This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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इंग्लैंड में विरोधी पक्ष के लिए क्या-क्या सहूलियत में सुविधाएँ हैं? |
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Answer» इंग्लैंड में विरोधी पक्ष के नेता को प्रधानमन्त्री के समान सरकारी खजाने से वेतन मिलता है। उसको एक सचिव, सांकेतिक लेखक तथा अन्य कर्मचारी दिए जाते हैं। लोकसभा भवन में उसके कार्यालय हेतु एक अलग कमरा भी दिया जाता है। वहाँ से वह सरकार के कामों पर नजर रखता है तथा प्रतिपक्ष का उत्तरदायित्व निभाता है। |
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लेखक ने विरोधी पक्ष का महत्त्व माना है कि –(अ) वह सरकार का विरोध करने के लिए होता है।(ब) वह सरकार की स्वेच्छाचारिता पर नियंत्रण हेतु होता है।(स) वह सरकार के कार्य में अड़चन के लिए होता है।(द) वह निष्क्रिय होता है। |
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Answer» (ब) वह सरकार की स्वेच्छाचारिता पर नियंत्रण हेतु होता है। |
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अमेरिका में पहले कौन-सी विकृत पद्धतिं प्रचलित थी? |
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Answer» पहले अमेरिका में नए दल की सरकार आने पर सभी पुराने सरकारी कर्मचारियों को हटाकर सरकार के अनुसार नए कर्मचारी नियुक्त किए जाते थे। |
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किसी समय सरकार बदलते ही सरकारी कर्मचारी बदलने अथवा हटा देने की परम्परा किस देश में थी? |
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Answer» किसी समय सरकार बदलते ही सरकारी कर्मचारी बदलने अथवा हटा देने की परम्परा अमेरिका में थी। |
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सार्वजनिक अन्तरात्मा से आप क्या समझते हैं? अम्बेडकर जी ने इसे किस प्रकार प्रजातंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक बताया? |
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Answer» किसी अन्याय के विरुद्ध बिना किसी मतभेद के सभी लोगों का एक साथ खड़ा हो जाना सार्वजनिक अन्तरात्मा है, भले ही विरोध करने वाला उस अन्याय से पीड़ित न हो रहा हो फिर भी उसे अन्याय का विरोध करना चाहिए। अन्याय का विरोध अन्याय के शिकार हुए मनुष्य को ही नहीं करना चाहिए बल्कि सभी लोगों को भेदभाव छोड़कर एक होकर अन्याय पीड़ित को अन्याय से मुक्ति दिलानी चाहिए। ऐसा न होने पर पीड़ित लोगों में प्रजातंत्र के प्रति विद्रोह का भाव पैदा होता है। |
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सत्तारूढ़ से आप क्या समझते हैं? |
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Answer» जिसको शासन करने का अधिकार प्राप्त है, उस राजनैतिक दल तथा व्यक्ति को सत्तारूढ़ कहते हैं। |
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भारत में प्रजातंत्र की कौन-कौन सी कमियाँ आपको नजर आती हैं? इनके निराकरण के लिए आप क्या करना चाहेंगे? |
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Answer» भारत में प्रजातन्त्र सन् 1950 में स्वीकार किया गया था। तब से एक लम्बा समय व्यतीत हो चुका है। इस बीच प्रजातंत्र मजबूत हुआ है किन्तु अब भी उसमें अनेक कमियाँ हैं जिनको सुधारना जरूरी है। भारत में अनेक राजनैतिक दल हैं। चुनाव दलविहीन प्रत्याशी भी लड़ सकते हैं। केन्द्र तथा राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें होती हैं। इससे उनमें संघर्ष की स्थिति बनी रहती है तथा जनता के हित प्रभावित होते हैं। राजनैतिक दलों की संख्या कम होनी चाहिए। स्वतन्त्र प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। केन्द्र तथा राज्यों में चुनाव साथ-साथ होने चाहिए। भारतीय राजनीतिज्ञ सिद्धान्तहीन हैं। दल-बदल खूब होता है। चुनाव में धनबल, धर्म, जाति तथा अपराधी प्रकृति से लोग प्रभावित करते हैं। इन बातों पर नियंत्रण होना आवश्यक है। राजनैतिक दलों की आय की जाँच होनी चाहिए तथा आय के स्रोतों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। जो दल सत्ता में है, उसको पक्षपातरहित होना चाहिए। उसको अपनी नीति लोकसभा में रखनी चाहिए तथा वहाँ से स्वीकृत नीति को ही कार्यपालिका द्वारा लागू किया जाना चाहिए। सरकार को इसमें हस्त क्षेप नहीं करना चाहिए। किसी अधिकारी तथा कर्मचारी पर अनुचित दबाव भी नहीं डालना चाहिए। लोकसभा तथा विधानसभा में तर्कपूर्ण चर्चा होनी चाहिए। वहाँ सरकारी पक्ष तथा प्रतिपक्ष को एक दूसरे के विरोध के अनुचित तरीके नहीं अपनाने चाहिए। दोनों का आचरण संविधान सम्मत होना चाहिए। उपर्युक्त कमियों के निराकरण हेतु मैं लोगों को अच्छे जनप्रतिनिधियों को चुनने हेतु प्रेरित करूंगा। साथ ही साथ इस विषय पर अपने अभिभावकों से लोगों से चर्चा करने हेतु आग्रह करूंगा। |
