InterviewSolution
Saved Bookmarks
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1. |
किसी परिपथ में प्रतिरोध `12 Omega` तथा प्रतिबाधा `15 Omega` है | परिपथ का शक्ति गुणांक है-A. 1.25B. 0. 125C. 0.8D. 0.4 |
| Answer» Correct Answer - C | |
| 2. |
सिद्ध कीजिए कि ए. सी. परिपथ में औसत शक्ति `P_(av)=V_(rms)xxI_(rms)xxR/Z` से दी जाती है, जहाँ R परिपथ का प्रतिरोध तथा Z प्रतिबाधा है। |
|
Answer» `P_(av)=V_(rms)xxI_(rms)cosphi` जहाँ `phi` प्रत्याव्ती धारा और प्रत्याव्ती वि. वा. बल के मध्य कलान्तर है। किन्तु L-C-R श्रेणी परिपथ के लिए, `tanphi=(omegaL-1/(omegaC))/R` `therefore` `cosphi=R/(sqrt(R^(2)+(omegaL-1/(omegaC))^(2))=R/Z` जहाँ R प्रतिरोध तथा Z प्रतिबाधा है। `P_(av)=V_(rms)xxI_(rms)xxR/Z` |
|
| 3. |
एक जल विघुत शक्ति संयंत्र में जल डाब शीर्ष 300 m की ऊँचाई पर है तथा उपलब्ध जल प्रवाह `100 m^(3) s^(-1)` है | यदि टर्बाइन जनित्र की दक्षता 60% हो तो संयंत्र से उपलब्ध विघुत शक्ति का आंकलन कीजिए, `g = 9.8 ms^(-2)` |
|
Answer» जल विघुत शक्ति, `P = Fv = Pav = hpgAv` प्रश्नानुसार, `h = 300` मीटर, `p = 10^(3)` किग्रा/मीटर`""^(3)`, g = 9.8 मीटर/सेकण्ड`""^(2)`, Av = 100 मीटर`""^(3)` /सेकण्ड = प्रवाह की दर वाट मेगावाट `because` टर्बाइन की दक्षता 60% है,अतः उपलब्ध विघुत शक्ति `P_(out) = (P xx 60)/(100) = (294 xx 60)/(100) = 176.4` मेगावाट |
|
| 4. |
440 V पर शक्ति उत्पादन करने वाले किसी विघुत संयंत्र से 15 km दूर स्थित एक छोटे से कस्बे में 220 V पर 800 KW शक्ति की आवश्यकता है | विघुत शक्ति ले जाने वाली दोनों तार की लाइनों का प्रतिरोध 0.5 `Omega` प्रति किलोमीटर है | कस्बे को उप-स्टेशन में लगे 4000 V- 220 V अपचायी ट्रांसफॉर्मर से लाइन द्वारा शक्ति पहुँचती है | (i) ऊष्मा के रूप में लाइन से होने वाली शक्ति के क्षय का आंकलन कीजिए | (ii) संयंत्र से कितनी शक्ति की आपूर्ति की जनि चाहिए, यदि क्षरण द्वारा शक्ति का क्षय नगण्य है ? (iii) संयंत्र में उच्चायी ट्रांसफॉर्मर की विशेषताएँ | |
|
Answer» लाइन में तार की कुल लम्बाई ` = 2xx 15 = 30` किमी तार का प्रतिरोध, `R = 30 xx 0.5 = 15` ओम `therefore` लाइन में rms धारा, `i_(rms) = (P)/(V) = (800 xx 10^(3))/(4000) = 200` ऐम्पियर (i) लाइन में ऊष्मा के रूप में क्षय शक्ति `= i_(rms)^(2) R` `= (200)^(2) xx 15 = 600 xx 10^(3)` वाट = 600 किलोवाट (ii) संयंत्र द्वारा भेजी गयी विघुत शक्ति = वांछित शक्ति + क्षय शक्ति = 800 + 600 + 1400 किलोवाट (iii) लाइन में विभवपात `=IR = 200 xx 15 = 3000` वोल्ट अतः संयंत्र में उच्चायी ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक कुण्डली का वोल्टेज = 3000 + 4000 = 7000 अतः यह उच्चायी ट्रांसफॉर्मर 440 V-7000 V है | |
|
| 5. |
एक जल विघुत शक्ति संयंत्र में जल दाब शीर्ष 300 मीटर की ऊंचाई पर है तथा उपलब्ध जल प्रवाह 100 मीटर`""^(2)`/सेकण्ड`""^(2)` है | यदि टर्बाइन जनित्र की दक्षता 60% हो तो संयंत्र से उपलब्ध विघुत शक्ति का आकलन कीजिए,g = 9.8 मी/से`""^(2)` | |
|
