This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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4हानाकार न तोते को ही कहानी का पात्र क्यों बनाया है? आप इस कहानीका अन्य शीर्षक सोचिए और उसके औचित्य पर आपस में चर्चा कीजिए।भाषा-संदर्भ1. उक्त जीव को अविदया का कारण क्या है? बड़ा गहरा विचार हुना।उपर्युक्त रेखांकित पद अविद्या- अ और विद्या के मिलने से बना है।यहाँ अ उपसर्ग है जिसका अर्थ है- अभाव। अ उपसर्ग से बनने वालेकुछ और शब्द है- अस्पष्ट अबोध अचेत अपढ़।आप निम्नलिखित उपसों को जोड़कर शब्द बनाइए-प्रपतापरा:-1||अध:-सु = सुशीलअब =- अपमानअनु= अनभाव|| |
| Answer» | |
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1. परि + आवरण2. सत् + जन |
Answer»
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3. कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभरकर आए हैं?ता कहानी में बैलों के माध्यम से अनेक नीति-विषयक मूल्य उभरकर आए हैं। उनमें - |
| Answer» | |
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12. Translate the following into English:बरसात का मौसम होने के बावजूद भी बारिश नहीं हो रही थी। भीषण गर्मी से लोग परेशान थे।लेकिन अचानक एक शाम मौसम बदल गया। एक सप्ताह की तेज़ बारिश से खेत एवं मैदान औरशहर के कई मोहल्ले पानी से भर गए।dhe librarian of your allaga informing him that |
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Answer» Answer: : Despite the rainy SEASON, it was not raining. People were troubled by the scorching heat, but SUDDENLY one evening the WEATHER CHANGED. A week of heavy rains filled the FIELDS and grounds and many mohallas of the city. |
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नीलाभ शब्द का संधि विच्छेद? |
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Answer» नील+आभा= नीलाभ आशा है कि यह उत्तर सहायक होगा। |
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सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो/आपकी निगाह में रुकी होती है। इन पंक्तियों में घड़ी शब्द की व्यंजना से अवगत कराइए। |
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Answer» The answer is ATTACHED above |
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नीचे दिए गए संज्ञा शब्दों के विशेषण रूप लिखिए- आजादी, चमक, हिंदुस्तान, विदेश, सरकार, यात्रा, पुराण, भारत |
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Answer» उत्तर:- भारत की चर्चा नेहरू जी देश के ... नीचे दिए गए संज्ञा शब्दों के विशेषण रूप ... हिंदुस्तान, विदेश, सरकार, यात्रा, पुराण, ... |
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बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रज़ा ने क्या-क्या संघर्ष किए |
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Answer» प्रशन :- बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रज़ा ने क्या-क्या संघर्ष किए | उत्तर :- रज़ा जब बंबई आए तो सबसे पहले उन्हें एक्सप्रेस ब्लाक स्टूडियो में डिजायनर की नौकरी तो मिल गई पर रहने का कोई उचित स्थान न मिला वे अपने किसी परिचित ड्राइवर के ठिकाने पर रात बिताते। उनकी दिनचर्या बड़ी कड़ी थी सुबह दस से शाम छह बजे तक नौकरी और उसके बाद मोहन आर्ट क्लब में जाकर पढ़ना। कुछ दिनों बाद उन्हें स्टूडियो के आर्ट डिपार्टमेंट का कमरा मिला परंतु सोना उन्हें तब भी फ़र्श पर ही होता था। वे रात ग्यारह-बारह बजे तक गलियों के चित्र या तरह-तरह के स्केच बनाते रहते थे। इस तरह बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रज़ा ने संघर्ष किया | |
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भारत माता के प्रति नेहरू जी की क्या अवधारणा थी? |