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लेखक के अनुसार प्रजातंत्र में किसी व्यक्ति को शासन करने का अधिकार तब तक है, जब तक कि(अ) वह स्वयं छोड़ना न चाहे(ब) पाँच वर्ष न हो जायें(स) जब तक लोगों की इच्छा हो।(द) अगले चुनाव न हों |
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Answer» (स) जब तक लोगों की इच्छा हो। |
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भारत का संविधान कठोर और लचीला क्यों माना जाता है ? |
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Answer» संविधान में आवश्यकता और समयानुसार परिवर्तन की व्यवस्था की गयी है । कुछ मामलों में संसद के सामान्य बहुमति से किये जानेवाले परिवर्तनों के कारण भारतीय संविधान परिवर्तनशील तथा लचीला माना जाता है लेकिन कुछ विशेष मामलों में संविधान में सुधार नहीं किया जा सकता है । राज्यों की स्वीकृति के बिना संशोधन संभव नहीं होने के कारण हमारा संविधान कठोर हैं । |
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प्रजातंत्र में बहुमत को अल्पमत के सम्बन्ध में किस बात का ध्यान रखना चाहिए? |
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Answer» प्रजातंत्र में बहुमत को अल्पमत के हितों की रक्षा का ध्यान रखना चाहिए। उसको ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए कि अल्पमत को लगे कि उस पर अत्याचार हो रहा है। अल्पमत को सदा विश्वास रहना चाहिए कि शासन की बागडोर बहुमत के हाथ में होने पर भी उसको कोई क्षति नहीं होगी। बहुमत की ओर से उस पर कोई चोट नहीं होगी। बहुमत प्राप्त होने का अर्थ अल्पमत की उपेक्षा । और उसका दमन करना नहीं है। बहुमत के हाथों में अल्पमत के हित सुरक्षित रहने चाहिए। |
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तत्कालीन समय में किस देश में विरोधी पक्ष के नेता को सरकारी खजाने से वेतन मिलता था? |
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Answer» विरोधी पक्ष के नेता को इंग्लैण्ड तथा कनाडा में सरकारी खजाने से वेतन मिलता था। |
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अल्पमत वालों में विधान विरोधी भावना कब पैदा होती है? |
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Answer» अल्पमत को विरोध करने तथा अपना पक्ष रखने का पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए। लोकसभा में विरोध पक्ष ‘काम रोको’, ‘निन्दा प्रस्ताव’ आदि लाया करता है। उनको इसका अवसर मिलना चाहिए। इंग्लैण्ड की पार्लियामेंट में उनके ऐसे प्रस्तावों को स्वीकार करके उनको अपनी बात कहने का अवसर अवश्य दिया जाता है। किन्तु भारत में उनके प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हो पाते। यदि अल्पमत को अपना पक्ष रखने से वंचित किया जायगा तो उनके मन में विधान-विरोधी भावना पैदा होगी। बहुमत को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए कि अल्पमत को लगे कि उसके साथ निरंकुशता का व्यवहार किया जा रहा है। |
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”अल्पमत वाले जो इस अन्याय के तले पिस रहे हैं, बहुमतवालों से कभी किसी प्रकार की सहायता न प्राप्त करेंगे, जिससे वे इस अन्याय से मुक्त हो सकेंगे।” डा. अम्बेडकर यहाँ किनके बारे में बात कर रहे हैं? क्या यह कहना ठीक है कि बहुमत वालों से उनको कभी सहायता नहीं मिली है ना मिलेगी? |
