This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 10501. |
संभावना के शास्त्र के प्रारंभिक परिणामों के लिए निम्न में से एक महानुभाव कौन था ?(A) ज्होन ग्राउन्ट(B) लाप्लास(C) फिशर(D) जे. नेमान |
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Answer» सही विकल्प है (B) लाप्लास |
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| 10502. |
गुणात्मक सूचना और संख्यात्मक सूचना के बीच अंतर बताइए । |
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Answer»
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| 10503. |
भारत में सांख्यिकी के विकास में पी. सी. महालनोबिस का क्या योगदान है ? |
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Answer» भारत में सांख्यिकी के विकास में आंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठान रखनेवाला प्रो. पी. सी. महालनोबिस का कोलकाता में स्थापित भारतीय सांख्यिकीय संस्थान (Indian Statistical Institute) भारत में आंकडाशास्त्र संशोधन और अभ्यास में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। |
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| 10504. |
गुणधर्म अर्थात् क्या ? |
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Answer» जो चर लक्षण असंख्यात्मक हो तो उसे गुणात्मक चल कहते है । ऐसे गुणात्मक लक्षण को गुणधर्म कहते है । |
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| 10505. |
निम्न में से कौन-सा उदाहरण प्राथमिक सूचना का है ?(A) म्युनिसिपालिटी के रिपोर्ट में से प्राप्त सूचना ।(B) औद्योगिक के लिए प्रकाशित जर्नल में से प्राप्त सूचना।(C) वेबसाइट पर से प्राप्त सूचना ।(D) NSSO द्वारा एकत्रित की गई सूचना । |
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Answer» सही विकल्प है (D) NSSO द्वारा एकत्रित की गई सूचना । |
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| 10506. |
चल लक्षण अर्थात् क्या ? |
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Answer» जिस राशि के मूल्य (Value) अलग-अलग इकाईयों के लिए परिवर्तित होते हो उस राशि को चर कहा जाता है । वह संख्यात्मक अथवा असंख्यात्मक लक्षण हो सकता है । |
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| 10507. |
प्रश्नावलि अर्थात् क्या ? |
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Answer» जिस विषय सम्बन्धी सूचना प्राप्त करनी हो उस विषय के अनुरूप प्रश्नों की एक सूचि बनाना, उन प्रश्नों को उचित तथा तर्कपूर्ण क्रम में रखकर संबंधित प्रश्नों के सामने ही उत्तर लिखने की जगह वा आयोजन करके एक पत्रिका तैयार की जाती है जिसे प्रश्नावलि कहते हैं । |
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| 10508. |
जर्मन शब्द ‘statistik’ सर्वप्रथम किसने प्रयोग किया था ?(A) ज्होन ग्राउन्ट(B) विलियम पेट्टी(C) गोटफिड एलेनवाल(D) गोस |
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Answer» सही विकल्प है (C) गोटफिड एलेनवाल |
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| 10509. |
खुले सिरे वाली श्रृंखला (Open End series) से क्या आशय है? |
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Answer» खुले सिरे वाली श्रृंखला वह श्रृंखला है जिसमें न तो प्रथम वर्ग की निम्न सीमा दी हुई होती है और न ही अन्तिम वर्ग की उच्च सीमा। अर्थात् इसमें प्रथम वर्ग की निचली सीमा के स्थान पर ‘से कम’ एवं अन्तिम वर्ग की ऊपरी सीमा के स्थान पर से अधिक’ लिखा होता है। |
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| 10510. |
संचयी आवृत्ति क्या है? |