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Answer» प्रशन :- भारत माता के प्रति नेहरू जी की क्या अवधारणा थी ? उत्तर :- भारत माता के प्रति नेहरू जी की अवधारणा बिलकुल अलग थी | वह कहते थे की भारत की धरती, पहाड़, खेत, नदियाँ आदि यह सब भारत के अंग है | परंतु जो लोग भारत देश में रहते हैं वो ही सही मायनों में भारत माता हैं | |
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रज़ा ने अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश क्यों नहीं स्वीकार की? |
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Answer» प्र्शन :- रज़ा ने अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश क्यों नहीं स्वीकार की ? उत्तर :- मध्य प्रदेश सरकार की ओर से लेखक को जे . जे स्कूल में दाखिला के लिए छात्रवृति मिली थी | मगर वह समय पर दाखिला नहीं ले पाए इसलिए सरकार नें छात्रवृति वापिस ले ली गई | सरकार नें उन्हे अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश की लेकिन उन्होने स्वीकार नहीं की क्यूंकि रज़ा को बंबई शहर, यहाँ का वातावरण, गैलेरियाँ, यहाँ के लोग और मित्र बड़े पसंद आए और उन्होंने यहीं रहने का अपना मन बना लिया था | |
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वर्तमान समय में किसानों की स्थिति किस सीमा तक बदली है? चर्चा कर लिखिए? |
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Answer» प्रशन :- वर्तमान समय में किसानों की स्थिति किस सीमा तक बदली है ? चर्चा कर लिखिए ? उत्तर :- वर्तमान सयय में किसानों की हालत में परिवर्तन तो आया है परंतु बहुत केएम है | भारत कृषि प्रधान देश है और यहाँ के लोग आज भी मानसून पर निर्भर हैं | किसान देश का पेट भरता है परंतु अपना पेट भरने के लिए उसे संघर्ष कर्ण पड़ता है | कभी – कभी तो वह इतना मजबूर हो जाता है कि उसके समने आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता | वर्तमान समय में भी किसानों का जीवन बहुत अधिक सुखद नहीं माना जा सकता |
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भारत के विकास को लेकर आप क्या सपने देखते हैं? |
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Answer» Answer: this is a question which should be LOOKED seriously as I dream is that I should be remembered as a united democratic and responsible country always Explanation: |
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धनराम को मोहन के किस व्यवहार पर आश्चर्य होता है और क्यों? |
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Answer» धनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी क्यों नहीं ... धनराम को मोहन के किस व्यवहार पर आश्चर्य ... (1) बिरादरी का यही सहारा होता है| |
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आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने ज़रा भी ध्यान नहीं दिया-यहाँ किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है? |
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Answer» प्रशन :- आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने ज़रा भी ध्यान नहीं दिया-यहाँ किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है? उत्तर :- आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने ज़रा भी ध्यान नहीं दिया इन पंक्तियों में लेखक बंग-भंग की बात कर रहा है । लॉर्ड कर्जन ने भारत के एक भाग बंगाल को दो टुकड़ों में विभाजित कर दिया। अब बंगाल पूर्वी तथा पश्चिमी भागों में बंट गया। बाद में बंगाल का यही पूर्वी भाग बांग्लादेश के रूप में स्थापित हो गया। भारत की आठ करोड़ प्रजा ने लॉर्ड कर्जन के आगे गुहार लगाई। उसे ऐसा करने के लिए मना किया मगर उसने किसी की न सुनी और भारत बंग-भंग करवा कर दम लिया। उसकी जिद्द के आगे कोई टिक न सका। |
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बिटर-बिटर देखना- यहाँ देखने के एक खास तरीके को प्रकट किया गया है? देखने संबंधी इस प्रकार के चार क्रिया-विशेषणों का प्रयोग कर वाक्य बनाइए। |
