InterviewSolution
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प्राचीन भारतीय शिक्षा की दो असफलताओं पर प्रकाश डालिए। या वैदिककालीन शिक्षा के दो दोषों की विवेचना कीजिए। |
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Answer» प्राचीन भारतीय शिक्षा की दो असफलताएँ (दोष) निम्नलिखित हैं| 1. व्यावसायिक शिक्षा का अभाव-उस काल में विद्यार्थियों को अन्य सभी कर्म सिखाये जाते थे, जो उन्हें अनुशासित, धार्मिक, चरित्रवान व अच्छा नागरिक बनाते थे, किन्तु रोजगारोन्मुखी शिक्षा का अभाव ही था। अत: बहुत कम लोग शिक्षा ग्रहण करने में रुचि लेते थे। |
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प्राचीन काल में भारत में स्त्री-शिक्षा की क्या स्थिति थी ? |
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Answer» प्राचीन काल में भारत में स्त्री-शिक्षा का प्रचलन था। इसका मुख्य प्रमाण हैप्राचीनकालीन विदुषी स्त्रियाँ; जैसे कि–घोषा, गार्गी, मैत्रेई, अपाला, शकुन्तला, अनुसूइया आदि। वैसे इस बात का कोई प्रमाण नहीं कि उस काल में स्त्रियों के लिए अलग से शिक्षण-संस्थाएँ थीं। ऐसा माना जाता है कि उस काल में बालिकाएँ घर पर ही रह कर विद्या प्राप्त करती थीं। सामान्य रूप से माता-पिता, भाई अथवा कुल पुरोहित द्वारा बालिकाओं को शिक्षा प्रदान की जाती थी। कुछ सम्पन्न परिवारों में बालिकाओं की शिक्षा के लिए घर पर ही शिक्षक भी नियुक्त किए जाते थे। |
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बौद्धकालीन शिक्षा का परम उद्देश्य क्या स्वीकार किया गया था ? |
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Answer» बौद्धकालीन शिक्षा को परम उद्देश्य निर्वाण की प्राप्ति माना गया था। |
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प्राचीनकालीन शिक्षा-व्यवस्था में उपनयन संस्कार का सामान्य परिचय प्रस्तुत कीजिए। या उपनयन संस्कार से आप क्या समझते हैं? |
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Answer» विचारकों का मत है कि ब्राह्मणों को 5वें वर्ष, क्षत्रिय को छठे वर्ष और वैश्य को 8वें वर्ष में विद्याध्ययन प्रारम्भ कर देना चाहिए। शूद्रों को विद्याध्ययन करने का अधिकार नहीं था। शिक्षा प्रारम्भ करने से पूर्व प्रत्येक बालक का उपनयन संस्कार किया जाता था। प्राचीन काल में बिना उपनयन संस्कार के बालक ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता थे। इसके द्वारा बालक को गुरु मन्त्र का उपदेश दिया जाता था। |
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बौद्धकालीन शिक्षा के दो मुख्य स्तर कौन-कौन-से थे ? |
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Answer» बौद्धकालीन शिक्षा के दो मुख्य स्तर थे:-प्राथमिक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा। |
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बौद्धकालीन शिक्षा के मुख्य दोषों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» बौद्धकालीन शिक्षा में निम्नलिखित दोष थे ⦁ धार्मिक ज्ञान पर विशेष बल देना। |
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बौद्धकालीन शिक्षा के मुख्य गुणों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» बौद्धकालीन शिक्षा के निम्नलिखित मुख्य गुणों का उल्लेख किया जा सकता है ⦁ प्राथमिक एवं उच्च स्तर पर सभी प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था होना। |
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बौद्धकालीन सामान्य शिक्षण संस्थानों को किस नाम से जाना जाता था? |
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Answer» बौद्धकालीन सामान्य शिक्षण संस्थाओं को बौद्ध मठ के नाम से जाना जाता था। |
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बौद्धकालीन शिक्षा में अनुशासन की क्या व्यवस्था थी ? |