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Answer» वे आवृत्तियाँ जिन्हें वर्गानुसार अलग-अलग न रखकर संचयी रूप से जोड़ कर रखा जाता है, संचयी आवृत्तियाँ कहलाती हैं। |
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| 10511. |
प्राथमिक सूचना एकत्रित करने की विधि बताइए । |
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Answer» प्राथमिक सूचना एकत्र करने की मुख्य तीन विधियाँ प्रचलित है ।
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| 10512. |
कौक्षटन और काउटन द्वारा सांख्यिकी की परिभाषा दीजिए। |
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Answer» कौक्षटन और काउटन के मतानुसार अंकशास्त्र की परिभाषा निम्नानुसार है : |
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| 10513. |
गौण सूचना पारिभाषित करो । |
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Answer» जब कोई एक अधिकृत संस्थान या अनुसंधानकर्ता अन्य किसी व्यक्ति या संस्थान द्वारा एकत्र की गई सूचना का उपयोग करे तब उस अधिकृत संस्थान या अनुसंधान कर्ता के लिए वह सूचना गौण सूचना (Secondary Data) कहलायेगी । |
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| 10514. |
समष्टि पारिभाषित करो । |
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Answer» आंकडाशास्त्र के अभ्यास सम्बन्धी जाँच के क्षेत्राधीन समग्र इकाईयों की समूह को उस जाँच के लिए समष्टि कहेंगे । |
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| 10515. |
प्राथमिक सूचना पारिभाषित करो। |
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Answer» जब कोई अधिकृत संस्थान अनुसंधानकर्ता या अन्वेषक स्वयं या अन्य व्यक्तियों या संस्थाओं की सहायता से मौलिक रूप से प्रथमबार सूचना एकत्र करे तो उस जानकारी को प्राथमिक सूचना (Primary Data) कहते है । |
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| 10516. |
निदर्श पारिभाषित करो। |
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Answer» समष्टि में से किसी निश्चित पद्धति द्वारा चयन की गई इकाईयों के समूह को निदर्श कहते हैं । |
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| 10517. |
गुणात्मक सूचना पारिभाषित करो । |
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Answer» यदि चल लक्षण असंख्यात्मक हो तो उसे गुणात्मक चल कहते हैं, ऐसे गुणात्मक लक्षण को गुणधर्म कहते है और गुणधर्म के समूह को गुणात्मक सूचना कहते हैं ! |
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| 10518. |
संख्यात्मक सूचना पारिभाषित करो। |
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Answer» यदि चल संख्यात्मक हो तो उसे संख्यात्मक सूचना कहते है और ऐसे संख्यात्मक चल के अवलोकनों के समूह को संख्यात्मक सूचना कहते है । |
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| 10519. |
सूचना अर्थात् क्या ? |
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Answer» संख्यात्मक स्वरूप में या गुणात्मक स्वरूप में प्रदर्शित अवलोकनों के समूह को सूचना कहते है । ऐसी सूचना प्राथमिक स्रोत अथवा गौण स्रोत द्वारा प्राप्त की जा सकती है । |
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| 10520. |
अप्रकाशित सूचना अर्थात् क्या ? |
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Answer» संस्थाओं द्वारा कुछ आंकडाकीय सूचना प्रकाशित हुई न हो तो ऐसी सूचना को अप्रकाशित सूचना कहते हैं । ऐसी सूचना प्रार्थना से अनुसंधान कर्ता या संशोधन संस्था सम्बन्धित संस्थाओं से प्राप्त करके उसको उपयोग में ले सकते हैं । |