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Answer» प्रशन : -बिटर-बिटर देखना - यहाँ देखने के एक खास तरीके को प्रकट किया गया है ? देखने संबंधी इस प्रकार के चार क्रिया-विशेषणों का प्रयोग कर वाक्य बनाइए। उत्तर :- 1. टुकुर-टुकुर देखना – बेचारा भुखा बच्चा रोटी को टुकुर-टुकुर देख रही था। 2. घूर-घूरकर देखना – मास्टर जी बच्चों को घूर घूरकर देख रहा थे । 3. चोरी-चोरी देखना – तुम्हारा इस तरह चोरी-चोरी देखना मुझे अच्छा नहीं लगता है। 4. कनखियों से देखना – वह मुझे कभी मुँह उठाकर नहीं देखता, जब भी देखता है, कनखियों से देखता है। |
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अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उसमें से 'कंटिन्युइटी' नदारद हो जाती - इस कथन के पीछे क्या भाव है? |
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Answer» hi buddy here is your answer Explanation: करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने जरा भी ध्यान नहीं दिया'— यहाँ किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया . HOPE it will HELP you |
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पथेर पांचाली फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला? |
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Answer» प्रशन :- पथेर पांचाली फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला ? उत्तर :- पथेर पांचाली फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक नहीं चला क्यूंकि , लेखक विज्ञापन कंपनी में काम करते थे। काम से फुर्सत मिलने पर ही शूटिंग की जाती थी। कलाकार को इकठ्ठा करने में समय लग जाता था। पैसे का अभाव था । तकनीकी पिछड़ापन आदि। |
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मियाँ, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो? यह तो खोजियों की खुराफात है- अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें। |
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Answer» hi buddy here is your answer Explanation: पथेर पांचाली फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला? उत्तर 3-1. पथेर पांचाली hope it will HELP youfollow me |
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तीन चार वाक्यों में अनुकूल प्रसंग तैयार कर नीचे दिए गए वाक्यों का इस्तेमाल करें। क. पंचहजारी अंदाज़ से सिर हिलाया। ख. आँखों के कंचे हम पर फेर दिए। ग. आ बैठे उन्हीं के ठीये पर। |
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Answer» प्रशन :- तीन चार वाक्यों में अनुकूल प्रसंग तैयार कर नीचे दिए गए वाक्यों का इस्तेमाल करें। क. पंचहजारी अंदाज़ से सिर हिलाया। ख. आँखों के कंचे हम पर फेर दिए। ग. आ बैठे उन्हीं के ठीये पर। उत्तर :- क. पंचहजारी अंदाज़ से सिर हिलाया | क) हमारे पड़ोस में एक धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति रहते थे। वे लोगों के हर कष्ट में साथ होते थे। समाजसेवा के कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे! मैंने एक दिन उनकी समाज सेवा की प्रशंसा की तो उन्होंने पंचहज़ारी अंदाज़ में सिर हिलाया। ख. आँखों के कंचे हम पर फेर दिए | (ख) इस पर वे अपने कार्यों की बड़ाई करने लगे। तभी मैंने उनके कुछ कारनामे बताए जिनमें वे समाज-सेवा के नाम अपनी सेवा करते हैं। इस पर वे बौखला गए और अपनी आँखों के कंचे हम पर फेर दिए। ग.आ बैठे उन्हीं के ठीये पर। (ग) वे सज्जन चाहे अपना फायदा देखते हों, परंतु समाज-सेवक अवश्य हैं। वे क्षेत्र के प्रसिद्ध समाज-सेवी के चेले हैं। उनके जाने के बाद वे उन्हीं के ठीये पर आ बैठे। |
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पाठ में आए रोटियों के अलग-अलग नामों की सूची बनाएँ और इनके बारे में जानकारी प्राप्त करें। |
