InterviewSolution
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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1. |
सफ़ेद फास्फोरस पर क्षार की अभिक्रिया से `` का बनना किसका उदहारण है ? |
| Answer» ऑक्सीकारक-अपचयन अभिक्रिया का । | |
| 2. |
निम्नलिखित में कौन ऑक्सीकारक है तथा कौन अपचायक है ? |
| Answer» चूँकि यहाँ `CI_(2)` का अपचयन हो रहा है, अतः `CI_(2)` ऑक्सीकारक अपचयन ? | |
| 3. |
निम्न में से कौन-स प्रजाति (species) विषम अनुपातं अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करेगी ?A. `CIO^(-)`B. `CIO_(2)^(-)`C. `CIO_(3)^(-)`D. `CIO_(4)^(-)` |
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Answer» Correct Answer - D विषम अभिक्रिया में यौगिक के एक तत्व एक साथ ऑक्सीकृत एवं अपचयित होता है, `CIO_(4)^(-)` में `CI` की अधिकतम आ सं `+7` है। अतः `CIO_(4)^(-)` ऑक्सीकृत नहीं होता है और यह विषम अभिक्रिया नहीं दर्शाता है । |
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| 4. |
सोडियम बाइकार्बेनेट पर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया को निम्नलिखित आयनिक समीकरण में प्रदर्शित किया जाता है- `HCO_(3)^(-)+H^(+) to H_(2)O+CO_(2)` इस अभिक्रिया को आण्विक समीकरण के रूप में लिखों। |
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Answer» उपरोक्त अभिक्रिया में प्रदर्शित आयनों के सांगत दर्शक आयनों को इन आयनों के पास लिखने से अभिकारकों की ओर (side) की अभिक्रिया निम्न प्रकार हो जाती है- `Na^(+)+HCO_(3)^(-)+H^(+)+CI^(-)` `Na^(+)` व `CI^(-)` आपस में मिलकर `NaCI` बना लेते है। अतः पूर्ण अभिक्रिया को आण्विक समीकरण के रूप के रूप में इस प्रकार लिखा जा सकता है- `NaHCO_(3)+HCI to NaCI+H_(2)O+CO_(2)` |
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| 5. |
कार्बनिक अभिक्रिया में तरल, अमोनिया में लिथियम धातु किस प्रकार का व्यवहार प्रदर्शित करती है ?A. ऑक्सीकारक के रूप मेंB. अपचायक के रूप मेंC. विरंजक के रूप मेंD. निर्जलिकारक के रूप में |
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Answer» Correct Answer - B तरल अमोनीय `LI` धातु में अमोनिकृत इलेक्ट्रान होते हिअ जो अपचायक के रूप में व्यवहार करते है । |
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| 6. |
`Br_(2) to BrO_(3)^(-)` परिवर्तन में Br की ऑक्सीकरण अवस्था बदलती है :A. `-1` से `+1` तकB. 0 से `-1` तकC. 0 से `+5` तकD. 0 से `-5` तक |
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Answer» Correct Answer - C `overset(0)(Br_(2)) to overset(-2)(BrO_(3)^(-))` माना `BrO_(3)^(-)` में `Br` की ऑक्सीकरण संख्या है । `:. a+3xx(-2)=-1` या `a=+5` अतः `Br` की ऑक्सीकरण संख्या शून्य से `+5` तक परिवर्तित होती है । |
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| 7. |
`S_(4)O_(6)^(2-)` में S परमाणुओं की ऑक्सीकरण अवस्था बायें से दायें क्रमशः होंगी : `O^(-)-underset(O)underset(||)overset(O)overset(||)S-S-S-overset(O)overset(||)underset(O)underset(||)S-O^(-)`A. `+6,0,0,+6`B. `+3,+1,+1,+3`C. `+5,0,0,+5`D. `+4,1+,1,+4` |
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Answer» Correct Answer - C `O^(-)-underset(O)underset(||)overset(O)overset(||)S-S-overset(O)overset(||)underset(O)underset(||)S-O^(-)` बायें परमाणु के लिये `a+2xxunderset((0"से"))((-2))+underset((-0 "से"))((-1))=0` `:. a=+5` अतः बायें से दायें `5,0,0+5` |
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| 8. |
एक द्विधात्विक यौगिक में एक धातु तथा एक अधातु है। किसकी ऑक्सीकरण संख्या धनात्मक होगी ? |
| Answer» Correct Answer - धातु की | |
| 9. |
हेमेटाइट तथा मैग्नेटाइट के अयस्क में धातु की ऑक्सीकरण अवस्था क्रमशः होगी :A. II, III हेमेटाइट में तथा III मैग्नेटाइटB. II, III हेमेटाइट में तथा II मैग्नेटाइट मेंC. II हेमेटाइट में तथा II,III मैग्नेटाइट मेंD. III हेमेटाइट में तथा II,III मैग्नेटाइट में |
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Answer» Correct Answer - D डेमेटाइट `Fe_(2)O_(3):2a+3xx(-2)=0 :. a=+3` मेनटाइट `Fe_(3)O_(4):` ( FeO तथा `Fe_(2)O_(3)` का मिश्रण) `:. FeO: a+(-2)=0 :. a=+2` |
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| 10. |
`Fe(CO)_(5)` में `Fe` की ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात करों | |
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Answer» माना Fe की आ सं a है `:. A+5xx(0)=0` अतः `a=0` |
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| 11. |
`Ni(CO)4` में `Ni` की ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात करों |
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Answer» माना Ni की आ सं a है `a+4xx(0)=0` अतः `a=0` (CO की आ सं शून्य होगी क्योंकि यह उदासीन अणु है।) |
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| 12. |
क्लोरीन की न्यूनतम ऑक्सीकरण संख्या तथा अधिकतम ऑक्सीकरण संख्या का एक-एक उदाहरण दो |
| Answer» न्यूनतम `NaCI` व `CaCI_(2)` में (-1) तथा अधिकतम `CI_(2)O_(7)(+7)` में | |
| 13. |
`K_(3)[Cu(CN)_(4)]` में `Cu` की ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात करों |