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| 10521. |
डाक द्वारा प्रश्नावली की विधि की चर्चा करो । |
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Answer» इस विधि में जिन लोगों से सूचना प्राप्त करनी हो उन्हें डाक द्वारा प्रश्नावली भेजी जाती है। सूचनादाता को स्वयं प्रश्नावली के उत्तर लिखने होते है । प्रश्नावली के साथ एक विनंती पत्र भेजा जाता है । जिसमें संशोधक का नाम, उद्देश्य का विवरण होता है और सूचनादाता से सहकार की विनंती की जाती है। प्रश्न स्पष्ट, संक्षिप्त, तार्किक व क्रमबद्ध हो तो उत्तरदाता के मन में कोई दुविधा, शंका उत्पन्न नहीं होगी । उत्तरदाता को यकीन दिलाया जाता है कि सूचना गुप्त रखी जाएगी तथा उसका कोई दुरुपयोग नहीं होने पायेगा । सूचना भेजनेवाले को डाक खर्च नहीं चुकाना पड़े इसलिए संशोधक के पता (Address) वाला टिकिट लगा हुआ लिफाफा भी प्रश्नावली के साथ भेज दिया जाता है । कई बार उत्तर देनेवाले को प्रोत्साहन मिलता रहे, उस उद्देश्य से प्रश्नावली के साथ उपहार भी भेजा जाता है । इस विधि से विशाल क्षेत्र से सूचना प्राप्त की जाती है । |
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| 10522. |
वर्गीकरण के मुख्य आधार क्या हैं? |
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Answer» वर्गीकरण के मुख्य आधार अनुसन्धान क्रिया में सामान्यतया निम्नलिखित प्रमुख आधारों को सामने रखकर वर्गीकरण किया जाता है 1. गुणात्मक आधार – इसके अनुसार, वर्गीकरण किसी गुण के आधार पर किया जाता है। उदाहरण के लिए जाति, प्रजाति, धर्म, वैवाहिक स्थिति, शैक्षणिक योग्यता, व्यवसाय आदि विशेषताओं के आधार पर किया गया वर्गीकरण गुणात्मक वर्गीकरण’ कहा जाएगा। 2. गणनात्मक आधार – यदि एकत्रित आँकड़े ऐसे हैं कि उन्हें गुणों के आधार पर व्यक्त करने की अपेक्षा संख्याओं में व्यक्त करना सरल है तो गणनात्मक आधार का सहारा लिया जाता है। उदाहरण के लिए ऊँचाई, वजन, आयु, आय, व्यय, उत्पादन आदि के आधार पर किया गया वर्गीकरण ‘गणनात्मक वर्गीकरण’ कहा जाएगा। 3. सामयिक आधार – आँकड़ों का वर्गीकरण समय के आधार पर भी किया जाता है। इन्हें समय, दिन, सप्ताह, माह अथवा वर्षों में व्यक्त किया जा सकता है। प्रत्येक 10 वर्ष बाद की जाने वाली जनगणना सामयिक आधार का ही उदाहरण है। 4. भौगोलिक आधार – विभिन्न स्थानों के आधार पर भी समंकों का वर्गीकरण किया जाता है। विभिन्न प्रान्तों अथवा किसी एक प्रान्त के जिलों में जनसंख्या का वर्गीकरण ‘भौगोलिक वर्गीकरण कहलाता है। |
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| 10523. |
पेट्रोल की कीमत में वृद्धि न्यायोचित है(क) यदि पेट्रोल की माँग में वृद्धि हुई है।(ख) यदि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि हुई है।(ग) उपर्युक्त दोनों(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं |
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Answer» सही विकल्प है (घ) 20 हजार |
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| 10524. |
अप्रकाशित प्राप्तिस्रोत में से गौण सूचना प्राप्त करने की विधि का वर्णन करो। |
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Answer» कुछ सूचनाएँ अप्रकाशित होती है, परंतु संस्थाएँ अपने संदर्भ हेतु अपने कार्यालय में पंजीकृत रखती है। ऐसी सूचना प्रार्थना से अनुसंधान कर्ता या संशोधन संस्था सम्बन्धित संस्थाओं से प्राप्त करके उसको उपयोग में ले सकते है । उदा. सरकारी, अर्धसरकारी, निजी या सार्वजनिक संस्थाओं के कार्यालय से अप्रकाशित सूचना प्राप्त कर सकते हैं । |
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| 10525. |