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Answer» मियाँ नसीरुद्धीन का नानबाई रोटी पकाने का अंदाज़ निराला है। वह उसे काम नहीं कला समझता है। यह कला उस अपने खानदान से विरासत में मिली है। अन्य नानबाई रोटी अवश्य पकाते हैं लेकिन नसीरुद्धीन की तरह अपने काम से प्यार नहीं करते हैं। उन्हें छप्पन तरह की रोटियाँ बनानी आती हैं। अन्य नानबाईयों के लिए यह काम उनकी जीविका का साधन है और मियाँ नसीरुद्धीन के लिए यह एक कला है, जिसे पकाने में उन्हें आनंद आता है। उसकी मसीहाई अंदाज़ और सर्वश्रेष्ठता के कारण ही उसे नानबाइयों का मसीहा कहा जाता है। |
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पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कैसे खींचा है? |
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Answer» प्रशन :- पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कैसे खींचा है ? उत्तर :- पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने इस प्रकार खींचा है:- हमने जो अंदर झाँका तो पाया, मियाँ चारपाई पर बैठे बीड़ी का मज़ा ले रहे हैं । मौसमों की मार से पका चेहरा, आँखों में काइयाँ, भोलापन और पेशानी पर मंजे हुए कारीगर के तेवर। |
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मियाँ नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया। वर्तमान | समय में प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं। ऐसा क्यों ? |
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Answer» प्रशन :- मियाँ नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया। वर्तमान | समय में प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं। ऐसा क्यों ? उत्तर :- आज के परिवेश में अनेक हुनरमंद लोग अपनी संतान को उसी कला को व्यवसाय बनाने की सलाह नहीं देते या संतान स्वयं ऐसा नहीं चाहती। इसका मुख्य कारण है कि खानदानी व्यवसाय में धन-लाभ के अवसर अपेक्षाकृत कम रहते हैं । दूसरा कारण यह भी है कि आजकल खानदानी हुनर के प्रशंसक नहीं रहे । आधुनिकता और भौतिकता के युग में कला को मान नहीं मिल रहा है । |
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मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं? |
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Answer» मियां नसीरूददीन की निम्नलिखित बातें अच्छी लगी। • वे अपने काम के प्रति बहुत समर्पित थे। वे नान बनाने में बहुत मशहूर थे। • अपना काम बड़ी मेहनत व लगन से किया करते थे। • अपने साथ काम करने वालों का बहुत सम्मान किया करते थे। उन्हें वेतन भी बहुत अच्छा देते थे। • लेखिका जब उनसे बात करने गई तब भी वे अपना ध्यान कम से नहीं हटा रहे थे। • लेखिका द्वारा पूछे गए सभी प्रश्नों का उत्तर उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के दिया। |
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लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं? |
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Answer» लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास इसलिए गई थी ताकि वे रोटी बनाने की कारीगरी को जाने तथा उसे लोगों को बता सके। मियाँ छप्पन तरह की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर थे। वह उनकी इस कारीगरी का रहस्य भी जानना चाहती थी hope it will HELPFOLLOW me |
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मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाड़यों का मसीहा क्यों कहा गया है? |
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Answer» मियां नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा कहा गया है क्योंकि वे साधारण नानबाई नहीं है। वे खानदानी नानबाई हैं जो मसीहाई अंदाज से रोटी बनाने की कला जानते हैं। अन्य नानबाई रोटी केवल पकाते हैं, पर मियां नसीरुद्दीन अपने पेशे को कला मानते हैं। उनके पास 56 प्रकार की रोटियां बनाने का हुनर है। वे अपने को सर्वश्रेष्ठ नानबाई बताते हैं। |