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Answer» माना Cu की आ सं a है `.3xxK` की आ सं `+Cu` की आ सं `+4xxCN^(-)` की आ सं=0 `3xx(+1)+a+4xx(-1)=0` अतः `a=+1` |
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| 14. |
P,S की I अधिकतम ऑक्सीकरण संख्या क्या होगी ? |
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Answer» ऑक्सीकरण संख्या = समूह संख्या `:. P=+5 S=+6: I=+7` |
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| 15. |
`K_(2)MnO_(4) ` में `Mn` की ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात करो । |
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Answer» माना Mn की आ सं a है `:. 2xx(K` की आ सं) `+a+4xx(O` की आ सं) =0 `2xx(+1)+a+4xx(-2)=0` `2+a-8=0` अतः `a=+6` |
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| 16. |
निम्नलिखित यौगिक में `Mn` की ऑक्सीकरण संख्या है ? ` MnO_(2)` |
| Answer» `underset(+7)(KMnO_(4)), underset(+6)(K_(2), MnO), underset(+2)(MnO), underset(+4)MnO_(2)` तथा `underset(+3)(Mn_(2)O_(3))` | |
| 17. |
निम्नलिखित यौगिकों के सूत्र लिखिए- (क) मरक्युरी (II) क्लोराइड `" "` (ख) निकोल (II) सल्फेट (ग) टिन (IV) ऑक्साइड `" "` (घ) थैलीम (I) सल्फेट (ड) आयरन (III) `" "` सल्फेट (च) क्रोमियम (III) ऑक्साइड |
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Answer» (क)`HgCI_(2) " "` खा `NiSO_(4) " "` (ग) `SnO_(2)` (घ) `TI_(2)SO_(4)" "` (ड) `Fe_(3)(SO_(4))_(3)` (च) `Cr_(2)O_(3)` |
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| 18. |
`KMnO_(4), K_(2)MnO_(4), MnO_(2), MnO_(3)` यौगिकों में `Mn` की न्यूनतम ऑक्सीकारक संख्या किसमे है ? |
| Answer» `Mn_(2)O_(3)(+3)` में | |
| 19. |
निम्नलिखित अभिक्रिया में ऑक्सीकारक-अपचायक छाँटिए । `NaH+H_(2)O rarr NaOH+H_(2)` |
| Answer» ऑक्सीकारक `-H_(2)O,` अपचायक -NaH | |
| 20. |
निम्नलिखित अभिक्रिया में ऑक्सीकारक छाँटिए- `H_(2)O_(2)+O_(3) to H_(2)O+ 2O_(2)` |
| Answer» `O_(3)` (क्योकिं परिवर्तन में इसकी आ सं 0 से -`2` हो जाती है, अतः यह ऑक्सीकारक है।) यह अभिक्रिया पास्परिक अपचयन का उदाहरण है। | |
| 21. |
प्रत्येक ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रिया में ऑक्सीकरण तथा अपचयन क्रियाएँ साथ-साथ होती है। समझाइए। |
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Answer» अभिकारकों में कोई अपचायक,ऑक्सीकृत होकर इलेक्ट्रान त्यागता है, जिन्हे ऑक्सीकरण ग्रहण कर अपचयित होता है, अतः ऑक्सीकरण अपचयन एक-दूसरे की पूरक अभिरकियाएँ है । `Zn to Zn^(2+)+2` (ऑक्सीकरण अभिक्रिया) `Cu^(2+)+2e to Cu` (अपचयन अभिक्रिया) `overline(Zn+Cu^(2+) to Zn^(2+)Cu)` (रेडॉक्स अभिक्रिया) |
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| 22. |
फ्लुओरइन (F) की ऑक्सीकरण संख्या सदैव - होती है, क्यों ? |
| Answer» क्योकि यह सर्वाधिक विधुत-ऋणात्मक तत्व है, अतः इसकी ऑक्सीकरण सांख्य सदैव ऋणतात्मक होगी तथा न्यूनतम ऑक्सीकरण संख्या = समूह संख्या `-8=-1` | |
| 23. |
`SO_(2)` अम्लीय माध्यम की तुलना में क्षारीय माध्यम में प्रबल अपचायक है, क्यों ? |
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Answer» `SO_(2)` जल के साथ अपचयक गुण निम्न अभिक्रिया द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। `SO_(2)+2H_(2)O to SO_(4)^(-2)+4H^(+)2e` अम्लीय माद्यम में यह अभिक्रिया कम होगी तथा क्षारीय माध्यम में अधिक (ला-शातेलिये के नियमानुसार) |
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| 24. |
अभिक्रिया देते हुए सिद्ध कीजिये की हैलोजनों में फ्लुओरइन श्रेष्ठ ऑक्सीकारक तथा हाईड्रोहेलिक अम्लों में हाइड्रोआयोडिक अम्ल श्रेष्ठ अपचाया है। |
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Answer» (i) हेलोजन में इलेक्ट्रान ग्रहण करने की प्रबल होती है। इसलिए ये परगबल ऑक्सीकारक होते है, इनकी ऑक्सीकारक क्षमताओं का घटता हुआ क्रम `F_(2)gtCI_(2)gtBr_(2)gtI_(2)` है। `F_(2)` प्रबल ऑक्सीकारक है, यह `CI^(-),Br^(-)` तथा `I^(-)` आयनों का ऑक्सीकरण कर देती है । जबकि `CI_(2),Br^(-)` तथा `I^(-)` आयनों का तथा `Br` केवल `I^(-)` आयन का ही ऑक्सीकरण करती है। `I_(2)` इनमे से किसी का भी ऑक्सीकरण नहीं कर पाती । `{:(2CI^(-)+F_(2) to 2F^(-)+CI_(2)),(2Br^(-)+F_(2) to 2F^(-)+Br_(2)),(2I^(-)+F_(2) to 2F^(-)+I_(2)),(2Br^(-)+CI_(2) to 2CI^(-)+Br_(2)),(2I^(-)+CI_(3) to 2CI^(-)+I_(2)),(2I^(-)+Br_(2) to 2Br^(-)+I_(2)):}` हाईड्रोहेलिक (हेलोजन) अम्लों (HX) में `HI` सबसे प्रबल अपचायक है। इनकी अपचायक की क्षमता का घटता क्रम `HI lt HBr lt HCI lt HF` है। `H_(2)SO_(4)` को `HI` तथा `HBr,SO_(2)` में अपचयित कर देते है, जबकि `HCI` तथा `HF` ऐसे नहीं करते । `H_(2)SO_(4)+2HI to SO_(2)+I_(2)+2H_(2)O` `H_(2)SO_(4)+2HBr to SO_(2)+Br_(2)+2H_(2)O` इसी प्रकार `I^(-),Cu^(2+)` को `Cu^(+)` में अपचयित कर देता है परन्तु `Br^(-)` नहीं करता `2Cu^(2+)+4I^(-) to Cu_(2)I_(2)+I_(2)` HCI तथा `HF` में , `HCI` प्रबल अपचायक है, क्योंकिं यह `MnO_(2)` का `Mn^(2+)` में अपचयन कर देता है, परन्तु `Hf` ऐसे नहीं करता। `MnO_(2)+4HCI to MnCI_(2)+CI(2)+2H_(2)O` अतः HI हाईड्रोहेलिक अम्लों में प्रबलतम अपचायक है। |
