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1.

हिन्दुस्तान मशीन टूल्स लिमिटेड, हिन्दुस्तान ऐरोनोटिक्स लि., हिन्दुस्तान ऐयरक्राफ्ट लिमिटेड, हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड इत्यादि किसके उदाहरण है ?(A) संयुक्त साहस(B) सार्वजनिक निगम(C) सरकारी कम्पनी(D) इनमें से कोई नहीं

Answer»

सही विकल्प है (C) सरकारी कम्पनी

2.

सार्वजनिक निगम की कार्यक्षमता का मापदंड क्यों निश्चित नहीं है ?

Answer»

सार्वजनिक निगम का उद्देश्य सिर्फ सेवा या सिर्फ लाभ कमाना नहीं है । इसलिए इन दोनों के बीच कौन-सा मापदंड रखा जाय जिससे कार्यक्षमता का उचित माप मिल सके, यह अनिश्चित तथा उलझनपूर्ण है ।

3.

जिस कम्पनी में सरकारी पूँजी का प्रमाण इनमें से कितना होता है, कि सरकारी कम्पनी कहलाती है ।(A) 25% से अधिक(B) 51% से कम(C) 51% से अधिक(D) उपरोक्त सभी

Answer»

सही विकल्प है (C) 51% से अधिक

4.

सार्वजनिक क्षेत्र के तीन स्वरूप के नाम दीजिए ।

Answer»
  1. विभागीय संचालन
  2. सार्वजनिक निगम
  3. सरकारी कम्पनी
5.

सरकारी कम्पनी में सरकारी पूँजी का प्रमाण कम से कम कितना होता है ?

Answer»

सरकारी कम्पनी में सरकारी पूँजी का प्रमाण कम से कम 51% होता है |

6.

सरकारी कम्पनी में शेयर किस नाम से खरीदे जाते है ?

Answer»

सरकारी कम्पनी के शेयर राष्ट्रपति के नाम से खरीदे जाते है ।

7.

सरकारी विभाग में सत्ता की अंतिम जिम्मेदारी किसकी मानी जाती है ?

Answer»

सरकारी विभाग में संचालन की अन्तिम जिम्मेदारी सम्बन्धित खातों के प्रधानों की होती है । संसद में सम्बन्धित विभाग के प्रधान को संसद-सदस्यों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर देना पड़ता है । जैसे रेलवे विभाग के लिए रेलमंत्री जिम्मेदार होते हैं ।

8.

सार्वजनिक निगम के उदाहरण दीजिए ।

Answer»

सार्वजनिक निगम के उदाहरण 

  1. भारतीय जीवन बीमा निगम
  2. औद्योगिक वित्त निगम
  3. सामान्य बीमा निगम
  4. राष्ट्र कपड़ा निगम
9.

धन्धाकीय व्यवस्था के विविध स्वरूपों की मात्र सूचि बनाइए ।

Answer»

सार्वजनिक क्षेत्र –

  1. सरकारी विभाग
  2. सरकारी कम्पनी
  3. सार्वजनिक निगम

निजी क्षेत्र –

  1. व्यक्तिगत मालिकी
  2. साझेदारी संस्था
  3. संयुक्त हिन्दू परिवार ।

इसके अलावा

  1. संयुक्त स्कन्ध प्रमण्डल
  2. सहकारी समिति
  3. संयुक्त साहस
  4. निजी व सार्वजनिक साझेदारी
  5. सार्वजनिक उपयोगिता
  6. वैश्विक साहस ।
10.

सार्वजनिक साहस के कितने प्रकार है व कौन-से ?

Answer»

सार्वजनिक साहस के तीन प्रकार है :

  1. विभागीय संचालन
  2. सरकारी कम्पनी
  3. सार्वजनिक निगम
11.

सरकारी विभाग की इकाईयों के नाम बताइए ।

Answer»
  1. भारतीय डाक व तार विभाग
  2. भारतीय रेलवे
  3. रक्षा विभाग
  4. शिक्षा विभाग
  5. स्वास्थ्य विभाग
12.

सार्वजनिक निगम का अर्थ क्या है ?

Answer»

“संसद या विधान सभा में विशेष कानून से स्वतंत्र व्यक्तित्व एवं आन्तरिक स्वायत्तता सम्पन्न सार्वजनिक उद्देश्य के लिए स्थापित सरकारी मालिकी के संस्थाकीय स्वरूप को सार्वजनिक निगम कहते है ।”

13.

धन्धाकीय इकाईयों में सबसे प्राचीन स्वरूप कौन-सा है ?

Answer»

निजीक्षेत्र धन्धाकीय इकाइयों में सबसे प्राचीन स्वरूप है ।

14.

सरकारी विभाग का अर्थ एवं लक्षण स्पष्ट कीजिए ।

Answer»

सरकारी विभाग सरकार द्वारा संचालित जिस इकाई पर संपूर्ण पूंजी सरकार के द्वारा लगाई गयी हो तथा उसका संचालन और अंकुश सरकार द्वारा नियुक्त किये गये मंत्री तथा अधिकारियों के द्वारा किया जाता हो उसे सरकारी खाता कहते हैं । जैसे रेल सेवा आयोग, डाक सेवा आयोग इत्यादि ।

लक्षण :

(1) प्रधान का प्रत्यक्ष अंकुश तथा देखरेख : सरकारी विभाग पर उस विभाग के प्रधान का सम्पूर्ण रूप से अंकुश तथा देखरेख्न रहती है । प्रधान के निर्णय के आधार पर उस विभाग का संचालन होता है । उदा. के तौर पर रेलवे प्रधान का रेलवे विभाग पर सीधी देखरेख और अंकुश रखता है ।

