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1.

कोष्ठक में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:(कर्तव्य, स्वर्ण, विडंबना, अनंत, दुश्चिंता, आयोजन)(1) वह विधवा थी; उसकी ....... का अंत कहाँ था?(2) ऐसा प्रायः होता था, परंतु आज मंत्री के मन में बड़ी ..... थी।(3) ....... का पीलापन उस सुनहरी संध्या में विकीर्ण होने लगा।(4) हे भगवान ! विपद के लिए इतना ....... !(5) परंतु यह दया तो नहीं, ........ करना है।(6) बुढ़िया के प्राण-पक्षी ......... में उड़ गए।

Answer»

1) वह विधवा थी; उसकी विडंबना का अंत कहाँ था?

(2) ऐसा प्रायः होता था, परंतु आज मंत्री के मन में बड़ी दुश्चिंता थी।

(3) स्वर्ण का पीलापन उस सुनहरी संध्या में विकीर्ण होने लगा।

(4) हे भगवान ! विपद के लिए इतना आयोजन !

(5) परंतु यह दया तो नहीं, कर्तव्य करना है।

(6) बुढ़िया के प्राण-पक्षी अनंत में उड़ गए।

2.

चित्र के आधार पर कहानी लिखिए :

Answer»

पुराने समय में आज की तरह आने-जाने के साधन न थे। साधारण लोग पैदल ही यात्रा करते थे। उन्हीं दिनों की घटना है। एक बुढ़िया लकड़ी टेकती हुई किसी काम से दूसरे गाँव जा रही थी। गर्मी के दिन थे। दोपहर होते-होते धूप तेज हो गई। बुढ़िया को जोर की प्यास लगी। थकावट और प्यास के कारण वह आगे न चल पाईं और रास्ते के किनारे एक पेड़ के नीचे बैठ गई। आते-जाते लोगों से वह पानी माँगती थी, पर उस प्यासी बुढ़िया पर किसीको तरस न आया।

एक बालक ने उस बुढ़िया की आवाज सुनी। उसका घर पास में ही था। वह दौड़कर घर से लोटा भरकर पानी ले आया। बुढ़िया ने पानी पिया। उसकी जान में जान आई। बालक आग्रह करके बुढ़िया को अपने घर ले गया और चारपाई पर बिठाया। बुढ़िया को बहुत आराम मिला। उसने लड़के को अपनी बाँहों में ले लिया और बोली, “तू सचमुच बहुत अच्छा बच्चा है।”

3.

निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखिए। कहानी से मिलनेवाली सीख भी लिखिए :एक निर्दयी राजा – गुलाम को दंड – गुलाम का जंगल में भाग जाना – सिंह से भेंट – सिंह के पैर से काँटा निकालना – मित्रता – गुलाम की गिरफ्तारी – मौत की सजा – उसे भूखे सिंह के सामने छोड़ना – सिंह का स्नेहपूर्ण व्यवहार – दोनों की रिहाई – सीख।

Answer»

कृतज्ञता अथवा सिंह और गुलाम

ग्रीस देश का एक राजा बहुत निर्दयी था। उसके यहाँ अनेक गुलाम थे। वह उनसे सख्त मजदूरी करवाता था।

एक बार एक गुलाम ने चोरी से एक फल खा लिया। गुलाम अभी लड़का ही था, फिर भी राजा ने उसे कठोर दंड देने का निश्चय किया। दंड के भय से वह गुलाम जंगल में भाग गया। वहाँ एक झाड़ी में छिपकर बैठ गया।

झाड़ी में बैठे गुलाम लड़के ने एक सिंह के कराहने की आवाज सुनी। लड़का झाड़ी से निकलकर सिंह के पास आया। उसे लगा कि सिंह के पैर में कुछ तकलीफ है। उसने सिंह के पैर का दाँया पंजा उठाकर देखा। उसमें एक बड़ा काँटा घुस गया था। लड़के ने धीरे से वह काँटा निकाल दिया। सिंह की पीड़ा दूर हो गई। इसके बाद दोनों में मित्रता हो गई। गुलाम लड़के को पकड़ने के लिए राजा के सिपाही चारों ओर घूम रहे थे। उन्होंने लड़के को जंगल में देख लिया। वे उसे गिरफ्तार कर राजा के सामने ले गए। राजा ने लड़के को मौत की सजा सुनाते हुए कहा, “इसे भूखे सिंह के सामने डाल दिया जाए।”

जंगल से सिंह को पकड़कर लाया गया। उसे कई दिनों तक भूखा रखा गया। फिर एक दिन लड़के को उसके पिंजड़े में बंद कर दिया। भूखा सिंह उस लड़के को खाने के लिए झपटा, परंतु एकदम रुक गया। वह उस लड़के के पैर चाटने लगा। वास्तव में यह वही सिंह था, जिसके पैर से उस लड़के ने काँटा निकाला था।

लड़के के प्रति सिंह के स्नेहपूर्ण व्यवहार ने सबको चकित कर दिया। राजा भी इससे बहुत प्रभावित हुआ। उसने कहा, “जब जंगल का राजा इस लड़के के प्रति दयालु है, तो मुझे भी इस पर दया करनी चाहिए।” ऐसा सोचकर उसने लड़के को क्षमा कर दिया। उसने सिंह और लड़के को गुलामी के बंधन से मुक्त कर दिया । सीख : सचमुच, खूखार पशु भी अपने साथ किए गए उपकार को नहीं भूलते।

4.

नीचे दिए गए शब्दों में से संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण पहचानकर वर्गीकृत कीजिए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए :हिमालय, मुझे, खट्टा, तुम्हें, बड़ौदा, सपना, साबरमती, सुंदर, छोटा, होशियार, हमारा, गुजरात

Answer»

संज्ञा : हिमालय, बड़ौदा, सपना, साबरमती, गुजरात

सर्वनाम : मुझे, तुम्हें, हमारा

विशेषण : खट्टा, सुंदर, छोटा, होशियार

(1) हिमालय : हिमालय विश्व का सबसे ऊँचा पर्वत है।

बड़ौदा : बड़ौदा गुजरात का एक बड़ा शहर है।

सपना : सपना अच्छी लड़की है।

साबरमंती : अहमदाबाद साबरमती नदी के किनारे बसा है।

गुजरात : हमारे प्रदेश का नाम गुजरात है।

(2) मुझे : मुझे अपना देश अच्छा लगता है।

तुम्हें : माँ तुम्हें बुला रही है।

हमारा : भारत हमारा देश है।

(3) खट्टा : वह आम खट्टा है।

सुंदर : यह स्थान बहुत सुंदर है।

छोटा : मोहन छोटा लड़का है।

होशियार : होशियार लड़के कभी पीछे नहीं रहते।

5.