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| 25. |
इन प्रेक्षणों की अनुकूलता को कैसे समझायेंगे ? (क) यधपि क्षारीय पोटैशियम परमेगनेट तथा अम्लीय पोटैशियम परमेगनेट दोनों ही ऑक्सीकारक है। फिर भी टॉलूइन से बेन्जोइक अम्ल बनाने के लिए हम एलकोहॉल पोटैशियम परमेमेन्ट का प्रयोग ऑक्सीकारक के रूप में क्यों करते है ? इस अभिक्रिया के लिए सन्तुलित अपचयोपचय समीकरण दीजिए। (ख) क्लोराइडयुक्त अकार्बनिक यौगिक में सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल डालने पर हमे परीक्षण गन्ध वाली `` गैस प्राप्त होती, है। परन्तु यदि मिश्रण में ब्रोमाइड उपस्थित हो, तो हम ब्रोमीन की लाला वाष्प प्राप्त होती है, क्यों ? |
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Answer» (क) जब क्षारीय/अम्लीय `KMnO_(4)` द्वारा टॉलूइन का ऑक्सीकरण करते है, तो इसे नियन्त्रित करने में बड़ी कठिनाई होती होती, क्योकि अभिक्राएँ विषमांगी की तुलना में संगामी माध्य में त्रिव्रता से होती है। इसीलिए एलकोहॉलिक `KMnO_(4)` का प्रयोग किया जाता है, अतः एलकोहॉल दो अभिकारकों को मिलाने में सहायक होता है । `C_(6)H_(5)CH_(3)+underset(("ऐलकोहॉलिक"))overset(+7)(2MnO_(4)) to overset(+4)(2MnO_(2)) +2KOH+C_(6)H_(5)COOH` (ख) जब क्लोराइडयुक्त अकार्बिनक यौगिक में सान्द्र `H_(2)SO_(4)` डालते है तो प्रबल अम्ल मिश्रण से दुर्लब अम्ल को विस्थापित कर देता है। `2NaCI(s)+2H_(2)SO_(4)(l) to 2NaHSO_(4)+2HCI` `2HCI+H_(2)SO_(4) to SO_(2)2H_(2)O+CI_(2)` अतः `HCI` एक दुर्लब अपचायक है। यह `H_(2)SO_(4)` को `SO_(2)` में अपचयित है कर सकता, और न ही यह `CI_(2)` को ऑक्सीकृत कर सकता है। जब मिश्रण में ब्रोमाइड आयन उपस्थित हो तो प्रारम्भ में `HBr` बनता है, जो प्रबल अपचायक है। यह `H_(2)SO_(4)` को `SO_(2)` में अपचयित कर देता है और स्वय `Br_(2)` में ऑक्सीकृत होकर लाला वाष्प देता है। `2NaBr+2H_(2)+SO_(4) to 2NaHSO_(4)+ 2HBr` `2HBr+H_(2)SO_(4) to SO_(2)+2H_(2)O+underset("लाल वाष्प")(Br_(2)(g))` |
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| 26. |
मोहर लवण तथा पोटैशियम परमेगनेट के साथ अभिक्रिया देते हुए बताइए की इस अभिक्रिया में कौन-सा पदार्थ ऑक्सीकारक तथा कौन-सा अपचायक है ? |
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Answer» अम्लीय माध्यम में फेरस अमोनियम सल्फेट अपचायक गुण दिखता है तथा अम्लीय `KMnO_(4)` प्रबल ऑक्सीकारकों द्वारा फेरिक सल्फेट में अपचयित हो जाता है। `2KMnO_(4)+10FeSO_(4)+8H_(2)SO_(4) to K_(2) SO_(4) +5Fe(SO_(4))_(3) +2 MnSO_(4) +8H_(2)O` |
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| 27. |
जंग लगना किस प्रकार की अभिक्रिया है ? |
| Answer» Correct Answer - रेडॉक्स अभिक्रिया | |
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उन यौगिकों के नाम लिखों जिनमे- नाइट्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या `-3` से `+5` तक हो। |
| Answer» `overset(3)(NH_(3)),overset(2)(NH_(2)).NH_(2),overset(1)(NH_(2)).OH,overset(0)(N_(2)),overset(+1)(N_(2))O,overset(+2)(NO),overset(+3)(HNO_(2)),overset(+4)(NO_(2)),overset(+5)(NO_(2) O_(5))` | |
| 29. |
निम्नलिखित अभिक्रिया क्यों होती है? `XeO_(6)^(4-)(aq)+2F^(-)(aq)+6H^(+)(aq) to XeO_(3)(g)+F_(2)(g)+3H_(2)O(l)` यौगिक `Na_(4)XeO_(6)` (जिसका एक भाग `XeO_(6)^(4-)` है) के बारे में आप इस अभिक्रिया में क्या निष्कर्ष निकाल सकते है? |
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Answer» `overset(+8)(XeO_(6)^(4-))(aq)+overset(-1)(2F^(-))(aq)+6H^(+) (aq) to overset(+6)(HeO_(3)(g))+overset(0)(F_(2)(g))+3H_(2)O(l)` अभिक्रिया में `Xe` की ऑक्सीकरण संख्या `+8(XeO_(6)^(4-)` में) से घटकर `+(XeO_(3)` में) हो जाती है, जबकि `F` की ऑक्सीकरण संख्य्या `-1(F^(-)` में) से बढ़कर शून्य `(F_(2)` में) होती है। अतः `XeO_(6)^(4-)` अपचयित होता है तथा `F^(-)` ऑक्सीकृत हो जाता है। |
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| 30. |
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में से कौन-सी ऑक्सीकरण अभिक्रिया है तथा कौन-सी अपचयन अभिक्रिया है ? (i) `P_(2)O_(5) to H_(4)P_(2)O_(7)` (ii) `CI_(2) to CI^(-) +CIO_(3)^(-)` (iii) `Na to NaOH` |
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Answer» `overset(+5)(P_(2)O_(5)) to overset(+5)(H_(4)P_(2)O_(7))` चूँकि ऑक्सीकरण संख्या में परिवर्तन नहीं हो रहा है, अतः यह ऑक्सीकरण -अपचयन अभिक्रिया नहीं है । (ii) `overset(0)CI_(2)to overset(-1) (CI^(-))+overset(+5) (CIO_(3)^(-))` चूँकि ऑक्सीकरण में `CI_(2)` ऑक्सीकरण व अपचयन दोनों हो रहें है अतः यह असमानुपातन रेडॉक्स (disproportionation reaction) है। (iii) `overset(0)Nato overset(+1) (NaOH)` यह ऑक्सीकरण अभिक्रिया है । |
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| 31. |
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में ऑक्सीकारक और अपचयक की पहचान करो । साथ ही बताइये की ये किस प्रकृति की ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रयाएँ है। (i) `MnO_(2)+4HCI to MnCI_(2)+2H_(2)O+CI_(2)` `(ii) 2FeCI_(3)+SnCI_(2) to 2FeCI_(2) to SnCI_(4)` (iii) `CI_(2) +2NaOH to NaCI+ NaCIO+ H_(2)O` (iv) `O_(3)+H_(2)I_(2) to H_(2) O+2O_(2)` (v) `CaOCI_(2)+CO_(2) to CaCO_(3)+CI_(2)` |