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मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मज़मून न छेड़ने का फैसला किया- इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» प्रशन :- मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मज़मून न छेड़ने का फैसला किया- इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए। उत्तर :- लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन से बादशाह का नाम पूछा तो वे सही उत्तर नहीं दे पाए । लेखिका द्वारा बहादुरशाह जफ़र का नाम लेने पर वह चिढ़ गए और बोले कि यही नाम लिख लीजिए, आपको कौन-सी बादशाह के नाम चिट्ठी भेजनी है । वह लेखिका की बातों से उकता गए थे इसलिए उन्होंने उसे नज़रअंदाज़ करने के लिए अपने कारीगर बब्बन मियाँ को भट्ठी सुलगाने का आदेश दिया । लेखिका उनके बेटे-बेटियों के बारे में जानना चाहती थी, परंतु मियाँ को चिढ़ता देख वह चुप रह गई, फिर उसने पूछा कि कारीगर लोग आपकी शागिर्दी करते हैं ? तो मियाँ ने गुस्से में उत्तर दिया कि खाली शागिर्दी ही नहीं, दो रुपये मन आटा और चार रुपये मन मैदा के हिसाब से इन्हें गिन-गिन कर मजूरी भी देता हूँ । लेखिका द्वारा रोटियों के नाम पूछने पर मियाँ ने पल्ला झाड़ते हुए कुछ रोटियों के नाम गिना दिए । इसके बाद लेखिका ने उनके चेहरे पर तनाव देखा । |
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कहानी में मासिक वेतन के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया गया है? इसके लिए आप अपनी ओर से दो-दो विशेषण और बताइए। साथ ही विशेषणों के आधार को तर्क सहित पुष्ट कीजिए। |
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Answer» hi buddy here is your answer Explanation: लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास इसलिए गई थी ताकि वे रोटी बनाने की कारीगरी को जाने तथा उसे लोगों को बता सके। मियाँ छप्पन तरह की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर थे। वह उनकी इस कारीगरी का रहस्य भी जानना चाहती थी। hope it will HELP you |
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न्याय के मैदान में धर्म और धन में युद्ध ठन गया। |
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Answer» जब अदालत में अलोपीदीन को दोषी के रूप में पेश किया गया तब वकीलों की सेना अपने तर्क से उन्हें निर्दोष सिद्ध करने में एकजुट हो गई| आरोपों को गलत प्रमाणों द्वारा झूठा साबित किया जाने लगा| उल्टा वंशीधर पर ही उद्दंडता तथा विचारहीनता का आरोप मढ़ दिया गया जो इमानदारी और सत्य के बल पर अदालत में खड़े थे| गवाहों को खरीद लिया गया था| धन के बल पर न्याय पक्षपाती हो गया और अखिरकार दोषी को निर्दोष करार दे दिया गया| i HOPE it will help U... |
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इस कहानी को पढ़कर बड़ी-बड़ी डिग्रियों, न्याय और विद्वता के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है? वर्तमान समय को ध्यान में रखते हुए इस विषय पर शिक्षकों के साथ एक परिचर्चा । आयोजित करें। |
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Answer» इस विषय पर यह धारणा बनती है कि आलोपीदीन जैसे लोग न्याय और नीति को अपने वश में रखते हैं और यह आज की कड़वी सच्चाई भी है। आजकल न्यायालय में भी भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। धन लूटना ही जैसे वकीलों का धर्म बन गया है। |
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न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं, इन्हें वह जैसे चाहती हैं, नचाती हैं। |
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Answer» hi buddy here is your answer Explanation: न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं, इन्हें वह जैसे चाहती हैं वैसे ही नचाती हैं। लेटे ही लेटे गर्व से बोले—चलो हम आते हैं। यह कहकर |