नीचे शरीर के कुछ अंगों के चित्र दिए गए हैं। प्रत्येक अंग से संबंधित तीन मुहावरे अर्थ सहित लिखें और वाक्य में प्रयोग कीजिए :1.  2. 3.

Answer»

1. (1) कान देना – ध्यान से सुनना

वाक्य : कृपया आप कान देकर मेरी बातें सुनें ।

(2) कान खाना - बकबक करना

वाक्य : आप पहले इसकी बात सुन लीजिए, यह काफी देर से

(3) कान खा रहा है।

वाक्य : गोली की आवाज सुनते ही हिरन के कान खड़े हो गए।

2. (1) सिर उठाना – बगावत करना

वाक्य : राजा कमजोर हुआ तो सामंत सिर उठाने लगे।

(2) सिर नीचा होना – लज्जित होना, पराजित होना

वाक्य : चोरी पकड़ी जाने पर नौकर का सिर नीचा हो गया।

(3) सिर पकड़कर बैठना – पछताना

वाक्य : मौके का फायदा न उठा पानेवाले ही अंत में सिर पकड़कर बैठते हैं।

3.  (1) हाथ आना – मिलना

वाक्य : कई दिनों के बाद एक अच्छा मौका हाथ आया है।

(2) हाथ मलना – पछताना

वाक्य : अवसर चूक गए तो हाथ मलते रहोगे।

(3) हाथ फैलाना – मदद माँगना

वाक्य : हे ईश्वर, मुझे कभी किसीके सामने हाथ न फैलाना पड़े।

6.

“पिताजी यह अनर्थ है, अर्थ नहीं”-यह कथन किसने कहा है? तथा क्यों?

Answer»

चूड़ामणि रोहिताश्व राज्य के मंत्री थे। वह ममता के पिता थे। भविष्य की सुरक्षा की दृष्टि से उन्होंने शेरशाह से उत्कोच स्वरूप स्वर्ण मुद्रायें ली थीं। ममता ने अपने पिता से उसे लौटा देने के लिए कहा। पवित्र साधन से अर्जित न होने के कारण वह धन अनर्थकारी था। वह हितकारी नहीं था।

7.

शेरशाह ने किस प्रकार रोहतास-दुर्ग पर कब्जा किया?

Answer»

शेरशाह ने छलपूर्वक रोहतास दुर्ग पर कब्जा किया। उसने मंत्री चूड़ामणि को उत्कोच के रूप में स्वर्ण-मुद्राएँ दीं। फिर उसने अपने सैनिकों को डोली में छिपाकर महिलाओं के रूप में दुर्ग में भेजा। जब मंत्री ने उनका पर्दा खुलवाने के लिए कहा तो उसकी हत्या कर दी। इस प्रकार दुर्ग तथा राजा-रानी को उसने अपने अधिकार में ले लिया।

8.

ममता का चरित्र-चित्रण कीजिए।अथवाकहानी के आधार पर मुख्य पात्र ममता के बारे में कहिए।

Answer»

ममता एक विधवा ब्राह्मण युवती थी। लोभ उसे छू तक न गया था। उसने स्वर्ण रूप में शेरशाह द्वारा दिया हुआ उत्कोच ठुकरा दिया था। उसे ईश्वर, धर्म और हिन्दू जाति पर पूरा भरोसा था। ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध व्यवहार करना उसे पसंद नहीं था। वह गीता का पाठ करती थी। अतिथि को आश्रय देना वह अपना धर्म समझती थी। उसके उज्ज्वल चरित्र और स्नेहपूर्ण व्यवहार के कारण वह आसपास के गाँवों की स्त्रियों में लोकप्रिय बन गई थी।

9.

ममता का चरित्र-चित्रण कीजिए।अथवा‘ममता’ कहानी के आधार पर ममता का चरित्र चित्रण कीजिए।

Answer»

ममता एक अनिंद्य सौंदर्यमयी विधवा युवती है। ब्राह्मण होने के कारण उसके मन में धन के प्रति मोह लेशमात्र भी नहीं है। वह स्वाभिमानी भी है, त्याग करना और कष्ट सहना वह जानती है। उसमें भारतीय नारी के सभी गुण मौजूद हैं। ममता देश भक्त भी है। राष्ट्र प्रेम उसकी नसों में कूट-कूट कर भरा है। अपने पिता द्वारा प्राप्त यवनों द्वारा दी गई रिश्वत की राशि को वह लौटा देने का आग्रह करती है। ममता यह जानते हुए भी कि उसके पिता की हत्या इन यवनों के हाथों हुई है, वह एक यवन आगंतुक को इसलिए शरण देती है कि हिंदू धर्म में अतिथि देवो भव’ कहा गया है। उसकी दूरदर्शिता उसकी बातों से स्पष्ट रूप में दृष्टिगोचर होती है। लोगों के प्रति प्रेम, सेवा भावना तथा दूसरों के सुख-दुःख समझने की भावना के कारण ही लोग उसका सम्मान करते थे। वह आजीवन सबके सुख-दुःख की सहभागिनी रही। उसकी इसी सेवा भावना के कारण उसके अंत समय में गाँव की स्त्रियाँ ममता की सेवा के लिए घेर कर बैठी थीं।

10.