(2) सरकारी नीति के अधीन : सामान्य रूप से सरकारी विभाग अलग-अलग विभाग के प्रधान को देखरेख की संपूर्ण सत्ता सौंपी गई है । किन्तु प्रधान द्वारा संचालकीय नीति तैयार करते समय सरकार के नीति-नियम को ध्यान में रखते हुए नियम तैयार किया जाता है । सरकारी नीति के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जाती ।

(3) विधिपूर्वक निर्णय : सरकारी विभाग के किसी विभाग के निर्णय लेते समय काफी विचार एवं तर्क-वितर्क तथा विविध जानकारी के आधार पर निर्णय लिया जाता है । क्योंकि इस निर्णय से देश की अधिकतर जनता प्रभावित होती है ।

(4) एकाधिकार : सरकारी विभाग को सरकार द्वारा एकाधिकार दिया गया है । जिससे सरकारी खाता जनजीवन के लिए आवश्यक वस्तु या सेवा प्रदान करता है । सेवा में एकरूपता रहे, सेवा में कमी होने पर जिम्मेदार व्यक्ति या संस्था को दोषी ठहराना सरकार के लिए सरल रहे, इसलिए सरकारी खाते को एकाधिकार दिया गया है ।

(5) सरकारी कर्मचारियों द्वारा संचालन : सरकारी विभाग का संचालन सरकार द्वारा नियुक्त किये अधिकारी या कर्मचारियों द्वारा किया जाता है । यदि अधिकारी या कर्मचारी ठीक ढंग से सेवा देते हैं तो उन्हें पदोन्नति का अवसर प्रदान किया जाता है । इसके विपरीत यदि अधिकारी या कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी ठीक ढंग से नहीं निभाते हैं तो उनकी बदली अवनति या निवृत्ति कर दी जाती है । इस कारण कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी के प्रति सजग रहते हैं ।

(6) रहस्यों की गुप्तता : सरकारी विभाग के रहस्यों की गुप्तता बनाये रखना देश के हित में आवश्यक है । क्योंकि सरकार के कुछ विभाग के रहस्य यदि गुप्त न रख्ने जाएँ तो राष्ट्र को अहित होने की संभावना रहती है । जैसे : मिलिटरी विभाग । अतः सरकारी खाते के रहस्यों को गुप्त रखने का प्रयास किया जाता है ।

(7) निर्णय के अमल में विलम्ब : सरकारी विभाग में जो निर्णय लिये जाते हैं, उसमें अधिक विलम्ब होता है क्योंकि सभी निर्णयों का पालन नियमपूर्वक होता है । एक बार निर्णय लेने के बाद उसका पालन पूर्ण दृढ़ता से किया जाता है ।

(8) आधारभूत आर्थिक विकास : देश के आर्थिक विकास के लिए आधारभूत उद्योग जैसे : पैट्रोल, केमिकल, इस्पात (लोहा) इत्यादि उद्योगों का संचालन सरकार के द्वारा किया जाता है, क्योंकि इन उद्योगों पर अन्य छोटे-छोटे उद्योग तथा देश का आर्थिक विकास निर्भर रहता है ।

(9) हिसाबों पर सरकारी नियंत्रण : सरकारी विभाग में बजट, हिसाब, ऑडिट इत्यादि सरकारी नियंत्रण के अन्तर्गत रहता है ।

(10) सेवा में एकरूपता : सरकारी विभाग में जो सेवा प्रदान की जाती है उसमें एकरूपता, समान नीति-नियम व बिना भेद-भाव के सेवाएं देने का प्रयास किया जाता है ।

(11) सरकार की सम्पूर्ण सुरक्षा : ऐसे विभाग द्वारा की जानेवाली प्रवृत्ति पर सरकार की सुरक्षा रहती है ।

(12) सरकारी तंत्र का भाग : सरकारी विभाग सरकारी तंत्र का एक भाग है । इसलिए इसके सभी कर्मचारी सरकारी होते हैं ।

15.

सार्वजनिक साहस की इकाईयों पर किस प्रकार का अंकुश होता है ?

Answer»

निम्न द्वारा अंकुश होता है :

  1. आन्तरिक ऑडिट
  2. वार्षिक ऑडिट
  3. हिसाब समिति
  4. जाँच समिति
  5. अन्दाज पत्र समिति
  6. संसद में अहेवाल
  7. संसद में प्रश्नोत्तर
  8. विधानसभा में विचार-विमर्श
16.

सरकारी विभाग का अर्थ क्या है ?

Answer»

सरकार के प्रत्यक्ष नियंत्रण अधीनस्थ सम्बन्धित मंत्री को सत्ता का केन्द्र बनाकर एवं प्रवृत्ति के लिए उसी मंत्री को जिम्मेदार बनाकर प्रवृत्ति करनेवाले सार्वजनिक साहस की इकाई के व्यवस्था-स्वरूप को सरकारी विभाग कहा जाता है ।

17.

वैश्विक साहस का अर्थ बताइए ।

Answer»

कोई भी धन्धाकीय इकाई जब अपनी धन्धाकीय प्रवृत्तियाँ राष्ट्रीय सीमाओं के बाहर फैलाती है, तब उन्हें वैश्विक साहस कहते हैं ।

18.

एच.ए.एल. का अर्थ क्या है ?

Answer»

एच.ए.एल. अर्थात् हिन्दुस्तान एरोनोटिक्स लि. । यह सरकारी कम्पनी का उदाहरण है ।

19.

सार्वजनिक – निजी साझेदारी से आप क्या समझते है ?