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Answer» दी हुई समीकरण में जिन परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्याएं परिवर्तित होती है उन्हें छाँटिए व ऑक्सीकरण संख्याएँ दर्शाते हुए आयनिक-समीकरण के रूप में लिखिये- `(i) Mn^(4+)+CI^(-) to Mn^(2+)+CI_(2)^(0)` सांगत ऑक्सीकारक-अपचायक युग्म `Mn^(4+)` व `Mn^(2+)` है, अतः अधिक ऑक्सीकरण संख्या रखने वाला `Mn^(4+)` (या `MnO_(2)`) ऑक्सीकारक है। साथ ही दूसरे सांगत ऑक्सीकारक-अपचायक युग्म में `CI^(-0)` व `CI^(0)` में कम ऑक्सीकरण संख्या रखे वाला `CI^(-)` है अतः `CI^(-)` ( या `HCI`) अपचायक है। यह अभिक्रिया अन्तराणु रेडॉक्स (intermolecular redox) अभिक्रिया है। इसी पक्रार अन्य खण्डों को भी हल करे। `underset(("ऑक्सीकारक"))(Fe^(3+))+underset(("अपचायक"))(Sn^(2+)to Fe^(2+)) +Sn^(4+)` यह भी अन्तराणुक रेडॉक्स अभिक्रिया है। (iii) `CI_(0)^(0) to CI^(-)+CI^(+)` यहां `CI_(2)` ही ऑक्सीकारक व अपचायक दोनों है तथा अतः स्वतः रेडॉक्स (auto redox or disproportionation ) और अभिक्रिया है। (iv) `O_(3)^(0)+O_(3)^(2-) to O^(2-) +2O_(2)^(0)` उपरोक्त अभिक्रिया में `O_(3)` व `H_(2)O_(2)` दोनों का ही पारस्परिक अपचयन (mutual reduction) होता है तथा दोनों ही अपचायक है। (v) `OCI^(-)+CI^(-) to CI_(2)^(0)` `CaOCI_(2)` ही अपचायक व ऑक्सीकारक है तथा यह अभिक्रिया स्वतः रेडॉक्स (auto redox) अभिक्रिया है। |
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| 32. |
दो यौगिकों के नाम लिखिए जो ऑक्सीकारक व अपचायक दोनों की तरह व्यवहार करते है । |
| Answer» `HNO_(2)` तथा `H_(2)O_(2)` | |
| 33. |
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में एक ही अपचायक थायोसल्फेट, आयोडीन तथा ब्रोमीन से अलग-अलग प्रकार से अभिक्रिया करो करता है? `2SO_(2)O_(3)^(2-)(aq)+I_(2)(s) to S_(4) O_(6)^(2-)(aq)+2I^(-)(aq)` `S_(2)O_(3)^(2-)(aq)+2Br_(2)(l)+5H_(2)O(l) to 2SO_(4)^(2-)(aq)+4Br^(-)(aq)+10H^(+)(aq)` |
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Answer» `2overset(+2)(S_(2))O_(3)^(2-)(aq)+I_(2)(s) to overset(+5//2)(S_(4))O_(6)^(2-)+2I^(-)` `overset(+2)(S_(2))O_(3)^(2-)(aq)+2Br_(1)(l)+5H_(2)O(l) to 2overset(+6)O_(4)^(2-)(aq)+4Br^(-)(aq)+10H^(+)(aq)` `I_(2)` एक दुर्लब ऑक्सीकारक की भाँती व्यवहार करता है और यह `S_(2)O_(3)^(2-)` (ऑक्सीकरण संख्या `=+2` ) को `SO_(4)^(2-)` (ऑक्सीकरण संख्या `+6` ) में ऑक्सीकृत कर देता है, जिससे s उच्च समीकरण अवस्था में है। इसलिए थायोसल्फेट आयन `I_(2)` तथा `Br_(2)` से अलग-अलग प्रकार से अभिक्रिया करता है। |
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| 34. |
उस गैल्वेनी सेल को चित्रित कीजिए जिसमे निम्नलिखित अभिक्रिया होती है- `Zn(s)+2Ag^(+)(aq) to Zn^(2+)(aq)+2Ag(s)` अब बताइए की- (क) कौन सा इलेक्ट्रोड ऋणावेशित है ? (ख) सेल में विधुत धरा के वाहक कौन है ? (ग) प्रत्येक इलेक्ट्रोड पर होने वाली अभिक्रियाएँ क्या है ? |
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Answer» `Zn(s)+2Ag^(+)(aq) to Zn^(2+)(aq)+2Ag(s)` (क) जिक इलेक्ट्रोड ऋणावेशित (ऐनोड) है। (ख) ब्राह्म परिपथ में धारा के वाहक इलेक्ट्रान है जिसका प्रवाह से Ag इलेक्ट्रोड की ओर होता है । (ग) ऐनोड पर- `Zn(s) to Zn^(2+)(aq)+2e^(-)` कैथोड पर- `2Ag^(+)(aq)+2e^(-) to 2Ag(s)` |
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| 35. |
निम्न अभिक्रिया में ओजोन किस अभिक्रिया में ऑक्सीकारक व किसमे अपचायक का कार्य करती है ? (i) `PbS+4O_(3) to PbSO_(4) +4O_(2)` (ii) `H_(2) O_(2) +O_(3) to H_(2) O+ 2O_(2)` |
| Answer» प्रथम अभिक्रिया में S ऑक्सीकरण `(S^(2-) to S^(6+)+8e)` हो रहा है अतः `O_(3)` ऑक्सीकारक है । द्वितीय अभिक्रिया में पारस्परिक अपचयन हो रहा है । | |
| 36. |
`H_(2)O_(2)` में ऑक्सीकरण व अपचायक दोनों की तरह कार्य करता है, क्यों ? या उदाहरण देकर समझाइये की कुछ पदार्थ ऑक्सीकरण तथा अपचायक दोनों के ही गुण रखते है । |
| Answer» `H_(2)O_(2)` में O की ऑक्सीकरण संख्या -1 है। अतः इसका ऑक्सीकरण व अपचयन दोनों ही हो सकते है, अतः यह ऑक्सीकरण व अपचायक दोनों हो सकते है अतः यह ऑक्सीकरक व अपचायक दोनों की तरह कार्य करता है । | |
| 37. |
निम्लिखित यौगिकों के रेखांकित तत्वों की ऑक्सीकरण संख्या क्या है तथा इन परनामों लो आप कैसे प्राप्त करते है? (क) `KunderlineI_(3) " "` (ख)`H_(2)underlineS_(4)O_(6) " "` (ग) `underline(Fe)_(3)O_(4)` (घ) `underlineCH_(3)underlineCH_(2)OH" "` (ड) `underlineCH_(3)underlineCOOH` |
