InterviewSolution
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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 101. |
एक इलेक्ट्रॉन जो `5*4 xx 10^(6)` m/s की चाल से गति कर रहा है | (b) 150 g द्रव्यमान की एक गेंद जो `30*0 m//s` की चाल से गति कर रही है से जुडी डी-ब्रॉन्ग्ली तरंगदैर्घ्य क्या होगी ? |
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Answer» (a) इलेक्ट्रॉन के लिए- द्रव्यमान `m = 9*1 xx 10^(-31)` kg वेग `v_(e) = 5*4 xx 10^(6)` m/s `therefore` संवेग `p_(e) = mv_(e) = 9*1 xx 10^(-31) xx 5*4 xx 10^(6)` m/s `p_(e) = 4*92 xx 10^(-24)` kg m/s `therefore` डी-ब्रॉन्ग्ली तरंगदैर्घ्य `lambda_(e) = (h)/(p_(e))` `= (6*63 xx 10^(-34)J-s)/(4*92 xx 10^(-24)"kg "m//s)` या `lambda_(e) = 0*312` nm. (b) गेंद के लिए- गेंद का द्रव्यमान `m_(b) = 0*150 kg, v_(b) = 30 m//s` `therefore p_(b) = m_(b)v_(b) = 0*150 xx 30 = 4*50 kg ms^(-1)` `therefore lambda_(b) = (h)/(p_(b))` `= (6*6 xx10^(-34))/(4*5)` ` = 1*47 xx 10^(-34)` m. अतः इलेक्ट्रॉन के लिए डी-ब्रॉन्ग्ली तरंगदैर्घ्य `lambda_(e),` X-किरण तरंगदैर्घ्य के समान है | लेकिन गेंद के लिए यह प्रोटॉन के आकार के लगभग ` 10^(-19)` गुना है | जो प्रायोगिक मान की सीमा के बाहर है | |
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| 102. |
कमरे के ताप और `27^(@)C` दाब पर He परमाणु से जुड़े प्रारूप दे ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिये और इन परिस्थितियो में इसकी तुलना दो परमाणुओं के बीच ओसत दुरी से कीजिये |
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Answer» दिया है तापमान `(T)=27^(@)C+273=300K` `K=1.38xx10^(-23)` जुल/मोल/ केल्विन दाब `(p)=1atm=1.01xx10^(5)` Pa He परमाणु का द्रिव्यमान दे ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य `lambda=(h)/sqrt(3mKT)=(6.63xx10^(34))/(sqrt(3xx(4)/(6xx10^(26))xx1.38xxx10^(23)xx300)` अब PV=RT=KNT `(V)/(N)=(KT)/(P)` औसत दुरी अतः हम देकते हैकि औसत दुरी r तरंगदारिद्य `lambda` से बहुत अधिक है `(r gtgt lambda)` |
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| 103. |
एक इलेक्ट्रॉन एक `alpha`-कण तथा एक प्रोटॉन की गतिज ऊर्जा समान है | इनमे से किस कण की डी-ब्रॉन्ग्ली तरंगदैर्घ्य न्यूनतम होगी ? |
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Answer» किसी कण के लिए डी-ब्रॉन्ग्ली तरंगदैर्घ्य `lambda = (h)/(p)` होती है तथा गतिज ऊर्जा `k = (p^(2))/(2m)` एवं `lambda = (h)/(sqrt(2mk))` चूँकि सभी कणो की गतिज ऊर्जा समान है अतः किसी कण से सम्बन्ध डी-ब्रॉन्ग्ली तरंगदैर्घ्य उसके द्रव्यमान के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होगी | प्रोटॉन (H), इलेक्ट्रॉन 1836 गुना भारी है तथा `alpha`-कण `((4)/(2)He)` प्रोटॉन से चार गुना भारी है | अतः `alpha` कण की डी-ब्रॉन्ग्ली तरंगदैर्घ्य न्यूनतम होगी | |
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| 104. |
एक कण इलेक्ट्रॉन की अपेक्षा तीन गुना अधिक चाल से गति कर रहा है | इस कण की डी-ब्रॉन्ग्ली तरंगदैर्घ्य का इलेक्ट्रॉन की डी-ब्रॉन्ग्ली तरंगदैर्घ्य से अनुपात `1*813 xx 10^(-4)` है | कण के द्रव्यमान की गणना कीजिए तथा कण की पहचान भी कीजिए | |
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Answer» सूत्र-डी-ब्रॉन्ग्ली तरंगदैर्घ्य `lambda = (h)/(p) = (h)/(mv)` या `m = (h)/(lambdav)` `therefore` इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान `m_(e) = (h)/(lambda_(e)v_(e))` `therefore (v)/(v_(e)) = 3` तथा `(lambda)/(lambda_(e)) = 1*813 xx 10^(-4)` अतः कण का द्रव्यमान `m = me[(lambda_(e))/(lambda)][(v_(e))/(v)]` या ` = 9*11 xx 10^(-31) xx (1)/(3)xx(1)/(1*813 xx 10^(-4))` या ` = 1*675 xx 10^(-27)` kg अर्थात इस द्रव्यमान का कण प्रोटॉन अथवा न्यूट्रॉन होगा | |
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| 105. |
30 kV इलेक्ट्रॉनों के द्वारा उत्पन्न X - किरणों की उछत्तम आवृति प्राप्त कीजिय |