Answer» दिया है-जल की ऊँचाई (h) = 300 मीटर जल के प्रवाह की दर`(V) = 100` मीटर`""^(3)` /सेकण्ड दक्षता `(n) = 60%, g = 9.8` मीटर/सेकण्ड`""^(2)` `because` हम जानते है कि जल को 300 मीटर ऊँचाई तक उठाने हेतु निवेशी शक्ति ` = (m xxg xx h)/(t) = ("आयतन" xx "घनत्व" xx g xx h)/(t)` `P_("in") = 100 xx 1000 xx 9.8 xx 300` ` = 2.94 xx 10^(8)` W (`because` आयतन/सेकण्ड = 100 मीटर`""^(3)` /सेकण्ड घनत्व = 1000 किग्रा/मीटर`""^(3)` माना उत्पादित (output) की शक्ति `P_("out")` है जो प्लांट से प्राप्त शक्ति के बराबर है | जेनरेटर की दक्षता `(n) = (P_("out"))/(P_("in")) ` ` (60)/(100) = (P_("out"))/(2.94 xx 10^(8))` ` P_("out") = (60)/9100) = 2.94 xx 10^(8) = 1764 xx 10^(5) W` ` = 176.4 MW` |
|
| 6. |
हम चोक कुण्डली का प्रयोग प्रतिरोध के स्थान पर करते है क्योकि प्रतिरोधक में शक्ति क्षय अधिकतम तथा चोक में न्यूनतम होता है | प्रतिरोधक हेतु, अधिकतम प्रेरक हेतु, चोक कुण्डली |
|
Answer» दिया है-प्राथमिक वोटलतेज `(V_(P)) = 23000 V ` `N_(P) = 4000` फेरे द्वितीयक वोल्टेज `(V_(s)) = 230 V` चूँकि ट्रांसफॉर्मर आदर्श है अतः इसमें ऊष्मन के रूप में शक्ति क्षय शून्य है | सूत्र प्रयुक्त करने पर, `(V_(s))/(V_(p)) = (N_(s))/(N_(p))` `(230)/(2300) = (N_(s))/(4000) `N_(s) = 400` अतः द्वितिययक कुण्डली में तार के फेरो की संख्या 400 है | |
|
| 7. |
यदि L प्रेरकत्व, R प्रतिरोध तथा C संधारित्र की धारिता हो तो L/R एवं RC का विमीय सूत्र हैA. `M^(0)LT^(-1), ML^(0)T^(-1)`B. `M^(0)L^(0)T, MLT^(0)`C. `M^(0)L^(0)T,1`D. `M^(0)L^(0)T, M^(0)L^(0)T` |
| Answer» Correct Answer - D | |
| 8. |
निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर दीजिए- AC मेंस के साथ कार्य करने वाली फ्लोरोसेंट ट्यूब में प्रयुक्त चोक कुण्डली की आवश्यकता क्यों होती है ? चोक कुण्डली के स्थान पर सामान्य प्रतिरोधक का उपयोग क्यों नहीं होता ? |
|
Answer» हम चोक कुण्डली का प्रयोग प्रतिरोध के स्थान पर करते है क्योकि प्रतिरोधक में शक्ति क्षय अधिकतम तथा चोक में न्यूनतम होता है | प्रतिरोधक हेतु, `P = I_(rms)V_(rms) cos 0^(@) = I_(rms)*V_(rms)` = (अधिकतम) प्रेरक हेतु, `phi = 90^(@), P = I_(rms)V_(rms) cos 90^(@) = 0` (चोक कुण्डली) |
|
| 9. |
L-C-R परिपथ में विधुत अनुनाद होने के लिए आवश्यक हैA. `omegaL=(1)/(omega C)`B. `omegaL=omegaC`C. `omega=omega C`D. इनमें कोई नहीं |
| Answer» Correct Answer - A | |
| 10. |
निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर दीजिए- क्या किसी AC परिपथ में प्रयुक्त तात्क्षणिक वोल्टता परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़े गए अवयवों के सिरों पर तात्क्षणिक वोलटताओं के बीजगणितीय योग के बराबर होता है ? क्या यही बात rms वोलटताओं में भी लगी होती है ? |
| Answer» हाँ किसी क्षण प्रयुक्त वोल्टेज परिपथ में श्रेणी क्रम माइन जोड़े गए अवयवों के सिरों पर वोलटताओं की बीजगणितीय योग के बराबर होता है | यह बात rms वोलटताओं पर लागु नहीं है क्योकि विभिन्न अवयवों पर कुछ कलांतर होता है | | |
| 11. |
निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर दीजिए- एक प्रयुक्त वोल्टता संकेत एक DC वोलटता तथा उच्च आवृत्ति के एक AC वोलटता के अध्यारोपण से निर्मित है | परिपथ एक श्रेणीबद्ध प्रेरक तथा संधारित्र से निर्मित है | दर्शाइए कि DC संकेत C तथा AC संकेत L के सिरे पर प्रकट होगा | |
|
Answer» हम जानते है कि- `X_(C ) = (1)/(2pifC), X_(L) = 2pifL` DC हेतु- `f = 0, X_(C) = oo, X_(L) = 0` इस प्रकार, संधारित्र DC तथा AC सिंग्नलों के लिए C में निरुद्ध (blocked) है | AC हेतु उच्च आवृत्ति पर `X_(L) =` अति उच्च `X_(C) = 0` अतः DC संकेत C पर तथा AC संकेत L पर प्रकट होगा | |