वृद्ध ममता के अन्तिम समय का वर्णन कीजिए।

Answer»

ममता अब वृद्धा है। उसकी आयु सत्तर वर्ष की है। मुगल-पठान युद्ध को बीते सैंतालीस साल हो चुके हैं। वह अपनी झोपड़ी में लेटी है। सर्दी की ऋतु है। सबेरे का समय है। ममता का शरीर दुर्बल हो गया है। सर्दी के कारण उसको बार-बार खाँसी उठ रही है। गाँव की दो-तीन स्त्रियाँ उसके पास बैठी हैं। वे उसकी सेवा में लगी हैं। ममता ने जीवनभर सबके सुख-दुख में साथ दिया है। फिर वे स्त्रियाँ उसको अकेली कैसे छोड़ दें?

ममता ने जल पीना चाहा। एक स्त्री ने सीपी से उसे जल पिलाया। सहसा एक अश्वारोही झोपड़ी के द्वार पर दिखाई दिया। वह अपने आपसे कह रहा था-मिरजा ने जो चित्र बनाकर दिया है, वह इसी स्थान का होना चाहिए। वह बुढ़िया मर गई होगी। सैंतालीस साल पुरानी बात है। किससे पूछ्रे कि सम्राट हुमायूँ ने किस झोपड़ी में रात बिताई थी।

ममता ने उसको बुलाया और कहा कि साधारण मुगल था या बादशाह-यह बात वह नहीं जानती किन्तु उसने इसी झोपड़ी में वह रात बिताई थी। उसने मेरा घर बनवाने का आदेश दिया था। अब मैं जा रही हूँ। तुम इस घर को मकान बनाओ या महल। मैं इसे छोड़े जाती हूँ। वह अश्वारोही अवाक था। ममता का देहान्त हो चुका था।

11.

शब्दों के अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :(1) दुहिता – (2) वेदना – (3) उत्कोच –(4) जीर्ण –(5) आततायी – 

Answer»

(1) दुहिता – पुत्री

वाक्य : सीता जनक की दुहिता थी।

(2) वेदना – पीड़ा, दर्द

वाक्य : औषधि से मेरी वेदना दूर हो गई।

(3) उत्कोच – रिश्वत

वाक्य : सरकारी पद पर रहकर उसने कभी उत्कोच नहीं लिया।

(4) जीर्ण – पुराना, फटा

वाक्य : कीमती वस्त्र पहननेवाली महिला अब जीर्ण वस्त्र पहनती थी।

(5) आततायी – अत्याचारी

वाक्य : आततायी शांति और प्रेम की भाषा नहीं जानता।

12.

उत्कोच के बारे में पिता और पुत्री के दृष्टिकोण में क्या अंतर था?

Answer»

ममता की दृष्टि में पिता द्वारा लिया गया उत्कोच एक ब्राह्मण के लिए अनर्थ था। इसके विपरीत पिता उसे पुत्री के आपत्ति के समय उपयोगी मानते थे।

13.

काशी के उत्तर में स्थित बिहार को बनवाने वाले थे-(क) मुगल सम्राट(ख) पठान शासक(ग) मौर्य और गुप्त सम्राट(घ) अंग्रेज शासक

Answer»

(ग) मौर्य और गुप्त सम्राट

14.

ममता के चरित्र की दो विशेषताएँ लिखिए।

Answer»

ममता के चरित्र की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. ममता इस कहानी का प्रधान पात्र तथा नायिका है। इस कहानी का घटनाक्रम उसी के आस-पास घूमता है।
  2. वह मंत्री चूड़ामणि की विधवा युवती पुत्री है। वैधव्य की पीड़ा उसको सता रही है। वह त्यागी और संतोषी है। उसको भावी आवश्यकता के लिए संग्रह करने में विश्वास नहीं है।
15.

मंत्री चूड़ामणि ने अपनी विधवा पुत्री ममता को उपहार में क्या देना चाहा?

Answer»

मंत्री चूड़ामणि ने अपनी पुत्री ममता को सोने-चांदी के आभूषण उपहार में देने चाहे।

16.

ममता ने स्वर्ण-मुद्राओं का उपहार लेने से मना क्यों कर दिया?

Answer»

ममता ने अपने पिता चूड़ामणि से स्वर्ण-मुद्राओं का उपहार लेने से मना कर दिया क्योंकि यह धन उसके पिता ने शेरशाह से उत्कोच के रूप में लिया था। ममता ब्राह्मण जाति की थी। जो त्यागी और संतोषी होते हैं। ममता को विश्वास था कि धरती पर रहने वाला कोई न कोई उसको दो मुट्ठी अन्न दे देगा। अत: उसको इतने अधिक धन की जरूरत नहीं थी।

17.

चूड़ामणि ने ममता को ‘मूर्ख’ क्यों कहा?

Answer»

चूड़ामणि ने बेटी ममता के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए शेरशाह से उत्कोच में बड़ी स्वर्णराशि ली थी। ममता की दृष्टि में म्लेच्छ से उत्कोच लेना अनीति और अधर्म था। उस स्वर्णराशि में उसे अनर्थ ही अनर्थ दिखाई देता था। उसने पिता से अनुरोध किया कि वे उस स्वर्णराशि को जल्दी से जल्दी वापस कर दें पुत्री की यह नादानी और अव्यावहारिकता देखकर चूड़ामणि ने उसे ‘मूर्ख’ कहा।

18.

 मंत्री चूड़ामणि की दुहिता का नाम …A. समताB. क्षमताC. ममताD. नम्रता

Answer»

उत्तर : C. ममता

19.

जयशंकर प्रसाद का जीवन-परिचय देकर उनकी साहित्य साधना का उल्लेख कीजिए।

Answer»

जीवन-परिचय-जयशंकर प्रसाद का जन्म काशी (उत्तर प्रदेश) के प्रसिद्ध सुंघनी साहू नामक वैश्य परिवार में सन् 1889 में हुआ था। आपके पिता श्रीदेवीप्रसाद थे। बाल्यावस्था में ही आपके माता-पिता का देहान्त हो गया था। बड़े भाई भी सत्रह वर्ष की आयु में चल बसे। तब सत्रह साल के प्रसाद ने घर और परिवार का भार उठाया। आपने कक्षा आठ तक पढ़ाई करने के बाद स्वाध्याय द्वारा संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, फारसी आदि भाषाओं तथा साहित्य, इतिहास, वेदों, पुराणों आदि का ज्ञान प्राप्त किया। व्यवसाय की देखभाल के साथ प्रसाद की साहित्य साधना भी चल रही थी। आपने तीन विवाह किए परन्तु उनकी पत्नियाँ साथ न दे सकी और एका-एक करके चल बसीं। इस प्रकार घोर परिश्रम, व्यवसाय में हानि तथा इन आघातों के कारण क्षय रोग से सन् 1937 में आपकी मृत्यु हो गई।

20.