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Answer» सूत्र `hv_("max")=eV` या `u_("max") = (eV)/h =(1*6xx 10^(-19) xx 30 xx10^3)/(6*63 xx10^(-34))=7*24 xx 10^(18) Hz` |
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| 106. |
किसी जांच की तरंगदैर्ध्य उसके द्वारा कुछ विश्तार में जांच की जा सकने वाली सरचना की आकर की लगभग आमाप है प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉन की क्वार्क सरचना `10^(-15)` मीटर या इससे भी कम लम्बाई के लघु पैमाने की है एक सरचना को सवर्प्रथम 1970 के दशक के प्रारंभ में एक रेखीय त्वरित (Linear accelerator) से उत्पान उच्च ऊर्जा एलेक्ट्रोनो की किरणों पुंजों की उपयोग द्वारा स्टेनफोर्ड संयुक्त रजिए मेट्रिका में जांच ज्ञात था इन इलेक्ट्रान किरण पुंजों की ऊर्जा की कोटि का अनुमान लगाई(इलेक्ट्रॉन की विराम द्रव्यमान ऊर्जा0.511MeVहै।) |
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Answer» दिया है तरंगदैर्ध्य `(lambda)=10^(-15)` मीटर ऊर्जा =0.511 MeV कण का संवेग `P=(h)/(lambda)=(6.63xx10^(-34))/(10^(15))=6.63xx10^(-9)` किग्र मीटर सेकंड विराम द्रिव्यमान ऊर्जा `=m_(0)c^(2)=0.511` MeV `=0.511xx1.6xx10^(-13)` J आपेक्षिक ऊर्जा सिद्वांत के अनुसार `E^(2)=P^(2)C^(2)+m_(0)^(2)C^(4)` `=(3xx10^(98)xx6.63xx10_(-19)^(2)+(0.511xx10^(-13)xx1.6)^(2)=9xx(6.63)^(2)xx10^(-22)` चुकी विराम द्रिव्यमान ऊर्जा नगदीय है `therefore` ऊर्जा (E) अतः `=sqrt(p^(2)C^(2))=pc=6.63xx10^(-19xx310^(8)` =1.24 BeV इलेक्ट्रान बीम को उर्जित करने हेतु आवकश्यता ऊर्जा 1.24 BeV कर्म की होनी चाहिए |
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| 107. |
100 V के विभवान्तर द्वारा त्वरित किसी इलेक्ट्रॉन से सम्बन्धित डी-ब्रॉन्ग्ली तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए | |
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Answer» त्वरण विभव `V = 100V` डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य X-किरण तरंगदैर्घ्य की कोटि की है | |
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| 108. |
पराबैंगनी किरणे जिनकी ऊर्जा `6*2eV` है, एल्युमिनयम की सत्य पर ( कार्यालयं `4*2eV` ) गिरती है सबसे तेज इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा जूल में लगभव कितनी होगी ---A. `3 xx 10^(-21)`B. `3*2 xx 10^(-19)`C. `4 xx 10^(-17)`D. `3xx 10^(-15)` |
| Answer» Correct Answer - B | |
| 109. |
किसी जाँच की तरंगदैघ्र्य उसके द्वारा कुछ विस्तार में जाँच की जा सकने के आकार की लगभग आमाप है| प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों तथा न्यूट्रॉनों की लगभग आमाप है | प्रोटॉनों तथा न्यूट्रोनो की क्वार्क ( Quark ) सरंचना `10^(-15)` मी. या इससे भी क लम्बाई के लघु पैमाने की और इस सरंचना को सर्प्रथम 1970 के दर्शक के प्रारम्भ में एक रेखीय तरित्र ( Linear Accelersator ) से उत्पान्न उच्च इलेक्ट्रॉनों के किरण - पुंजों के उपयोग द्वारा, स्टेनफोर्ड, संयुक्त राजा अमेरिका में जांचा ज्ञात था | इन इलेक्ट्रॉन किरण - पुंजों की ऊर्जा की कोटि का अनुमान लगाइये ( इलेक्ट्रॉन की विराम द्रव्यमान ऊर्जा `0*511 Me` है |) |
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Answer» दिया है --- `lamda = 10^(-15)` मी, `h=6*63 xx 10^(-34)"J-sec` सूत्र----- `p=h/lamda =(6*63 xx 10^(-34))/(10^(-15)) = 6*63 xx 10^(-19)` किग्रा - मी./सेकण्ड इलेक्ट्रॉन की विराम द्रव्यमान ऊर्जा `E = m_0 c^2` `=0*511" MeV"` (दिया है) ` = 0*511 xx 1*6 xx 10^(-13)J` इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा हेतु अपेक्षितकता के सिद्धांत से `=sqrt(6*63xx 6*63 xx 9 xx 10^(-22) +(0*8176xx10^(-13))^2+(0*511xx1*6 xx 10^(-13))^2)` `E= sqrt(6*63xx6*63 xx 9xx10^(-22)+(0*8176 xx 10^(-13))^2)` `=6*63 xx 3xx10^(-11) +0*8176xx10^(-13)J` `=(6*63xx3+0*8176 xx10^(-2))10^(-11)J` ` = (19*89 +0*008176)10^(-11)J` `=(19*89xx10^(-11))/(1*6xx10^(-19))eV` `= 1*24 BrV` अतः रेखीय त्वरक से निर्गत प्रोटोन की ऊर्जा BeV के क्रम की होगी | |
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| 110. |