Answer»

ऐसे ढाँचे के विकास हेतु आवश्यक जमीन सरकार उपलब्ध कराये, विकास के लिए निवेश निजी क्षेत्र करें, जिसके बदले में निजी क्षेत्र को निर्धारित वर्षों तक ढाँचा के लाभार्थियों के पास से फीस मिलती है तथा ढाँचे की सुरक्षा का काम भी निजी क्षेत्र करते हैं । निर्धारित समयकाल पूर्ण होने पर यह ढाँचा सरकार को सौंप देना पड़ता है और उनकी सुरक्षा का कार्य अब सरकार करेगी । जैसे अहमदाबाद – बड़ौदा को जोड़ता एक्सप्रेस-वे ।

20.

सरकारी विभाग की प्रवृत्ति में विलम्ब का क्या कारण है ?

Answer»

सरकारी विभाग में प्रत्येक प्रवृत्ति के निर्णय एवं उसका अमल विधिपूर्वक करना अनिवार्य है । इसके उपरांत जिस व्यक्ति को जो काम दिया गया हो वह व्यक्ति अनुपस्थित हो तो उसका काम दूसरा कोई व्यक्ति नहीं करता है । इस कारण कार्य-बोझ बढ़ जाता है तथा कार्य में विलम्ब होता है ।

21.

साहस का अर्थ क्या है ?

Answer»

आर्थिक प्रवृत्ति चलाने के लिए विशिष्ट उद्देश्य मालिकी, संचालन तथा अंकुश एवं नियंत्रण का एकसमान गुण रखनेवाली इकाईयों के समूह को साहस कहते हैं ।

22.

आइ.ए.एस. (I.A.S.) का अर्थ लिखिए ।

Answer»

आइ.ए.एस. अर्थात् इन्डियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस । इस सर्विस के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता के पश्चात् सरकारी. विभाग की प्रवृत्ति चलाने के लिए तेजस्वी युवकों को प्रशिक्षण दिया जाता है ।

23.

पी.एस.यु. का अर्थ लिखिए ।

Answer»

पी.एस.यु. अर्थात् पब्लिक सेक्टर युनिट्स । यह सरकार की मालिकी की इकाई है । इसमें सरकार ने स्वयं की पूंजी घटाकर आम जनता को शेयर-पूंजी खरीदने के लिए आमंत्रित किया है ।

24.

राष्ट्रीयकरण से आप क्या समझते हैं ?

Answer»

सरकार जब निजी साहस की किसी इकाई को अपने हस्तक कर ले तब उसे राष्ट्रीयकरण कहते हैं । इसके लिए यदि आवश्यक हो तो सरकार कानून में परिवर्तन करके या नये कानून का निर्माण करके निश्चित उद्योगों को अपने हस्तक करती है ।

25.

सार्वजनिक उत्तरदायित्व का अर्थ समझाइए ।

Answer»

सार्वजनिक उत्तरदायित्व अर्थात् जनसमुदाय के सामने आवश्यक प्रश्नों का उत्तर देने की संस्था की जवाबदारी । जो उद्योग सार्वजनिक हित से संलग्न हों उन उद्योगों का सार्वजनिक उत्तरदायित्व बनता है । इस संदर्भ में संसद में सम्बन्धित अधिकारी से आवश्यक प्रश्न पूछा जा सकता है तथा उसका उत्तर देना प्रधान का उत्तरदायित्व बनता है ।

26.

स्वायत्तता से आप क्या समझते हैं ?

Answer»

किसी इकाई को संचालन-सम्बन्धी जो संपूर्ण आन्तरिक स्वतंत्रता प्राप्त होती है उसे स्वायत्तता कहते हैं । इसमें आर्थिक या बिनआर्थिक दोनों बातों का समावेश होता है ।

27.

आई.सी.एस. से आप क्या समझते हैं ?

Answer»

आई.सी.एस. अर्थात् इन्डियन सिविल सर्विस (I.C.S.) इस सर्विस में चयन किये गये तेजस्वी युवकों को विभाग किस तरह चलाया जाय इसका प्रशिक्षण दिया जाता है ।

28.

विभागीय संचालन से आप क्या समझते है ? उदाहरण से स्पष्ट कीजिए ।

Answer»

सरकार अपना काम-काज पृथक-पृथक विभागों द्वारा सम्भालती है । ऐसे किसी सरकारी विभाग द्वारा जब सार्वजनिक क्षेत्र का संचालन होता हो तो उन्हें विभागीय संचालन कहते हैं । इनका संचालन सरकारी अधिकारियों द्वारा होता है तथा इनके सभी कर्मचारी सरकारी कहलाते है । जैसे भारतीय डाक व तार विभाग, रेलवे विभाग, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, लोक निर्माण विभाग आदि ।

29.

निजी क्षेत्रों/साहसों का अर्थतंत्र में महत्त्व समझाइए ।

Answer»

देश के अर्थतंत्र में निजीक्षेत्र का आज भी महत्त्वपूर्ण योगदान है । देश की आर्थिक प्रगति निजी क्षेत्र की आभारी है । राष्ट्रीय . आय में निजी क्षेत्र का विशेष योगदान है । निजी क्षेत्र का अस्तित्व शताब्दियों से चलता आया है । निजी क्षेत्र का विकास हो इसलिए सरकार ने सकारात्मक अभिगम अपनाया है ।

30.

वैश्विक साहसों का भारतीय अर्थतंत्र में क्या महत्त्व है ?