‘ममता’ कहानी की प्रधान पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए।

Answer»

'ममता’ कहानी की प्रधान पात्र तथा नायिका ममता ही है। 

उसके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

मन्त्री की पुत्री-ममता के पिता रोहिताश्व राज्य के मंत्री हैं। वह उनकी स्नेहपालिता पुत्री है। उसके पिता चूड़ामणि उसको बहुत चाहते हैं। उसको दुखी तथा चिन्तित देखकर वह विचलित हो जाते हैं।

विधवा युवती-ममता विधवा है। वह युवती है। उसका यौवन शोण नदी के समान उफन रहा है। हिन्दू विधवा को संसार में अनेक कष्ट सहने पड़ते हैं। सब सुविधाएँ प्राप्त होने पर भी ममता का वैधव्य उसे बहुत पीड़ा पहुँचाता है।

संतोषी और बुद्धिमती-ममता संतोषी है। सामने थालों में रखी स्वर्ण-मुद्राओं को देखकर वह समझ जाती है कि उसके पिता ने शेरशाह से रिश्वत ली है। वह कहती है हम ब्राह्मण हैं। हमें इतना सोना नहीं चाहिए। यह अर्थ नहीं अनर्थ है। अतिथि सत्कार करने वाली-ममता अपने कर्तव्य अतिथि सत्कार से पीछे नहीं हटती । मुगल को एक बार वह शरण देने से मना कर देती है परन्तु बाद में उसको अपनी झोपड़ी में विश्राम करने को कह देती है। वह कहती है-”मैं ब्राह्मण कुमारी, सब अपना धर्म छोड़ दें, तो मैं भी क्यों छोड़ दें?” वह त्यागी तथा सभी के सुख-दुख में साथ देने वाली है। अपनी मृत्यु के पूर्व वह अपनी झोपड़ी की अश्वारोही को सौंप देती है।

21.

ममता रोहतास दुर्ग छोड़कर कहाँ रहने लगी?

Answer»

पिता चूडामणि की मृत्यु के बाद ममता राज्य को छोड़कर काशी के निकट बौद्ध विहार के खंडहरों में झोंपडी बनाकर तपस्विनी के समान रहने लगी।

22.

ममता रोहतास दुर्ग को त्यागकर किस स्थान पर जाकर रहने लगी?

Answer»

रोहतास दुर्ग पर शेरशाह का अधिकार हो गया। ममता ने दुर्ग छोड़ दिया। वह बचकर निकल आई। काशी के उत्तर में मौर्य तथा गुप्त सम्राटों द्वारा बनवाये गये बौद्ध विहार के खंडहर थे। ममता ने वहाँ पर ही झोपड़ी बनवा ली और उसमें जाकर रहने लगी।

23.

“वह अपनी मूर्खता पर अपने को कोसने लगी”-ममता ने क्या मूर्खता की थी जिसके लिए वह स्वयं को दोषी ठहरा रही थी?

Answer»

ममता ने प्राचीर की संधि से देखा कि विहार के पूरे खंडहर में अनेक सैनिक घूम रहे हैं। ममता ने सोचा कि रात उसने उस मुगल को आश्रय देकर भूल की थी। इसी कारण इतने सैनिक यहाँ आए हैं। वह उनके हाथों में पड़ सकती है। अत: उसने छिपने का प्रयत्न किया। वह मृगदाव में चली गई और वहीं छिपी रही।

24.

काशी के उत्तर में धर्मचक्र विहार मौर्य और गुप्त सम्राटों की कीर्ति का खण्डहर था। भग्न चूड़ा, तृण-गुल्मों से ढके हुए प्राचीर, ईंटों के ढेर में बिखरी हुई भारतीय शिल्प की विभूति, ग्रीष्म की चन्द्रिका में अपने को शीतल कर रही थी।जहाँ पंचवर्गीय भिक्षु गौतम का उपदेश ग्रहण करने के लिए पहले मिले थे, उसी स्तूप के भग्नावशेष की मलिन छाया में एक झोपड़ी के दीपालोक में एक स्त्री पाठ कर रही थी – “अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।”(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।(स) 1. स्तूप के अवशेष की छाया में स्त्री क्या पढ़ रही थी ? उसका अर्थ लिखिए।2. पंचवर्गीय भिक्षु कौन थे ? ये गौतम से क्यों और कहाँ मिले थे ?3. धर्मचक्र कहाँ स्थित था ?[विहार = बौद्ध-भिक्षुओं का आश्रम। भग्न चूड़ा = भवन का टूटा हुआ ऊपरी भाग। तृण-गुल्म = तिनकों अथवा घास या लताओं का गुच्छा। प्राचीर = चहारदीवारी, परकोटा। विभूति = ऐश्वर्य। चन्द्रिका = चाँदनी।]

Answer»

(अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक  ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित ‘ममता’ नामक कहानी से उधृत है। इसके लेखक छायावादी युग के प्रवर्तक श्री जयशंकर प्रसाद हैं।
अथवा निम्नवत् लिखिए
पाठ का नाम-ममता। लेखक का नाम-श्री जयशंकर प्रसाद।