एक इलेक्ट्रॉन - सूक्षमदर्शी में 25kV वोल्टेज से त्वरित इल्क्ट्रोन प्रयोग किय जाते है | यदि वोल्टेज 100kV तक बढ़ाते है, तब इलेक्ट्रॉनों से सम्बन्ध डी - ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य ---A. दो गुना कम हो जाएगाB. चार गुना कम हो जायेगाC. चार गुना बड़जाएगाD. दो गुना बाद जायेगा |
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Answer» Correct Answer - A `lamda = h/sqrt(2mqv)`से `lamda_1/lamda+_2 = sqrt(v_1/v_2) = sqrt(100/25) = 2` |
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| 111. |
एक इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में `50kV` वोल्टता के द्वारा त्वरित इलेक्ट्रॉनों का उपयोग किया जाता है । इन इलेक्ट्रॉनों से जुड़े दे ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। यदि अन्य बातों (जैसे कि संख्यात्मक द्वारक, आदि) को लगभग समान लिया जाए, इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता की तुलना पीले प्रकाश का प्रयोग करने वाले प्रकाश सूक्ष्मदर्शी से किस प्रकार होती है? |
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Answer» Correct Answer - `lamda=5.5xx10^(-12)m` `lamda` (पीला प्रकाश) `5.9xx10^(-7)m` विभेदन क्षमता, तरंगदैर्घ्य के व्युत्क्रमानुपाती हैं इसलिए इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता, प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता से लगभग `10^(5)` गुना है। व्यवहार में दूसरे (ज्यामितीय) कारकों का अंतर इस तुलना को थोड़ा सा परिवर्तित कर सकता है। |
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| 112. |
आवृति v के एक इल्क्ट्रोन में संवेग निहित है यदि c प्रकाश वेग है तब संवेग है ----A. `v/c`B. `(hv)/c`C. `(hv)/c^2`D. `(hv)/(c)` |
| Answer» Correct Answer - D | |
| 113. |
एक इलेक्ट्रॉन सूक्षमदर्शी में 50 kV वोल्टा के द्वारा त्वरित इलेक्ट्रॉनों का उपयोग किया जाता है| इन इलेक्ट्रॉनों से जुड़े डी - ब्रोग्ली तरंगदैघ्र्य द्वारक, आदि ) कोलगभग समान लिया जाए, इलेक्ट्रॉन सूक्षमदर्शी की विभेदन क्षमता की तुलना पिले प्रकाश का प्रयोग करने वाले प्रकाश सूक्ष्मदर्शी से किस प्रकार होती है ? |
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Answer» दिया है --- `V=50 KV = 50 xx 10^3 V` इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा `E_K = 5 xx10^4 eV` `= 1*6 xx 10^(-19) xx 5 xx 10^4 J` `=8 xx 10^(-15) J` सूत्र --- `lamda =h/sqrt(2 m_e E_k)` ` = (6*63xx10^(-34))/sqrt(2xx9*11xx10^(-31) xx 8 xx 10^(-15))` ` = (6*63xx10^(-11))/(12*7) = 5*5 xx 10^(-12) ` मी. पिले रंग के प्रकाश की तरंगदैघ्र्य `lamda_y = 5900 Å = 5*9 xx 10^(-7)` मी. सूक्षमदर्शी की विभेद शकंता `prop ""1/lamda` `:." "("इलेक्ट्रॉन सूक्षमदर्शी की विभेद समता ")/("प्रकाशीय शूक्षमदर्शी की विभेद क्षमता ") = lamda_y/lamda = (5*9xx10^(-7))/(5*5 xx 10^(-12))= 1*09 xx 10^5` अर्थात इलेक्ट्रॉन सूक्षमदर्शी की विभेदन क्षमता प्रकाशीय सूक्षमदर्शी से बहुत अधिक होगी | |
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| 114. |
एक प्रकाश सक्रिया पदार्थके ताल के कार्यफलॉँ `6*2 eV` है | आपत्ति विकिरण, जिसकी लिए निरोधी विभव 5 वाल्ट है, का तरंगदैघ्र्य पड़ेगा ---A. पराबैंगनी परिसर मेंB. दृश्य परिसर मेंC. अवरक्त परिसर मेंD. X-किरण परिसर में |
| Answer» Correct Answer - A | |
| 115. |
कमरे के सामान्य ताप `27^@C` पर उष्मीय न्यौंतरों से जुड़े डी-ब्रोग्ली तरंगदैघ्र्य ज्ञात कीजिय | इस प्रकार स्पष्ट कीजिय की क्योँ एक तीव्रगामी न्यूट्रॉन - विवर्तन प्रयोग में उपयोग में लाने से पहले वातावरण के साथ तापीकृत किज्ञा जाता है ? |
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Answer» दिया है --- `T= 27^@C = ( 27 + 273) K=300 K` ` lamda = h/sqrt(3m_n "K.T.")` `lamda =(6*63 xx 10^(-34))/sqrt( 3xx 1*675 xx 10^(-27) xx 1*38 xx 10^(-23) xx 300)` `= 1*45 xx 10^(-10) m` `=1*45 Å` अतः `lamda` क्रिस्टल अंतरपरमाणुवीय दुरी के तुलनीय है | स्पष्तः उष्मीय न्यूट्रॉन विवर्तन प्रयोग के लिए उपयुक्त होंगे | |
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| 116. |