अप्रत्यक्ष अनुसंधान विधि के गुण-अवगुण की चर्चा करो । |
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Answer» अप्रत्यक्ष विधि के गुण :
अप्रत्यक्ष विधि के अवगुण :
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| 10526. |
आय, व्यय, लम्बाई, चौड़ाई के आधार पर वर्गीकरण अथवा तथ्यों को आवृत्ति विवरण हैं|(क) गणनात्मक वर्गीकरण(ख) गुणात्मक वर्गीकरण(ग) ऋणात्मक वर्गीकरण(घ) ये सभी |
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Answer» सही विकल्प है (क) गणनात्मक वर्गीकरण |
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| 10527. |
आवृत्ति विन्यास एवं आवृत्ति वितरण में मुख्य अन्तर बताइए। |
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Answer» आवृत्ति विन्यास में X चर एक खण्डित चर होता है जबकि आवृत्ति वितरण में X चर एक खण्डित चर न होकर विभिन्न वर्ग आवृत्तियों का वितरण होता है। इस प्रकार आवृत्ति विन्यास से अभिप्राय खण्डित श्रृंखला से है जबकि आवृत्ति वितरण से अभिप्राय अखण्डित श्रृंखला से है। |
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| 10528. |
जब आप एक नई पोशाक खरीदते हैं तो इनमें से किसे सबसे महत्त्वपूर्ण मानते हैं(क) कपड़े का रंग(ख) कपड़े की कीमत(ग) कपड़े को किस कम्पनी ने बनाया है।(घ) ये सभी |
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Answer» सही विकल्प है (घ) ये सभी |
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| 10529. |
समंक संकलन की उचित रीति का चयन किन बातों पर निर्भर करता है? |
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Answer» समंक संकलन की उपयुक्त रीति का चयन प्राथमिक समंकों के संकलन की विभिन्न रीतियों में से किसी भी एक रीति को सर्वश्रेष्ठ नहीं कहाँ जा सकता। समंक संकलन के लिए किस रीति को अपनाया जाए, यह निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है– 1. अनुसंधान की प्रकृति – यदि अनुसंधान में सूचकों से व्यक्तिगत संपर्क रखने की आवश्यकता है। तो ‘प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान रीति’; यदि शिक्षित व्यक्तियों से जानकारी प्राप्त करनी है तो ‘डाक द्वारा अनुसूचियाँ प्राप्त करने की रीति’; यदि अनुसंधान का क्षेत्र व्यापक है तो प्रगणकों द्वारा अनुसूचियाँ भरवाने की रीति तथा यदि नियमित रूप से किसी एक विषय में जानकारी प्राप्त करनी है तो संवाददाताओं द्वारा सूचना प्राप्ति की रीति’ अधिक उपयुक्त रहेगी। |
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| 10530. |
कर्मचारियों की पदोन्नति से क्या आशय है? पदोन्नति करते समय ध्यान में रखने योग्य बातों का उल्लेख कीजिए।याउद्योगों में कर्मचारियों की पदोन्नति के क्या आधार होने चाहिए? उदाहरणों द्वारा अपना मत स्पष्ट कीजिए।याउद्योग में पदोन्नति के अवसर के बारे में लिखिए। |
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Answer» विभिन्न औद्योगिक संस्थानों तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में कार्य की विविध श्रेणियों के अन्तर्गत कर्मचारियों एवं अधिकारियों के पद सुनिश्चित होते हैं और किसी विशेष पद के लिए कर्मचारी की उपयुक्तता भी\ किन्हीं मानदण्डों के आधार पर निर्धारित की जाती है। आवश्यक रूप से ये मानदण्ड कर्मचारी की योग्यता, उसकी कार्य की क्षमता, निपुणता, रुचि, वरिष्ठता तथा अपने उच्च अधिकारियों के साथ उसके सम्बन्धों पर आधारित हो सकते हैं। यह मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि कोई भी कर्मचारी अपने वर्तमान पद पर लम्बे समय तक सन्तुष्ट नहीं रह सकता। वह एक के बाद एक उच्च पद पर उन्नत होने की लालसा व