Answer»

वैश्विक साहसों के तहत कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भारत में आई है जैसे कोकाकोला, पेप्सी, मेकडोनाल्ड, नोकिया, सोनी, जनरल मोटर्स आदि । ऐसे साहसों के आगमन से देश में असंख्य लोगों को रोजगार मिलता है । रोजगार मिलने से बेकारी में कमी आती है, प्रतिव्यक्ति आय बढ़ती है तथा राष्ट्रीय आय भी बढ़ती है । इसके अलावा ऐसे साहस बड़े पैमाने में लाभ भी कमाते है, जिससे विविध प्रकार का कर (Tax) भरती है, जिससे भी राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है । ऐसे साहसों के आने से जनता को विविध वस्तुएँ तथा अच्छी गुणवत्तावाली वस्तुएँ आसानी से मिलती है ।

31.

सरकारी कम्पनी का अर्थ क्या है ?

Answer»

कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत जिस कम्पनी में कम से कम 51 प्रतिशत जितनी अंश-पूंजी केन्द्र या राज्य सरकार के पास हो उसे सरकारी कम्पनी कहते हैं ।

32.

सार्वजनिक साहसों की बदलती हुई भूमिका समझाइए ।

Answer»

सार्वजनिक साहस की बदलती हुई भूमिका : सार्वजनिक साहस की बदलती हुई भूमिका पर विचार करें तो इसमें आमूल परिवर्तन देखने को मिलता है । भारत ने वर्ल्ड ट्रेड ओर्गेनाइजेशन (WTO = World Trade Organization) में हस्ताक्षर करने के बाद अपने देश में निजीकरण (Privatization) का अभियान चल रहा है । ऐसी स्थिति में सरकार ने सार्वजनिक साहस को निजी साहस में परिवर्तन करने का विचार कर लिया है । सार्वजनिक साहस को विनिवेश (Disinvestment) करने के लिए विशेष तौर पर मंत्रियों को नियुक्त किया गया है । वर्तमान समय में सार्वजनिक साहस बड़े पैमाने पर नुकसान (Loss) कर रहे हैं । जिससे अब यह माना जाता हैं कि सार्वजनिक साहस को भी लाभ का उद्देश्य रखना पड़ेगा । धन्धे को टिकाए रखने, विकसित करने व संशोधन हेतु लाभ को अनिवार्य रूप से स्वीकार करना होगा । यदि सार्वजनिक साहस नुकसान करते हैं तो जो नुकसान होता है उसका समग्र भुगतान आम जनता को करना पड़ता है जो कि योग्य नहीं हैं । सार्वजनिक साहस की संस्थाएँ लोगों के कल्याण के लिए स्थापित की जाती हैं। कल्याण का असर लोगों को सहन करना पड़े ऐसा नहीं होना चाहिए । ऐसी धारणा प्रचलित बनी है ।

दूसरी ओर आम जनता की यह धारणा हैं कि सार्वजनिक साहसों का निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए अर्थात् सार्वजनिक साहस को सार्वजनिक साहस ही बनाये रखना चाहिए । सार्वजनिक साहसों को स्पर्धा में टिकाए रखने के लिए अपनी कार्यवाही सुधारनी होगी एवं सेवा में सुधार करना पड़ेगा, तभी सार्वजनिक साहस टिक सकते हैं तथा उसका विकास हो सकता है ।

वर्तमान समय में सार्वजनिक साहस का भावी अंधकारमय ही है। आमजनता, कर्मचारी भी यही चाहते हैं कि सार्वजनिक साहस चालू रहें । अब यह निश्चित है कि सार्वजनिक साहस की संस्थाओं को अच्छी सेवाएँ देनी होंगी व अधिक लोकप्रियता प्राप्त करनी होगी । तभी सार्वजनिक साहस सफल हो पायेंगे ।

सन् 1991 के बाद के वर्षों में आर्थिक नीति में निजीकरण, उदारीकरण और वैश्वीकरण अपनाया गया । जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका में परिवर्तन आए । सन् 1950 से 1990 का समयकाल सार्वजनिक क्षेत्र के लिए महत्त्वपूर्ण रहा है ।

33.

इनमें से कौन-सा स्वरुप सार्वजनिक क्षेत्र नहीं है ?(A) विभागीय संचालन(B) व्यक्तिगत मालिकी(C) सरकारी कम्पनी(D) सार्वजनिक निगम

Answer»

सही विकल्प है (B) व्यक्तिगत मालिकी

34.

सार्वजनिक साहस को भी क्यों लाभ करना चाहिए ?

Answer»

सार्वजनिक साहस का मुख्य उद्देश्य लाभ का नहीं जनता का हित तथा उसे सुविधा प्रदान करना है । किन्तु सार्वजनिक साहस को मुद्रास्फीति से बचने तथा देश के विकास और आर्थिक विस्तृतीकरण के लिए निम्नतम लाभ करना आवश्यक है । ऐसी एक विचारधारा अमली बनी है । इसके उपरांत सार्वजनिक साहस यदि लाभ न करें तो आम जनता पर कर का बोझ बढ़ता जायगा, इसलिए सार्वजनिक साहस को भी लाभ करना चाहिए ऐसे विचार का भी उद्भव हुआ है ।

35.