यदि किसी मुक्त इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा दोगुनी हो जाये तो इसका डी - ब्रोग्ली तरंगदैघ्र्य में किस गांक द्वारा परिवर्तन हो जायेगा ---A. `sqrt2`B. `1/2`C. `sqrt3`D. `1/sqrt2` |
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Answer» Correct Answer - D `lamda = h/sqrt(2mE)`से, `lamda_2/lamda_1 = sqrt(E_1/E_2)= sqrt(E_1/(2E_1))` |
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| 117. |
न्यौताओं की किस गतिज ऊर्जा के लिए डी-ब्रॉक्ली तरंगदैघ्र्य `1*40 xx 10^(-10)m `होगा | डी - ब्रॉक्ली तरंगदैघ्र्य ज्ञात कीजिय | ? |
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Answer» दिया है : `k = 1*38 xx 10^(-23)" JK"^(-1)` `lamda = h/sqrt(2mh)` या `k= h^2/(2 m lamda^2)= ((6*63 xx 10^(-34))^2)/(2xx1*677 xx 10^(-27)xx(1*4 xx 10^(-10))^2)= 6*686 xx 10^(-21)J` `=(6*686 xx 10^(-21))/(1*56 xx 10^(-19)) eV` `=4*179 xx 10^(-2) eV` |
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| 118. |
प्रकाश-विघुत सेल में आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर प्रकाश-विघुत धारा का मान घट जाता है | |
| Answer» Correct Answer - असत्य | |
| 119. |
प्रकाश विघुत सेल में विघुत धारा आपतित फोटॉन की-A. आवृत्ति बढ़ाने पर घटती हैB. आवृत्ति बढ़ाने पर बढ़ती हैC. संख्या बढ़ाने पर घटती हैD. संख्या बढ़ाने पर बढ़ती है | |
| Answer» Correct Answer - d | |
| 120. |
एम् प्रकाश विधुत प्रयोग मके निरोधी विभव और आपत्ति विकिरण की आवृति v में आचरण को बताने वाले आरेख है ---A. B. C. D. |
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Answer» Correct Answer - D `1/2 mv_("max")^(2) = eV_0 = h(v-v_0)`से `V_0 prop v` |
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| 121. |
एक न्यौताओं, जिसकी गतिज ऊर्जा 150 eV है, का डी-ब्रोग्ली तरंगदैघ्र्य कीजिय | जैसा की अपने अभ्यास विवर्तन प्रयोग के लिए उपयुक्त है | क्या समान ऊर्जा का एक न्यौंतरों किरण पुंज इस प्रयोग के लिए समान रूप में उपयोग होगा ? स्पष्ट कीजिय `(m_e = 1*675 xx 10^(-27)kg)` |
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Answer» दिया है - `E = 150 eV` `=150 xx 1*6 xx 10^(-19)J` `E = 2*4 xx 10^(-17) J` सूत्र ---- `lamda = h/sqrt(2 m_n E)` `:." "lamda=(6*63 xx 10^(-34))/sqrt(2xx 1*675 xx 10^(-27) xx 10^(-17))` ` = 2*34 xx 10^(-12)m` ` = 2*34 xx 10^(-2) Å` ` = 0*0234 Å` क्रिस्टल के अंतरपरमाणिविय दुरी की तुलना में `lamda` का मान सौ गुना कम है | अतः क्रिस्टल के विवर्तन हेतु न्यौताओं उपयुक्त नहीं होगा | |
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| 122. |
यदि एक प्रोटॉन तथा एक `alpha`- कण समान वेग से गतिशील है, तो उनसे संबद्ध डी-ब्रॉगली तरंगदैर्ध्य का अनुपात क्या होगा ? |
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Answer» `lambda_(1)=(h)/(m_(p)v_(p))" …(1)"` `lambda_(2)=(h)/(m_(alpha)v_(alpha))" …(2)"` समीरकण (1 ) में समीकरण (2 ) का भाग देने पर, `(lambda_(1))/(lambda_(2))=(h)/(m_(p)v_(p))xx(m_(alpha)v_(alpha))/(h)` लेकिन `" "v_(p)=v_(alpha) because m_(alpha)=4m_(p)` `therefore" "(lambda_(1))/(lambda_(2))=(m_(alpha))/(m_(p))=(4m_(p))/(m_(p))` या `" "(lambda_(1))/(lambda_(2))=(4)/(1)=4:1` |
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| 123. |
कार्य-फलन और देहली-आवृत्ति में सम्बन्ध बताइए | |
| Answer» Correct Answer - `phi = hv_(0)`. | |
| 124. |
यदि किसी धातु तल के लिए देहली आवृत्ति `v_(0)` हो , तो उसका कार्य फलन .......... होता है | |
| Answer» Correct Answer - `hv_(0)` | |
| 125. |
निम्नलिखित कण समान वेग से गतिमान हिअ | किस कण कण का डी-ब्राग्ली तरंगदैघ्र्य अधिकतम होगा ---A. प्रोटोनB. `alpha-` कणC. नियतोंD. इलेक्ट्रॉन |
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Answer» Correct Answer - D `lamda = h/(mv)` में x व् h समान होने पर `lamda prop 1/m` इलेक्ट्रॉन के लिए m का मान दिय कानों में से सबसे कम है | |
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| 126. |