|
| 12. |
निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर दीजिए - (a) क्या किसी AC परिपथ में प्रयुक्त तात्क्षणिक वोल्टता परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़े गए अवयवों के सिरों पर तात्क्षणिक वोल्टताओं के बीजगणितीय योग के बराबर होता है क्या यही बात rms वोल्टताओं में भी लागू होती है (b) प्रेरण कुण्डली के प्राथमिक परिपथ में एक संधारित का उपयोग करते है | (c) एक प्रयुक्त वोल्टता संकेत एक DC वोल्टता तथा उछक आवृत्ति के एक AC वोल्टता के अध्यारोपण से निर्मित है परिपथ एक श्रेणीबद्ध प्रेरक तथा संधारित्र से निर्मित है दर्शाइए कि DC संकेत C तथा AC संकेत सिरे पर प्रकट होगा । (d) एक लैम्प से श्रेणीक्रम में जुडी चौक को एक dc लाइन से जोड़ा गया है लैम्प तेजी से चमकता है चोक में लोहे के क्रोड को कराने पर लैम्प की दीप्ति में कोई अंतर नहीं पड़ता है यदि एक ac लाइन से लैम्प का संयोजन किया जाए तो तदनुसार प्रेक्षणों की प्रागुक्ति कीजिए (d) AC मेंस के साथ कार्य करने वाली फ्लोरोसेंट ट्यूब में प्रयुक्त कुण्डली की आवश्यकता क्यों होती है ? चोक कुण्डली के स्थान पर सामान्य प्रतिरोधक का उपयोग क्यों नहीं होता है ? |
|
Answer» (a) हाँ लेकिन यह `V_(rms)` के लिए सत्य नहीं है क्योकि विभिन्न अवयवों के सिरों पर विभव समान कला में नहीं होंगे । (b) जब प्रेरण कुण्डली का प्राथमिक परिपथ टूटता हो तब एक उच्च विभव प्रेरित होता है जो संधारित्र को आवेशित करने में प्रयुक्त होता है जिससे परिपथ में चमक उत्पन्न नहीं होती । (c) प्रेरण प्रतिघात `X_(L)=omegaL=2pivL` संधारित्र प्रतिघात `X_(C)=(1)/(omegaC)=(1)/(2pivC)` दिष्ट धारा के लिए v=0 अतः `X_(L)=0` तथा `X_(C)=oo`. अतः C के सिरों पर DC संकेत प्रकट होंगे | उच्च आवृत्ति के लिए `X_(L)to` उच्च, `X_(C)to0` अतः संकेत A.C. (सिग्नल) प्रेरकत्व के सिरों पर प्रकट होंगे | (d) DC के लिए `X_(L)=0` अर्थात लोहे के क्रोड को प्रवेश से कराने से L पर कोई प्रभाव नहीं पडेगा । लेकिन A.C. लाइन के लैम्प का संयोजन करने पर लैम्प का प्रकाश धीमा हो जाएगा | क्योकि चोक की प्रतिबाधा में वृद्धि हो जायेगी और जैसे - जैसे प्रतिबाधा के मान में होगी लैम्प धीमा होता जायेगा । |
|
| 13. |
विधुत मोटर के दो उपयोग लिखिये । |
| Answer» विधुत मोटर का उपयोग विधुत पंखा, कूलर मिक्सर आदि में होता है । | |
| 14. |
विधुत मोटर क्या है ? |
| Answer» वह उपकरण जो विधुत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है विधुत मोटर कहलाता है । | |
| 15. |
उच्चायी तथा अपचायी ट्रांसफॉर्मर के दो उपयोग लिखिये । |
|
Answer» उच्चायी ट्रांसफॉर्मर के उपयोग - (i) विधुत शक्ति को दूर स्थलों पर भेजते में । (ii) वेल्डिंग करने में | अपचायी ट्रांसफॉर्मर के उपयोग - (i) बैटरी एलीमिनेटर में, (ii) पावर सप्लाई में । |
|
| 16. |
किसी उच्चायी ट्रांसफॉर्मर के प्राइमरी और सेकंडरी में क्रमश: N1और N2लपेट है, तबA. `N_(1)gtN_(2)`B. `N_(2)gtN_(1)`C. `N_(1)=N_(2)`D. `N_(1)=0` |
| Answer» Correct Answer - B | |
| 17. |
एक उच्चायी ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक कुण्डली में धारा का मान प्राथमिक कुण्डली की तुलना में होता है-A. बराबरB. कमC. अधिकD. कोई सम्बन्ध नहीं |
| Answer» Correct Answer - B | |
| 18. |