महत्त्वाकांक्षा रखता है। पदोन्नति की कामना ही उसे अपने कर्म-पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करती है। कर्मचारियों की पदोन्नति से सम्बन्धित विभिन्न बिन्दुओं पर ध्यान केन्द्रित करने से पूर्व आवश्यक है कि यह समझा जाए कि ‘पदोन्नति’ से क्या अभिप्राय है। पदोन्नति का अर्थ (Meaning of Promotion) अर्थ – पदोन्नति से अभिप्राय उच्च पद की प्राप्ति से होता है जिसमें कर्मचारियों की प्रतिष्ठा, उत्तरदायित्वों, पद तथा आय में वृद्धि होती है। आवश्यक नहीं कि पदोन्नति के साथ आय में भी वृद्धि हो, बिना आय में वृद्धि हुए भी पदोन्नति सम्भव है। इसके साथ ही, वार्षिक वेतन वृद्धि को भी पदोन्नति नहीं कहा जा सकता। कर्तव्यों तथा उत्तरदायित्वों में परिवर्तन होना पदोन्नति की प्रक्रिया का अनिवार्य लक्षण है। विलियम जी० टोरपी के अनुसार, “पदोन्नति पदाधिकारी के एक पद से ऐसे दूसरे पद पर पहुँचने की ओर संकेत करती है जो उच्चतर श्रेणी या उच्चतर न्यूनतम वेतन वाला होता है। पदोन्नति का अभिप्राय है-कर्मचारी के कर्तव्यों एवं उत्तरदायित्वों में वृद्धि कर देना।” एल० डी० ह्वाइट के शब्दों में, “पदोन्नति का अर्थ है एक पद से किसी उच्चतर श्रेणी के अन्य पद पर नियुक्ति जिसमें कठिनतर प्रकृति एवं गहनतर उत्तरदायित्वों का कार्य करना पड़ता है। इसमें पद का नाम बदल जाता है और प्रायः वेतन में भी वृद्धि होती है।” इस प्रकार पदोन्नति के अन्तर्गत किसी उद्योग अथवा व्यवसाय में कार्य करने वाला कर्मचारी किसी दूसरे ऐसे कार्य (पद) पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है जिससे उसे अधिक उत्तरदायित्व, आय, सुविधाएँ तथा प्रतिष्ठा प्राप्त होते हैं। पदोन्नति के समय ध्यान रखने योग्य बातें (Factors Determining Eligibility of Promotion) (1) ज्येष्ठता या वरिष्ठता – अधिकतर कर्मचारीगण पदोन्नति के लिए ज्येष्ठता या वरिष्ठता के सिद्धान्त का समर्थन करते हैं। इसके अन्तर्गत उच्चतर पद पर किसी भी कर्मचारी की पदोन्नति इसलिए की जानी चाहिए, क्योंकि उसका सेवा काल (Length of Service) दूसरे कर्मचारियों की तुलना में अधिक है। इसका अभिप्राय यह है कि सेवा में पहले भर्ती होने वाले व्यक्ति की पदोन्नति पहले तथा बाद में भर्ती होने वाले व्यक्ति की पदोन्नति बाद में की जानी चाहिए। ज्येष्ठ कर्मचारी का कार्य अनुभव अपेक्षाकृत अधिक होता है और अधिक अनुभव पदोन्नति के लिए एक बड़ी योग्यता है; अतः कहा जाता है कि पदोन्नति के लिए “ज्येष्ठता ही योग्यता है। यह आधार पदोन्नति को निश्चितता प्रदान करता है और इससे पुराने कर्मचारियों की प्रतिष्ठा की रक्षा हो पाती है। ज्येष्ठता का तत्त्व स्वयंचालित पदोन्नति का नेतृत्व करता है। इस प्रकार इसे उचित, न्यायपूर्ण एवं निष्पक्ष आधार रूप में स्वीकार किया जा सकता है। कुछ विचारकों की दृष्टि से ज्येष्ठता या वरिष्ठता के आधार पर कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं की जानी चाहिए। इससे कर्मचारियों में प्रतिस्पर्धा की भावना पर रोक लगती है और वे अधिक मेहनत, बुद्धिमत्ता एवं उत्साह से कार्य नहीं कर पाते। आलोचकों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को सौभाग्य से नियति ने पहले जन्म देकर ज्येष्ठता प्रदान कर दी है तो इसका अर्थ यह नहीं हो जाता कि वह उस पद के लिए पूरी तरह सक्षम, कुशल एवं योग्य है। इसके साथ-ही-साथ ज्येष्ठता या वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति मिलने की नीति उन प्रतिभा सम्पन्न नौजवान कर्मचारियों का भी अहित करती है जिन्होंने स्वतन्त्र प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त आगे बढ़ने की उम्मीद से व्यवसाय/संस्थान में प्रवेश किया है। वास्तव में, पदोन्नति