(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या – श्री जयशंकर प्रसाद जी का कहना है कि काशी भारत का पवित्र तीर्थ स्थल है। इसके उत्तर में सारनाथ है, जहाँ बौद्ध भिक्षुकों के बौद्ध-विहार टूटकर खण्डहरों में बदल चुके थे। इन बौद्ध-विहारों को मौर्यवंश के राजाओं तथा गुप्तकाल के सम्राटों ने बनवाया था। इन बौद्ध-विहारों में तत्कालीन वास्तुकला एवं शिल्पकला के बेजोड़ नमूने अब भी स्पष्ट दिखाई दे रहे थे जो कि मौर्य और गुप्त वंश के सम्राटों की  कीर्ति को गान करते प्रतीत हो रहे थे। इन भवनों के शिखर टूट चुके थे। खण्डहरों की दीवारों पर घास-फूस तथा लताएँ उग आयी थीं। टूटी-फूटी ईंटों के ढेर इधर-उधर बिखरे पड़े थे और इन ईंटों में बिखरी पड़ी थी भव्य भारतीय शिल्पकला। ग्रीष्म ऋतु की शीतल चाँदनी में यह उत्कृष्ट शिल्पकला अब अपने को भी शीतल कर रही थी।

(स) 1. स्तूप के अवशेष की छाया में दीपक के प्रकाश में बैठी एक स्त्री पाठ कर रही थी‘अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते’, अर्थात् जो भक्त अनन्य भावना से मेरा चिन्तन करते हैं, उपासना करते हैं; उनका योग-क्षेम मैं स्वयं वहन करता हूँ।

2. पंचवर्गीय भिक्षु गौतम बुद्ध के प्रथम पाँच शिष्य थे, जो उनका उपदेश ग्रहण करने के लिए काशी के उत्तर में स्थित सारनाथ नामक स्थान पर (गद्यांश में वर्णित) खण्डहरों में मिले थे।

3. धर्मचक्र मौर्य और गुप्त सम्राटों की कीर्ति के अवशेष रूप में काशी के उत्तर में (सारनाथ नामक स्थान पर) स्थित था।

25.

ममता ने अश्वारोही को पास बुलाकर उससे क्या कहा?

Answer»

ममता ने अश्वारोही को अपने पास बुलाया। ममता ने उसको बताया कि उसकी इसी झोपड़ी में एक रात एक व्यक्ति ठहरा था। उसको नहीं पता कि वह साधारण मुगल था अथवा बादशाह था। उसने अपने कानों से सुना था कि उसने उसका घर बनवाने का आदेश दिया था। अब ईश्वर के यहाँ से उसका बुलावा आ गया है। वह जा रही है। वे इस झोपड़ी का मकान या महल कुछ भी बनायें उसको इससे कोई सरोकार नहीं है।

26.

अश्वारोही ने ममता की झोंपड़ी देखकर क्या कहा?

Answer»

अश्वारोही ने ममता की झोंपड़ी देखकर कहा कि मिरज़ा ने जो चित्र बनाकर दिया है, वह इसी जगह का होना चाहिए। वह बुढ़िया तो मर गई होगी, अब किससे पूर्छ कि एक दिन शहंशाह हुमायूँ किस छप्पर के नीचे बैठे थे।

27.

ममता ने उत्कोच में मिली स्वर्णराशि का स्वीकार क्यों नहीं किया?

Answer»

ममता ने उत्कोच में मिली स्वर्णराशि का स्वीकार नहीं किया, क्योंकि उसमें उसे अर्थ नहीं, ‘अनर्थ’ लगा।

28.

ममता महत्वपूर्ण गद्यांशों की सन्दर्भ-प्रसंग सहित व्याख्याएँ।अश्वारोही पास आया। ममता ने रुक-रुककर कहा-‘मैं नहीं जानती कि वह शहंशाह था या साधारण मुगल, पर एक दिन इसी झोपड़ी के नीचे वह रहा। मैंने सुना था कि वह मेरा घर बनवाने की आज्ञा दे चुका था! भगवान ने सुन लिया, मैं आज इसे छोड़े जाती हूँ। अब तुम इसका मकान बनाओ या महल, मैं अपने चिर-विश्राम-गृह में जाती हूँ।’ वह अश्वारोही अवाक् खड़ा था। बुढ़िया के प्राण-पक्षी अनन्त में उड़ गये। वहाँ एक अष्टकोण मन्दिर बना और उस पर शिलालेख लगाया गया ‘सातों देश के नरेश हुमायूँ ने एक दिन यहाँ विश्राम किया था। उनके पुत्र अकबर ने उनकी स्मृति में यह गगनचुम्बी मन्दिर बनाया।’ पर उसमें ममता का कहीं नाम नहीं।

Answer»

कठिन-शब्दार्थ-अश्वारोही = घुड़सवार। शहंशाह = बादशाह। चिर विश्राम गृह = परलोक। अवाक् = शांत, बिना कुछ बोले। अनन्त = जिसका अन्त न हो। अष्टकोण आठ कोनों वाला मंदिर भवन। शिलालेख = पत्थर पर लिखी बात। गगनचुम्बी = अत्यन्त ऊँचा।

सन्दर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘सृजन’ में संकलित ‘ममता’ शीर्षक कहानी से उदघृत है। इसके रचयिता जयशंकर प्रसाद हैं।

ममता सत्तर वर्ष की वृद्धा थी। वह बीमार और मरणासन्न थी। उसी समय उसकी झोपड़ी के द्वार पर एक घुड़सवार आया। वह उस स्थान को तलाश रहा था जहाँ कभी हुमायूँ ने रात बिताई थी।

व्याख्या–ममता ने घुड़सवार की बात सुन ली थी। उसने उसको अपने पास बुलाया। घुड़सवार उसके पास आया तो ममता ने अटक-अटक कर उसको बताया कि वह जिस स्थान को तलाश रहा है, वह यही स्थान है। इसी झोपड़ी में कभी एक मुगल सैनिक ने रात में विश्राम किया था। उसको यह नहीं पता कि वह साधारण मुगल था या कोई बादशाह था। उसने सुना था कि उसने ममता का घर बनवाने की आज्ञा दी थी। आज ईश्वर ने उसकी बात सुन ली है। उसका बुलावा आ गया है। वह इस झोपड़ी को छोड़कर जा रही है। अब वे लोग इसका मकान बनाएँ या महल, यह उनकी मर्जी है। वह तो अपने स्थायी निवास स्थान अर्थात् परलोक जा रही है। यह कहते-कहते ममता ने प्राण त्याग दिए। उस स्थान पर एक अत्यन्त ऊँचा आकाश को छूने वाला भव्य आठ कोने वाला भवन बनाया गया। उस पर एक पत्थर लगा था, जिसमें यह लिखा था-यहाँ बादशाह हुमायूँ ने एक रात विश्राम किया था। उस घटना को यादगार बनाने के लिए उसके पुत्र अकबर ने इस आकाश को चूमने वाले ऊँचे भवन को बनवाया है। इस शिलालेख में ममता का नाम कहीं नहीं था।