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Answer» (क) `KI_(3)` में K की ऑक्सीकृत सांख्य `+1` है। `overset(+1)Koverset(a)(I_(3))` `+1+3xx(a)=0` `:. A=-(1)/(3)` या `KI_(3),KI+I_(2)` है अतः I की दो ऑक्सीकरण संख्या क्रमशः `-1` तथा `0` है। `:.` औसत ऑक्सीकरण संख्या `=(1xx(-1)+2(0))/(3)=-(1)/(3)` (ख)`overset(+1)(H_(2))overset(a)(S_(4))overset(-2)(O_(6))` `2xx(+1)+4xx(a)+6xx(-2)=0` या `a=(5)/(2)` किसी तत्व की ऑक्सीकरण सांख्य प्रभाजी नहीं हो सकती। `H-O -underset(O)underset(||)overset(O)overset(||)S-S-S-overset(O)overset(||)underset(O)underset(||)S-OH` मध्य में दो S- परमाणु परस्पर एक-दूसरे से जुड़े है, अतः इनकी ऑक्सीकॉन संख्या शून्य है, जबकि शेष दो S-परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या `+5` है। (ग) `overset(a)(Fe_(3))overset(-2)(O_(4))` `3xx(a)+4xx(-2)=+(8)/(3)` या `Fe_(3)O_(4)` दो ऑक्साइडों `FeO*Fe_(2)O_(3)` का मिश्रित ऑक्साइड है। `Fe` की दो अलग-अलग `+2` तथा `+3` ऑक्सीकरण संख्याएँ है। `Fe_(3)O_(4)` में `Fe` के दो औसत मान (+2तथा+3 ) है। औसत ऑक्सीकरण संख्या `=(+2+2xx(+3))/(3)=+(8)/(3)` (घ) `overset(+3)Coverset(+1)(H_(3))overset(a)Coverset(+1)(H_(2))overset(-2)Ooverset(+1)H` `a+[3xxa(+1)]+a[2xx(+1)]+(-2)+(+1)=0` `2a=-4` ltrbgt `a=-2` `overset(+1)H-underset(""^(+1)H)underset(|)overset(+1)overset(H)overset(|)(""^(-3)C)-underset(""^(+1)H)underset(|)overset(+1)overset(H)overset(|)(""^(-1)C)-overset(-2)O-overset(+)(H)` बायीं ओर C-परमाणु -3H- परमाणुओं से जुड़ा है, जिनकी विधुत-ऋणात्मकता C-परमाणु से कम है तथा दायी ओर से `CH_(2)OH` समूह (ऑक्सीकरण सांख्य-1) से जुड़ा, है इसकी विधु-ऋणात्मकता स-परमाणु से अधिक है। अतः इस C के लिये `3xx(+1)+a+(-1)=0` `a=-2` संरचना में , एक ओर C-परमाणु `-CH_(3)` समूह (ऑक्सीकरण संख्या `+1`) तथा सुसरै ओर `-OH` समूह (ऑक्सीकरण संख्या-1) से जुड़ा है। अतः इस C के लिये, `(+1)a+[2xx(+1)]+(-1)=0` `a=-2` C-परमाणुओं की औसत ऑक्सीकरण संख्या `=(-3+(-1))/(2)=-2` (ड)`overset(a)Coverset(+1)(H_(3))overset(a)Coverset(-2)Ooverset(-2)Ooverset(+1)H` `a[+3xx(+1)]+a+(-2)+(-2)+1=0` `a=0` `overset(+1)H-underset(H""^(+1))underset(|)overset(+1)overset(H)overset(|)(C""^(+3))-overset(-2)overset(O)overset(||)(C^(+3))-overset(-2)O-overset(+1)H` C-परमाणु की औसत ऑक्सीकरण संख्या `=(-3+3)/(2)=0` |
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| 38. |
निम्नलिखित में कौन ऑक्सीकारक है तथा कौन अपचायक है ? `2I^(-)+H_(2)O_(2) to 2OH^(-)+I_(2)` |
| Answer» यहाँ `I^(-)` का ऑक्सीकरण हो रहा है, अतः यह अपचायक है जबकि `H_(2)O_(2)` ऑक्सीकारक है । | |
| 39. |
निम्लिखित में से कौन-सी अभिक्रिया में `H_(2)O_(2)` अपचायक के सामान कार्य करता है ?A. `SO_(2)+H_(2)O_(2) to H_(2)SO_(4)`B. `2KI+H_(2)O_(2) to 2KOH+I_(2)`C. `PbS+4H_(2)O_(2) to PbSO_(4) +4H_(2)O`D. `Ag_(2)O+H_(2)O_(2) to 2Ag+H_(2)O+O_(2)` |
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Answer» Correct Answer - D अपचायक प्रकृति `Ag_(2)O+H_(2) to 2Ag+H_(2)O+O_(2)` |
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| 40. |
निम्लिखित में से प्रत्येक के विधुत-अपघटन से प्राप्त उत्पादों के नाम बताइए- (क) सिल्वर इलेक्ट्रोड के साथ `gNO_(3)` का जलीय विलयन (ख) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ `AgNO_(3)` का जलीय विलयन (ग) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ `H_(2)SO_(4)` का तनु विलयन (घ) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ `CuCI_(2)` का जलीय विलयन |
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Answer» (क) सिल्वर इलेक्ट्रोड के साथ `AgNO_(3)` के जलीय विलयन का विधुत-अपघटन करने पर, `Ag` ऐनोड से `Ag` घुलकर `Ag^(+)` आयन देता है। जबकि कैथोड पर `Ag` प्राप्त होती है । (ख) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ `AgNO_(3)` के जलीय विलयन का विधुत-अपघटना करने पर, विलयन से `Ag^(+)` कैथोड पर जमा जो जाते है तथा ऐनोड पर `O_(2)` निकलती है। (ग) प्लैटिनम एलेक्ट्रोड के साथ `H_(2)SO_(4)` का विधुत-अपघटन करने पर, केवल `H_(2)O` का विधुत-अपघटन होता, अतः कैथोड पर `H_(2)` तथा ऐनोड पर `O_(2)` प्राप्त होती है। `H_(2)SO_(4)(aq) to 2H^(+)(aq)+SO_(4)^(2-)(aq)` `H_(2)O hArr H^(+)(aq)+OH^(-)(aq)` कैथोड पर, `H^(+)+e to H` `H+H to H_(2)(g)` ऐनोड पर `OH^(-) to OH+e` `4OH to 2H_(2)O+O_(2)(g)` (घ) प्लैटिनम इलेक्ट्रोड के साथ `CuCI_(2)` का विधुत-अपघटन करने पर, कैथोड पर `Cu` धातु जमा हो जाती है, तथा ऐनोड पर `CI_(2)` गैस प्राप्त होती है । `CuCI_(2)(s)+(s)aq. to Cu^(2+)(aq)+2CI^(-)+2CI^(-)(aq)` कैथोड पर, `Cu^(2+)+2e to Cu` ऐनोड पर `Cu^(-) to CI+e` `CI+ CI to CI_(2)(g)` |
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| 41. |
निम्लिखित अभिक्रिया में आप कौन-सी सूचनाएं प्राप्त कर सकते है? `(CN)_(2)(g)+2OH^(-)(aq)to CN^(-)(aq)+CNO^(-)(aq)+H_(2)O(l)1` |
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Answer» (i) `(CN)_(2)` इस अभिक्रिया में `CN^(-)` आयन में अपचयित तथा `CNO^(-)` आयन में ऑक्सीकृत होता है। अतः यह एक असमानुपातन (disproportionation) अभिक्रिया है। (ii) यह अभिक्रिया क्षारीय माध्य में हो रही है। (ii) `(CN)_(2)` में न की ऑक्सीकरण संख्या `-3` से `CN^(-)` में `-2` तक बढ़ती है तथा `CNO^(-)` में `-5` तक घटती है। (iv) यह अभिक्रिया एक रेडॉक्स अभिक्रिया का उदाहरण है। |
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| 42. |
निम्न समीकरण को क्षारीय माध्य में आयन-इलेक्ट्रान विधि से संतुलित कीजिए। `Fe+N_(2)H_(4) overset(OH^(-))rAr Fe(OH)_(2)+NH_(3)` |