किसी धातु का कार्यफलन `4*4eV` है | क्या इस पर दृश्य प्रकाश डालने से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होंगे ? गणना द्वारा पुष्टि कीजिए | यदि `h = 6*6 xx 10^(-34)` जूल-सेकण्ड तथा `c = 3 xx 10^(8)` मीटर/सेकण्ड | |
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Answer» दिया है-`h = 6*6 xx10^(-34)` जूल-सेकण्ड, `c = 3 xx 10^(8)` मीटर/सेकण्ड, `phi = 4*4eV = 4*4 xx 1*6 xx 10^(-19)` जूल `therefore` सूत्र `phi = hv_(0) = (hc)/(lambda_(0))` या `lambda_(0) = (hc)/(phi) = (6*6xx10^(-34)xx3xx10^(8))/(4*4xx1*6xx10^(-19))` ` = 2*8125 xx 10^(-7)` मीटर ` = 2812*5 xx 10^(-10)` मीटर ` = 2812*5 Å` अर्थात धातु की देहली तरंगदैर्घ्य `2812*5 Å` है | दृश्य, प्रकाश की तरंगदैर्घ्य परास 4000 से 7800 होती है अतः दृश्य प्रकाश से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन नहीं होगा | |
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| 127. |
प्रयोगशाला में प्रयुक्त होने वाले लेसर उपकरण का नाम बताइए | |
| Answer» Correct Answer - He-Ne लेसर | | |
| 128. |
(i) किसी धातु का कार्य फलन6.6 इलेक्ट्रॉन वोल्ट है इस पर 100 Å तरंगदैर्घ्य का विकिरण आपतित हो रहा है । उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनो अधिकतम गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए । (ii) प्रकाश इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन रोकने के लिये आवश्यक निरोधी विभव कितना होगा |
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Answer» आपतित प्रकाश फोटॉन की ऊर्जा ` E= (hc)/lambda = ( 6.6 xx 10^(-34)) (3xx 10^(8))/(100 xx 10^(-10))` `= 1.98 xx 10^(-17) ` जूल `( 1.98 xx 19^(-17))/(1.6 xx 10^(-19)) eV = 123. 75 eV` कार्य फलन W = 6.6 eV ` K_(max) = E -phi_(0) = 123.75 -6.6 ` = 117.15 eV यदि निरोधी विभव `V_(0)` हो तो ` eV_(0) = K_(max) = 117.15 eV` `V_(0) = 117 . 15` वोल्ट |
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| 129. |
किसी धातु का कार्यफलन `phi_(0)` का मान `3 xx 10^(-19)` है | `26*52` nm तरंगदैर्घ्य के प्रकाश के फोटॉनो की संख्या की गणना कीजिए | जिनकी ऊर्जा `phi_(0)` के बराबर है | |
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Answer» `phi_(0) = NE + (Nhc)/(lambda)` या `N = (lambdaphi_(0))/(hc)` `N = (26*52 xx 10^(-19) xx 3 xx 10^(-19))/(6*6 xx 10^(-34)xx3xx10^(8))` ` = 4 xx 10^(-2)` |
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| 130. |
विभिन्न धातुओं के कार्यफलन नीचे दिये गये है- `na : 1*92 eV, 2*15 eV, Mo : 4*17eV, Ni : 5*0 eV` यदि इन पर 3300 Å का विकिरण आपतित हो, किन्तु धातुओ से प्रकाश-इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं होंगे | यदि विकिरण स्त्रोत से इन धातुओं की दूरी आधी कर दी जाये तो क्या होगा ? |
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Answer» सूत्र-`E = hv` या `E = (hc)/(lambda)` दिया है- `lambda = 3300 Å = 3300 xx 10^(-10)` मीटर उपर्युक्त सूत्र में मान रखने पर, `E = (6*6 xx 10^(-34) xx 3 xx 10^(8))/(3300 xx 10^(-10))` ` = (6626 xx 10^(-21))/(11) = 6*026 xx 10^(-19)` जूल ` = (6xx10^(-19))/(1*6 xx 10^(-19)) = 3*765 eV.` Na और K के कार्यफलन `3*765 eV` से कम है | अतः इन धातुओं से प्रकाश-इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होंगे, Mo और Ni से नहीं होंगे | धातु से विकिरण स्त्रोत की दूरी आधी करने पर विकिरण की तीव्रता चार गुनी हो जायेगी `[1 prop (1)/(d^(2))]` अतः Na और K से चार गुने अधिक प्रकाश-इलेक्ट्रॉन निकलने लगेंगे, किन्तु Mo और Ni से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं होंगे | |
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| 131. |
यदि आपतित प्रकाश के तरंगदैर्ध्य को कम कर दिया जाए, तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों के वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? |
| Answer» यदि आपतित प्रकाश के तरंगदैर्ध्य को कम कर दिया जाए, तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का अधिकतम वेग बढ़ जायेगा । | |