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Answer» बौद्धकालीन शिक्षा में छात्रों के लिए अनुशासित रहना अति आवश्यक था। प्रत्येक छात्र को विद्यालय के नियमों तथा रहन-सहन एवं खान-पान के नियमों का पालन करना पड़ता था। नियम और अनुशासन भंग तथा दुराचरण पर गुरु विद्यार्थी को दण्ड देता था, विद्यालय से निकाल देता था तथा विद्याध्ययन से कुछ समय के लिए वंचित कर देता था। छात्रों के प्रत्येक अपराध की सूचना गुरु द्वारा संघ को दी जाती थी और संघ की ‘प्रतिभारत’ सभा द्वारा दण्ड दिया जाता था। इसमें विद्यार्थी अपना अपराध सभी के सामने स्वीकार करता था। अनुशासनहीनता बढ़ने पर सभी छात्र दण्ड पाते थे। |
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आलोचकों के अनुसार बौद्धकालीन शिक्षा में जीवन के किस पक्ष को समुचित महत्त्व प्रदान नहीं किया गया था ? |
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Answer» आलोचकों के अनुसार बौद्धकालीन शिक्षा में जीवन के लौकिक पक्ष को समुचित महत्त्व प्रदान नहीं किया गया था। |
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बौद्धकालीन शिक्षा-प्रणाली में किस वर्ग के व्यक्तियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा गया था ? |
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Answer» बौद्धकालीन शिक्षा-प्रणाली में चाण्डाल वर्ग के व्यक्तियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा गया था। |
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बौद्धकाल में स्त्री-शिक्षा की क्या व्यवस्था थी ? |
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Answer» बौद्धकाल में स्त्रियों अर्थात् बालिकाओं को शिक्षा दिए जाने की सुचारु व्यवस्था थी। इसका प्रमाण है कि इस काल में अनेक विदुषी स्त्रियों का उल्लेख हुआ है; जैसे–अनुपमा, सुमेधा, विजयंका तथा शुभा। बौद्धकाल में अनेक स्त्रियों ने बौद्ध-धर्म के प्रचार एवं प्रसार में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। परन्तु यह भी सत्य है कि बौद्धकाल में केवल उच्च वर्ग के परिवारों की स्त्रियाँ ही उत्तम शिक्षा प्राप्त कर पाती थीं। वास्तव में बौद्ध मठों में प्रारम्भ में स्त्रियों का प्रवेश निषिद्ध था। अत: बालिकाओं की शिक्षा की कोई सार्वजनिक व्यवस्था नहीं थी। |
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बौद्धकाल में मुख्य रूप से शिक्षण की किस प्रणाली को अपनाया जाता था ? |
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Answer» बौद्धकाल में मुख्य रूप से शिक्षण की मौखिक प्रणाली को अपनाया जाता था। |
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बौद्धकालीन शिक्षा प्रणाली के नियमानुसार बालक की शिक्षा आरम्भं करते समय किस संस्कार को आयोजित किया जाता था ? |
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Answer» बालक की शिक्षा को एम्भ करते समय प्रव्रज्या संस्कार आयोजित किया जाता था। |
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उपनयन संस्कार का सम्बन्ध है -(i) बौद्धकाल से,(ii) वैदिक काल से। |
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Answer» उपनयन संस्कार का सम्बन्ध है - (ii) वैदिक काल से। |
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प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत समाज के किस वर्ण के बालकों को उपनयन संस्कार का अधिकार प्राप्त नहीं था ? |
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Answer» प्राचीन भारतीय शिक्षा-प्रणालीकै अन्तर्गत शूद्र वर्ण के बालकों को उपनयन संस्कार का अधिकार प्राप्त नहीं था। |
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बौद्धकालीन शिक्षा में अपनाई जाने वाली मुख्य शिक्षा-विधियों का सामान्य परिचय दीजिए। |
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Answer» बौद्ध काल में शिक्षण की प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित थीं- ⦁ शिक्षक द्वारा शिक्षण विधि-प्रतिदिन शिक्षक द्वारा प्रातः 7 बजे से 11 बजे तक और फिर 2 बजे से सायं 5 या 6 बजे तक शिक्षा दी जाती थी। पहले पुराने पाठ का स्मरण कराया जाता था, तत्पश्चात् नया पाठ पढ़ाया जाता था। |