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Answer» (1) सबसे पहले ऑक्सीकरण व अपचयन अर्द्ध-अभिक्रयाएँ लिखते है। `Fe to Fe^(2+)+2e^(-)` `2e^(-)+(N^(2-))_(2) to 2N^(3-)` (2) दोनों अभिक्रियाओं में एलेक्ट्रॉनों की संख्या सामान है, अतः इन दोनों को जोड़ने पर- `Fe+(N^(2-))_(2) to Fe^(2+)+2N^(3-)` (3) या `Fe+N_(2)H_(4) to Fe(OH)_(2)+2NH_(3)` (4) इस प्रकार प्राप्त समी बायीं ओर जितने O परमाणु अधिक है, उतने ही `H_(2)O` जोड़ते है तथा दूसरी ओर दोगुने `OH^(-)` जोड़ते है । `Fe+N_(2)H_(4)+4OH^(-)+4H^(+) to Fe(OH)_(2)+2NH_(3)+2H_(2)O` अथवा `Fe+N_(2)H_(2)+4NH_(2)O to Fe(OH)_(2) +2NH_(3)+2H_(2)O` अथवा `Fe+N_(2)H_(4)+2H_(2) O to Fe(OH)_(2)+H_(2)O` |
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| 43. |
निम्नलिखित अभिक्रिया को आयन-इलेक्ट्रान विधि द्वारा सन्तुलित कीजिए- `CI_(2)+OH^(-) to CI^(-)+CIO_(3)^(-)+H_(2)O` |
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Answer» `CI_(2)+2e^(-) to 2CI^(-)` (अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया) `CI_(2) to 2CI^(5+)+10e^(-)` (ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया) (2)`({:((CI_(2)+2e^(-) to 2CI^(-))xx5),((CI_(2) to 2CI^(5+)+10e^(-))):})/(6CI_(2) to 2CI^(5+)+10CI^(-))` (3) `6CI_(2) to 2CIO_(3)^(-)+10CI^(-)` (4) दोनों ओर `CI` परमाणु संतुलित है। चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है अतः O को `OH^(-)` तथा `H_(2)O` द्वारा संचालित करने पर- `6CI_(2)+12OH^(-) to 2CIO_(3)^(-) +10CI^(-)+6H_(2)O` अथवा `3CI_(2)+6OH^(-) to CIO_(3)^(-)+5CI^(-)+3H_(2)O` |
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| 44. |
निम्नलिखित समीकरण को आयन-इलेक्ट्रान विधि से सन्तुलित कीजिए- `MnO_(2) to MnCI_(2) + CI_(2) H_(2)O` |
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Answer» (1) सबसे पहले ऑक्सीकरण व अपचयन अर्द्ध-अभिक्रयाएँ छाँटते है। `Mn^(4+)+2e^(-) to Mn^(2+)` (अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया) `2CI^(-) to CI_(2) +2e^(-)` (ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया) (2) दोनों अभिक्रियाओं में एलेक्ट्रॉन बराबर है अतः दोनों जोड़ने पर `Mn^(4+)+2CI^(-) to Mn^(2+)+CI_(2)` (3) संगत अवयव सहित लिखने पर- `MnO_(2)+2HCI to MnCI_(2) +CI_(2)` (4) यहाँ पर अभी `CI` आयन सन्तुलित नहीं है अतः उसे सन्तुलित करने पर- `MnO_(2) +4HCI to MnCI_(2)+CI_(2)+2H_(2)O` |
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| 45. |
निम्नलिखित समीकरणों को आयन-इलेक्ट्रान विधि से संतुलित कीजिए- (a) `Fe^(2+)+H_(2)O_(2) to Fe^(3+)+H_(2)O` (अम्लीय माध्य में) (b) `MnO_(4)^(-)+SO_(3)^(2-) to SO_(4)^(2-)+Mn^(2+)` (अम्लीय माध्य में) |
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Answer» (a) `2Fe^(2+)+H_(2)O_(2)+2H^(+) to 2Fe^(3+)+2H_(2)O` (b) `2MnO_(4)^(-)+5SO_(3)^(-2)+6H^(+) to 4SO_(4)^(2-)+2Mn^(2+)+3H_(2)O` |
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| 46. |
निम्न समीकाण को उदासीन माध्यम में आयन -इलेक्ट्रान विधि से सन्तुलित कीजिए । `H_(2)C_(2)O_(4) + KMnO_(4) to CO_(2)+K_(2)O+ MnO+H_(2)O` |
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Answer» (i) सबसे पहले ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया तथा अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया को छाँटिए है। `(C^(3+))_(2) to 2C^(4+)+2e^(-)` `5e^(-)+Mn^(7+) to Mn^(2+)` (2) इसके पश्चात दोनों अर्द्ध -अभिक्रियाओं में इलेक्ट्रान की संख्या को बराबर करके जोड़ लेते है। `({:([(C^(3+))_(2) to 2C^(4+)+2e^(-)]xx5),((5e^(-)+Mn^(7+) to Mn^(2+))xx2):})/(5(C^(3+))_(2)+2Mn^(7+) to 10C^(4+)+2Mn^(2+))` (3) सन्तुलित आयनिक अभिक्रिया के आयनों के सांगत अवयवों को अभिक्रिया में लिखते है। `5H_(2)C_(2)O+ 2KMnO_(4) to 10CO_(2)+2MnO` (4) इस प्रकार अभिक्रिया में `` ऑक्सीकारक तथा अपचायक परमाणुओं को छोड़कर यदि कोई अन्य आयन असंतुलित हो तो उसे सनतुलित करते है। समीकरण जो जायेगी । `5H_(2)C_(2)O_(4)+2KMnO_(4) to10CO_(2)+2Mn+K_(2)O+5H_(2)O` |
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| 47. |
निम्नलिखित अभिकर्ताओं के समीकरणों को आयन इलेक्ट्रान तथा ऑक्सीकरण-संख्या विधि (क्षारीय माध्य में) द्वारा सन्तुलित कीजिए तथा इनमे ऑक्सीकरण और अपचायकों की पहचान कीजिए- (क) `P_(4)(s)+OH^(-)(aq) to PH_(3)(g) +HPO_(2)^(-)(aq)` (ख) `N_(2)H(l)+CIO_(3)^(-)(aq) to NO(g)+CI^(-)(g)` (ग) `CI_(2)O_(7)(g)+H_(2)O_(2)(aq) to CIO_(2)^(-)(aq)+O_(2)(g)+H^(+)` |