| 132. |
धातु के कार्य-फलन के साथ उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा किस प्रकार परिवर्तित होती है ? |
| Answer» धातु के कार्य-फलन में वृद्धि के साथ उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा कम होने लगती है | | |
| 133. |
स्वेत प्रकाश की न्यून्तम तीव्रता, जिससे कोई मनुष्य देख सकता है, `10^(-10)` वाट/मीटर`""^2` है | शवेत प्रकाश की औसत आवृति `6 xx 10^(14)` हार्ट्स है | यदि मनुष्य के नेत्र की पुतली का श्रेत्रफल `0*4`सेमी`""^2` हो, तो मनुष्य के पुतली में प्रति सेकण्ड पवेश करने वाले फोटोनो की संख्या क्या होगी ? |
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Answer» Correct Answer - `10^4` n फोटों की ऊर्जा E = nhv `:." "n = E/(hv) = ( 4xx10^(-15))/(6*6 xx 10^(-34) xx 6 xx 10^(14)) = 10^(4)` प्रति सेकण्ड |
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| 134. |
एक रेडियो स्टेशन 300 मीटर तरंगदैर्घ्य वाली तरंगो को प्रसारित कर रहा है | यदि ट्रांसमीटर की विकिरण क्षमता 10 kW हो, तो प्रति सेकण्ड विकीर्णित होने वाले फोटॉनों की संख्या क्या होगी ? |
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Answer» सूत्र- `E = hv` या `E = (hc)/(lambda)` दिया है- `h = 6*6 xx 10^(-34)` जूल-सेकण्ड, `c = 3 xx 10^(8)` मीटर/सेकण्ड, `lambda = 300` मीटर | उपर्युक्त सूत्र में मान रखने पर, `E = (6*6 xx 10^(-34) xx 3 xx 10^(8))/(300)` ` = 6*63 xx 10^(-28)` जूल (यह एक फोटॉन की ऊर्जा है ) ट्रान्समीटर की विकिरण क्षमता = 10 kW ` = 10 xx 10^(3)W = 10^(4)` जूल/सेकण्ड अतः प्रति सेकण्ड विकिरण होने वाले फोटॉनों की संख्या ` = (10^(4))/(6*63 xx 10^(-28)) = 1 *5 xx 10^(31)` इस प्रश्न को निम्न प्रकार से भी हल किया जा सकता है- `E = nhv` या `n = (E)/(hv)` या `n = (E)/(h.""(c)(lambda)) " " [because c = ulambda]` या `n = (Elambda)/(hc) = (10 xx 10^(3) xx 300)/(6*6 xx 10^(-34) xx 3 xx 10^(8)) = 1*5 xx 10^(31)` |
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| 135. |
आपतित प्रकाश के तरंगदैर्घ्य को कम करने पर अथवा आवृत्ति बड़ा देने पर प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों की संख्या तथा वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? |
| Answer» प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों की संख्या अपपरिवर्तित रहेगी, किन्तु वेग बढ़ जायेगा | | |
| 136. |
एक प्रेषि `6 xx 10^5` हर्ट्ज आवृति रेडियो तरंगो को प्रसारित क्र रहा है यदि प्रेषि की विकिरण क्षमता 10 KW हो, तो प्रोषि से प्रति सेकण्ड उत्सर्जित होने वाले फोटॉनों की संख्या ज्ञात कीजिय | |
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Answer» Correct Answer - `25 xx 10^(30)` `E=nhv`से `n = E/(hv)` |
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| 137. |
एक MW ट्रांसमीटर को विकिरण समता 10 kW है | यह ट्रांसमीटर 500 मीटर तरंदेघरी की रेडियो तरंगे प्रसारित कर रहा है बताइये उससे प्रति सेकण्ड कितने फोटों उत्सर्जित होते है ? |
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Answer» Correct Answer - `3 xx 10^(31)` पुतली में प्रति सेकण्ड प्रवेश करने वाली ऊर्जा E = तीव्रता `xx` श्रेत्रफल `= 10^(-10)x ( 0*4 xx 10^(-4))` `=4 10^(-34)` जूल/सेकण्ड n फोटॉनों की ऊर्जा E = nhv अतः `n = E/(hv) = (4xx10^(-15))/(6*6 xx 10^(-34)xx 6xx 10^(14)) = 10^4` प्रति सेकण्ड |
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| 138. |
एक फोटॉन की ऊर्जा जिसका तरंगदैर्घ्य ` 3xx10^(-5)`सेमी है, क्या होगी ? |
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Answer» Correct Answer - `66 xx 10^(-19)`जूल `E=hv = (hc)/lamda` |
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| 139. |
यदि विघुत-चुंबकीय तरंगो का तरंगदैर्घ्य दुगुना कर दिया जाये तो फोटॉनों की ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? |
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Answer» `E = hv = (hc)/(lambda) rArr E prop (1)/(lambda)` अतः तरंगदैर्घ्य `lambda` को दोगुना कर देने पर ऊर्जा आधी हो जायेगी | |
