाओं में भविष्य दरमियान आंतरिक एवं बाहरीय परिवर्तन हो तो उसे अंकुश द्वारा सुधारात्मक कदम उठाए जाते हैं । अतः आयोजन एवं अंकुश जुड़वाँ बालक के समान है । आयोजन के अनुसार कार्य हो रहा है या नहीं इसके निरीक्षण का कार्य अंकुश का है । अंकुश रखने का आधार आयोजन है । अतः आयोजन एवं अंकुश परस्पर पूरक हैं । आयोजन के बिना अंकुश के बारे में सोचना व्यर्थ हैं । आयोजन हो तो अंकुश है । अर्थात् आयोजन को अंकुश का जन्मदाता कहा जाता है । आयोजन एवं अंकुश एक दूसरे पर निर्भर हैं । तथा संचालन को कार्यक्षम बनाने के लिए भी आवश्यक है । |
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नियंत्रण यह संचालन का अन्तिम कार्य है । किसलिये ? |
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Answer» संचालन में आयोजन द्वारा इकाई के उद्देश्य निश्चित होते हैं, व्यवस्थातंत्र के द्वारा इनका अमल होता है । कर्मचारी व्यवस्था के द्वारा उनको मार्गदर्शन दिया जाता है उनके पश्चात नियंत्रण की कार्यवाही आरम्भ होती है । अर्थात् संचालन के सभी कार्य नियंत्रण के पहले किये जाते हैं । नियंत्रण का कार्य नियमन का है । जो कि इकाई की प्रवृत्तियाँ कार्यरत होने के पश्चात ही आरम्भ होती है अर्थात् नियंत्रण यह संचालन का अन्तिम कार्य है । |
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अंकुश यह आंतरिक प्रक्रिया है । किस तरह ? |
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Answer» यह विधान सत्य है । इकाई में आंतरिक एवं बाहरीय परिवर्तन असर करते है । जैसे कर्मचारी द्वारा अनियमित कार्य करना, आदेश के अनुसार कार्य के वितरण में विलंब इत्यादि परिवर्तन आंतरिक परिवर्तन कहलाते है । संचालन के द्वारा आंतरिक परिवर्तनों में योग्य सुधारात्मक कदम अंकुश द्वारा उठाए जाते है । आंतरिक प्रवृत्तियों पर अंकुश देखने को मिलता है । कारण कि आंतरिक पहलूओं पर ही संचालन का नियंत्रण होता है । उत्पादन, विक्रय, क्रय, वित्तीय मामले, वित्त, हिसाब व कर्मचारियों की कार्यपद्धति पर नियंत्रण रखा जा सकता है । |
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आयोजन नियंत्रण का जन्मदाता है । समझाइए । |
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Answer» आयोजन के कारण ही नियंत्रण का जन्म होता है । आयोजन में निर्धारित की गई प्रवृत्तियों पर नियंत्रण रखा जाता है । जिससे । आयोजन के बिना नियंत्रण का कार्य अस्तित्व में नहीं आ सकता । इस वास्तविकता को ध्यान में रखकर ही आयोजन को नियंत्रण का जन्मदाता कहा जाता है । |
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नियंत्रण प्रक्रिया की प्रथम अवस्था इनमें से कौन सी है ?(A) कार्य का मापन(B) किये गये कार्यों की स्थापित मापदण्डो के साथ तुलना(C) सुधारात्मक उपाय(D) मापदण्डों की स्थापना |
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Answer» सही विकल्प है (D) मापदण्डों की स्थापना |
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संचालन का अन्तिम कार्य कौन-सा है ?(A) आयोजन(B) व्यवस्थातंत्र(C) कर्मचारी व्यवस्था(D) नियंत्रण |
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Answer» सही विकल्प है (D) नियंत्रण |
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अंकुश यह नियमित की जानेवाली प्रक्रिया है । समझाइए । |
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Answer» जिस प्रकार संचालन की प्रवृत्ति सतत एवं नियमित की जाती है । उसी प्रकार अंकश की नियमित प्रक्रिया है । आयोजन के अनुसार कार्य हो रहा है या नही इसका निरीक्षण मात्र एक ही बार नहीं परन्तु नियमित निरीक्षण किया जाता है । तथा अंकुश के द्वारा कार्य, करते समय आनेवाली बाधाओं (परेशानियों) को दूर किया जाता है । क्या फिर भविष्य में गलतियाँ नहीं होती ऐसा नही है । कार्य होगा तो परेशानियों का सामना करना होगा हमेशा सुधारात्मक कार्य किया जायेगा अत: अंकुश यह सतत की जानेवाली प्रक्रिया है । |
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| 13. |
नियंत्रण किसे कहते हैं ? |
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Answer» नियंत्रण अर्थात् इकाई में कौन-से कार्य हो रहे यह निश्चित करना, जो कार्य हो रहे हैं, उनका मूल्यांकन करना और आवश्यक लगे तो सुधारात्मक उपाय करना जिससे योजना के अनुसार कार्य हो सके । |