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Answer» सार्वजनिक अंतरात्मा’ प्रजातन्त्र की सफलता के लिए आवश्यक है। इसका आशय यह है कि किसी अन्याय का विरोध सभी नागरिकों को भेदभाव त्याग कर करना चाहिए तथा पीड़ित व्यक्ति की रक्षा करनी चाहिए, भले ही वह स्वयं उससे पीड़ित हो या न हो। इसी सन्दर्भ में लेखक ने उपर्युक्त बात कही है। इस कथन में ‘अल्पमत’ दलित जातियों के लिए तथा ‘बहुमत’ उच्च जातियों के लिए प्रयुक्त शब्द है। दलित जातियाँ बहुत समय से भेदभाव तथा अन्याय का शिकार रही हैं। उनको सामाजिक असमानता की पीड़ा सहन करनी पड़ी है तथा अपमान भी झेलना पड़ा है। लेखक का कहना है कि सार्वजनिक अन्तरात्मा’ के न होने से ऐसा हो रहा है। वे अन्याय सहते रहेंगे और उच्च जाति वालों से उनको कोई सहायता प्राप्त नहीं होगी, जिससे वे इस अन्याय से मुक्त हो सके। यह कथन अतिरंजित प्रतीत होता है कि बहुमतवालों से उनको कभी सहायता नहीं मिली है ना मिलेगी। यदि ध्यान से देखा जाय तो गौतम बुद्ध, सन्त कबीर, स्वामी विवेकानन्द, स्वामी दयानन्द, महात्मा गाँधी आदि अनेक महापुरुषों ने इस अन्याय का विरोध किया है। महात्मा गाँधी का तो इसमें बहुत बड़ा योगदान है। दलितों में सामाजिक चेतना जगाने में गाँधी जी अग्रणी हैं। प्रेमचन्द, निराला, बच्चन तथा अनेक साहित्यकारों ने भी इस कार्य में योग दिया है। |
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”यदि समाज नीतिपरायण न हो तो प्रजातन्त्र टिका नहीं रह सकता”-यह कथन है –(क) डॉ. अम्बेडकर का(ख) प्रो. लास्की का(ग) पं. नेहरू का(घ) महात्मा गाँधी का। |
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Answer» (ख) प्रो. लास्की का |
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महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्याएँ।'सार्वजनिक अन्तरात्मा’ उस अन्तरात्मा को कह सकते हैं, कि जो हर अन्याय को देखकर विचलित हो उठती है। वह इस बात की परवाह नहीं करती कि उसे अन्याय का शिकार किसे होना पड़ रहा है? इसका मतलब हुआ कि चाहे उसे व्यक्तिगत रूप से उस ‘अन्याय’ से कष्ट होता हो, या न होता हो, जो कोई भी उस ‘अन्याय’ का भाजन हो उसे उस ‘अन्याय’ से मुक्ति दिलाने के लिए उसके कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हो जाती है। |
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Answer» कठिन शब्दार्थ-सार्वजनिक = सभी लोगों से सम्बन्धित। अन्तरात्मा = भीतरी अर्थात् मन की आवाज। विचलित = व्याकुल। परवाह = चिन्ता। भाजन = पात्र, शिकार। मुक्ति = छुटकारा। कंधा से कंधे मिलाकर खड़े होना = सबका सहयोग करना।। सन्दर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘सृजन’ में संकलित ”सफल प्रजातंत्रवाद के लिए आवश्यक बातें” शीर्षक पाठ से लिया गया है। यह डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा दिया गया एक भाषण है। इस भाषण में डॉ. अम्बेडकर ने प्रजातंत्र की सफलता पर विचार किया है तथा उसके लिए कुछ बातों को आवश्यक माना है। इनके बिना प्रजातंत्र असफल हो जाता है। उनमें एक बात सार्वजनिक अन्तरात्मा भी है। व्याख्या-डॉ. अम्बेडकर कहते हैं कि सार्वजनिक अन्तरात्मा प्रजातंत्र की सफलता के लिए आवश्यक है। सार्वजनिक अंतरात्मा का अर्थ बिना भेदभाव के किसी अत्याचार के विरुद्ध एकमत होना है। सार्वजनिक का अर्थ ‘सभी लोगों से संबंधित है। जब समाज के सभी सदस्य, जाति, धर्म, वर्ग आदि का अन्तर भुलाकर किसी अन्याय के विरुद्ध एकमत होकर उठे खड़े होते हैं, तो अंबेडकर के अनुसार इसको सार्वजनिक अन्तरात्मा कहते हैं। इसके तहत लोग अन्याय को देखकर व्याकुल हो जाते हैं। वे यह नहीं देखते कि अन्याय कौन कर रहा है तथा उसका शिकार कौन हो रहा है उस अन्याय से व्यक्तिगत कष्ट होने अथवा न होने पर भी अन्याय का शिकार हुए मनुष्य को अन्याय से बचाने के लिए भेदभाव मुक्त होकर उसके साथ खड़े हो जाना ही सार्वजनिक अन्तरात्मा है। विशेष- |
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प्रजातंत्र में समाचार-पत्रों की आय का साधन कौन नहीं बन सकता? |
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Answer» प्रजातन्त्र में समाचार-पत्रों की आय का साधन विरोधी पक्ष नहीं बन सकता। |
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महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्याएँ।प्रजातन्त्र की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि समाज नैतिक नियमों का पालन करे। कुछ ऐसा हुआ है कि राजनीतिशास्त्र के आचार्यों ने शायद प्रश्न के इस पहलू पर कभी विचार ही नहीं किया है। उनकी दृष्टि में ‘नीतिपरायण’ होना एक बात है और ‘राजनीति’ दूसरी। आप ‘राजनीति’ सीख सकते हैं, लेकिन ‘नीति’ के विषय में कोरे अज्ञानी बने रह सकते हैं, मानो ‘राजनीति’ बिना ‘नीति’ के ही सफल हो सकती हो। मुझे तो यह एक आश्चर्य में डालने वाली स्थापना मालूम देती |