का आशय है-उच्चतर कर्तव्यों तथा उत्तरदायित्वों के लिए व्यक्ति की नियुक्ति और इसके लिए एकमात्र ज्येष्ठता को ही आधार नहीं बनाया जा सकता, किन्तु व्यवहार में ज्येष्ठता या वरिष्ठता या सेवा-काल की किसी भी भाँति उपेक्षा नहीं की जा सकती। ‘टॉमलिन आयोग (Tomlin Commission) ने ठीक ही कहा है, “सेवा के सम्बन्ध में सामान्यतः ज्येष्ठता (वरिष्ठता) के तत्त्व के कम मूल्यांकन की सम्भावना नहीं है।” (2) योग्यता – आधुनिक युग में पदोन्नति का आधार कर्मचारी की योग्यता’ को बनाने पर विशेष बल दिया जाता है। किन्तु योग्यता की जाँच किस तरह की जाये और इसके लिए क्या मानदण्ड होना चाहिए, यह एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा जटिल प्रश्न है। निश्चय ही पदोन्नति के लिए योग्यता की जाँच का मानदण्ड नितान्त रूप से वस्तुनिष्ठ अर्थात् व्यक्ति निरपेक्ष होना चाहिए। (3) कार्य में दक्षता या निपुणता – कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए कार्य में दक्षता या निपुणता का आधार अत्यन्त सामान्य तथा लोकप्रिय सिद्धान्त है। किसी भी उद्योग या व्यापारिक संस्थान में नियोक्ता (मालिक) की यही इच्छा रहती है कि उसका कर्मचारी कार्य में दक्ष या निपुण हो और वह अच्छे-से-अच्छा कार्य करे। नौकरी के मामले में प्राय: देखा जाता है कि जो कर्मचारी अच्छा कार्य करते हैं, मालिक या अधिकारियों की दृष्टि में उनका एक विशेष स्थान बन जाता है। उनकी दक्षता, क्षमता तथा विश्वसनीयता के आधार पर उन्हें ऊँचे पद पर प्रोन्नत कर दिया जाता है। उत्तम कार्य प्रदर्शित कर पदोन्नति पाने का यह सिद्धान्त दूसरे कर्मचारियों में अच्छा कार्य करने का प्रलोभन पैदा करता है। इससे अन्य लोगों के उत्साह एवं रुचि में वृद्धि होती है। दक्षता या निपुणता के आधार पर उच्च पद, अधिक आय, सुविधाएँ तथा प्रतिष्ठा पाने वाले कर्मचारियों का अनुकरण कर अन्य कर्मचारी भी उन्हीं की तरह कार्य में दक्ष एवं निपुण होने के लिए प्रयास करते हैं। उपर्युक्त बिन्दुओं के अन्तर्गत हमने उन सभी बातों का विवेचन किया है जिन्हें कर्मचारियों की पदोन्नति के अवसर पर पूरी तरह से ध्यान में रखा जाना चाहिए। स्पष्टतः पदोन्नति के लिए व्यक्तिगत भेदभाव से दूर; व्यक्ति को निरपेक्ष एवं वस्तुनिष्ठ नीति अपनायी जानी चाहिए। पक्षपातपूर्ण, मनचाहे तरीके से तथा सिफारिशों के माध्यम से होने वाली पदोन्नतियाँ संस्थानों के वातावरण को दूषित कर सकती हैं। |
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| 10531. |
गौण सूचना का उपयोग करते समय ध्यान में रखने योग्य सावधानियों को बताइए । |
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Answer» गौण सूचना का उपयोग करने से पूर्व सावधानीपूर्वक जाँच करना चाहिए क्योंकि ऐसी सूचना दोषयुक्त, उद्देश्य के अनुरूप न हो ऐसी गौण सूचना पृथक्करण या विश्लेषण के लिए उपयोगी नहीं है, इसलिए ऐसी सूचना का उपयोग करते समय निम्न सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए ।
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| 10532. |
वर्गीकृत आँकड़ों में सांख्यिकीय परिकलन आधारित होता है(क) प्रेक्षणों के वास्तविक मानों पर(ख) उच्च वर्ग सीमाओं पर(ग) निम्ने वर्ग सीमाओं पर(घ) वर्ग के मध्य बिन्दुओं पर |
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Answer» सही विकल्प है (घ) वर्ग के मध्य बिन्दुओं पर |
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| 10533. |
सूचकों द्वारा अनुसूचियाँ/प्रश्नावली भरना रीति के दो दोष बताइए। |
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Answer» ⦁ यह प्रणाली लोचदार नहीं है। |
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| 10534. |