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बौद्धकाल में बालक की शिक्षा के पूर्ण होने के अवसर पर किस संस्कार को सम्पन्न किया जाता था ? |
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Answer» बौद्धकाल में बालक की शिक्षा के पूर्ण होने के अवसर पर उपसम्पदा संस्कार सम्पन्न किया जाता था। |
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बुद्ध के समय में पबज्जा (प्रव्रज्या) संस्कार कैसे मनाया जाता था? |
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Answer» प्रव्रज्या संस्कार’ बौद्ध शिक्षा प्रणाली की प्रमुख विशेषता थी। यह संस्कार बालक की शिक्षा प्रारम्भ करने के अवसर पर आयोजित किया जाता था। ‘पबज्जा’ का शाब्दिक अर्थ है-‘बाहर जाना। अत: यह संस्कार,बालक द्वारा अपना घर छोड़कर शिक्षा ग्रहण के लिए किसी बौद्ध मठ के लिए गमन करने का द्योतक है। | पबज्जा संस्कार का विवरण ‘विनयपिटक’ में दिया गया है। इसके अनुसार, इस अवसर पर बालक सिर के बाल मुंडवाकर एवं पीले वस्त्र धारण कर मठ के भिक्षुओं के सम्मुख एक श्लोक का तीन बार पाठ करता था। यह श्लोकोथा “बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि” इस प्रकार विधिवत् शपथ ग्रहण करने के उपरान्त बालक को प्रधान भिक्षु द्वारा सामान्य उपदेश दिया जाता था, जिसमें उसे मुख्य रूप से दस आदेश दिए जाते थे। उदाहरणत: चोरी न करना, जीवहत्या न करना, असत्य न बोलना अशुद्ध आचरण नहीं करना आदि। वस्तुतः ये आदेश विद्यार्थियों के लिए आचार-संहिता के समान थे। इस उपदेश के उपरान्त बालक को मठ की सदस्यता प्राप्त हो जाती थी तथा उसे नव-शिष्य, श्रमण या सामनेर कहा जाता था। |
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बौद्ध शिक्षा का अन्तिम लक्ष्य था(क) चरित्र-निर्माण(ख) व्यक्तित्व का विकास(ग) जीविकोपार्जन(घ) निर्वाण-प्राप्ति |
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Answer» सही विकल्प है (घ) निर्वाण-प्राप्ति |
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उपनयन शिक्षा संस्कार किस काल में होता था ?(क) वैदिक काल(ख) बौद्ध काल ।(ग) मुस्लिम काल |
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Answer» सही विकल्प है (क) वैदिक काल |
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आधुनिक भारतीय शिक्षा के लिए बौद्ध-शिक्षा की देन को स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» आधुनिक भारतीय शिक्षा के लिए बौद्ध-शिक्षा की देन बौद्धकालीन भारतीय शिक्षा की कुछ मौलिक विशेषताएँ थीं, जिनके कारण इस शिक्षा-प्रणाली ने सम्पूर्ण भारतीय शिक्षा-व्यवस्था पर विशेष प्रभाव डाला। बौद्धकालीन शिक्षा प्रणाली एवं व्यवस्था के कुछ तत्त्व ऐसे थे जिनका अनुकरण आगामी भारतीय शिक्षा-व्यवस्था में भी किया जाता रहा तथा आज भी हमारी शिक्षा में उन्हें किसी-न-किसी रूप में देखा जा सकता है। इन तत्त्वों को बौद्धकालीन शिक्षा की आधुनिक भारतीय शिक्षा की देन माना जा सकता है। इन तत्त्वों या कारकों का सामान्य परिचय निम्नवर्णित है- ⦁ आधुनिक युर्ग में सब कहीं पाये जाने वाले सामान्य विद्यालय मूल रूप से बौद्धकालीन शिक्षा-प्रणाली की ही देन है, क्योंकि सर्वप्रथम बौद्धकाल में ही सामान्य विद्यालय स्थापित हुए थे। |
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बौद्ध काल में शिक्षा आरम्भ होने की आयु थी(क) 5 वर्ष(ख) 7 वर्ष(ग) 8 वर्ष(घ) 12 वर्ष |
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Answer» सही विकल्प है (ग) 8 वर्ष |
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बौद्ध शिक्षा का ज्ञान किस लेखक के यात्रा-विवरण से होता है?(क) सुंमाचीन(ख) फाह्याने(ग) ह्वेनसाँग(घ) इत्सिग |
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Answer» सही विकल्प है (ग) ह्वेनसाँग |
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बौद्रकालीन शिक्षा में किस संस्कार के पश्चात् बालक को ‘श्रमण’ कहा जाता था?(क) पबज्जा(ख) उपसम्पदा(ग) उपनयन(घ) समावर्तन |