`3xx10^(-2)T` एक एक समान क्षैतिज चुंबकीय क्षेत्र में 8 cm त्रिज्या 20 और फेरों वाली वृत्ताकार कुंडली `50 s^(-1)` के कोणीय चाल से अपने ऊर्ध्वाधर व्यास के पारित: घूमती है | कुंडली में प्रेरित विधुत-वाहक बल के महत्तम और औसत मान (average value) की गणना करे | |
|
Answer» `epsi=BANomega sin omega t" [समीकरण 5.2a से]"` या `" "epsi=epsi_(0) sin omegat," जहाँ "epsi_(0)` प्रेरित विधुत-वाहक बल का महत्तम मान है, अर्थात `epsi_(0)=BAN omega = B pi r^(2)N omega` यहाँ, `" "B=3xx10^(-2)T, N =20, omega = 50 s^(-1)" तथा "r=8cm =8xx10^(-2)m.` `therefore" "epsi_(0)=3xx10^(-2)Txx3.14xx(8xx10^(-2)m)^(2) xx20xx50 s^(-1)=0.603 V.` अतः, प्रेरित विधुत-वाहक बल का महत्तम मान =0.603 V. फिर, प्रत्यावर्ती धारा के लिए एक पूर्ण चक्र में विधुत-वाहक बल का औसत मान शून्य (zero) होता है | |
|
| 19. |
20 ओम प्रतिरोध 110 V, 50 Hz के प्रत्यावर्ती स्त्रोत से जोड़ा गया है | ज्ञात कीजिये-(i) धारा का rms मान, (ii) प्रतिरोध में महत्तम तात्कालिक धारा, (iii) धारा को अधिकतम मान से rms मान तक पहुँचने में लगा समय | |
|
Answer» प्रश्नानुसार `R = 20` ओम, `V_(rms) = 110` वाल्ट `therefore " "i_(rms) = (V_(rms))/(R) = (110)/(20)` `= 5.5` ऐम्पियर (ii) महत्तम तात्कालिक धारा, `i_(0) = i_(rms) = sqrt(2) = 5.5 sqrt(2)` = 7.8 ऐम्पियर (iii) माना परिपथ में धारा की समीकरण `i=i_(0) sin omegat` हे | माना क्षण `t_(1)` व `t_(2)` पर धारा क्रमशः अधिकतम व rms मान पर है | अतः, `i_(0) = i_(0) sin omegat_(1)` तथा `(i_(0))/(sqrt(2)) = i_(0) sin omegat_(2)` `therefore " "omegat_(1) = (pi)/(2), omegat_(2) = (pi)/(2) + (pi)/(2)` (`pi//2` के बाद वाला मान चयन करने पर) `therefore t_(2) - t_(1) = (pi)/(4omega) = (pi)/(4 xx 2pif) = (1)/(8xx50) = (1)/(400)` सेकण्ड वैकल्पिक हल (iii)-अधिकतम मान से rms मान तक पहुँचने में लगा समय ` = (T)/(8) = ((1)/(50))((1)/(8)) = (1)/(4000)` सेकण्ड |
|
| 20. |
`10 muF` का एक संधारित्र 220 वोल्ट, 50 Hz के ac स्त्रोत से जुड़ा है (i) परिपथ की आवृत्ति का rms मान तथा शिखर मान ज्ञात कीजिये (ii) यदि स्त्रोत की आवृत्ति दो दुगुना कर दिया जाये तो प्रतिघात तथा धारा के मान पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? (iii) जिस क्षण धारा अपने शिखर मान पर है, परिपथ में वोल्टेज का मान क्या होगा ? |
|
Answer» धारितीय प्रतिघात `X_(C) = (1)/(2pifC) = (1)/(2xx 3.14 xx 50xx50xx10xx10^(-6)) = 318` ओम ` therefore " " i_(rms) = (V_(rms))/(X_(C)) = (220)/(318) = 0.69` ऐम्पियर `i_(0) = i_(rms) sqrt(2) = 0.69 xx 1.41 = 0.97` ऐम्पियर (ii) यदि स्त्रोत की आवृत्ति दोगुनी कर दी जाये तो धारितीय प्रतिघात आधा हो जायेगा, अतः धारा का मान दोगुना ही जायेगा | (iii) वोल्टेज धारा से कला में `(pi)/(2)` पीछे होगा, अतः जिस क्षण धारा का मान शिखर मान पर है, वोल्टता का मान शून्य होगा |
|
| 21. |
संलग्न परिपथ (चित्र 7.58) की प्रतिबाधा क्या होगी ? (i) धारा स्त्रोत के लिए तथा (ii) प्रत्यावर्ती धारा स्त्रोत के लिए जिसकी आवृत्ति `(10/pi)` किलोहर्ट्ज है | |
| Answer» (i) अनन्त, (ii) 32 ओम | |
| 22. |
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में विशुद्ध प्रेरण कुण्डली के प्रतिघात के लिए व्यंजक लिखिए तथा बताइए कि इसका मान धारा कि आवृत्ति पर किस प्रकार निर्भर करता है ? |
|