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Answer» कठिन शब्दार्थ-नैतिक = नीति सम्बन्धी। आचार्य = विद्वान। पहलू = प्रश्न। नीति-परायण = नीति के अनुसार चलने वाला। कोरे = पूर्णत:। स्थापना = मान्यता। सन्दर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘सृजन’ में संकलित ”सफल प्रजातंत्रवाद के लिए आवश्यक बातें” शीर्षक पाठ से लिया गया है। यह डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा दिया गया एक भाषण है। डॉ. अम्बेडकर एक विधि विज्ञानी थे। आपने प्रजातंत्रीय शासन व्यवस्था के लिए कुछ तत्वों को आवश्यक माना है। इनके बिना यह व्यवस्था सफल नहीं हो सकती। नागरिकों द्वारा नैतिक नियमों का पालन करना भी प्रजातंत्र की सफलता के लिए जरूरी है। नैतिकता के अभाव में राजनीति दुष्टों का खेल होना ही है। व्याख्या-डॉ. अम्बेडकर बता रहे हैं कि प्रजातंत्रीय शासन व्यवस्था तभी सफल होती है, जब उसके नागरिक नीति सम्बन्धी नियमों का पालन करते हैं तथा उनका आचरण नीतिपूर्ण होता है। अनैतिक समाज में राजनीति भ्रष्ट हो जाती है तथा प्रजातंत्र नष्ट हो जाता है। यह विषय ऐसा है जिस पर राजनीति के विद्वानों ने बहुत ही कम सोच-विचार किया है। उनका मत है कि राजनीति में कुशल होना तथा नीतिवेत्ता होना दो अलग-अलग बातें हैं। चतुर राजनीतिज्ञ होने के लिए नीति का ज्ञान होना जरूरी नहीं है। राजनीति सीखने के लिए नीति की शिक्षा प्राप्त करना आवश्यक नहीं है। नीति का ज्ञान न होने पर भी आप राजनीति सीख सकते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि नीति को जाने बिना भी राजनीति सफल हो सकती है। डॉ. अम्बेडकर इस विचार से असहमत हैं। उनके दृष्टिकोण में यह मान्यता आश्चर्य में डालने वाली है। नीति ज्ञान के अभाव में कुशल राजनीति नहीं की जा सकती। विशेष- |
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महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्याएँ।जब उससे इसका कारण पूछा गया तो उसका उत्तर था-“प्रियवर! आप भूल गए हैं कि हमने इस विधान को किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए बनाया है। हमने यह विधान इसलिए बनाया है कि हम कोई वंशपरम्परागत राजा नहीं चाहते थे, हम कोई पैतृक शासन नहीं चाहते थे। हम कोई अनन्य शासक या डिक्टेटर भी नहीं चाहते थे। यदि इंग्लैण्ड के राजा की अधीनता त्याग कर, आप लोग इस देश में आकर भी, मुझको ही प्रतिवर्ष, प्रति कालविभाग अपना प्रेसिडेण्ट बनाये रहने लगे, मेरी ही पूजा करने लगे तो आपके सिद्धांतों का क्या होगा? जब आप मुझे ही इंग्लैण्ड के राजा का स्थानापन्न बना देते हैं, तब आप क्या कह सकते हैं कि आपने उसके अधिकार के प्रति विद्रोह किया है?” उसने कहा-“आपका मेरे प्रति जो विश्वास है, जो भक्ति-भाव है उसके कारण आप चाहे मुझ पर दूसरी बार प्रेसिडेण्ट बनने के लिए दबाव डालने पर मजबूर हो, लेकिन जब मैंने ही इस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है कि हमें वंशानुगत शासन नहीं चाहिए, तो मुझे आपकी भक्ति-भावना के वशीभूत होकर भी दूसरी बार खड़ा नहीं होना चाहिए। |
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Answer» कठिन शब्दार्थ-विधान = नियम। उद्देश्य = लक्ष्य। वंशपरम्परागत = एक ही वंश में जन्म लेने वालों पर आधारित। पैतृक = पिता से पुत्र को प्राप्त। अनन्य = एक ही, एकमात्र। डिक्टेटर = तानाशाह। काल-विभाग = कार्यकाल। प्रेसीडेंट = राष्ट्रपति। स्थानापन्न = स्थान पर कार्य करने वाला। प्रतिपादन = स्थापना करना, बनाना। वंशानुगत = एक ही परिवार में जन्म लेने वाले व्यक्ति के अधीन। सन्दर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘सृजन’ में संकलित “सफल प्रजातंत्रवाद के लिए आवश्यक बातें” शीर्षक पाठ से लिया गया है। यह डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा दिया गया भाषण है। डॉ. अम्बेडकर का कहना है कि प्रजातंत्र की सफलता के लिए वाशिंगटन को लोग दूसरी बार भी राष्ट्रपति बनाना चाहते थे किन्तु वह इस कारण तैयार नहीं थे कि राष्ट्रपति पद किसी राजा का वंशपरम्परानुगत पद नहीं है। व्याख्या-जार्ज वाशिंगटन से लोगों ने पूछा कि वह दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति क्यों नहीं बनना चाहते तो उन्होंने बताया कि अमेरिका का विधान एक उद्देश्य को पूरा करने के लिए बनाया