सरकारी कम्पनी की परिभाषा देते हुए उसके लक्षण समझाइए ।

Answer»

सरकारी कम्पनी का अर्थ : कम्पनी अधिनियम में उद्धृत परिभाषा के अनुसार “कोई भी कम्पनी जिसमें केन्द्र सरकार, राज्य सरकार या राज्य सरकारों अथवा केन्द्र सरकार सहित एक या एक से अधिक राज्य सरकारों के पास कुल अंश पूंजी के 51 प्रतिशत से अधिक शेयर हों तो वह सरकारी कम्पनी कहलायेगी ।”

सरकारी कम्पनी के शेयर अलग अधिकारियों के पद के नाम से खरीदे जाते हैं । इसमें राज्यपाल तथा राष्ट्रपति का भी समावेश किया जाता है । इसमें सरकार अंशधारी बनती है । इस कम्पनी की स्थापना, संचालन-विकास तथा विसर्जन कम्पनी अधिनियम के अनुसार किया जाता है । जैसे हिन्दुस्तान एरोनोटिक्स लि. (HAL), हिन्दुस्तान मशीन टूल्स लि. (HMT), हिन्दुस्तान स्टील (H.S.L.), BHEL इत्यादि ।

सरकारी कम्पनी के लक्षण :

(1) सरकार द्वारा स्थापना : सरकारी कंपनियों की स्थापना केन्द्र सरकार, राज्य सरकार या राज्य सरकारों या केन्द्र और राज्य सरकार संयुक्त रूप से करते हैं ।

(2) सरकार का संचालक-मंडल : सरकारी कम्पनी के संचालक मंडल में सरकारी अधिकारियों का बहुमत रहता है । क्योंकि 51% या उससे अधिक शेयर सरकार के पास रहते हैं । इस कारण संचालक-मंडल के सदस्य तथा अध्यक्ष की नियुक्ति सरकार के द्वारा की जाती है । यह सरकार द्वारा नियुक्त संचालक-मंडल सरकारी कम्पनी का संचालन करते हैं ।

(3) कम्पनी अधिनियम के अनुसार रचना : सरकारी कम्पनी की स्थापना के लिए कोई अलग अधिनियम नहीं हैं । कम्पनी के संचालकमंडल को तथा उसके अध्यक्ष को कम्पनी की स्थापना के उद्देश्य को स्पष्ट करना पड़ता है । सरकार इन कंपनियों के संचालन के दैनिक कार्य में हस्तक्षेप नहीं करती है ।

(4) वार्षिक हिसाब एवं रिपोर्ट : निजी कम्पनी की तरह सरकारी कम्पनी को भी वार्षिक हिसाब तथा रिपोर्ट तैयार करके प्रस्तुत करना पड़ता है । यद्यपि उसके संचालक-मंडल में सरकारी अधिकारियों की संख्या ही अधिक होने के कारण इन हिसाबों की विशेष चर्चा नहीं की जाती। यदि कोई विशेष घटना हो तो संसद-सदस्य या सम्बन्धित मंत्री कम्पनी की रिपोर्ट एवं हिसाब की चर्चा करते हैं ।

(5) संचालक-मंडल द्वारा निर्णय : निजी कम्पनी का निदेशक-मंडल की तरह सरकारी कम्पनी का निदेशक-मंडल भी निर्णय लेता है तथा उसका अमल भी करता है ।

(6) सरकार द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति : सरकारी कम्पनी के अधिकारियों एवं पदाधिकारियों की नियुक्ति सरकार करती है । कम्पनी के संचालन के लिए इन्हें सरकार के नीति-नियम से अवगत कराया जाता है । संलग्न विभाग में मंत्री से इन्हें कार्य करने की सूचना . मिलती रहती है ।

(7) कर्मचारियों के लिए स्वतंत्र नियम : कम्पनी के उच्च अधिकारी एवं पदाधिकारी कर्मचारियों की नियुक्ति करते हैं । ये कर्मचारी सरकारी तंत्र का भाग नहीं कहलाते हैं । इनके लिए सरकारी कम्पनी एक स्वतंत्र नियम बनाती है ।

(8) कम्पनी द्वारा वित्तीय साधनों का प्रावधान : सरकारी कम्पनी के लिए वित्तीय साधनों का प्रावधान सरकारी विभाग से बिलकुल अलग है । सरकारी कम्पनी को आवश्यक वित्तीय साधनों की व्यवस्था स्वयं ही करनी पड़ती है । पूंजी में सरकार एवं नागरिकों की संयुक्त मालिकी होती है । किन्तु संचालन में सरकार का प्रत्यक्ष नियंत्रण रहता है ।

(9) निजी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व : सरकारी कम्पनी में 51% पूँजी सरकार की रहती है तथा अन्य शेयर आम जनता के रहते हैं । इसलिए आम जनता के कुशल तथा निष्णात प्रतिनिधि तथा ग्राहक एवं मजदूर प्रतिनिधि को भी संचालक मंडल में स्थान दिया जाता है ।

(10) लाभ तथा सेवालक्षी प्रवृत्ति : सरकारी कम्पनी में मात्र सेवालक्षी प्रवृत्ति ही नहीं होती है । लाभ और सेवा का दोहरा समन्वय सरकारी कम्पनी में रहता है । जैसे कि : हिन्दुस्तान मशीन टूल्स लि., हिन्दुस्तान स्टील लि. इत्यादि ।

समीक्षा : सरकारी कम्पनी के पास सरकार को पूंजीगत पीठबल प्राप्त रहता है तथा निजी क्षेत्र के कुशल एवं निष्णात उद्योगपतियों का प्रतिनिधित्व रहता है । इसलिए सरकारी कम्पनी ने उल्लेखनीय विकास किया है ।

36.