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Answer» सही विकल्प है (ख) उपसम्पदा |
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बौद्ध काल में शिक्षा प्रारम्भ का संस्कार था(क) उपनयन(ख) उपसम्पदा(ग) पबज्जा(घ) समावर्तन |
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Answer» सही विकल्प है (ग) पबज्जा |
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बौद्ध काल में शिक्षा का विश्वप्रसिद्ध केन्द्र था(क) जौनपुर(ख) उज्जैन(ग) नालन्दा(घ) अमरावती |
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Answer» सही विकल्प है (ग) नालन्दा |
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वैदिक और बौद्ध शिक्षा-प्रणालियों की समानताओं और असमानताओं की विवेचना कीजिए।या वैदिककाल तथा बौद्ध-शिक्षा की समानताओं तथा असमानताओं का वर्णन कीजिए। |
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Answer» प्राचीनकाल में भारत में विकसित होने वाली दो मुख्य शिक्षा प्रणालियों को क्रमशः वैदिक शिक्षा या हिन्दू-ब्राह्मणीय शिक्षा तथा बौद्धकालीन शिक्षा के रूप में जाना जाता है। बौद्धकालीन शिक्षा बौद्ध धर्म एवं दर्शन की सैद्धान्तिक मान्यताओं पर आधारित थी, परन्तु यह भी सत्य है कि बौद्ध धर्म भी एक भारतीय धर्म था तथा बौद्धकालीन शिक्षा भारतीय सामाजिक परिस्थितियों में ही विकसित हुई थी। इस स्थिति में वैदिक शिक्षा तथा बौद्धकालीन शिक्षा में कुछ समानताएँ होना नितान्त स्वाभाविक ही था, परन्तु वैदिक-धर्म तथा बौद्ध धर्म में कुछ मौलिक तथा सैद्धान्तिक अन्तर भी है। दोनों धर्मों का सामाजिक व्यवस्था स्तरीकरण तथा जीवन के उद्देश्यों आदि के प्रति दृष्टिकोण भिन्न है। इस स्थिति में दोनों धर्मों द्वारा विकसित की गयी शिक्षा-प्रणालियों में कुछ स्पष्ट अन्तर पाया जाता है। इस स्थिति में वैदिक-शिक्षा तथा बौद्धकालीन शिक्षा के तुलनात्मक विवरण को प्रस्तुत करने के लिए इन शिक्षा-प्रणालियों में पायी जाने वाली समानताएँ तथा असमानताएँ अग्रलिखित हैं– वैदिक तथा बौद्ध शिक्षा की समानताएँ डॉ० अल्तेकर के अनुसार, “जहाँ तक सामान्य शैक्षिक सिद्धान्त या प्रयोग की बात है, हिन्दुओं और बौद्ध में कोई विशेष अन्तर नहीं था। दोनों प्रणालियों के समान आदर्श थे और दोनों समान विधियों का अनुसरण करती थी। इस स्थिति में इन दोनों शिक्षा-प्रणालियों में विद्यमान समानताओं का विवरण निम्नवर्णित है ⦁ दोनों शिक्षा प्रणालियाँ हर प्रकार के बाहरी नियन्त्रण से मुक्त थी अर्थात् वे अपने आप में स्कतन्त्र थी। दोनों शिक्षा व्यवस्थाओं में राज्य अथवा किसी अन्य सत्ता का कोई हस्तक्षेप नहीं था। वैदिक तथा बौद्ध शिक्षा की असमानताएँ वैदिक तथा बौद्ध शिक्षा प्रणालियों में विद्यमान असमानताओं का सामान्य विवरण निम्नवर्णित है| ⦁ वैदिक काल में शिक्षा की व्यवस्था मुख्य रूप से गुरुकुलों में होती थी, जबकि बौद्धकाल में यह |
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मध्यकाल में किन संस्थाओं में प्राथमिक शिक्षा प्रदान की जाती थी ? |
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Answer» मध्यकाल में प्राथमिक शिक्षा मकतबों में प्रदान की जाती थी। |
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प्रव्रज्या संस्कार का सम्बन्ध है(क) वैदिक शिक्षा से(ख) बौद्ध शिक्षा से.(ग) मुस्लिम शिक्षा से(घ) ब्रिटिश शिक्षा से |
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Answer» सही विकल्प है (ख) बौद्ध शिक्षा से |
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बौद्ध काल में प्राथमिक शिक्षा के प्रमुख केन्द्र थे(क) देव मन्दिर(ख) बौद्ध मठ(ग) बौद्ध विहार(घ) बौद्ध संघाराम |
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Answer» सही विकल्प है (ख)बौद्ध मठ |
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विक्रमशिला विश्वविद्यालेस की स्थापना हुई थी(क) बौद्ध काल में(ख) वैदिक काल में(ग) मुस्लिम काल में(घ) ब्रिटिश काल में |
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Answer» सही विकल्प है (क) बौद्ध काल में |