वर्ग विस्तार किसे कहते हैं? |
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Answer» किसी वर्ग की ऊपरी व निचली सीमा में अन्तर को वर्ग विस्तार कहते हैं जैसे–10-20 वर्ग का विस्तार 20 – 10 = 10 होगा। |
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| 10535. |
प्रत्येक 10 वर्ष बाद की जाने वाली जनगणना किस आधार का उदाहरण है?(क) गुणात्मक(ख) गणनात्मक(ग) सामयिक(घ) भौगोलिक |
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Answer» सही विकल्प है (ग) सामयिक |
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| 10536. |
अपवर्जी विधि के अन्तर्गत(क) किसी वर्ग की उच्च वर्ग सीमा को वर्ग अन्तराल में समावेशित नहीं करते।(ख) किसी वर्ग की उच्च वर्ग सीमा को वर्ग अन्तराल में समायोजित करते हैं।(ग) किसी वर्ग की निम्न वर्ग सीमा को वर्ग अन्तराल में समावेशित नहीं करते(घ) किसी वर्ग की निम्न वर्ग सीमा को वर्ग अन्तराल में समावेशित करते हैं। |
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Answer» (क) किसी वर्ग की उच्च वर्ग सीमा को वर्ग–अन्तराल में समावेशित नहीं करते। |
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| 10537. |
वर्ग (class) किसे कहते हैं? |
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Answer» संख्याओं के किसी निश्चित समूह को जिसमें मदें शामिल होती हैं, वर्ग कहते हैं जैसे 0-10, 10-20 आदि। |
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| 10538. |
दो चरों के बारम्बारता वितरण को इस नाम से जानते हैं(क) एकविचर वितरण(ख) द्विचर वितरण(ग) बहुचर वितरण(घ) इनमें से कोई नहीं |
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Answer» सही विकल्प है (ख) द्विचेर वितरण |
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| 10539. |
सम्पादन से क्या आशय है? |
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Answer» सम्पादन से आशय संकलित समंकों की शुद्धता की जाँच करना, अशुद्धि को दूर करना तथा शुद्ध समंकों को प्राप्त करने से है। |
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| 10540. |
सांख्यिकीय विभ्रम से क्या आशय है? |
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Answer» सांख्यिकीय विभ्रम ‘वास्तविक मूल्य’ और ‘अनुमानित मूल्य’ का अंतर है। |
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| 10541. |
प्राथमिक समंक किसे कहते हैं? |
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Answer» प्राथमिक समंक वे समंक होते हैं जिन्हें अनुसंधानकर्ता प्रयोग में लाने के लिए पहली बार स्वयं एकत्रित करता है। |
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| 10542. |
इनमें कौन-सी त्रुटि अधिक गंभीर है और क्यों?(क) प्रतिचयन त्रुटि(ख) अप्रतिचयन त्रुटि। |
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Answer» (क) प्रतिचयन त्रुटि – प्रतिचयन त्रुटियाँ प्रतिदर्श आकलन और समष्टि विशेष के वास्तविक मूल्य (जैसे-औसत आय आदि) के बीच अंतर प्रकट करती हैं। यह त्रुटि, तब सामने आती है जब आप समष्टि से प्राप्त किए गए प्रतिदर्श का प्रेक्षण करते हैं। जैसे-देहरादून के 5 कृषकों की आमदनी का उदाहरण लें। मान लें चर x (आमदनी) के मापन 600, 650, 700, 750, 800 हैं। (ख) अप्रतिचयन त्रुटियाँ – सर्वेक्षण क्षेत्र से आँकड़ों के संकलन के समय मापन, प्रश्नावली, रिकॉर्डिंग, अंकगणित संबंधी त्रुटियों को अप्रतिचयन त्रुटियाँ कहा जाता है। अप्रतिचयन त्रुटियाँ प्रतिचयन त्रुटियों की अपेक्षा गंभीर होती है। |
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| 10543. |
