InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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अवधि हुंड़ी अर्थात् क्या ? |
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Answer» अवधि हुंडी (Bill after dated) अर्थात् हुंडी को स्वीकार करनेवाले को जब हुंडी राशि अमुक निश्चित समय के बाद भुगतान करनी पड़ती है । जैसे : हुंड़ी लिखने के 90 दिन बाद । सामान्य रूप से यह हुंडी निम्न बताये किसी एक प्रकार से भुगतानपात्र बनती है |
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सुविधाजनक या सहायतार्थ हुंड़ी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए । |
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Answer» सुविधाजनक या सहायतार्थ हुंड़ी (Accommodation Bill) : इस प्रकार की हुंडी का मुख्य आशय लेनदेन का भुगतान पूरा करना नहीं परंतु एकदूसरे की मदद करना है इसलिये उसे सुविधाजनक या सहायतार्थ हंडी कहा जाता है । माल की खरीद-बिक्री से उत्पन्न लेनदार-देनदार के संबंधों का अंत लाने के लिये इस हंडी का. उपयोग किया जाता है । व्यापारियों के बीच लेनदार-देनदार के संबंध न हो परंतु थोड़े समय के लिये रकम की आवश्यकता हो तब बाजार में शाख और प्रतिष्ठा रखनेवाले व्यापारी एकदूसरे को रकम की सुविधा-मदद करने के लिये हुंड़ी एक पक्ष लिखकर दूसरा पक्ष उसे स्वीकार करता है । इस हुंडी को बैंक या शराफ के पास भुनवाकर राशि प्राप्त कर ली जाती है । पकने की तारीख के । पहले हुंडी भुनानेवाला हुंड़ी स्वीकर्ता को रकम भेजता है और हुंडी स्वीकर्ता बैंक या शराफ को रकम चुका देता है । इस प्रकार, कुछ समय के लिये व्यापारी अपने रकम का संकट को दूर करता है । कितनी बार हंडी भुनवाकर दोनों पक्ष (भुनानेवाला और स्वीकार करनेवाला) रकम को बाँट लेते है । उसी प्रकार बट्टे का खर्च भी आपस में बाँट लेते है । इसमें दो पक्षकारों के बीच कोई लेनदार या देनदार का संबंध नहीं होता । यहाँ हुंडी किसी भी प्रकार के प्रतिफल के बगैर लिखी जाती है और स्वीकार की जाती है । सुविधाजनक हुंडी की पहचान बहुत कठिन हैं । इसमें लिखना, स्वीकार करना, अवधि, रकम चुकाने का आदेश आदि व्यापारी हुंड़ी जैसा ही होता है । यह हुंड़ी व्यापारी हुंड़ी है या सुविधाजनक उसकी जानकारी सामान्य रूप से केवल हुंडी के पक्षकारों को ही होती है । |
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हुंड़ी का अप्रतिष्ठित (अस्वीकार) होना अर्थात् क्या ? हुंडी अप्रतिष्ठित होने पर आलोकन खर्च के बारे में समझाइए । |
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Answer» हुंडी का अस्वीकार होना (Dishonour of a Bill) : सामान्य परिस्थितियों में यह माना जाता है कि पकने की तारीख पर हुंडी स्वीकर्ता के द्वारा राशि चुका दी जाती है, परंतु किसी कारणवश पकने की तारीख पर हुंडी स्वीकर्ता के द्वारा राशि न चुकाई जाये तब हुंड़ी अप्रतिष्ठित (अस्वीकृत) होती है । हुंडी अस्वीकृत होने पर हुंड़ी लिखनेवाले तथा अन्य पक्षकारों के लिये रकम वसूल करने का प्रश्न उपस्थित होता है । आलोकन तथा आलोकन खर्च : जब हुंडी अस्वीकृत हो जाये तब उसका आलोकन (Noting) करवाना यह एक कानूनी विधि है । यह विधि अनिवार्य नहीं है, परंतु आवश्यक और हितकारी है । जब कोई हुंडी अस्वीकृत हो तब हुंडी धारण करनेवाला व्यक्ति उसकी अस्वीकृति का लेखा नोटरी के पास करवा सकता है । विदेश व्यापार में विदेशी हंडी के लिये अस्वीकार का आलोकन कराना अनिवार्य है । जब कोई अस्वीकृत हुंडी नोटरी के समक्ष आलोकन के लिये प्रस्तुत की जाये तब नोटरी हुंडी स्वीकर्ता के समक्ष फिर से भेजता है और रकम भुगतान का आदेश देता है । यदि तब भी हुंडी स्वीकर्ता रकम नहीं चुकाता तब हुंडी अस्वीकार हुई है ऐसा मानकर नोटरी अपने रजिस्टर में हुंडी के अस्वीकार का आलोकन करता है, उसके बदले अमुक निश्चित फीस लेता है जिसे Noting Charges या आलोकन खर्च कहा जाता है । आलोकन खर्च आलोकन करानेवाला व्यक्ति नोटरी को चुकाता है । परंतु वह इस रकम को हुंडी स्वीकर्ता के पास से वसूल करता है । आलोकन शुल्क के चुकाने की अंतिम जिम्मेदारी हुंडी स्वीकर्ता की होती है । कारण कि यह खर्च पकने की तारीख पर रकम नहीं चुकाने पर किया गया है । |
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हुंड़ी पकने की तारीख अर्थात् क्या ? |