गया है। इस विधान के अनुसार अमेरिका एक लोकतंत्र है तथा उसका राष्ट्रपति एक निश्चित कार्यकाल के लिए ही चुना जाएगा। इस विधान को बनाने का उद्देश्य यह था कि अमेरिका के लोग एक ही वंश में उत्पन्न होने वाला राजा नहीं चाहते। वे नहीं चाहते कि पिता के पश्चात् उसका पुत्र शासन करे। वे कोई एकमात्र अटल शासक थवा तानाशाह भी नहीं चाहते। वे हर बार अपना नया राष्ट्रपति चुनेंगे। इंग्लैंड के राजा की अधीनता छोड़कर अमेरिका में आने के बाद भी वे उनको हर साल अथवा प्रत्येक कार्यकाल के लिए अपना राष्ट्रपति चुनेंगे तो जो नियम बनाया गया है, उसका उल्लंघन होगा। इससे सिद्धांतों की हानि होगी। अमेरिका का राष्ट्रपति भी एक तरह से इंग्लैंड के राजा जैसा हो जाएगा। इससे इंग्लैंड के राजा के प्रति हुए विद्रोह का लक्ष्य ही नष्ट हो जाएगा। यदि उनके प्रति श्रद्धा की भावना और विश्वास के कारण उनसे दूसरी बार राष्ट्रपति बनने का आग्रह किया जाता है तो नियम टूटेगा जिसको बनाने वाले वह स्वयं ही हैं। अत: उनको दूसरी बार राष्ट्रपति पद लोगों के श्रद्धा भाव के कारण ही स्वीकार नहीं करना चाहिए। विशेष- |
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महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्याएँ।प्रजातन्त्र की सफलता के लिए एक और बात है जो अत्यन्त आवश्यक है और वह यह है कि अल्पमत पर बहुमत की अत्याचार न हो। अल्पमत को हमेशा यह विश्वास बना रहना चाहिए कि यद्यपि शासन की बागडोर बहुमत के हाथ में है तो भी अल्पमत को हानि नहीं पहुँच रही है और अल्पमत पर कोई अनुचित प्रहार नहीं किया जा रहा है। |
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Answer» कठिन शब्दार्थ-अल्पमत = किसी बात के पक्ष में कम संख्या में लोगों का होना। बहुमत = अधिक संख्याबल। बागडोर = नियंत्रण। प्रहार = चोट। सन्दर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘सृजन’ से सफल प्रजातंत्रवाद के लिए आवश्यक बातें’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। यह डॉ. अम्बेडकर द्वारा दिया गया एक भाषण है। व्याख्या-डॉ. अम्बेडकर कहते हैं कि प्रजातंत्र की सफलता के लिए एक और भी बात महत्त्वपूर्ण है। वह यह है कि उसमें शासन सत्ता पर अधिकार पाने वाले लोगों की संख्या अधिक होती है। इस संख्या बल का उनको दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। उनको यह ध्यान रखना चाहिए कि जिनकी संख्या कम है, उनके अधिकारों का उल्लंघन न हो तथा उनके हितों को किसी प्रकार की चोट न पहुँचे। उनको यह विश्वास होना चाहिए कि बहुमत के हाथ में शासन का अधिकार होने पर भी उनको हानि नहीं पहुँचेगी तथा उन पर कोई अनुचित चोट नहीं करेगा। बहुमत तथा अल्पमत का इस प्रकार का व्यवहार प्रजातंत्र की सफलता के लिए अत्यन्त आवश्यक है। विशेष- |
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महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्याएँ।मैं अपने मन में सोचता रहा हूँ, कि हम जो दक्षिण अफ्रीका की पृथक्करण की नीति के विरुद्ध इतना बाय-बेला मचाते हैं, जानते हैं कि हमारे हर गाँव में दक्षिण अफ्रीका है। वह वहाँ है-हमें केवल जाकर उसे देखने की जरूरत है। हर गाँव में दक्षिण अफ्रीका है, लेकिन तब भी मैंने शायद ही किसी को देखा हो जो स्वयं दलित वर्ग’ का न हो लेकिन तब भी ‘दलित वर्ग’ का पक्ष लेकर उठ खड़ा हो। क्यों? क्योंकि यहाँ ‘सार्वजनिक अन्तरात्मा’ नहीं है। यदि यही होता रहा तो हम ‘अपने में और अपने भारत में ही कैदी बने रहेंगे। अल्पमत वाले जो इस अन्याय के तले पिस रहे हैं, बहुमत वालों से कभी किसी प्रकार की सहायता न प्राप्त करेंगे, जिससे वे इस अन्याय से मुक्त हो सकेंगे। इन सबसे भी विद्रोह की भावना बढ़ती है, जिससे फिर प्रजातन्त्रवाद को खतरा पैदा हो जाता है। |