क्या लॉटरी विधि सदैव एक यादृच्छिक प्रतिदर्श देती है? बताइए। |
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Answer» लॉटरी विधि द्वारा हमेशा यादृच्छिक का प्रतिचयन ही प्राप्त होता है। इस विधि में प्रत्येक इकाई को शामिल किया जाता है। समग्र की सभी इकाइयों की पर्चियाँ अथवा गोलियाँ बना ली जाती हैं और उन पर्चियों को एक डिब्बे में डाल दिया जाता है। फिर किसी निष्पक्ष व्यक्ति द्वारा अथवा स्वयं आँखें बंद करके उतनी ही पर्चियाँ या गोलियाँ उठा ली जाती हैं जितनी इकाइयाँ प्रतिचयन में शामिल करनी होती हैं। प्रतिचयन की इकाइयों के निष्पक्ष चुनाव के लिए यह आवश्यक है कि सभी पर्चियाँ या गोलियाँ एक-सी बनाई जाएँ, उनका आकार एवं रूप एकसमान हो तथा छाँटने से पूर्व उन्हें हिला-मिला लिया जाए। इस प्रकार इस प्रणाली में प्रत्येक इकाई के चुनाव की समान सम्भावना रहती है। |
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| 10544. |
प्रतिदर्श, समष्टि तथा चर के दो-दो उदाहरण दें। |
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Answer» प्रतिदर्श – प्रतिदर्श समष्टि के एक खण्ड या एक समूह का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे सूचना प्राप्त की जा सकती है। एक आदर्श प्रतिदर्श सामान्यतः समष्टि से छोटा होता है। |
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| 10545. |
अपनी कक्षा के 10 छात्रों में से 3 को चुनने के लिए आप लॉटरी विधि का उपयोग कैसे करेंगे? चर्चा करें। |
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Answer» अपनी कक्षा के 10 छात्रों में से 3 छात्रों को चुनने के लिए हम लॉटरी विधि का प्रयोग इस प्रकार करेंगे |
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| 10546. |
प्रश्नावली व अनुसूची में अंतर बताइए। |
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Answer» प्रश्नावली में प्रश्नों के उत्तर सूचकों द्वारा स्वयं दिए जाते हैं। इसके विपरीत, अनुसूची में प्रश्नों की सूची के प्रगणकों द्वारा सूचकों से सूचना प्राप्त करके भरा जाता है। |
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| 10547. |
एक वर्ग मध्यबिन्दु बराबर है(क) उच्च वर्ग सीमा तथा निम्न वर्ग सीमा के औसत के(ख) उच्च वर्ग सीमा तथा निम्न वर्ग सीमा के गुणनफल के(ग) उच्च वर्ग सीमा तथा निम्न वर्म सीमा के अनुपात के(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं |
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Answer» (क) उच्च वर्ग सीमा तथा निम्न वर्ग सीमा के औसत के |
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| 10548. |
दण्ड देते समय ध्यान में रखने योग्य महत्त्वपूर्ण बातों का उल्लेख कीजिए। या विद्यालय में दण्ड देते समय किन-किन सावधानियों को ध्यान में रखना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» दण्ड देते समय ध्यान रखने योग्य महत्त्वपूर्ण बातें 1. दण्ड अपराध के अनुरूप हो : |
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| 10549. |
अनुसूची से क्या आशय है? |
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Answer» ‘अनुसूची’ प्रश्नों की वह सूची है जिसे प्रगणकों द्वारा सूचकों से पूछताछ करके भरा जाता है। |
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| 10550. |
दैव निदर्शन रीति के दो दोष बताइए। |
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Answer» ⦁ आकार के छोटा होने अथवा उसमें विषमता अधिक होने पर, इस रीति द्वारा लिए गए न्यादर्श समग्र का ठीक प्रकार प्रतिनिधित्व नहीं कर पाते। |
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