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| 140. |
प्रकाश विद्युत प्रभाव में देहली आवृत्ति का होना, फोटॉन सिद्धांत को तरंग सिद्धांत से अधिक महत्व देता है, व्याख्या कीजिए । |
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Answer» तरंग सिद्धांत के अनुसार, यदि यथेष्ट समय तक किसी भी आवृत्ति के प्रकाश को धातु की सतह पर डाला जाये, तो प्रकाश इलेक्ट्रॉन अवश्य निकलने चाहिए । इसके विपरीत प्रयोग बताता है कि इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन तभी सम्भव हो पाता है, जबकि आपतित प्रकाश की आवृत्ति एक न्यूनतम आवृत्ति जिसे देहली आवृत्ति कहते हैं, से अधिक हो। यह तथ्य फोटॉन सिद्धांत की पुष्टि करता है, क्योंकि इस सिद्धांत के अनुसार, उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा, `E_(k)=hv-hv_(0)` यदि `v=v_(0),` तो `E_(k)=0` और यदि तो `vltv_(0),` इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा ऋणात्मक हो जाएगी, अर्थात इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन नहीं होगा । अतः देहली आवृत्ति का होना, फोटॉन सिद्धांत की ही पुष्टि करता है। |
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| 141. |
कार्य फलन से आप क्या समझते हैं? देहली आवृत्ति तथा देहली तरंगदैर्ध्य से इसका क्या संबंध है? |
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Answer» किसी धातु के अंदर से मुक्त इलेक्ट्रॉन को तल तक लाने में खर्च हुई ऊर्जा को उस धातु का कार्यफलन कहते हैं। कार्यफलन ऊर्जा को उस धातु का कार्यफलन कहते हैं। कार्यफलन को अक्षर `phi` से व्यक्त करते हैं, और इसे प्रायः इलेक्ट्रॉन वोल्ट (eV ) में मापते हैं, जो ऊर्जा का ही एक मात्रक है। धातु तल से इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित कराने के लिए आपतित प्रकाश के अधिकतम तरंगदैर्ध्य `(lambda_(0))` को देहली तरंगदैर्ध्य तथा उसके संगत न्यूनतम आवृत्ति को देहली आवृत्ति `(lambda_(0))` कहते हैं। कार्य फलन `phi=hv_(0)=(hc)/(lambda_(0))` जहाँ, h प्लांक नियतांक है। आइंस्टीन के प्रकाश विद्युत समीकरण `E_("max")=(1)/(2)mv^(2)=hv-phi_(0)` से स्पष्ट है कि जब आपतित फोटॉन की ऊर्जा `(hv),` कार्य फलन `(phi)` के ठीक बराबर होती है, तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गति ऊर्जा शून्य होती है अर्थात धातु तल से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन का वेग शून्य होता है, अर्थात इलेक्ट्रॉन धातु तल से ठीक बाहर ही हो पाता है। |
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| 142. |
आइंस्टीन के प्रकाश विद्युत समीकरण को प्रति - पादित कीजिए । |
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Answer» आइंस्टीन के अनुसार, जब `hv` ऊर्जा के कोई फोटॉन किसी धातु के सतह पर आपतित होते हैं, तो यह ऊर्जा दो प्रकार से व्यय होती हैं - (i ) ऊर्जा का एक भाग धातु की सतह से इलेक्ट्रॉन को हटाने में व्यय होता है, जिसे धातु का कार्य फलन `(phi)` कहते हैं। (ii ) ऊर्जा का शेष भाग उत्सर्जित इल्केट्रॉन को गतिज ऊर्जा प्रदान करने में व्यय होता है। माना कि गतिज ऊर्जा का अधिकतम मान `E_(k)` है । `therefore" "hv=phi+E_(k)` या `" "E_(k)=hv-phi` यदि उत्सर्जित इल्केट्रॉन का अधिकतम वेग `v_("max")` तथा द्रव्यमान m हो, तो `E_(k)=(1)/(2)mv_("max")^(2)" ...(2)"` समीकरण (1 ) और (2 ) से, `(1)/(2)mv_("max")^(2)=hv-phi" ...(3)"` यदि आपतित फोटॉन की ऊर्जा धातु के कार्यफलन के बराबर हो, तो धातु की सतह से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का वेग `v_("max")` शून्य होगा तथा आपतित फोटॉन की आवृत्ति `v,` देहली आवृत्ति `v_(0)` के बराबर होगी । अतः समीकरण (3 ) से, `0=hv_(0)-phi` या `" "phi=hv_(0)` पुनः `phi` का मान समीकरण (3 ) में रखने पर, `(1)/(2)mv_("max")^(2)=hv-hv_(0)` या `(1)/(2)mv_("max")^(2)=h(v-v_(0))` यही आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत समीकरण है। आँख के रेटिना पर किसी फोटॉन का प्रभाव `(1)/(10)` सेकण्ड तक रहता है। यदि फोटॉन इसमें कम समय पर आकर रेटिना से टकराते हैं, तो प्रकाश संतत प्रतीत होगा। जब प्रकाश आँख के अंदर प्रवेश करता है, तो रेटिना पर प्रति सेकण्ड `10^(18)` फोटॉन आपतित होते हैं। फलस्वरूप प्रकाश संतत प्रतीत होता है, असंतत नहीं । |