सार्वजनिक साहस में सत्ता तथा जवाबदारी का मार्ग बताइए ।

Answer»

सार्वजनिक साहस में सत्ता तथा जिम्मेदारी की शृंखला लम्बी होती है । इसमें विधान सभा में बहुमत रखनेवाले पक्ष खाता के विभिन्न प्रधान – संचालक मंडल – संचालक मंडल के अध्यक्ष सेक्रेटरी, इस प्रकार उच्च स्तर से निम्नस्तर की दिशा में सत्ता तथा जिम्मेदारी की सुपुर्दगी की रचना की गई है । यह मार्ग विपरीत दिशा में जवाबदारी प्रस्तुत करता है । जिस प्रकार से सेक्रेटरी अपने अध्यक्ष को, अध्यक्ष अपने संचालक मंडल को तथा संचालक मंडल अपने विभाग के प्रधान को उत्तरदायित्व प्रस्तुत करता है । अत: सार्वजनिक साहस में सत्ता तथा जवाबदारी की शृंखला वैज्ञानिक पद्धति से तैयार की जाती है ।

37.

‘सार्वजनिक निगम को सर्वश्रेष्ठ-व्यवस्था स्वरूप कहा जाता है क्योंकि इसे स्वायत्तता दी जाती है ।’ इस विधान को समझाइए ।

Answer»

सार्वजनिक निगम को अपने व्यवस्था-संचालन (प्रशासन) के लिए अन्य धंधादारी संस्थाओं की तरह संपूर्ण आंतरिक स्वतंत्रता प्राप्त होती है । जिस कानून के अन्तर्गत निगम का सर्जन हुआ रहता है उसकी मर्यादा में रहकर और संसद तथा प्रधान द्वारा निश्चित किये गये सामान्य नीति विषयक तथा मार्गदर्शक सिद्धांतों की मर्यादा में रहकर वह प्राप्त सभी अधिकारों का उपभोग करती है । उसके दैनिक कार्य में संसद या प्रधान या अन्य सरकारी अधिकारी दखलअंदाजी नहीं करते हैं । इस कारण निगम के संचालक पूर्ण आत्मविश्वास के साथ निगम का संचालन करते हैं । इसके उपरांत सरकार द्वारा प्राप्त पूंजी के बावजूद पूंजीकीय लेन-देन के मामले में संपूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त होती है । निगम के खर्च का देश के सामान्य बजट में समावेश नहीं किया जाता है । निगम अपने धंधे के लिए योग्य लगे उस प्रकार आय प्राप्त कर सकता है तथा खर्च कर सकता है । निगम की मुद्राकीय स्वायत्तता के कारण निगम की मालिकी की पूंजी सरकार की तथा उधार पूंजी सरकार की या अन्य स्रोतों से प्राप्त करता है । अतः सार्वजनिक निगम सर्वश्रेष्ठ स्वरूप माना जाता है ।

38.

बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ यजमान राष्ट्रों का शोषण करते हुए भी उन्हें आमंत्रित किया जाता है ।

Answer»

बहुराष्ट्रीय कम्पनी का मुख्य कार्यालय किसी एक देश में होता है जो मुख्यत: विकसित तथा श्रीमंत देश में होता है । इसकी शाखाएँ अल्पविकसित तथा विकासशील देशों में होती हैं । बहुराष्ट्रीय कम्पनी द्वारा अल्पविकसित देशों में आधुनिक तकनीकी का उपयोग किया जाता है, लोगों को रोजगार का अवसर प्रदान करती हैं । नई चीज-वस्तुओं के उपयोग के अवसर द्वारा लोगों का जीवनस्तर ऊँचा लाने में सहायता करती है । इन सभी कारणों से बहुराष्ट्रीय कम्पनी द्वारा शोषण करने के बावजूद अल्पविकसित देश इसे धंधा करने के लिए आमंत्रित करती हैं ।

39.

सामाजिक न्याय सार्वजनिक साहस के उद्भव का पाया है ।

Answer»

सार्वजनिक साहस की संस्थाओं की स्थापना सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए की जाती हैं । इन संस्थाओं का मुख्य उद्देश्य सेवा देना होता है एवं समाज की सुरक्षा, संरक्षण, बैंकिंग व्यवस्था, परिवहन-सेवाएँ, स्वास्थ्य-सेवाएँ, देश के लिए आवश्यक चीज-वस्तुओं का उत्पादन व उनका वितरण, ये सेवाएँ बिना भेदभाव के प्रदान करना होता है । इनके अलावा रोजगार के साधन भी सार्वजनिक साहसों के माध्यम से उपलब्ध कराये जाते हैं । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सामाजिक न्याय सार्वजनिक साहस के उद्भव का पाया है ।

40.

बहुराष्ट्रीय कम्पनी बहुमुखी (अनेकविध) है ।

Answer»

जिस कम्पनी का मुख्य कार्यालय किसी एक देश में हो तथा उसकी शाखाएँ अलग-अलग देशों में हों उसे बहुराष्ट्रीय कम्पनी कहते हैं । यह कम्पनी विभिन्न देशों के राजकीय, आर्थिक, सामाजिक एवं कानूनी नियमों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग व्यापारिक व्यवस्था के स्वरूप तथा उसके प्रकार में परिवर्तन करते हुए उसका विकास करती है । बहुराष्ट्रीय कम्पनी का केन्द्रीय संचालन अर्थात् वस्तु के पेटन्ट, टेक्नोलॉजी, मालिकी इत्यादि का संचालन मुख्य केन्द्र द्वारा किया जाता है । कई बार बहुराष्ट्रीय कम्पनी ऐसी धन्धाकीय पॉलिसी अपनाने का प्रयत्न करती है जिसमें सम्पूर्ण विश्व एक प्रकार से कम्पनी अधीन संचालित हो । इन सभी कारणों से बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बहुमुखी कम्पनी के रूप में जाना जाता है ।

41.