विशेष-
(i) ममता के अन्त समय का वर्णन है।
(ii) ममता का नाम शिलालेख में न होना उसकी उपेक्षा का सूचक है। भवन बनाने वालों को यह चिन्ता तो है कि हुमायूँ कहाँ रुका था किन्तु ममता की उदारता तथा त्याग का उनको ध्यान भी नहीं आता।
(iii) भाषा संस्कृतनिष्ठ, तत्सम प्रधान तथा प्रवाहपूर्ण है।
(iv) शैली वर्णनात्मक है। अंतिम पंक्ति व्यंग्यपूर्ण है।

29.

ममता की झोपड़ी के स्थान पर बने अष्टकोण मन्दिर पर क्या शिलालेख लगाया? इसमें ममता का नाम क्यों नहीं था?

Answer»

ममता की झोपड़ी के स्थान पर अष्टकोण गगनचुम्बी मंदिर बनाया गया। उस पर लगे शिलालेख में लिखा था-शहंशाह हुमायूँ ने एक रात इसी स्थान पर विश्राम किया था। उनके पुत्र सम्राट अकबर ने उनकी स्मृति में इस भव्य गगनचुम्बी मंदिर का निर्माण कराया है। उस लेख में ममता का नाम कहीं नहीं था। मंदिर बनवाने वाले का उद्देश्य अपने पिता के साथ घटी घटना की याद को सुरक्षित रखना था। ममता के लिए उसमें कोई स्थान नहीं हो सकता था।

30.

प्रसादजी ने ‘ईंटों के ढेर में बिखरी हुई भारतीय शिल्प की विभूति’ किसे कहा?

Answer»

काशी के उत्तर में धर्मचक्र विहार था। उसे मौर्य और गुप्त सम्राटों ने बनवाया था। वह उनकी कीर्ति का प्रतीक था, लेकिन अब वह खंडहर हो चुका था। उस भवन के शिखर खंडित हो चुके थे और अब वहाँ घास और झाड़ियाँ उग आई थीं। फिर भी उन टूटी हुई दीवारों और ईंटों में भारतीय शिल्पकला की भव्य झलक देखी जा सकती थी। इसे ही प्रसादजी ने ‘ईंटों के ढेर में बिखरी हुई भारतीय शिल्प की विभूति’ कहा है

31.

‘ममता’ कहानी के संवादों की विशेषता क्या है?

Answer»

‘ममता’ कहानी में प्रयुक्त संवादों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. संवाद छोटे तथा बड़े दोनों प्रकार के हैं। वे चुस्त हैं।
  2. संवाद पात्रों के चरित्रगत गुणों को उजागर करने वाले हैं।
  3. इन संवादों के द्वारा कहानी के कथानक को विकसित करने में भी कहानीकार सफल हुआ है।
  4. संवाद नाटकीय हैं। वह सुन्दर उक्ति के रूप में हैं। यथा-“पिताजी, यह अनर्थ है, अर्थ नहीं”।
  5. संवादों की भाषा तत्सम शब्द प्रधान, संस्कृतनिष्ठ तथा परिमार्जित है।
32.

‘ममता’ शीर्षक कहानी का सारांश लिखिए।

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परिचय-‘ममता’ प्रसाद जी की प्रसिद्ध ऐतिहासिक कहानी है। इसमें काव्यात्मक भाषा में एक कर्तव्यपरायण और त्यागी नारी का चित्रण किया गया है।

युवती ममता-रोहतास के किले में एक कमरे में युवती ममता बैठी हुई शोण नदी का प्रवाह देख रही थी। वह विधवा थी। चूड़ामणि उसके पिता थे। वह कमरे में आए किन्तु ममता का ध्यान भंग नहीं हुआ तो लौट गए। वह अपनी पुत्री के लिए चिन्तित थे। कुछ समय बाद वह पुन: लौटे। उनके साथ दस नौकर चाँदी के बड़े-बड़े थाल लेकर आए। उनमें मूल्यवान सोना भरा था। चूड़ामणि रोहतास-दुर्ग के स्वामी के मंत्री थे। शेरशाह उस पर अधिकार करना चाहता था। उसने यह धन उत्कोच के रूप में मंत्री को दिया था। ममता ने पिता से उसे लौटा देने को कहा। उसने कहा- वे ब्राह्मण हैं, उनको इतने धन की जरूरत नहीं है।

दुर्ग का त्याग-दूसरे दिन डोलियों की कतारें किले के द्वार से अन्दर आ रही थीं। चूड़ामणि ने उनका पर्दा खुलवाना चाहा। साथ चल रहे पठान सैनिक तैयार नहीं हुए। बात बढ़ी तो उन्होंने मंत्री चूड़ामणि की हत्या कर दी। डोलियों में छिपे सैनिक बाहर निकले। उन्होंने दुर्ग पर अधिकार कर लिया। किला शेरशाह के अधिकार में जा चुका था। सैनिकों ने ममता को तलाश किया परन्तु वह दुर्ग छोड़कर पहले ही जा चुकी थी।

ममता की झोपड़ी काशी में एक बिहार का खंडहर था। उसमें ममता ने झोपड़ी बना ली थी। वह अपनी झोपड़ी में बैठी धार्मिक पाठ कर रही थी। दीपक के मंदप्रकाश में उसने झोपड़ी के द्वार पर एक अत्यन्त हताश और थके-माँदे व्यक्ति को देखा। वह उठकर दरवाजा बन्द करना चाहती थी परन्तु उस व्यक्ति ने उससे आश्रय की याचना की। परिचय पूछने पर उसने बताया कि वह मुगल हुमायूँ था। शेरशाह से चौसा युद्ध में हारकर रास्ता भटक गया था। उसके सैनिक छूट गए थे।