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Answer» कठिन शब्दार्थ-पृथक्करण = अलग करना। बाय-बेला मचाना = शोरगुल करना, विरोध करना। दक्षिण अफ्रीका = एक देश, अन्यायपूर्ण नीति अपनाने वाला प्रदेश। दलित = पीड़ित, शोषित। विद्रोह = विरोध। सन्दर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘सृजन’ में संकलित ‘सफल प्रजातंत्रवाद के लिए आवश्यक बातें’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। यह डा. भीमराव अम्बेडकर द्वारा दिया गया भाषण है। डा. अम्बेडकर ने सार्वजनिक अंतरात्मा न होने का उदाहरण दिया है और बताया है कि दक्षिण अफ्रीका में गोरे-कालों के बीच जो भेदभावपूर्ण नीति अपनाई जाती है उसका विरोध गोरे लोग नहीं करते। इसी प्रकार भारत में भी दलित जातियों को अपने अन्याय के विरुद्ध स्वयं ही संघर्ष करना पड़ता है। व्याख्या-डा. अम्बेडकर कहते हैं कि भारतीय दक्षिण अफ्रीका के गोरे-कालों के बीच भेदभाव पूर्ण नीति पर बहुत शोरगुल करते हैं। वे यह जानते हैं कि भारत में भी दक्षिण अफ्रीका जैसी भेदभाव पूर्ण नीति दलित जातियों के प्रति अपनाई जाती है। इसको किसी भी भारतीय गाँव में जाकर देखा जा सकता है। प्रत्येक गाँव में दक्षिण अफ्रीका है अर्थात् भेदभावपूर्ण नीति चल रही है। इस अन्यायपूर्ण नीति के विरुद्ध दलित वर्ग के पक्ष में कोई गैर दलित शायद ही खड़ा होता है। ऐसा इसलिए है कि हमारे यहाँ इस सम्बन्ध में सार्वजनिक अन्तरात्मा नहीं है। आशय यह है कि देश में इस अन्याय का भेदभाव मुक्त सार्वजनिक विरोध करने की कोई नीति ही नहीं है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो दलित जातियाँ अपने में तथा अपने देश भारत में सबके समान जीवनयापन नहीं कर सकेंगी तथा कैदी जैसा जीवन जीने को विवश होंगी। बहुसंख्यक लोगों से इन अल्पसंख्यक लोगों को कोई सहायता नहीं मिलेगी जिससे वे अन्याय से बच सकें। इन बातों से दलितों में भी विद्रोह की भावना पैदा होती है तथा प्रजातंत्र संकट में पड़ जाता है। विशेष- |
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दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद नीति का विरोधी श्वेत चमड़ी वाला व्यक्ति था –(क) महात्मा गाँधी(ख) रेवरेण्ड स्काट(ग) मि. चर्चिल(घ) विलियम टेनीसन। |
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Answer» (ग) मि. चर्चिल |
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Gold ornaments have ………… mark on them.(A) AIZ(B) BIS(C) ISI(D) Agmark |
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Answer» Correct option is (B) BIS |
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Green accounting is associated with :(a) Sustainable development(b) Adding environmental loss in national income(c) Environment modified national income(d) None of these |
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Answer» (c) Environment modified national income |
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What is the full form of RTI? |
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Answer» Right to Information. |
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When was the RTI passed? |
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Answer» In October 2005. |
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What is RTI? |
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Answer» A right is given to each citizen, which enables him to know about the procedures or work going on in government offices. |
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What are the rights of customer? |
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Answer» Rights of a customer:
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The element which is not metal in s – block is ……………….. A) Hydrogen B) Chlorine C) Sodium D) Magnesium |
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Answer» Correct option is A) Hydrogen |
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What does the government do with the tax money? |
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Answer» Use it for the welfare of the people. |
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In the slogan, ‘Jaago Grahak Jaago’ the word ‘Jaago’ means …… .(A) Get up(B) Stand up(C) Beware(D) All of these |
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Answer» Correct option is (C) Beware |
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‘Who is a customer? |
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Answer» A person who buys or purchases goods. |