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तर्क ने भ्रम को पुष्ट किया। |
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Answer» Answer: please COMPLETE the full question I think your QUESTIONS is INCOMPLETE |
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खेद ऐसी समझ पर! पढ़ना-लिखना सब अकारथ गया। |
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Answer» पण्डित अलोपीदीन का लक्ष्मी जी पर अखण्ड विश्वास था। वह कहा करते थे कि संसार का तो कहना ही क्या, स्वर्ग में भी लक्ष्मी का ही राज्य है। उनका यह कहना यथार्थ ही था। न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं, इन्हें वह जैसे चाहती हैं नचाती हैं। लेटे ही लेटे गर्व से बोले, चलो हम आते हैं। यह कह कर पण्डित जी ने बड़ी निश्चिन्तता से पान के बीड़े लगा कर खाये। फिर लिहाफ ओड़े हुए दारोगा के पास आ कर बोले, बाबू जी आशीर्वाद ! कहिए, हमसे ऐसा कौन-सा अपराध हआ कि गाड़ियों रोक दी गयीं। हम ब्राह्मणों पर तो आपकी कृपा-दृष्टि रहनी चाहिए। |
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नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर की मज़ार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। |
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Answer» hi buddy here is your answer Explanation: न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं, इन्हें वह जैसे चाहती हैं वैसे ही नचाती हैं। लेटे ही लेटे गर्व से बोले—चलो आते हैं। यह कहकर hope it will HELP you |
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इसलिए नहीं कि अलोपीदीन ने क्यों यह कर्म किया बल्कि इसलिए कि वह कानून के पंजे में कैसे आए। ऐसा मनुष्य जिसके पास असाध्य साधन करनेवाला धन और अनन्य वाचालता हो, वह क्यों कानून के पंजे में आए। प्रत्येक मनुष्य उनसे सहानुभूति प्रकट करता था। अपने आस-पास अलोपीदीन जैसे व्यक्तियों को देखकर आपको क्या प्रतिक्रिया होगी? उपर्युक्त टिप्पणी को ध्यान में रखते हुए लिखें। |
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Answer» अलोपीदीन जैसे व्यक्तियों को देखकर मेरे मन में यह प्रतिक्रिया होती है कि समाज में सारे व्यक्ति वंशीधर जैसे चरित्रवान और साहसी क्यों नहीं होते ; जो अलोपीदीन जैसे व्यक्तियों को उनके कुकर्मों की सजा दिलवाएं ताकि वे समाज के लिए ईमानदारी और कर्त्तव्यनिष्ठा की मिसाल बन सकें। |
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पढ़ना-लिखना सब अकारथ गया। वृद्ध मुंशी जी द्वारा यह बात एक विशिष्ट संदर्भ में कही गई थी। अपने निजी अनुभवों के आधार पर बताइए- (क) जब आपको पढ़ना-लिखना व्यर्थ लगा हो। (ख) जब आपको पढ़ना-लिखना सार्थक लगा हो। (ग) 'पढ़ना-लिखना' को किस अर्थ में प्रयुक्त किया गया होगा । साक्षरता अथवा शिक्षा? (क्या आप इन दोनों को समान मानते हैं?) |
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Answer» (क) जब मैंने देखा कि पढे-लिखे लोग गंदगी फैला रहे हैं तो मुझे उनका पढना लिखना व्यर्थ लगा। (ख) जब हम पढे लिखे लोगों को उनके बच्चों के उज्जवल भविष्य की योजना बनाते देखते हैं तो हमें उनका पढना लिखना सार्थक लगता है। (ग) 'पढना-लिखना' को शिक्षा के अर्थ मे प्रयुक्त किया गया है। नहीं, इनमें अंतर है। यदि पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त व्यक्ति समाज के लिए अहितकारी है तो उनका पढना लिखना व्यर्थ है। |
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अपने अनुभवों के आधार पर बताइए कि जब आपके तर्कों ने आपके भ्रम को पुष्ट किया हो। |