ममता का भय और शंका-ममता को भय लगा। वह विधर्मी था। शेरशाह ने बलपूर्वक उसके पिता की हत्या कर रोहतास दुर्ग पर अधिकार कर लिया था। वह भी ऐसा ही कर सकता है। उसने आश्रय देने से मना कर दिया। छल की शंका से व्यथित हुमायूँ जाने लगा तो ममता को अपना अतिथि सरकार का धर्म याद आया। उसने हुमायूँ को रोका और झोपड़ी में विश्राम करने को कहा। वह बाहर चली गई।

खंडहर में छिपी ममता–सबेरा हुआ। खंडहर में छिपी ममता. ने एक दरार से देखा कि वहाँ अनेक सैनिक घूम रहे थे। वे किसी को तलाश रहे थे। वह भयभीत होकर छिपने के लिए मृगदाब में चली गई। मुगल हुमायूँ झोपड़ी से बाहर आया। उसने एक सैनिक से ममता को तलाश करने के लिए कहा। बाद में घोड़े पर सवार होते हुए उसने कहा-मिरजा, मैं उस स्त्री को कुछ दे न सका। उसने मुझे आश्रय दिया था। तुम यह स्थान याद रखना। उसका घर बनवा देना। इसके बाद वे सब वहाँ से चले गए।

वृद्धा ममता-ममता अब बूढ़ी हो गई थी। वह सत्तर साल की थी। सर्दी के दिन थे। खाँसी आती तो पूरा शरीर हिल उठता था। गाँव की स्त्रियाँ ममता की सेवा में लगी थीं। ममता जीवन भर सबके सुख-दुख की साथी रही थी। प्यास लगने पर एक स्त्री ने उसे पानी पिलाया।

अश्वरोही का आना-तभी वहाँ एक घुड़सवार आया। वह कह रहा था—मिरजा ने जो चित्र दिया वह तो इसी स्थान का है। सैंतालीस साल हो गए। वह स्त्री बूढ़ी होकर मर गई होगी। अब किससे पूछु कि मुगल सम्राट हुमायूँ ने किस झोपड़ी में विश्राम किया था। ममता ने सुना तो उसको बुलवाया। उसने उसे बताया कि वह नहीं जानती कि वह साधारण मुगल था या सम्राट। उसने यहाँ पर ही रात बिताई थी। अब वह यह संसार छोड़कर जा रही है। तुम यहाँ मकान बनाओ या महल। इतना कहते ही ममता के प्राणपखेरू उड़ गए।

अष्टकोण मन्दिर-उस स्थान पर एक भव्य अष्टकोण का भवन बनाया गया। उस पर शिलालेख लगा था-इस स्थान पर मुगल सम्राट हुमायूँ ने विश्राम किया था। उनके पुत्र अकबर ने इसी स्मृति को स्थायी रखने के लिए इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया। इस शिलालेख में ममता का कोई उल्लेख नहीं था।

33.

चूड़ामणि थे-ममता के –(क) पिता(ख) भाई(ग) गुरु(घ) शिक्षक

Answer»

चूड़ामणि थे-ममता के पिता

34.

चूड़ामणि द्वारा स्वर्णथाल उपहार में प्रस्तुत करने पर ममता ने कहा(अ) विपदा के समय यह काम आएगा।(ब) इतना सोना पाकर मैं धन्य हो गई।(स) तो क्या आपने मलेच्छ को उत्कोच स्वीकार कर लिया?(द) इस स्वर्ण को रखने के लिए मेरे पास स्थान नहीं है।

Answer»

(स) तो क्या आपने मलेच्छ को उत्कोच स्वीकार कर लिया?

35.

“ममता’ की कहानी के कथानक की दो विशेषताएँ लिखिए।

Answer»

‘ममता’ कहानी के कथानक की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं–

  1. ममता’ जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कहानी है। इस कहानी का कथानक इतिहास पर आधारित है। उसमें कहानीकार ने कल्पना के रंग भरे हैं।
  2. कहानी का आरम्भ रोहतास दुर्ग में बैठी ममता के यौवनकाल से होता है। इसमें उसकी मृत्यु तक का पूरा समय समाया हुआ है। कथानक के विकास में ममता के जीवन की घटनाओं का ही योगदान है। इसका अन्त भी चरम बिन्दु अर्थात् ममता के जीवन के अन्त के साथ होता है।
36.

चौसा युद्ध के कितने वर्ष बाद ममता की मृत्यु हुई?A. बयालीसB. चवालीसC. पैंतालीसD. सैंतालीस

Answer»

उत्तर : D. सैंतालीस

37.

चौसा-युद्ध किन-किन के मध्य हुआ?

Answer»

चौसा-युद्ध हुमायूँ और शेरशाह सूरी के मध्य कर्मनासा नदी के पास चौसा नामक स्थान पर 26 जून, सन् 1539 में हुआ था जिसमें युद्ध में हुमायूँ परास्त हो गया था।

38.

ममता से आश्रय माँगनेवाला मुगल कौन था?A. हुमायूँB. अकबरC. जहाँगीरD. औरंगजेब

Answer»

उत्तर : A. हुमायूँ

39.

दुर्ग से निकलकर ममता ने कहाँ आश्रय लिया?

Answer»

दुर्ग से निकलकर ममता ने काशी के उत्तर में स्थित एक पुराने स्तूप के खंडहर में आश्रय लिया।

40.

ममता की झोंपड़ी में आश्रय माँगने कौन आया?

Answer»

चौसा युद्ध में शेरशाह से विपन्न होकर शहंशाह हुमायूँ आश्रय माँगने के लिए ममता की झोपड़ी में आया।

41.

अश्वारोही पास आया। ममता ने रुक-रुककर कहा-“मैं नहीं जानती कि वह शहंशाह था, या साधारण मुगल; पर एक दिन इसी झोपड़ी के नीचे वह रहा। मैंने सुना था कि वह मेरा घर बनवाने की आज्ञा दे चुका था। मैं आजीवन अपनी झोपड़ी के खोदे जाने के डर से भयभीत रही। भगवान् ने सुन लिया, मैं आज .. इसे छोड़े जाती हूँ। तुम इसका मकान बनाओ या महल, मैं अपने चिर-विश्राम-गृह में जाती हूँ।”(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।(स) 1. शहंशाह शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है ?2. ‘चिर-विश्राम-गृह’ से क्या आशय है ?3. वह (ममता) आजीवन क्यों भयभीत रही ?