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State your responsibilities as a customer. |
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Answer» Responsibilities of a customer:
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Which slogan does the government continuously display to the customers? |
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Answer» Jaago Grahak Jaago. |
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Inner transition elements belong to ……………… A) III B B) IV B C) V B D) VI B |
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Answer» Correct option is A) III B |
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‘Beware customer Beware! (Jago Grahak Jago). What does the word beware mean? What should the customer beware of? |
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Answer» Customers should beware of:
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Under which circumstances the customers might be dissatisfied with shopkeepers? Customers may not be satisfied by shopkeepers due to following reasons: |
Answer»
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Lanthanides having atomic numbers from ……………… to ……………… A) 58, 71 B) 90,103 C) 60, 80 D) 90,110 |
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Answer» Correct option is A) 58, 71 |
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…………….. elements are called Lanthanides. A) 2f B) 3f C) 4f D) 5f |
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Answer» 4f elements are known as lanthanids Correct option is C) 4f |
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All transition elements are d-block elements but all d-block elements are not transition metals. Explain |
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Answer» D-block elements are chemical elements having electrons filling to their d orbitals. All transition metals are d-block elements but all d-block elements are not transition elements because all d- block elements which don’t have completely filled d- orbitals are not counted as transition, so such elements are exceptional. Transition elements are chemical elements that have incompletely filled d orbitals at least in one stable cation they form. Example: Zn, Cd, and Hg are d-block elements but not transition metals. |
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What are noble gases? What is the general electronic configuration of noble gases? |
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Answer» The elements of group VIII A (18) are chemically least reactive so they are called noble gases. Their group electronic configuration is ns2np6 (except) for helium it is 1s2. |
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Have you ever complained when you felt that you were cheated by the trader? |
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Answer» Your consumer rights: You have the right to corn plain if something you’ve bought does not work, a service has not achieved the result that was agreed, something has not been delivered on time, or you’ve been misled by an advert. Know your rights: The Consumer Guarantees Act and the Fair Trading Act are consumer laws that help ensure: you get the goods or services you pay for what you get is of acceptable quality. Information on consumer Laws: It’s an offence to mislead a consumer about their contractuaL or legaL rights when they buy something. Information on business obLigations. Bad service and faulty goods: If the service or product does not meet your expectations, you can: Information on your consumer rights when buying products and services Buying online: Know your rights when you’re shopping online – and what to do if anything goes wrong. Information on your rights when buying online Information on deLivery issues. How to complain: Find out the best way to complain to increase your chances of your problem being solved. If you’re still not happy: The Disputes Tribunal can take claims of up to $30,000 on faulty goods if the seller has refused to fix, refund or replace them. Disputes Tribunal: Complain if you think you were misled by advertising for something you’ve bought or services you’ve received. Making a complaint to the Commerce Commission. |