Answer» विशुद्ध प्रेरण कुण्डली का प्रतिघात `X_(L)=omegaL=2pivL` जहाँ v = धारा की आवृत्ति तथा L = कुण्डली का प्रेरकत्व। स्पष्ट है कि `X_(L)propv` अर्थात् प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में विशुद्ध प्रेरण कुण्डली का प्रतिघात धारा की आवृत्ति के अनुक्रमानुपाती होता है। |
|
| 23. |
संलग्न प्रत्यावर्ती धरा परिपथ चित्र 7.57 में ज्ञात कीजिये-(i) प्रेरक L का प्रतिघात, (ii) सम्पूर्ण परिपथ की प्रतिबाधा, (iii) परिपथ में धारा का शिखर मान , (iv) लगाई गई वोल्टता तथा परिपथ की धारा में कलान्तर तथा (v) L के सिरों के बिच वोल्टता का शिखर मान | |
|
Answer» (i) 100 ओम, (ii) `100sqrt(2)` ओम, (iii) `(1)/(10sqrt(2)) = 0.07` ऐम्पियर, (iv) `45^(@)`, (v ) 7 वोल्ट |
|
| 24. |
एक `60mu` का संधारित्र 110 V, 60 Hz ac आपूर्ति से जोड़ा गया है | परिपथ में धारा के rms मान को ज्ञात कीजिए | |
| Answer» Correct Answer - 2.49 ऐम्पियर | |
| 25. |
प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में किसी कुण्डली के प्रेरण प्रतिघात के लिये सूत्र लिखिये | क्या यह धारा के मान पर निर्भर करता है ? |
| Answer» `X_(L) = omegaL`, नहीं | |
| 26. |
प्रत्यावर्ती धरा परिपथ में प्रेरण प्रतिघात `X_(L)` का क्या अर्थ है ? डिस्ट धरा के लिये इसका मान क्या होता है ? |
| Answer» प्रेरण प्रतिघात `X_(L)` प्रत्यावर्ती धारा के प्रवाह में प्रेरक (inductor) द्वारा लगाया गया अवरोध है | दिष्ट धारा के लिये `(omega = 0)` , प्रेरण प्रतिघात `(omegaL)` शून्य होगा | | |
| 27. |
यदि `1 mu F` का एक आवेशित संधारित्र 10 mH के एक आदर्श प्रेरित्र के सिरों के बिच जोड़ा जाए तो आवेश के आवृति दोलन की कोणीय आवृति `("rad "s^(-1)में)` होगीA. `10^(-8)`B. `10^(8)`C. `10^(4)`D. `10^(-4)` |
| Answer» Correct Answer - C | |
| 28. |
शुद्ध संधारित्र में औसत व्यय ऊष्मा होती है-A. `(1)/(2)CV^(2)`B. `CV^(2)`C. `2CV^(2)`D. शून्य |
| Answer» Correct Answer - D | |
| 29. |
60 माइक्रोफैरड `(muF)` धारिता के संधारित्र का 600 हर्ट्ज आवृत्ति पर धारितीय प्रतिघात ज्ञात कीजिये | |
| Answer» Correct Answer - 4.4 ओम | |
| 30. |
प्रेरक अपने द्वारा-A. ac को जाने देता है परन्तु dc को नहींB. dc को जाने देता है परन्तु ac को नहींC. ac व dc दोनों को जाने देता हैD. दोनों को रोक लेता है |
| Answer» Correct Answer - C | |
| 31. |
धारितीय प्रतिघात `X_(C)` का क्या अर्थ है ? दिष्ट धारा के लिये इसका मान क्या होता है ? |
| Answer» धारितीय प्रतिघात `X_(C)`, प्रत्यावर्ती धारा के प्रवाह में संधारित्र द्वारा लगाया गया अवरोध है `(X_(C) = 1//omegaC)` | दिष्ट धारा के लिये `(omega = 0), X_(C)` का मान अनन्त होता है | | |
| 32. |
संधारित्र अपने द्वारा-A. ac को जाने देता है परन्तु dc को नहींB. dc को जाने देता है परन्तु ac को नहींC. ac व dc दोनों को जाने देता हैD. दोनों को रोक लेता है |
| Answer» Correct Answer - A | |
| 33. |
एक प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में लगे संधारित्र का प्रतिघात `10 Omega` है | यदि प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति दोगुनी कर दी जाये तो प्रतिघात होगा-A. ` 5 Omega`B. `10 Omega `C. `15 Omega `D. `20 Omega ` |
| Answer» Correct Answer - A | |
| 34. |
निम्न में से कौन-सा वक्र धारितीय प्रतिघात `(X_(C))` का आवृत्ति `(f)` के साथ ठीक विचरण व्यक्त करता है ?A. B. C. D. |
| Answer» Correct Answer - C | |
| 35. |