अन्तर समझाइए :सरकारी कम्पनी तथा सार्वजनिक निगम |

Answer»

सरकारी कम्पनी तथा सार्वजनिक निगम :

अंतर के मुद्देसरकारी कम्पनी (Govt. Company)सार्वजनिक निगम (Public Corporation)
अर्थकम्पनी अधिनियम के अनुसार कम्पनी की स्थापना करके सार्वजनिक साहस की प्रवृत्ति करनेवाली इकाई को कम्पनी के रूप में पहचाना जाता है । जैसे : H.M.T.संसद या विधान सभा में विशेष कानून प्रसारित करके सार्वजनिक हित के लिए स्थापित की गई संस्था को सार्वजनिक निगम कहते हैं ।
जैसे – जीवन बीमा निगम ।
कानून1956 के कम्पनी अधिनियम के अनुसार स्थापना होती है ।निगम की रचना के लिए विशेष कानून प्रसारित किया जाता है ।
सरकारी हस्तक्षेपसरकारी हस्तक्षेप का प्रमाण अधिक रहता है ।सरकारी कम्पनी की तुलना में सरकारी हस्तक्षेप का प्रमाण निगम में कम रहता है ।
स्वायत्ततानिगम की तुलना में कम स्वायत्तता प्राप्त है ।निगम कानून की मर्यादा में रहकर संपूर्ण स्वायत्तता का उपयोग कर सकता है ।
पूँजीसरकारी कम्पनी में सरकार को अधिक पूंजी का विनियोग करना पड़ता है ।सरकारी कम्पनी की तुलना में कम पूंजी की आवश्यकता पड़ती है ।
वित्तीय व्यवस्थाआवेदन-पत्र तथा नियमन-पत्र में आवश्यक परिवर्तन किये जा सकते हैं ।संपूर्ण पूंजी-विनियोग सरकार का होता है । उधार पूंजी निजी रहती है ।
परिवर्तनशीलताआवेदन-पत्र तथा नियमन-पत्र में आवश्यक परिवर्तन किये जा सकते हैं ।निगम के संलग्न कानून में आवश्यक परिवर्तन किये जा सकते हैं ।
ब्यौरों की गुप्ततासरकारी कम्पनी में ब्यौरों की गुप्तता नहीं बनी रहती ।निगम आवश्यक बातों को निर्धारित समय तक गुप्त रख सकता है ।
अनुकूलताअंशत: निजी पूंजी तथा सरकारी पीठबल की जरूरतवाली इकाई के लिए यह स्वरुप उचित है ।बड़े पैमाने के उद्योगों के लिए सार्वजनिक निगम का स्वरुप अधिक योग्य तथा अनुकूल रहता है ।

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सार्वजनिक क्षेत्र अर्थात् क्या ? इनके लक्षण समझाइए ।

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सार्वजनिक क्षेत्र का अर्थ : जिन संस्थाओं की मालिकी, संचालन व नियंत्रण सरकार के अधिन हो तो उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र कहते हैं ।

लक्षण : सार्वजनिक क्षेत्र के लक्षण निम्न होते है :

(1) आधारभूत मूलभूत उद्योगों की स्थापना : सार्वजनिक साहसों को स्थापित करने का उद्देश्य औद्योगीकरण में तेजी लाकर आधारभूत सुविधाएँ प्रदान करना है । इस हेतु बृहद पैमाने में पूँजी निवेश करना अनिवार्य होता है । स्वतंत्रता के बाद अधिक पूँजी निवेश करना निजी उद्योगों के लिये कठिन था । मूलभूत उद्योगों में बृहद पैमाने में निवेश करना जरूरी होता है । सरकार ऐसे उद्योगों में निवेश करके औद्योगिक विकास में तेजी लाई जाती है ।

(2) एकाधिकार समाप्त करना : औद्योगिक इकाई की मालिकी जब सरकार की होती है, तब निजी क्षेत्रों का एकाधिकार समाप्त हो जाता है ।

(3) सन्तुलित प्रादेशिक औद्योगिक विकास : निजी क्षेत्र के निवेशक पिछड़े विस्तारों में पूँजी निवेश के लिए आकर्षित नहीं होते है, ऐसे पिछडे विस्तारों में सरकार पूँजी निवेश करके संतुलित प्रादेशिक औद्योगिक विकास किया जाता है । जैसे राउरकेला, भिलाई, बोकारो आदि जैसे औद्योगिक पिछड़े विस्तारों में सरकार ने लोहे के कारखाने में पूँजी निवेश करके औद्योगिक विकास किया है ।

(4) समाज कल्याण का हेतु : निजी क्षेत्रों का हेतु अधिक लाभ कमाना होता है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्रों का हेतु लाभ के साथसाथ समाज कल्याण का भी होता है । सार्वजनिक साहस की इकाईयों द्वारा समाज के सभी वर्गों को भेदभाव बिना सेवाएँ दी जाती है । सार्वजनिक साहसों द्वारा औद्योगीकरण में तेजी लाकर के समस्त समाज का कल्याण करती है ।

(5) आय का नीचा स्तर : सार्वजनिक क्षेत्रों द्वारा बहुत ही कम आय कमाकर अपनी सेवाएँ दी जाती है । कई बार तो प्रारम्भिक समय में तो सार्वजनिक साहस की इकाईया नुकसान करती है, फिर भी सरकार चला लेती थी, लेकिन सन् 1991 से इस नीति में परिवर्तन आया है व सार्वजनिक क्षेत्र में सामान्य आय प्राप्त करें यह इच्छनिय है ।

(6) राष्ट्र हित की सुरक्षा : सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयाँ राष्ट्रीय हितों के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुए है + जैसे संरक्षण के क्षेत्र के साधनों का उत्पादन सरकार करती है ।