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बौद्ध काल में ‘महोपाध्याय किसे पढाते थे?(क) सामनेर(ख) गृहस्थ(ग) शिक्षक(घ) धम्म |
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Answer» सही विकल्प है (घ) धम्म |
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4 वर्ष, 4 माह, 4 दिन की आयु पर कौन-सा शिक्षा संस्कार होता है?(क) उपनयन(ख) प्रव्रज्या(ग) बिस्मिल्लाह(घ) उपसम्पदा |
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Answer» सही विकल्प है (ग) बिस्मिल्लाह |
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मध्यकालीन शिक्षा किस धर्म से प्रभावित थी ?(क) इस्लाम धर्म(ख) पारसी धर्म(ग) यहूदी धर्म(घ) अरबी धर्म |
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Answer» सही विकल्प है (क) इस्लाम धर्म |
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मुस्लिम काल में बिस्मिल्लाह रस्म अदा की जाती थी जब बालक हो जाता था(क) 3 वर्ष, 3 माह, 3 दिने का(ख) 4 वर्ष, 4 माहे, 4 दिन का(ग) 5 वर्ष, 5 माह, 5 दिन का(घ) 6 वर्ष, 6 माह, 6 दिन का |
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Answer» सही विकल्प है (ख) 4 वर्ष, 4 माह, 4 दिन का |
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मध्यकालीन शिक्षा का माध्यम कौन-सी भाषा थी ?(क) तुर्की(ख) अरबी(ग) फ़ारसी(घ) उर्दू |
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Answer» सही विकल्प है (ग) फारसी |
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निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य-⦁ मध्यकाल में शिक्षा का नितान्तै अभाव था।⦁ मध्यकाल में शिक्षा का आधार इस्लाम धर्म था।⦁ मध्यकाल में स्त्री-शिक्षा के लिए अलग से व्यापक व्यवस्था थी।⦁ मध्यकालीन शिक्षा का ऍकृ मुख्य उद्देश्य, लौकिक प्रगति एवं सुख-समृद्धि प्राप्त करना भी था।⦁ मध्यकालीन शिक्षा का मुख्य माध्यम फारसी भाषा ही थी। |
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Answer» ⦁ असत्य, |
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भारतीय शैक्षिक विकास के सन्दर्भ में प्राचीन तथा मध्यकालीन शैक्षिक व्यवस्था में अन्तर स्पष्ट कीजिए। प्राचीनकाल और मध्यकाल की शैक्षिक विशेषताओं का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» भारतीय शैक्षिक विकास के इतिहास पर दृष्टिपात करते हुए प्राचीन तथा मध्यकालीन शैक्षिक व्यवस्था के निम्नलिखित अन्तरों का उल्लेख किया जा सकता है ⦁ प्राचीनकालीन भारतीय शिक्षा-व्यवस्था का आधार हिन्दू वैदिक) धार्मिक एवं दार्शनिक सिद्धान्त ही थे। इससे भिन्न मध्यकालीन शिक्षा का विकास शुद्ध रूप से इस्लाम धर्म के सिद्धान्तों के आधार पर हुआ था। |
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मध्यकालीन शिक्षा का आरम्भ किस संस्कार से होता है ?(क) प्रव्रज्या(ख) उपसम्पदा(ग) उपर्नयन(घ) बिस्मिल्लाह |
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Answer» सही विकल्प है (घ) बिस्मिल्लाह |
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मुस्लिम काल में प्राथमिक शिक्षा प्रारम्भ करने की क्या आयु थी? |
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Answer» मुस्लिम काल (मध्य काल) में बालक की प्राथमिक शिक्षा प्रारम्भ करने की आयु 4 वर्ष, 4 माह, 4 दिन थी। |
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मध्यकाल में व्यावसायिक शिक्षा के कौन-कौन-से रूप प्रचलित थे ? |
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Answer» मध्यकाल में व्यावसायिक शिक्षा के प्रचलित मुख्य रूप थे— ⦁ हस्तकलाओं की शिक्षा, |
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मध्यकालीन शिक्षा-व्यवस्था में उच्च शिक्षा के छात्रों को कौन-कौन-सी मुख्य उपाधियाँ दी जाती थीं? |
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Answer» मध्यकाल में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को कामिल फाजिल तथा आलिम नामक उपाधियाँ दी जाती थीं। |