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What are Lanthanides? |
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Answer» Elements acquiring same properties are called lanthanides, i.e. 4f elements. They are from 58Ce (Cerium) to 71Lu (Lutetium). |
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What are metals and non-metals? |
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Answer» The elements with three or less electrons in the outer shell are considered to be metals and the ore with five or more electrons in the outer shell are considered to be non-metals. |
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| 122344. |
What are Actinides? |
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Answer» Elements acquiring different properties are called actinides, i.e. 5f elements. They are from 90Th (Thorium) to 103Lr (Lawrensium). |
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| 122345. |
Why are lanthanides and actinides placed separately at the bottom of the periodic table? |
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Answer» Lanthanides and actinides belong to f – block elements with different properties so they are placed at the bottom of periodic table. |
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| 122346. |
What is a triad? |
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Answer» A group of three elements with similar properties in which atomic weight of middle element is average of other two elements. |
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| 122347. |
Chlorine, bromine, iodine are Dobereiner’s triads. How do you justify? |
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Answer» Chlorine, bromine and iodine have similar properties and atomic weight of bromine is average of chlorine and iodine. |
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| 122348. |
Dobereiner's Triads. |
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Answer» He arranged similar elements in group of 3 and showed that atomic weight (arranged in increasing order) of middle element was approximately the arithmetic mean of the other two |
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| 122349. |
Drawback of Dobereiner's Triads. |
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Answer» The concept was applicable to limited elements. He could find only 3 such triads. New lands law of octaves. He arranged the elements in increasing order of their atomic weights and showed that the properties of every eight elements were similar to those of the first one. Drawbacks
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| 122350. |
Match the following :CommitteeChairperson1. Union power committee(a) Dr.Bhim Rao Ambedkar2. Fundamental rights and minorities related committee(b) Pt. Jawahar Lal Nehru3. Drafting Committee(c) Ballabh Bhai Patel4. Procedure and rules committee(d) Dr. Rajendra Prasad |
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Answer» 1. (b) Pt. Jawahar Lai Nehru 2. (c) Ballabh Bhai Patel 3. (a) Dr. Bhim Rao Ambedkar 4. (d) Dr. Rajendra Prasad |
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