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Answer» (क) `overset(0)(P_(4))+overset(-2)(O)overset(+1)(H^(-))(aq) to overset(-3)Poverset(+1)(H_(3))(g) +overset(+1)(H_(2))overset(+1)(P)overset(-2)(O_(2)^(-2))(aq)` (i) सबसे पहले ऑक्सीकरण तथा अपचयन की अर्द्ध-अभिक्रिया लिखते है- `overset(0)(P_(4)) to H_(2) overset(+1)PO_(2)^(-)` (ऑक्सीकरण) `overset(0)(P_(4)) to overset(-3)PH_(3)` (अपचयन) (ii) ऑक्सीकरण तथा अपचयन अर्द्ध-अभिक्रियाओं को सन्तुलित करते है- `P_(4) to 4H_(2)PO_(2)^(-) +4e` अब O- परमाणु को `` आयन द्वारा सन्तुलित करते है, जितने O- परमाणु कम है उतने ही `OH^(-)` बायीं ओर जोड़कर सन्तुलित करते है। `P_(4)+8OH^(-) to 4H_(2)PO_(2)^(-) +4e` `P_(4)+12e to PH_()3)` अब H - परमाणु को `H_(2)O` द्वारा सन्तुलित करते है, तथा जितने `H_(2)O` बायीं ओर जोड़े है उतने ही `OH^(-)` दायी ओर जोड़ते है। `P_(4)+12e+12H_(2)O to 4PH_(3)+12OH^(-)` (iii) अब दोनों अर्द्ध-अभिक्रयाओं को एलेक्ट्रॉनों की संख्या बराबर करके जोड़ने पर, `({:(P_(4)+12e+12H_(2)O, to 4PH_(3)+12OH^(-)),(P_(4)+8OH^(-),to 4H_(2)PO_(2)^(-)+4exx3):})/(4P_(4)+12H_(2)O+12OH^(-)to 4PH_(3)+12H_(2)PO_(2)^(-))` या `P_(4)+3H_(2)O+3OH^(-) to PH_(3)+3H_(3)PO_(2)^(-)` इस अभिक्रिया में `P_(4)` ऑक्सीकृत भी है तथा अपचायक भी । यह अपचयित होकर `PH_(3)` तथा ऑक्सीकृत होकर `H_(2)PO_(2)^(-)` देता है । नोट-ऑक्सीकरण संख्या विदी से स्वयं हल करें। (ख) `overset(-2)(N_(2))overset(+1)(H_(4))(l)+overset(+5)(CI)overset(-2)(O_(3)^(-))(aq) to overset(+2)(N)overset(-2)(O)(g)+overset(-1)(CI^(-))(g)` (i) सबसे पहले ऑक्सीकरण तथा अपचयन की कोई अर्द्ध-अभिक्रिया लिखते है- `N_(2)H_(4) to NO` (ऑक्सीकरण) `CIO_(3)^(-) to CI^(-)` (अपचयन) (ii) ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रियाओं को सन्तुलित करते है- `N_(2)H_(4) to 2NO+8e` अब O- परमाणु को सन्तुलित करते है- `N_(2)H_(4) to 2NO+8e` अब H-परमाणु को `H_(2)O` द्वारा सन्तुलित करते है। जितने `H_(2)O` दायी ओर जोड़ते है उतने ही `OH^(-)` बायीं ओर या `N_(2)H_(4)+2OH^(-)+6OH^(-) to 2NO+6e+6H_(2)O` (ii) अब `CIO_(3)^(-)+6e to CI^(-)` अब O- परमाणु `H_(2)O` द्वारा सन्तुलित करते है, जितने `H_(2)O` बायीं ओर जोड़ते है उतने ही `OH^(-)` दायी ओर या `CIO_(3)^(-)+6e to CI^(-)+3OH^(-)` (iv) अब दोनों अर्द्ध-अभिक्रियाओं को एलेक्ट्रॉनों की संख्या बराबर करके जोड़ने पर, `({:([N_(2)H_(4)+8OH^(-)rarr2NO+8e+6H_(2)O]xx3),([ClO_(3)^(-)+6e+3H_(2)OrarrCl^(-)+6OH^(-)]xx4):})/(3N_(2)H_(4)+4ClO_(3)^(-)rarr6NO+4Cl^(-)+6H_(2)O)` (ग) `overset(+7)(CI_(2))overset(-2)(O_(7))(g)+overset(+1)(H_(2))overset(-1)(O_(2))(aq) to overset(+3)(CI)overset(-1)(O_(2)^(-))(aq)+overset(0)O_(2)(g)+overset(+1)(H^(+))` (i) सबसे पहले ऑक्सीकरण तथा अपचयन की अर्द्ध-अभिक्रिया लिखते है- `H_(2)O_(2) to O_(2)` (ऑक्सीकरण) `CI_(2)O_(7) to CIO_(2)^(-)` (अपचयन) (ii) अब ऑक्सीकरण तथा अभिक्रिया को सन्तुलित करते है- `H_(2)O_(2) to O_(2)+2e` H-परमाणु को सन्तुलित करते है- `H_(2)O_(2)+2OH^(-) to O_(2)+2e+2H_(2)O` (iii_ `CI_(2)O_(7)+8e to 2CIO_(2)^(-)` अब H-परमाणु को सन्तुलित करते है। बायीं ओर जितने H-परमाणु कम है उतने ही `H_(2)O` बायीं ओर तथा उतने ही `OH^(-)` दायी ओर जोड़ते है। `CI_(2)O_(7)+8e+3H_(2)O to 2CIO_(2)^(-)+2OH^(-)+3OH^(-)` (iv) अब दो अर्द्ध-अभिक्रियाओं की एलेक्ट्रॉनों की संख्या बराबर करके जोड़ने पर, `({:([H_(2)O_(2)+2OH^(-)rarrO_(2)+2e+2H_(2)O]xx4),(Cl_(2)O_(7)+8e+3H_(2)Orarr2ClO_(2)^(-0)+6OH^(-)):})/(underline(4H_(2)O_(2)+Cl_(2)O_(7)+2OH^(-)rarr4O_(2)+2Cl_(2)O_(2)^(-)+5H_(2)O))` |
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| 48. |
निम्न समीकरण को अम्लीय माध्यम में आयन-इलेक्ट्रान विधि से सन्तुलित कीजिए- `NO_(3)^(-)+H_(2)Soverset(H^(+))rarr HSO_(4)^(-)+NH_(4)^(+)` |
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Answer» (1) सबसे पहले ऑक्सीकरण व अपचयन अर्द्ध-अभिक्रयाएँ लिखते है। `S^(2-) to S^(6+)+8e` (ऑक्सीकरण अर्द्ध -अभिक्रिया) `8e^(-)+N^(5+) to N^(3-)` (अपचयन अर्द्ध -अभिक्रिया) (2) दोनों समीकरणों को मिलाने पर `N^(5+)+S^(2-) to S^(6+)+N^(3-)` अथवा `NO_(3)^(-)+H_(2)S to NH_(4)^(-) +HSO_(4)^(-)` (3) H तथा O के अतिरिक्त सभी परमाणु संतुलित है। H तथा O को संतुलित करने के लिए जिस ओर P की कमी है, `H_(2)O` जोड़ते है तथा चूँकि अभिक्रिया अम्लीय माध्यम में हो रही है, अतः दूसरी ओर `H^(+)` जोड़ते है। अतः बायीं ओर `H_(2)O` तथा दायी ओर ` H^(+)` जोड़ने पर (4) अब दोनों ओर के आवेशों को `H^(+)` लिखकर बराबर करने पर `NO_(3)^(-)+H_(2)O+S+H_(2)O+3H^(+) to NH_(4)^(+)+HSO_(4)^(-)+2H^(+)` अथवा `NO_(3)^(-)+H_(2)S+H_(2)O+H to NH_(4)^(+)+HSO_(4)^(-)` |
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| 49. |
निम्नलिखित अभिक्रिया अम्लीय माध्यम में हो रही है । इस प्रकारिया को आयन -इलेक्ट्रान विधि के द्वारा सन्तुलित करो- `MnO_(4)^(-)+Fe^(2+)+H^(+) to Mn^(2)+Fe^(3+)+H_(2)O` |
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Answer» (1) अभिक्रिया तथा अपचयन अभिक्रिया अलग-अलग लिखने पर `Mn^(7+)+5e^(-) to Mn ^(2+)` (अपचयन अभिक्रिया) `Fe^(2+) to Fe^(3+) +e^(-)` (ऑक्सीकरण अभिक्रिया) (2) दोनों अभिक्रियाओं में इलेक्ट्रान बराबर करके जोड़ने पर- `({:(Mn^(7+)+5e^(-) to Mn^(2+)),((Fe^(2+) to Fe^(3+)+e^(-))xx5):})/(Mn^(7+)+5Fe^(2+) to 5Fe^(3+)+Mn^(2+))` (3) `MnO_(4)^(-) +5Fe^(2+) to 5Fe^(+) +Mn^(+2)` (4) H तथा O के अतिरिक्त सभी परमाणु सन्तुलित है अतः O को अम्लीय माध्य में सन्तुलित करने पर निम्न अभिक्रिया प्राप्त होती है। `MnO_(4)^(-)+5Fe^(2+)+8H^(+) to 5Fe^(3+)+Mn^(2+)+4H_(2)O` |
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| 50. |