50 हर्ट्ज प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में `(1//pi)` फैरड के संधारित्र का प्रतिघात है-A. `(50)/(pi) Omega`B. `(1)/(50 pi) Omega`C. `50 pi Omega`D. `10^(-2) Omega` |
| Answer» Correct Answer - D | |
| 36. |
एक विद्युत् हीटर को समान विभवान्तर पर दिष्ट धारा एवं प्रत्यावर्ती धारा द्वारा गर्म करते हैं। क्या दोनों ही स्थितियों में हीटर में समान ऊष्मा उत्पन्न होगी? |
|
Answer» हीटर में तार कुण्डलियों के रूप में होता है। अत: उसमें प्रतिरोध के साथ-साथ प्रेरकत्व भी होता है। अतः उसका प्रतिरोध प्रत्यावर्ती धारा के लिए अधिक एवं दिष्ट धारा के लिए कम होगा। उत्पन्न ऊष्मा के सूत्र `H =(V^(2))/R` के अनुसार प्रत्यावर्ती धारा द्वारा कम ऊष्मा उत्पन्न होगी। |
|
| 37. |
समान विभव की प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में कौन-सी धारा अधिक सुरक्षित होती है और क्यों? |
|
Answer» प्रत्यावर्ती विभवान्तर का अधिकतम मान उसके आभासी मान का `sqrt2` गुना होता है। इस प्रकार यदि प्रत्यावर्ती विभवान्तर का आभासी मान 220 वोल्ट हो, तो उसका शिखर मान `220sqrt2 = 331.08` वोल्ट होगा अर्थात् प्रत्यावर्ती विभवान्तर का मान 331.08 वोल्ट से -331.08 वोल्ट तक परिवर्तित होगा| किन्तु यदि दिष्ट धारा का विभवान्तर 220 वोल्ट हो, तो वह 220 वोल्ट से अधिक नहीं होगा। अत: प्रत्यावर्ती धारा समान विभव की दिष्ट धारा से खतरनाक होती है। यह भी स्पष्ट है कि समान विभव की प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में से दिष्ट धारा अधिक सुरक्षित रहती है। |
|
| 38. |
विधुत बल्ब में 50 हर्ट्ज की प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित होतीहै फिर भी वह लगातार जलता हुआ दिखाई देता है क्यों ? |
| Answer» विधुत बल्ब में 50 हर्ट्ज आवृत्ति की प्रत्यावर्ती धारा 1 सेकण्ड में 50 बार एक दिशा में तथा 50 बार दूसरी दिशा में प्रवाहित होती है । प्रत्येक पूर्ण चक्र में प्रत्यावर्ती धारा का मान दो बार अधिकतम तथा दो बार न्यूनतम (शून्य) होता है इस कारण बल्ब 1 सेकण्ड में 100 बार जलता है तथा 100 बार बुझता है किन्तु हम दृष्टि निबधता के कारण उस बल्ब को लगातार जलता हुआ ही देखते है । | |
| 39. |
समान वोल्टता की प्रत्यावर्ती धारा, दिष्ट धारा की अपेक्षा अधिक खतरनाक होती है क्यों ? |
| Answer» प्रत्यावर्ती धारा का शिखर मान उसमे आभासी मान का `sqrt(2)` गुना होता है प्रत्यावर्ती धारा का मान मापने वाले उपकरण आभासी मान व्यक्त करते है इस प्रकार यदि प्रत्यावर्ती वोल्टेज का मान 220 वोल्ट है तो इसका शिखर मान `220sqrt(2)=311*13` वोल्ट होगा । अतः प्रत्यावर्ती वोल्टेज का मान `311*13` वोल्ट से `-311*13` वोल्ट तक परिवर्तित होता है अर्थात विभवांतर `622*26` वोल्ट होता है यदि दिष्ट वोल्टेज का मान 220 वोल्ट है तो वह 220 वोल्ट ही रहेगा । अतः समान वोल्टेज की प्रत्यावर्ती धारा दिष्ट धारा से अधिक खतरनाक है । | |
| 40. |
किसी श्रेणीबद्ध L-C-R परिपथ में `L=0.12 H, C=480 n F" तथा "R=23 Omega` है | यदि इसे 230 V के परिवर्ती आवृति वाले a.c. स्रोत से जोड़ दिया जाए, तो निम्नलिखित के मान ज्ञात करें | (a) स्रोत की आवृति जिसपर धारा-आयाम (current amplitude) महत्तम हो (b) परिपथ का Q-गुणक |
|
Answer» (a) L-C-R परिपथ में कोणीय अनुनादी आवृति `omega_(r)` पर धारा-आयाम महत्तम होता है, यहाँ `omega_(r)=(1)/(sqrt(LC))=(1)/(sqrt((0.12H)(480xx10^(-6)F)))=4167" rad "s^(-1)` `therefore" अभीष्ट अनुनादी आवृति "f_(r)=(omega_(r))/(2pi)=(4167)/(2(3.14))Hz=663.5 Hz.` (b) परिपथ का Q-गुणक समीकरण 5.42 से, `Q=(omega_(r)L)/(R)=((4167 s^(-1))(0.12 H))/((23 Omega))=21.74.` |