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| 143. |
एक X- किरण की नली सतत स्पेक्ट्रम उत्तरार्शित करती है इस स्पेक्ट्रम का न्यूनतम तरंगदैघ्र्य `0*66 Å` है | विकिरण में फोटों की अधिकतम ऊर्जा क्या होगा ? |
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Answer» Correct Answer - `3xx 10^(-15)` जूल `E = hv = (hv)/lamda` |
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| 144. |
X-किरण फोटों की ऊर्जा `3*31xx 10^(-16)` जूल है | इसकी आवृति कितनी होगी ? |
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Answer» Correct Answer - `4*7 xx 10^(30)` हर्ट्ज `E=hv ` मी `v = E/h =(3*31 xx 10^(-16))/(6*6xx10^(-34))` |
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| 145. |
यदि विधुत चुम्बकीय विकिरण का तरंगदैघ्र्य दुगुना कर दिया जाये टी फोटों की ऊर्जा कैनी होगी ? |
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Answer» Correct Answer - प्राथमिक मान का आधा `E prop 1/lamda` `:." "E_1/ E_2 = lamda_2/lamda_1` `E_2 =(E_1 xx lamda_1)/lamda_2` या `E_2 = E_1 xx lamda_1/(2lamda_1)` या `E_2 = E_1/2` |
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| 146. |
प्रकाश-विघुत प्रभाव की व्याख्या सर्वप्रथम ......... ने की थी | |
| Answer» Correct Answer - आइन्स्टीन | |
| 147. |
प्रकाश विद्युत प्रभाव क्या है? आइंस्टीन के प्रकाश विद्युत समीकरण के आधार पर प्रकाश - विद्युत प्रभाव की व्याख्या कीजिए । |
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Answer» प्रकाश विद्युत प्रभाव - आइंस्टीन प्रकाश - विद्युत समीकरण निम्न हैं- `(1)/(mv_("max")^(2))=h(v-v_(0))` इस समीकरण के आधार पर प्रकाश विद्युत प्रभाव की धारणा निम्नानुसार की जा सकती है - (i ) यदि किसी निश्चित आवृत्ति `v` के प्रकाश की तीव्रता बढ़ाई जाये तो धातु सतह से प्रति सेकण्ड टकराने वाले फोटॉनों की संख्या उसी अनुपात में बढ़ जाएगी, क्योंकि प्रति सेकण्ड इकाई क्षेत्रफल पर जितनी प्रकाश ऊर्जा गिरती है वही प्रकाश की तीव्रता होती है और फोटॉनों की संख्या ऊर्जा की मात्रा के अनुक्रमानुपाती होती है, परन्तु प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा `hv` ही रहेगी, अतः धातु तल से प्रति सेकण्ड उत्सर्जित प्रकाश - इलेक्ट्रानों की संख्या बढ़ जाएगी परन्तु उनकी अधिकतम ऊर्जा `(E_(k))` उतनी ही रहेगी । (ii ) यदि तो आइंस्टीन समीकरण के अनुसार, इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा भी उसी अनुपात में बढ़ जाती है। आइंस्टीन समीकरण से यह स्पष्ट है `(E_(k) prop hv)` | (iii ) यदि `vltv_(0)` तो आइंस्टीन समीकरण के अनुसार, इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा ऋणात्मक होती, जो कि असम्भव है, अर्थात इस स्थिति में इलेक्ट्रॉन निकलेंगें ही नहीं चाहे प्रकाश की तीव्रता कितनी ही बढ़ा दी जाये । (iv ) फोटॉन को विभाजित नहीं किया जा सकता है, इसलिए किसी धातु से प्रकाश इल्केट्रॉनों का उत्सर्जन केवलं तब होता है, जब वह धातु फोटॉन को ज्यों - का - त्यों अवशोषित कर लेती है, इस प्रकार धातु पर प्रकाश के गिरते ही फोटॉन अपनी ऊर्जा इलेक्ट्रॉन को देकर स्वयं समाप्त हो जाता है और उसी क्षण इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित हो जाता है। यह क्रिया तात्क्षणिक होती है। |
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| 148. |
प्रकाश-विघुत प्रभाव का व्याख्या सर्वपर्थम किसने की ? |
| Answer» अल्बर्ट आइंस्टीन में | | |
| 149. |
आइंस्टीन द्वारा प्रकाषवैधुत प्रभाव पर किये गए करिये को किस समीकरण से सहायता मिलीA. E=hvB. `E=mc^(2)`C. `E=-Rhc//n^(2)`D. `Kepsilon=1/2 m^(2)` |
| Answer» Correct Answer - A | |
| 150. |
प्रकाषवैधुत प्रभाव किस सिदांत की आधार पर समझा जा सकता हैA. प्रकाश का तरंग सिद्वांतB. प्रकाश का क्वांटम सिद्वांतC. प्रकाश का विधुत चुंबकीय तरंग सिद्वांतD. इनमे से कोई नहीं |
| Answer» Correct Answer - B | |