(7) रोजगार के अवसरों का निर्माण : भारत जैसे विकासशील व अधिक जनसंख्यावाले देशों में रोजगार के अवसरों का निर्माण बहुत ही अनिवार्य है । सार्वजनिक क्षेत्रों में बृहद पैमाने में पूँजी निवेश होने से आनुषांगिक अथवा सहायक इकाईयों का भी विकास होता है, जिसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसरों का निर्माण होता है ।

(8) देश के आर्थिक विकास में सहायक : किसी भी देश के लिए आर्थिक विकास बहुत ही जरूरी है । सार्वजनिक क्षेत्र उद्योगों के . लिए जरूरी आधारभूत सुविधाओं का निर्माण करते हैं । जिससे नये उद्योगों का विकास होता है ।

(9) सामाजिक व आर्थिक न्याय : सार्वजनिक क्षेत्रों का संचालन सरकार के अधिन होता है अतः सरकार की नीतियों का पालन अनिवार्य रूप से होता है । इसके द्वारा समाज के कमजोर वर्गों को बिना मूल्य पर अथवा उचित दर पर सेवा, नौकरी की सुरक्षा, नौकरी की शर्ते, श्रम कानून का पालन, महिलाओं को अग्रिमता इत्यादि मामलों में सार्वजनिक इकाईयों में सकारात्मक अभिगम अपनाया जाता है । इस तरह सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाएँ अधिक अच्छी तरह से सामाजिक न्याय प्रदान करती है ।

(10) आदर्श वेतन और सुविधाएँ : सार्वजनिक क्षेत्र की मालिकी सरकार की होने से इनके कर्मचारियों को उच्च वेतन स्तर अर्थात् मापदण्ड मिल सकते है । कर्मचारियों को निजी क्षेत्रों की अपेक्षाकृत अधिक अच्छी सुविधाएँ मिलती हैं । इस तरह, सरकार आदर्श मालिक बनने के लिए प्रयत्नशील रहती है ।

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संयुक्त साहस का अर्थ एवं लक्षण समझाइये ।

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संयुक्त साहस (Joint Sector) का अर्थ : धन्धाकीय इकाईयाँ अपने परस्पर (अरसपरस) हितों के रक्षण हेतु जुड़े तो उन्हें संयुक्त साहस कहते हैं । इसमें जुड़नेवाली इकाईयों में निजी, सरकारी मालिकी की अथवा वैश्विक साहस हो सकते है ।

लक्षण : इसके निम्न लक्षण होते है :

(1) दोनों पक्षों के लाभदायक : संयुक्त साहस दोनों पक्षकारों के लिये लाभदायी होते है । वो उनकी विशेषताओं के कारण एकदूसरे . के पूरक सिद्ध होते है ।

(2) अधिक साधन सम्पत्ति और क्षमता : संयुक्त साहस में जब दोनों पक्षकार जुड़ते है तब दोनों पक्षकार अपनी साधन-सम्पत्ति और क्षमता का लाभ एकदूसरे को देते है । इस तरह दोनों पक्षकारों की संयुक्त साधन सम्पत्ति और क्षमता उनको अधिक उत्तम अवसर प्रदान करते है ।

(3) नई तकनिकी (टेक्नोलॉजी) : संयुक्त साहस द्वारा अधिक अच्छी टेक्नोलॉजी का आदान-प्रदान सम्भव बनता है । अधिक अच्छी टेक्नोलॉजी के कारण उच्च गुणवत्तावाली वस्तुओं का उत्पादन सम्भव बनता है । समय, शक्ति और टेक्नोलॉजी के उपयोग से कार्यक्षमता और असरकारकता में वृद्धि होती है ।

(4) नये बाजारों का विकास : एक देश में स्थित धन्धाकीय जब दूसरे देश की इकाई के साथ संयुक्त साहस द्वारा जडती है तब नये बाजारों का विकास करना सम्भव बनता है । उदाहरण के रूप में भारत की कम्पनी के साथ विदेशी कम्पनी संयुक्त साहस के रूप में संलग्न हो तो भारत के बाजार में प्रवेश का मार्ग विदेशी कम्पनी के लिए खुलता है । बहुत-सी कम्पनियाँ अपने देश के बाजार में अधिक से अधिक विक्रय करने के पश्चात् विदेशों के बाजार में संयुक्त साहस द्वारा प्रवेश करके उनका विकास निरन्तर चालु रखती है ।

(5) शोध-खोज : संयुक्त साहस द्वारा नये और सर्जनात्मक उत्पाद बाजार में रखे जाते है । विदेशी-साझेदार कई बार अपने नये विचार और उत्तम टेक्नोलॉजी का लाभ संयुक्त द्वारा प्रदान करते है ।

(6) नीची उत्पादन लागत : आधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग के कारण और बृहद पैमाने पर उत्पादन के कारण उत्पाद की उत्पादन लागत नीची रहती है । नीची उत्पादन लागत के कारण विक्रय मूल्य कम (नीचा) रहता है जो कि उत्पादन की मांग में वृद्धि करता है ।

(7) इकाई की शान में वृद्धि : दो प्रथक धन्धाकीय इकाईयाँ संयुक्त साहस द्वारा जुड़ती है । इसमें दोनों धन्धाकीय इकाईयों अपनी अपनी शाख का लाभ संयुक्त साहस को मिलता है । कई बार संयुक्त साहस का एक साझेदार अपनी इकाई की शाख का उपयोग संयुक्त साहस को करने देते है । जैसे कि कोई विदेशी कम्पनी संयुक्त साहस के उनके भारतीय साझेदार को अपनी ब्रान्ड का उपयोग करने की अनुमति देते है ।