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कार्य के मूल्यांकन की गुणात्मक पद्धति अर्थात् क्या ? |
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Answer» कर्मचारी के द्वारा किए जानेवाले कार्य को भाव, या गुण द्वारा मूल्यांकन किया जाता हो उसे गुणात्मक पद्धति कहते हैं । जैन वफादारी एवं प्रमाणिकता । |
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आयोजन के अनुसार कार्य हो रहे है या नहीं यह देखने का कार्य संचालन का कौन-सा कार्य करता है ?(A) व्यवस्थातंत्र(B) प्रशिक्षण(C) मार्गदर्शन(D) नियंत्रण |
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Answer» सही विकल्प है (D) नियंत्रण |
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आयोजन का किसके साथ जुडवा बालक जैसे सम्बन्ध होते है ?(A) व्यवस्थातंत्र(B) संकलन(C) नियंत्रण(D) सूचनाप्रेषण |
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Answer» सही विकल्प है (C) नियंत्रण |
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कर्मचारी द्वारा किए गए कार्य के मूल्यांकन का आधार किस स्वरूप का होना चाहिए ? |
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Answer» कार्य के मूल्यांकन का आधार संख्यात्मक एवं गुणात्मक होना चाहिए । |
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अंकुश के लिए आधार कैसा होना चाहिए ? |
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Answer» अंकुश के लिए आधार स्पष्ट एवं सरलता से समझा जा सके ऐसा होना चाहिए, दीर्घकालीन एवं अल्पकालीन समय के लिए तथा भविष्य में सिद्ध हो सके ऐसा होना चाहिए । |
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संचालन के समस्त कार्य किसके पहले होना आवश्यक होता है ?(A) आयोजन(B) मार्गदर्शन(C) सूचनासंचार(D) नियंत्रण |
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Answer» सही विकल्प है (D) नियंत्रण |
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सुधारात्मक पहलू अपनाते समय किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है ? |
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Answer» सुधारात्मक पहलू अपनाते समय गलतियों के कारण का निरीक्षण गहराई से करना चाहिए कि जिससे भविष्य में इस तरह की गलती न हो न कि दिखावटी पहलू अपना चाहिए । |
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अंकुश के लिए प्राचीन विचार क्या थे ? |
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Answer» अंकुश का कार्य करते समय कर्मचारियों के वेतन में कटौती, मानसिक त्रास, स्वतंत्रता पर अंकुश आवश्यकता से अधिक नियंत्रण इत्यादि विचार थे। |
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इकाई पर प्रभाव डालनेवाले बाहरीय परिबल कौन-कौन से है ? |
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Answer» कार्य पर प्रभाव डालनेवाले बाहरीय परिबलो में स्पर्धा, तूफान, जातिवाद के झगड़े, सरकार की नीति, ग्राहको की बदलती हुई फेशन इत्यादि । |
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इनमें से कौन-सा कार्य नियंत्रण का नहीं है ?(A) कार्यों की प्रगति(B) मापदण्डों के साथ तुलना(C) उद्देश्य निश्चित करना(D) विचलनों की जानकारी |
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Answer» सही विकल्प है (C) उद्देश्य निश्चित करना |
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‘नियंत्रण अर्थात् प्रयत्न और परिणाम, साधन और उद्देश्य के मध्य संतुलन स्थापित करने का कार्य ।’ उपरोक्त परिभाषा किसने दी है ?(A) हेनरी फेयोल(B) पीटर एफ. ड्रकर(C) ल्यूथर ग्युलिक(D) कून्ट्ज व ओडोनेल |
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Answer» सही विकल्प है (B) पीटर एफ. ड्रकर |
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अंकुश अर्थात् क्या ? |
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Answer» कर्मचारियों के द्वारा दिए गए आदेश के मतानुसार कार्य का निरीक्षण करना अंकुश कहलाता है । |
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अंकुश यह व्यक्तिलक्षी क्यों है ? |