|
| 41. |
किसी L-C-R श्रेणीबद्ध परिपथ के सिरों के बिच के ज्यावक्रीय वोल्टता (sinusoidal voltage) आरोपित है जिसकी शिखर वोल्टता (peak voltage) 283 V तथा आवृति 50 Hz है | यदि `L=25.48 mH, C=796 mu F" तथा "R=3 Omega` हो, तो निम्नलिखित के मान ज्ञात करें | (a) परिपथ की प्रतिबाधा (b) स्रोत-वोल्टता एवं प्रवाहित धारा के बिच कलांतर (c) शक्ति-क्षय तथा (d) शक्ति-गुणांक |
|
Answer» Correct Answer - `5 Omega, 53^(@), 4805 W, 0.6` `X_(L)=omega L=2pi fL=2(3.14)(50 Hz) (25.48xx10^(-3)H)=8 Omega` `X_(C)=(1)/(omega C)=(1)/(2(3.14)(50 Hz)(796xx10^(-6)F))=4 Omega.` `therefore" नेट प्रतिघात "X=X_(L)-X_(C)=4 Omega.` तथा प्रतिबाधा `Z=sqrt(R^(2)+X^(2))=sqrt((3Omega)^(2)+(4Omega)^(2))=5 Omega.` `because" "X_(L)gtX_(C),` अतः वोल्टेज के सापेक्ष परिपथ की धारा में कला-पश्चात (phase lag) होगी, अर्थात कलांतर `phi=tan^(-1)((X)/(R))=tan^(-1)((4)/(3))=53^(@)." शक्ति-क्षय "=I_(v)^(2)R=(V_(v)^(2))/(Z^(2))R=(V_(0)^(2)R)/(2Z^(2))` `=((283 V)^(2)(3 Omega))/(2(5 Omega)^(2))=4805 W." शक्ति-गुणांक "=cos phi =(R)/(Z)=(3)/(5)=0.6.` |
|
| 42. |
यदि किसी विघुत परिपथ में धारा, विभव से कला में अग्रगामी है तो परिपथ की प्रतिघात किस प्रकार का होगा ? |
| Answer» Correct Answer - धारितीय प्रतिघात | |
| 43. |
(i) चित्र 5.35 में दर्शाए गए श्रेणी LCR परिपथ में धारा और वोल्टता के बिच कलांतर का मान ज्ञात करें | धारा अथवा वोल्टता में कुआँ अग्रगामी है (ii) अन्य कोई परिवर्तन किए बिना संधारित्र C से पार्श्व में संयोजित किए जाने वाले उस अतिरिक्त संधारित `C_(1)` का मान करें जिससे कि परिपथ का शक्ति-गुणांक एकांक हो जाए | |
|
Answer» Correct Answer - `" धारा; "998 mu F` यहाँ, `L=100 mH=100xx10^(-3) H, C=2 mu F=2xx10^(-6)F, R=400 Omega" तथा "Omega = 100 s^(-1)` (i) अतः `X_(L)=omega L =(100 s^(-1))(10xx10^(-3)H)=10 Omega" तथा "X_(C)=(1)/(omegaC)=(1)/((100 s^(-1))(2xx10^(-6)F))=(10^(6))/(200)Omega=5000 Omega` चूँकि `X_(C)` का मान `X_(L)` से अत्यधिक बड़ा (अधिक) है, अतः धारा में वोल्टेज के सापेक्ष कला-अग्रता होगी | यह अग्रता `theta=tan^(-1)((X_(C)-X_(L))/(R))` या `theta=tan^(-1)((5000-10)/(400))=tan^(-1)""(4990)/(400)` `=tan^(-1)(1247)=85^(@).46," "`अर्थात धारा अग्रगामी है | (ii) परिपथ में शक्ति-गुणांक को एकांक [एक (one)] होने के लिए कुल प्रतिघात (reactance) शून्य होना चाहिए, अर्थात `X_(L)-X_(C)=0" या, "X_(L)=X_(C)" या "omega L=(1)/( omega C)` या, `C=(1)/(omega^(2)L)=(1)/((100)^(2)(100xx10^(-3)))=(1)/(10^(3))` या, `C=10^(-3)F=10^(3)xx10^(-6)F=10^(3) mu F=1000 mu F` अतः, अभीष्ट अतिरिक्त संधारित्र `C_(1)` का मान जो संधारित्र के समांतरक्रम में जोड़ना पड़ेगा, `C_(1)=1000 mu F-2 mu F=998 mu F.` |
|
| 44. |
चित्र में प्रदर्शित C-R श्रेणीबद्ध परिपथ के लिए निम्नलिखित के मान ज्ञात करें : (a) परिपथ में (rms) धारा (b) प्रतिरोधक एवं संधारित्र के सिरों के बिच (rms) वोल्टता यह भी स्पष्ट करें कि इन वोल्टताओं का बीजगणितीय योगफल मुख्य स्रोत के वोल्टता से अधिक क्यों है ? |
|