आयन इलेक्ट्रान विधि द्वारा निम्नलिखित रेडॉक्स अभिक्रियाओं को सन्तुलित कीजिए (क) `MnO_(4)^(-)(aq)+I^(-) to MnO_(2)(s)+_(2)(s)` (क्षारीय माध्यम) (ख) `MnO_(4)^(-)(a)+SO_(2)(g) to Mbn^(2+)(aq)+HSO_(4)^(-)(aq)` (अम्लीय माध्यम) (ग) `H_(2)O_(2)(aq)+Fe^(2+)(aq)+ to Fe^(3+)(aq)+H_(2)O(l)` (अम्लीय माध्यम) (घ) `Cr_(2)O_(7)^(2-)+SO_(2)(g) to Cr^(3+)(aq)+SO_(4)^(2-)(aq)` (अम्लीय माध्यम) |
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Answer» (क) `overset(+7)(Mn)overset(-2)(O_(4)^(-))(aq)+overset(-1)(I^(-))(aq) to overset(+4)(Mn)overset(-2)(O_(2))(s)+overset(0)(I_(2))(s)` (i) सबसे पहले ऑक्सीकरण तथा अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया लिखते है। `overset(-1)(2I^(-)) to overset(0)(I_(2))` (ऑक्सीकरण) `overset(+7)(Mn)O_(4)^(-) to overset(+4)(Mn)O_(2)` (अपचयन) (ii) ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रयाओं को सन्तुलित करते है। `2I^(-) to I_(2)+2e` `MnO_(4)^(-)+3e to MnO_(2)` (iii) चूँकि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही, है, इसलिए दायी और जितने O-परमाणु कम है, उतने ही `OH^(-)` आयन जोड़कर को सन्तुलित करते है। `MnO_(4)^(-)+3e to MnO_(2)+2OH^(-)` (iv) अब H-परमाणु को सन्तुलित करने के लिए बायीं और `H_(2)O` अणु जोड़ते है तथा उतनी ही संख्या में दायीं ओर `OH^(-)` आयन जोड़ते है। `MnO_(4)^(-)+3e+2H_(2)O to MnO_(2)+2OH^(-)+2OH^(-)` नोट हम इस प्रकार भी कह सकते है की दायी ओर जितने O-परमाणु कम है, उतने ही `H_(2)O` अणु बायीं ओर जोड़ते है तथा दूसीर ओर दोगुने `OH^(-)` आयन जोड़ते है। (v) अब दोनों अर्द्ध-अभिक्रयाओं के एलेक्ट्रॉनों की संख्या सामान करके जोड़ने पर, `({:([2I^(-)to I_(2)+2e]xx3),([MnO_(4)^(-)+3e+2H_(2)O to MnO_(4)+4OH^(-)]xx2):})/(underline(2MnO_(4)^(-)+4H_(2)+6I^(-) to 2MnO_(2)+8OH^(-)+3I_(2)))` (ख) `overset(+7)(Mn)overset(-2)(O_(4)^(-))(aq)+overset(+4)Soverset(-2)(O_(2)(g)) to overset(+2)(Mn^(2+))+overset(+1)Hoverset(+6)Soverset(-2)(O_(4)^(-))` (i) सबसे पहले ऑक्सीकरण, अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया लिखते है- `SO_(2) to HSO_(4)^(-)` (ऑक्सीकरण) `MnO_(4)^(-) to0 Mn^(2+)`(अपचयन) (ii) ऑक्सीकरण , अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया में e सन्तुलित करने पर, `SO_(2) to HSO_(4)^(-)+2e` `MnO_(4)^(-)+5e to Mn^(2+)` (iii) चूँकि अभिक्रिया अमली माध्य में हो रही है। अतः O-परमाणों को सन्तुलित करने के लिए बायीं ओर उतने ही `H_(2)O` अणु जोड़ते है, जितने O-परमाणु कम है। अब H-परमाणु को सन्तुलित करने के लिए दायी ओर `3H^(+)` आयन जोड़ते है। `SO_(2)+2H_(2)O to HSO_(4)^(-)+2e+3H^(+)` अब दूसरी अर्द्ध-अभिक्रिया के O तथा H-परमानों को भी इसी प्रकार सन्तुलित कर लेते है। `8H^(+)+MnO_(4)^(-)+5e to Mn^(2+)+4H_(2)O` (iv) अब दोनों अर्द्ध-अभिक्रयाओं के इलेक्ट्रान की संख्या सामान करके जोड़ने पर, `({:([SO_(2)+2H_(2)_O to HSO^(-)+2e+3H^(+)]xx5),([8H^(+)+MnO_(4)^(-)+5e to Mn^(2+)+4H_(2)O]xx2):})/(underline(5SO_(2)+2MnO_(4)^(-)+2H_(2)+H^(+) to 2Mn^(2+)+5HSO_(4)^(-)))` (ग) `overset(+1)(H_(2))overset(-1)(O_(2))(aq)overset(2+)(Fe^(2+))(aq) to overset(3+)(Fe^(3+))+overset(+1)(H_(2)O(l)` (i) सबसे पहले ऑक्सीकरण-अपचयन की अर्द्ध-अभिक्रिया लिखते है- `Fe^(2+) to Fe^(3+)` (ऑक्सीकरण) `H_(2)O_(2)+2e to H_(2)O+O^(2-)` (अपचयन) (ii) ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रिया में e सन्तुलित करते है- `Fe^(2+) to Fe^(3+)+e` (iii) अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया में `e` सन्तुलित करते है। `H_(2)O_(2)+2e to H_(2)O` `2O^(-I)+2e^(-) to 2O^(2-)` अब इसके बाद इसमें O-परमाणु द्वारा `H_(2)O` तथा H-परमाणु `H^(+)` द्वारा सन्तुलित करते है। क्योकिं अभिक्रिया अम्लीय माध्यम हो रही है। `2H^(+)+H_(2)O_(2)+2e to H_(2)O+ H_(2)O` (iv) अब दोनों अर्द्ध-अभिक्रयाओं में e की संख्या बराबर करके जोड़ते है। `({:([Fe^(2+) to Fe^(3+)+e]xx2),(H_(2)O_(2)+2e+2H^(+) to 2H_(2)O):})/(underline(2Fe^(2+)+H_(2)O_(2)+2H^(+) to 2Fe^(3+)+2H_(2)O))` (घ) `overset(+6)(Cr_(2))overset(-2)(O_(7)^(2-))(aq)+overset(+4)(S)overset(-2)(O_(2))(g) to overset(+3)(Cr^(3+))(aq)+overset(+6)(S)overset(-2)(O_(4)^(2-))(aq)` (i) सबसे पहले ऑक्सीकरण अपचयन की अर्द्ध-अभिक्रिया लिखते है- `SO_(2) to SO_(4)^(2-)` (ऑक्सीकरण) `Cr_(2)O_(7)^(2-) to Cr^(3+)` (अपचयन) (ii) ऑक्सीकरण अर्द्ध-अभिक्रयाओं में e सन्तुलित करते है। `SO_(2) to SO_(4)^(2-)+2e` अब इसके O-परमाणु को `H_(2)O` द्वारा तथा H- परमाणु को `H^(+)` द्वारा सन्तुलित करते है, क्योकिं अभिक्रिया अम्लीय मध्यम में हो रही है। `SO_(2)+2H_(2)O to SO_(4)^(2-)+2e+4H^(+)` (iii) अपचयन अर्द्ध-अभिक्रिया में e सन्तुलित करते है। `Cr_(2)O_(7)^(2-)+6e to 2Cr^(3+)` अब इसके O-परमाणु को `H_(2)O` द्वारा तथा H- परमाणु को `H^(+)` द्वारा सन्तुलित करते है। `14H^(+)+Cr_(2)O_(7)^(2-)+6e to 2Cr^(3+)+7H_(2)O` (iv) अब दोनों अर्द्ध-अभिक्रयाओं को एलेक्ट्रॉनों की संख्या बराबर करके जोड़ देते है - `({:([SO_(2)+2H_(2)O to SO_(4)^(2)+2e+4H^(+)]xx3),(14H^(+)+Cr_(2)O_(7)^(2-)+6e to 2Cr^(3)+7H_(2)O):})/(underline(3SO_(2)+Cr_(2)O_(7)^(2-)+2H^(+) to 3SO_()^(2-)+2Cr^(3+)+H_(2)O))` |
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