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Answer» अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों पर कार्य की देखरेख रखने का कार्य अंकुश का है । मानव के द्वारा गलतियाँ होती है । तथा मानव के द्वारा ही गलतियों को सुधारा जाता है । अतः यह व्यक्तिलक्षी प्रवृत्ति है । |
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अंकुश कार्य का मूलभूत हेतु क्या है ? |
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Answer» निर्धारित आयोजन के अनुसार कार्य हो रहा है या नहीं इसकी देखरेख रखना तथा भविष्य में कार्य करते समय आनेवाली गलतियों को दूर करना । |
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भूल, त्रुटि, कठिनाई और विचलन को खोजकर उन्हें दूर करने का कार्य अर्थात् ………………………(A) आयोजन(B) मार्गदर्शन(C) नेतृत्त्व(D) नियंत्रण |
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Answer» सही विकल्प है (D) नियंत्रण |
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प्रयत्न, परिणाम तथा साधन व उद्देश्य के मध्य संतुलन स्थापित करने का कार्य अर्थात् ………………………..(A) मार्गदर्शन(B) कर्मचारी व्यवस्था(C) संकलन(D) नियंत्रण |
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Answer» सही विकल्प है (D) नियंत्रण |
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नियंत्रण यह कैसी प्रक्रिया नहीं है ?(A) सतत(B) आन्तरिक(C) जड/कठोर(D) गतिशील |
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Answer» सही विकल्प है (C) जड/कठोर |
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नियंत्रण प्रक्रिया की अवस्थाएँ कितनी है ? व कौन-कौन से ? |
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Answer» नियंत्रण प्रक्रिया की अवस्थाएँ पाँच है, जो कि निम्न है :
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नियंत्रण प्रक्रिया की अवस्थायें कितनी हैं ?(A) तीन(B) चार(C) दस(D) पाँच |
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Answer» सही विकल्प है (D) पाँच |
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कार्य (कामगीरी) का मापन कितने प्रकार से हो सकता है ?(A) दो(B) तीन(C) चार(D) असंख्य |
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Answer» सही विकल्प है (A) दो |
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इनमें से किसके माध्यम से इकाई की समस्त प्रवृत्तियों के बीच संकलन स्थापित किया जा सकता है ।(A) आयोजन(B) अन्दाज-पत्र(C) नियंत्रण(D) मार्गदर्शन |
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Answer» सही विकल्प है (C) नियंत्रण |
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यदि स्थापित मापदण्डों से उत्तम परिणाम मिलता हो तब …………………….(A) मापदण्ड निम्न रखा गया(B) यंत्र कारणभूत होते हैं ।(C) कर्मचारी का सम्मान होता है ।(D) प्रशिक्षण बहुत ही अच्छा है । |
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Answer» सही विकल्प है (A) मापदण्ड निम्न रखा गया |
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नियंत्रण/अंकुश यह नकारात्मक कार्य नहीं है । |
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Answer» अंकुश यह सुधारात्मक कार्य है । अंकुश के द्वारा कार्य में आनेवाली कठिनाईयों को दूर करने का तथा कार्य सरल बनाने का मुख्य हेतु अंकुश का है, न कि कार्य की परेशानियों का सामना करते हुए करना । |
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प्राचीन सामान्य अर्थ में नियंत्रण अर्थात् …………………..(A) रचनात्मक प्रवृत्ति(B) नकारात्मक प्रवृत्ति(C) सुधारात्मक प्रवृत्ति(D) स्वतंत्रता में अवरोधक |
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Answer» सही विकल्प है (A) रचनात्मक प्रवृत्ति |
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आयोजन और नियंत्रण के मध्य सम्बन्ध कैसे होते है ?(A) घनिष्ठ(B) नहींवत(C) सामान्य(D) विरोधी |
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Answer» सही विकल्प है (A) घनिष्ठ |
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कार्यक्षमता का मापदण्ड और सुधारलक्षी साधन इनमें से क्या है ?(A) सूचनासंचार(B) कर्मचारी व्यवस्था(C) नियंत्रण(D) आयोजन |