Answer» Correct Answer - `0.754 A, 150.8 V, 160.1 V` प्रश्न से `R=200 Omega C = 15 mu F = 15xx10^(-6)F, V_("rms")=220 V" तथा "f=50 Hz.` `therefore" परिपथ में संधारित्र का प्रतिघात "X_(C)=(1)/(omega C)=(1)/(2 pi fC)=(1)/(2(3.14)(50 s^(-1))(15xx10^(-6) F))` `=212.3 Omega.` अतः, परिपथ कि प्रतिबाधा `Z=sqrt(R^(2)+X_(C)^(2))=sqrt((200 Omega)^(2)+(212.3 Omega)^(2))Omega` `=sqrt(85071.29) Omega = 291.67 Omega.` `therefore" अभीष्ट धारा "I_("rms")=(V_("rms"))/(Z)=(220 V)/(291.67 Omega)=0.754 A.` `V_(R)=I_("rms") cdot R=(0.754 A)(200 Omega) V=150.8 V,` `V_(C)=I_("rms") cdot X_(C)=(0.754 A)(212.3 Omega)=160.1 V." अब "V_(R)+V_(C)=310.9 V gt 220 V.` कारण- AC परिपथ के विभिन्न अवयवों (components) के सिरों के बिच वोल्टता का परिणामी 'सदिश योगफल' के नियम से प्राप्त किया जाता है न कि बीजगणितीय योगफल से | स्पष्टतः, त्रिभुज कि तीसरी भुजा (अर्थात परिणामी वोल्टता) अन्य दो भुजाओ के योगफल से अवश्य ही छोटी होगी, अतः पाइथागोरस प्रमेय के अनुसार, `sqrt(V_(R)^(2)+V_(C)^(2))=sqrt((150.8 V)^(2)+(160.1 V)^(2))=220 V=` मुख्य स्रोत की वोल्टता | |
|
| 45. |
ट्यूब लाइट में धारा को नियमित करने के लिये ओमीय प्रतिरोध के स्थान पर प्रायः प्रेरकत्व का उपयोग किया जाता है क्यों ? |
| Answer» प्रत्यावर्ती धारा का मान घटाने के लिए प्रतिरोध का उपयोग करने पर शक्ति क्षय अधिक होता है इसके विपरीत प्रेरकत्व को उपयोग करने पर शक्ति क्षय लगभग नगण्य होता है इसी कारण प्रत्यावर्ती धारा को नियंत्रित करने के लिये तथा ट्यूब लाइट में धारा नियंत्रित करने के लिये ओमीय प्रतिरोध के स्थान पर प्रेरकत्व का उपयोग किया जाता है । | |
| 46. |
प्रत्यावर्ती धारा का मान घटाने के लिये प्रतिरोध की अपेक्षा प्रेरकत्व क्यों अधिक उपयुक्त होता है ? |
| Answer» प्रेरकत्व में शक्ति क्षय नगण्य होता है | |
| 47. |
एक प्रतिरोधहीन कुण्डली अपने में से दिष्ट धारा को गुजारती है जबकि प्रत्यावर्ती धारा को रोकती है क्यों ? |
|
Answer» एक प्रतिरोधहीन कुंडली का प्रतिघात `X_(L)=omegaL` जहाँ `omega`, कुंडली में प्रवाहित धरा की आवृत्ति है चूँकि दिष्ट धारा की आवृत्ति शून्य होती है इसलिए दिष्ट धारा के लिए कुंडली का प्रतिघात (या प्रतिरोध) शून्य होता है । प्रतिरोध होने के कारण कुण्डली दिष्ट धारा को गुजरने देती है | इसके विपरीत, उच्च आवृत्ति की प्रत्यावर्ती धारा के लिए कुण्डली का प्रतिघात `X_(L)` बहुत अधिक होता है इसी कारण कुण्डली प्रत्यावर्ती धारा को प्रवाहित होने से रोकती है । |
|
| 48. |
प्रत्यावर्ती धारा का मान घटाने के लिये प्रतिरोध अपेक्षा प्रेरकत्व अधिक उपर्युक्त क्यों है ? |
| Answer» प्रत्यावर्ती धारा का मान घटाने के लिए प्रतिरोध का उपयोग करने पर शक्ति क्षय अधिक होता है इसके विपरीत प्रेरकत्व को उपयोग करने पर शक्ति क्षय लगभग नगण्य होता है इसी कारण प्रत्यावर्ती धारा को नियंत्रित करने के लिये तथा ट्यूब लाइट में धारा नियंत्रित करने के लिये ओमीय प्रतिरोध के स्थान पर प्रेरकत्व का उपयोग किया जाता है । | |
| 49. |
एक 44ml का प्रेरित्र 220V, 50Hz आपूर्ति से जोड़ा गया है। परिपथ में धारा के rms मान को ज्ञात कीजिए। |
|
Answer» दिया है- `L=44mH=44xx10^(-3)H,V_(rms)=220V,v=50Hz` `X_(L)=omegaL=2pivL=2xx3.14xx50xx44xx10^(-3)` `=13816xx10^(-3)=13.816=13.82Omega` `I_(rms)=(V_(rms))/(X_(L))=(220)/(13.82)=15.92A=15.9A` |
|
| 50. |
220V, A.C. का शीर्षमान क्या होगा ? |
|
Answer» शीर्षमान `v_(0)=sqrt(2)V_("r.m.s.")=311*08V`. |
|