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Answer» नमक का दरोगा कहानी का मुख्यपात्र वंशीधर हमें प्रभावित करता है। वंशीधर एक ईमानदार, दृढ़-निश्चयी, कर्मण्ठ तथा कर्तव्यपरायण व्यक्ति है। उन्हें अपने कार्य से प्रेम हैं। वे आदर्शों को मानने वाले व्यक्ति हैं। उनके आदर्श इतने उच्च हैं कि उन्हें पैसों का लालच भी हटा नहीं पाता है। उनके उच्च आदर्श के कारण ही अलोपीदीन उन्हें अपना मैनेजर रख लेते हैं। यह पात्र हमें ईमानदारी से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। |
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दारोगा वंशीधर गैरकानूनी कार्यों की वजह से पंडित अलोपीदीन को गिरफ्तार करता है, लेकिन कहानी के अंत में इसी पंडित अलोपीदीन की सहृदयता पर मुग्ध होकर उसके यहाँ मैनेजर की नौकरी को तैयार हो जाता है। आपके विचार से वंशीधर का ऐसा करना उचित था? आप उसकी जगह होते तो क्या करते? |
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Answer» वंशीधर का एसा करना उचित नहीं था| मैं अलोपीदीन के प्रति कृतज्ञता दिखाते हुए उन्हें नौकरी के लिए मना कर देता क्योंकि लोगों पर जुल्म करके कमाई हुई बेईमानी की कमाई की रखवाली करना मेरे आदर्शो के विरुद्ध है| |
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लड़कियाँ हैं, वह घास-फूस की तरह बढ़ती चली जाती हैं। वाक्य समाज में लड़कियों की स्थिति की किस वास्तविकता को प्रकट करता है? |
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Answer» लड़कियाँ हैं, वह घास-फूस की तरह बढ़ती चली जाती हैं यह कथन समाज में लड़कियों की उपेक्षित स्थिति को दर्शाता है। लड़कियों को बोझ माना जाता हैं। उनकी उचित देख-भाल नहीं की जा सकती। |
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नमक विभाग के दारोगा पद के लिए बड़ों-बड़ों का जी ललचाता था। वर्तमान समाज में ऐसा कौन-सा पद होगा जिसे पाने के लिए लोग लालायित रहते होंगे और क्यों? |
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Answer» वर्तमान समाज मे ऐसे पद हैं - आयकर, बिक्रीकर, सेल्सटेक्स, ईस्पेक्टर आदि। इन्हें पाने के लिए लोग लालायित रहते होंगे क्योंकि इसमें ऊपरी कमाई (रिश्वत) मिलने की सम्भावना ज्यादा होती है। ऐसे लोग कर्तव्य की अपेक्षा सुख - सुविधा को अधिक महत्व देते हैं इसलिये ऐसे लोग समाज के विकास के लिए घातक है। |
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Megha part Mein Kavi Ne ped ke Jamane Ki Baat Kyon aur kaise ki hai |
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Answer» MEGHA apartment kavi ne pad ke jamane ki baat kyon aur kaise ki hai Jo is prakar se main aap ko SAMJHANE wala hun |
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Paragraph on paushtik Khao tan man jagaon |
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Answer» आज के स्वादिष्ट खाने के बजाए बच्चों एवं बड़ों में फास्ट फूड की ओर रुझान बढ़ रहा है। इसके चलते छोटे-छोटे बच्चे भी मोटापे व मधुमेह जैसी समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। ऐसे समय में यदि गृहणियाँ थोड़ी सी सुझबूझ से काम लें तो स्वाद व सेहतयुक्त भोजन से सबको जोड़ सकती हैं। |
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Virudharthi of sant in hindi |
| Answer» | |
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8th class in goverment book in hindi 1st ls kaviparichay kya hai |
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Answer» kaviparichay MEANS introduction of the poet |
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Tateam sabd kise kahta h |
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Answer» FOLLOW me. .................. |
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सही मायनों शिक्षा से क्या तात्पर्य है? |
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Answer» शिक्षा का सही अर्थ जीवन मे व्यवहारिकता लाना नैतिक मूल्यों के प्रति आस्था तथा श्रम के प्रति निष्ठा ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है ।। |