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भारत में मध्यकाल में शिक्षा के मुख्य केन्द्र कौन-कौन-से थे ? या मुगलकालीन शिक्षा के प्रमुख चार केन्द्रों के नाम लिखिए। |
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Answer» भारत में मध्यकाल में शिक्षा के मुख्य केन्द्र-आगरा, दिल्ली, लाहौर, अजमेर, मुल्तान, मालवा, गुजरात तथा जौनपुर में थे। |
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मठ व्यवस्था महत्त्वपूर्ण तत्त्व था(क) वैदिक शिक्षा का(ख) इस्लाम शिक्षा को(ग) जैन शिक्षा का(घ) बौद्ध शिक्षा का |
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Answer» सही विकल्प है (घ) बौद्ध शिक्षा का |
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मध्यकालीन भारतीय शिक्षा-प्रणाली किस धर्म पर आधारित थी? |
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Answer» मध्यकालीन भारतीय शिक्षा-प्रणाली इस्लाम धर्म पर आधारित थी। |
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मध्यकालीन शिक्षा के केन्द्रों के बारे में लिखिए। मध्यकालीन शिक्षण संस्थाओं के रूप में मकतब तथा ‘मदरसों का सामान्य परिचय दीजिए। |
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Answer» मकतबों में मौखिक शिक्षण विधि के प्रयोग से बालकों को शिक्षा दी जाती थी। बालकों को कलमा एवं कुरान की आयतें रटनी पड़ती थीं। कक्षा के सभी छात्र एक साथ पहाड़े बोलकर कण्ठस्थ’ करते थे। प्रारम्भ में सरकण्डे की कलम से तख्ती पर लिखना सिखाया जाता था और बाद में कलम से कागज पर लिखना सिखाया जाता था। मध्य युग में बालकों को उच्च शिक्षा मदरसों में दी जाती थी। मदरसे भी दो प्रकार के होते थे—प्रथम, वे जहाँ धार्मिक, साहित्यिक तथा सामाजिक शिक्षा दी जाती थी और द्वितीय, वे जहाँ चिकित्साशास्त्र और अन्यान्य प्रकार की शिक्षा दी जाती थी। मदरसों में छात्रों के रहने की भी व्यवस्था होती थी और अन्य आवश्यक सुविधाएँ भी। |
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मध्यकालीन शिक्षा के सन्दर्भ में मदरसा तथा उच्च शिक्षा का सामान्य परिचय प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» मदरसा तथा उच्च शिक्षा का सामान्य परिचय निम्न प्रकार है| 1. मदरसा का अर्थ-मध्य युग में बालकों को उच्च शिक्षा मदरसों में दी जाती थी। मदरसा शब्द का निर्माण अरबी भाषा में ‘दरस शब्द से हुआ है, जिसका अर्थ है ‘भाषण देना। अत: मदरसा वह स्थान था, जहाँ भाषण दिए जाते हैं। मदरसे भी दो प्रकार के होते थे—प्रथम, वे जहाँ धार्मिक, साहित्यिक तथा सामाजिक शिक्षा दी जाती थी और द्वितीय, वे जहाँ चिकित्साशास्त्र और अन्यान्य प्रकार की शिक्षा दी जाती थी। मदरसों में छात्रों के रहने की भी व्यवस्था होती थी तथा वहाँ उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को पर्याप्त सुविधाएँ उपलब्ध होती थीं। मदरसों का शैक्षिक वातावरण सराहनीय होता था क्योंकि शिक्षक-शिष्य सम्बन्ध घनिष्ठ तथा मधुर होते थे। |
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मध्यकालीन भारतीय शिक्षा के मुख्य दोष बताइए। |
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Answer» मध्यकालीन शिक्षा के दोष मध्यकालीन शिक्षा में निम्नलिखित दोष थे- 1. सांसारिकता की प्रधानत-मध्यकाल में विलासिता, मध्यकालीन शिक्षा के दोष ऐश्वर्य और सुख-सुविधाओं पर अधिक बल दिया गया था, सांसारिकता की प्रधानता। इसलिए विद्यार्थियों का ध्यान भी आध्यात्मिकता से हटकर सांसारिक भोग-विलास में लग जाता था। |
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मध्यकालीन शिक्षा के मुख्य गुणों का सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» मध्यकालीन शिक्षा के गुण मध्यकालीन शिक्षा में निम्नांकित गुण थे 1. अनिवार्य शिक्षा-इस्लाम धर्म के अनुसार शिक्षा ईश्वर की प्राप्ति में सहायता करती थी, इसलिए शिक्षा को अनिवार्य स्वीकार किया गया था। बालिकाओं के लिए शिक्षा अनिवार्य नहीं थी। |
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