Answer»

(अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक  ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित ‘ममता’ नामक कहानी से उधृत है। इसके लेखक छायावादी युग के प्रवर्तक श्री जयशंकर प्रसाद हैं।
अथवा निम्नवत् लिखिए
पाठ का नाम-ममता। लेखक का नाम-श्री जयशंकर प्रसाद।

(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या – श्री जयशंकर प्रसाद जी कहते हैं कि ममता ने अश्वारोही को बुलाकर उससे कहा कि उस व्यक्ति ने मेरे घर का नवनिर्माण कराने का आदेश अपने एक अधीनस्थ को दिया था। मैं अपनी पूरी जिन्दगी में इस भय से भयभीत रही कि कहीं मैं अपने इस मामूली घर से भी बेघर न हो जाऊँ। लेकिन ईश्वर ने मेरी प्रार्थना सुन ली और मुझे जीवित रहते बेघर होने से बचा लिया। आज मैं इस घर को छोड़कर  जा रही हूँ; अर्थात् अब मेरे जीवन का अन्त समय निकट आ गया है। अब तुम यहाँ पर मकान बनाओ अथवा महल, मुझे कोई चिन्ता नहीं; क्योंकि अब मैं अपने उस घर में जा रही हूँ जहाँ मुझे अनन्त काल तक विश्राम प्राप्त होगा।

(स) 1. प्रस्तुत गद्यांश में ‘शहंशाह’ शब्द मुगल सल्तनत के बाबर के पुत्र और अकबर के पिता हुमायूं के लिए प्रयोग किया गया है।

2. चिर-विश्राम-गृह से आशय ऐसे गृह से है जहाँ मनुष्य अनन्त समय तक विश्राम कर सके अथवा ऐसा गृह जिसका स्थायित्व अन्तहीन समय तक बनी रहे, और जिसमें व्यक्ति अन्तहीन समय तक विश्राम भी कर सके।

3. वह (ममता) अपने जीवन-पर्यन्त अपनी झोपड़ी के खोदे जाने के भय से भयभीत रही क्योंकि मुगल (हुमायूँ) ने उसके घर को बनवाने का आदेश दिया था।

42.

किनके भय से ममता बौद्ध-विहार के खंडरों में रहने लगी?

Answer»

मुगलों के भय से ममता बौद्ध-विहार के खंडरों में रहने लगी थी।

43.

ममता की आयु कितनी थी?

Answer»

ममता की आयु सत्तर वर्ष हो चुकी थी।

44.

ममता कहाँ छिप गई थी?A. मृगदाव मेंB. गुफा मेंC. खंडहर मेंD. जंगल में

Answer»

A. मृगदाव में

45.

किस बात से पता चलता है कि ममता सबके सुख-दुःख की सहभागिनी थी?

Answer»

गाँव की दो-तीन स्त्रियाँ वृद्धा और जर्जर शरीरवाली ममता की सेवा कर रही थीं। इससे पता चलता है कि ममता गाँववालों के सुख-दुःख की सहभागिनी थी।

46.

ममता को प्रत्येक लड़नेवाले सैनिक से नफरत क्यों थी?

Answer»

विधर्मी शेरशाह के आततायी सैनिकों ने ममता के पिता का वध किया था। उसी घटना के कारण ममता को प्रत्येक लड़नेवाले सैनिक से नफरत थी।

47.

किसे धन से तनिक भी मोह नहीं था?

Answer»

ममता को धन का तनिक भी मोह नहीं था।

48.

‘ममता’ कहानी में इतिहास पर क्या व्यंग्य किया गया है?

Answer»

लेखक ने ममता कहानी द्वारा यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि बड़े-बड़े सम्राटों को बनाने में जिन लोगों का हाथ रहा है। इतिहासकारों ने इतिहास में उन्हें जगह नहीं दी। परोक्ष रूप में यह इतिहास पर व्यंग्य ही तो है। लेखक के अनुसार इतिहास में ऐसे लोगों का उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए।

49.

'ममता’ कहानी के आरम्भ में ममता तथा उसके पिता चूड़ामणि के बीच हुए वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखिए।

Answer»

ममता के पिता चूड़ामणि दोबारा ममता के कमरे में आए तो उनके साथ दस सेवक चाँदी के थालों में कुछ लिए आए। मंत्री के संकेत पर वे थालों को भूमि पर रखकर चले गए। ममता ने पूछा कि ये क्या है तो चूड़ामणि ने थालों पर ढका पर्दा हटा दिया। उसमें रखी स्वर्ण-मुद्राएँ चमकने लगीं। ममता के पूछने पर चूड़ामणि ने कहा कि यह उसके लिए उपहार हैं।

ममता ने पूछा कि इतना स्वर्ण कहाँ से आया और इसका वे क्या करेंगे? चूड़ामणि ने कहा-यह भविष्य के लिए है। इस सामन्ती वंश का पतन निश्चित है। तब मन्त्री पद नहीं रहेगा। उस समय इस धन की जरूरत होगी।

ममता अपने पिता से सहमत नहीं थी। उसने कहा कि वे ब्राह्मण हैं। उनको इतने अधिक धन की आवश्यकता नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने विधर्मी शेरशाह से रिश्वत ली है। ममता ने कहा कि यह अर्थ नहीं अनर्थ है, वह इसको लौटा दें। वह ब्राह्मण हैं। कोई हिन्दू उनको भिक्षा अवश्य देगा । उनको इतने धन की आवश्यकता नहीं है।

परन्तु चूड़ामणि ”मूर्ख है” कहकर बाहर चले गए।

50.

‘ममता’ अपने कर्तव्य से मुंह न मोड़ने वाली स्त्री की कहानी है। ममता की इस विशेषता के लिए एक शब्द लिखिए।

Answer»

‘ममता’ कर्तव्यनिष्ठ स्त्री की कहानी है।