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Meaning of khawat adhjal gagri chalkat jaye |
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Answer» कम गुण वाला व्यक्ति दिखावा बहुत करता है |
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Aadhunik bhartiya nari essay in hindi with points |
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Answer»
हमारे भारतीय समाज में नारी को बचपन से ही कुछ संस्कार दिए जाते है। और वो संस्कार उसे सहज कर रखना होता है। जैसे धीरे बोलों, किसी के सामने ज्यादा नहीं हसना, गंभीर बनो यानी समझदार बन कर रहना। उस बच्ची का बचपन न जाने किस अँधेरे कमरे में गुम हो जाता है। हमारा पुरूष प्रधान देश क्यु नहीं समझता कि नारी प्रकृति का अनमोल उपहार है। उसके मन में कुछ कोमल संवेदनाएँ होती है। जो उसे खुबसूरत बनाती है। वो एक ममता का रूप है और इस ममता रूपी नारी को हर रूप में हमेशा छल कपट ही मिला है। परन्तु आज की नारी इन सब बातो को छोड़कर काफी आगे निकल आई है। आज नारी में आधुनिक बनने की होड़ लगी है। नारी के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है, क्षेत्र में आगे बड़ रही है, बदल रही है और ये परिवर्तन सभी को देखने को मिल रहा है। पहले नारी का जीवन घर की चार दीवारों में ही बीत जाता था। चूल्हा-चौका करके और संतानोत्पति तक ही उसका जीवन सिमित था। विशेष रूप से नारी का एक ही कर्त्तव्य था। घर संभालना, उसे घर की इज्जत मान कर घर में ही परदे के पीछे रखा जाता था। उसे माँ के रूप में ,पत्नी के रूप में, पुत्री के रूप में,बाहर की और बड़ गया है। पहले नारी के वस्त्रो पर ध्यान दिया जाता था नारी केवल साडी ही पहन सकती थी। मतलव अपने आप को उसे पूरी तरह से ढक कर रखना नारी का कर्य था। आज की नारी बहुत आगे निकल गई है उसकी वेशभूषा काफी बदल गयी है, वो अब अपनी मनचाही वेशभूषा के लिए स्वतंत्र है। परन्तु ज़्याद लोग और नारी स्यम अपनी आधुनिक वेशभूषा को और स्वच्छंद विचरण को ही नारी का आधुनिक होना मान रहे है। परन्तु स्वतंत्रता का अपनाना आधुनिकता नहीं है। नारी को शक्ति का प्रतिक माना जाता रहा है। और उसने अदम्य साहस का परिचय भी दिया है। इसके अतिरिक्त धर्य एवं त्याग का और नारी को पृथ्वी की संज्ञा दी गयी है। झांसी लक्षमीबाई और पन्ना धाय जैसी नारियो ने इतिहास में नारी शक्ति और त्याग को सिद्ध किया है। वास्तव में दमन का विरोध और प्रगतिशील नवीन विचारो का अपनाना ही नारी का आधुनिक होना है और ऐसा प्रत्येक युग में करती रही है। नारी ने अगर कुछ कहा या करा तो उसमे किसी न किसी रूप में ऊँगली उठा दी गयी , यहां तक की रामायण में श्री राम ने भी सीता माता की परीक्षा लेने से पीछे नहीं हटे ये कहकर की वो रावण के अपहरण करने की वजह से वहां रही तो वो अपवित्र हो गयी यानी नारी पर जब पुरषोतम श्री राम जो हमारे भगवान् है। उन्होंने भी माता सीता की परीक्षा लेकर साबित कर दिया की नारी का महत्व उसके रहने से नहीं वल्कि पुरुष द्वारा बनाई परम्पराओ में बंध कर रहना ही उसका कर्तव्य है, अगर उसने उनके खिलाफ कुछ किया तो अपवित्र या फिर कोई और लांछन उस पर लगा दिया जाता है। जब हमारे देश में सीता माता तक नहीं बची तो हम तो एक समान्य नारी है। परन्तु जमाना अब बदल रहा है। अब नारी इन सब बातो की परवाह किये बिना घर से बहार निकल कर आधुनिक होने का परिचय दे रही है। चाहे समाज आज उसे कीसी भी प्रकार का दर्जा क्यूँ ना दे। |
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1. वाक्य किसे कहते हैं? It's urgent plz tell me..? |
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Answer» Answer: अनेक शब्द जोडकर उससे वाक्य बणाया जाता है । The collection of many WORD MAKES a sentence...... Explanation: HOPE it helps u. mark me... and FOLLOW fir more answers. |
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