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Answer» सही विकल्प है (C) नियंत्रण |
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पीटर एफ. ड्रकर के अनुसार नियंत्रण की परिभाषा दीजिए । |
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Answer» पीटर एफ. ड्रकर के अनुसार, ‘नियंत्रण अर्थात् प्रयत्न और परिणाम, साधन और उद्देश्य के बीच सन्तुलन स्थापित करने का कार्य । |
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इकाई में स्थापित मापदण्डों की अपेक्षाकृत अधिक उत्तम परिणाम मिलने पर क्या किया जाता है ?(A) मापदण्ड सुधारकर निम्न करना(B) मापदण्ड सुधारकर उच्च करना(C) मापदण्ड में परिवर्तन न करना(D) मापदण्ड दूर करना |
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Answer» सही विकल्प है (B) मापदण्ड सुधारकर उच्च करना |
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स्थापित मापदण्डों से उत्तम परिणाम मिलने पर क्या किया जाता है ? |
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Answer» स्थापित मापदण्डों से उत्तम परिणाम मिलने पर मापदण्डो को सुधारकर उच्च मापदण्डों की स्थापना की जाती है । |
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विचलन को खोजने के बाद संचालक उन्हें दूर करने के लिये कौन-से उपाय करता है ?(A) प्रशिक्षण देना(B) कर्मचारियों की छटनी करना(C) सुधारात्मक कदम उठाना(D) निष्णांतों की नियुक्ति करना |
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Answer» सही विकल्प है (C) सुधारात्मक कदम उठाना |
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सुधारात्मक उपाय कब किये जाते है ? । |
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Answer» जब स्थापित मापदण्डों और वास्तविक परिणामों के बीच यदि अधिक अन्तर या विचलन हो तो उत्पन्न कारणो की जाँच करके इनको दूर करने के लिए सुधारात्मक उपाय किये जाते हैं । |
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विचलन (variance) किसे कहते हैं ? |
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Answer» धंधाकीय इकाई में स्थापित मापदण्डों का वास्तविक परिणामों से तुलना करने पर जो अन्तर पाया जाये उसे विचलन कहते हैं । |
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सुधारात्मक उपाय कब नहीं किये जाते ? अथवा परिस्थिति में परिवर्तन कब नहीं किया जाता ? |
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Answer» स्थापित मापदण्डों के साथ तुलना करने के पश्चात्, प्राप्त हुये विचलन यदि सामान्य व स्वीकार्य हो तो सुधारात्मक उपाय नहीं किये जाते । अर्थात् परिस्थिति में परिवर्तन नहीं किया जाता । |
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धन्धा के अस्तित्व को जोखिम पहुँचानेवाले बाह्य परिबल कौन-कौन से है ? |
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Answer» धन्धा के अस्तित्व को जोखिम पहुँचानेवाले बाह्य परिबल जैसे कि सरकार की नीति, प्रतिस्पर्धा, तेजी, मन्दी, कच्चे माल की कमी, लोगों की अभिरुचि, फैशन में परिवर्तन इत्यादि होते है । |
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नियंत्रण को संचालन की कार्यक्षमता मापने का बेरोमीटर क्यों कहा जाता है ? |
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Answer» धंधाकीय इकाई में नियंत्रण का कार्य जितना निश्चित होता है उतनी ही संचालन की कार्यक्षमता अधिक । इसलिए नियंत्रण को संचालन की कार्यक्षमता मापने का बेरोमीटर कहा जाता है । |
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आयोजन में जो कार्यक्रम निर्मित किये जाते हैं, उनका अमल कितने व कौन-से परिबलों पर आधारित होता है ? |
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Answer» आयोजन में जो कार्यक्रम निर्मित किये जाते हैं, उनका अमल दो परिबलो पर आधारित होता है । जो कि
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क्रिया/कामगीरी का मापन (Measure work) कौन-कौन से प्रकार से हो सकता है ? |
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Answer» क्रिया का मापन निम्न प्रकार से हो सकता है । जिसमें
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