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Answer» हुंडी पकने की तारीख अर्थात् हुंडी का समय पूरा होने के बाद हुंड़ी स्वीकार करनेवाले के द्वारा हुंडी लिखनेवाले को हुंड़ी में दर्शायी गयी राशि चुकानी होती है । हुंड़ी लिखने की तारीख में हुंडी का समय जोड़ने पर जो तारीख आती है उसे हुंडी की पकने की तारीख कहते हैं । जैसे : हुंडी लिखने की तारीख : 13.08.2016 |
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वचनचिट्ठी की व्याख्या देकर उसके लक्षण बताइए । |
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Answer» वचनचिट्ठी की व्याख्या (Definition of Promissory Note) : हिसाबी भुगतान की एक अन्य रीति वचनचिट्ठी के द्वारा भुगतान करना है । वचनचिट्ठी एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें जिस व्यक्ति को राशि अन्य किसी व्यक्ति को चुकानी है वह खुद ही लिखित में राशि चुकाने का वचन देता है । अर्थात् देनदार खुद राशि चुकाने का लेनदार को वचन देता है । भारत में 1881 के नेगोशियेबल इन्स्ट्रमेन्ट एक्ट के तहत् वचनचिट्ठी की व्याख्या निम्न है : ‘वचनचिट्ठी यह एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें लेखक अपने हस्ताक्षर के साथ इसमें लिख्ने निश्चित व्यक्ति को या व्यक्ति कहे उसको अथवा दस्तावेज धारण करनेवाले को अमुक निश्चित रकम निश्चित समय पर भुगतान करने का शर्तरहित वचन देता है ।’ वचनचिट्ठी के लक्षण (Characteristics of Promissory Note) :
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हुंडी की व्याख्या देकर उसके लक्षण बताइए । |
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Answer» उधार व्यवहार के भुगतान के लिए सामान्य रूप से हुंड़ी का उपयोग किया जाता है । भारत में 1881 के नेगोशियेबल इन्स्ट्रमेन्ट एक्ट के अनुसार हुंडी की निम्न व्याख्या दी गई हैं – हुंड़ी के लक्षण (Characteristics of Bill of Exchange) : कोई भी हंडी मान्य है या नहीं यह उसके लक्षणों पर आधारित रहता है ।
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छूट के दिन अर्थात् क्या ? |
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Answer» हुंडी के व्यवहार में रकम चुकाने की सुविधा के लिये तीन दिन की छूट दी जाती है । अर्थात् हुंड़ी लिखने की तारीख में समय जोड़ने के बाद जो तारीख आये उसमें तीन दिन छूट के जोड़ दिये जाते है । इस अतिरिक्त तीन दिन को छूट के दिन कहे जाते है । हुंडी की पकने की तारीख में छूट के दिन जोड़ने के बाद जो तारीख आये उसे छूट के दिन सहित की पकने की तारीख कही जाती है । जैसे : हुंडी लिखने की तारीख : 21.03.2016 |
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सामान्य रूप से हुंड़ी कौन लिखता है ?(अ) देनदार(ब) लेनदार(क) सरकार(ड) बैंक |
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Answer» सही विकल्प है (ब) लेनदार |
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वचनचिट्ठी कौन लिखता है ?(अ) बीमा कंपनी(ब) लेनदार(क) देनदार(ड) सरकार |
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Answer» सही विकल्प है (क) देनदार |
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सामान्य रूप से हुंड़ी कौन स्वीकार करता है ?(अ) देनदार(ब) सरकार(क) लेनदार(ड) बैंक |
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Answer» सही विकल्प है (अ) देनदार |
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हुंडी की व्याख्या दीजिए । |
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Answer» हुंडी की व्याख्या (Definition of Bill of Exchange) : भारत में 1881 के नेगोशियेबल इन्स्ट्रुमेन्ट एक्ट के अनुसार हुंडी की व्याख्या निम्न है |‘हुंड़ी अर्थात् ऐसा लिखित दस्तावेज जिसके द्वारा किसी निश्चित व्यक्ति पर, अमुक निश्चित व्यक्ति को अथवा वह व्यक्ति सूचित करे उसे अथवा जो व्यक्ति दस्तावेज धारण करता हो उसे अमुक निश्चित राशि अमुक निश्चित समय पर चुकाने का बिनशरती आदेश है ।’ |
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हुंडी पकने की तारीख से पहले हुंडी लिखनेवाले के द्वारा किसके पास भुनाई जाती है ?(अ) देनदार(ब) राज्य सरकार(क) मध्यस्थ सरकार(ड) बैंक |
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Answer» सही विकल्प है (ड) बैंक |
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जब अदालत (कोर्ट) किसी व्यक्ति को दिवालिया घोषित करे तब उसके संपत्ति का बँटवारा और देनदारों के भुगतान के लिये जिस व्यक्ति की नियुक्ति करती है उसे …………………………. से जाना जाता है ।(अ) रिसीवर(ब) सरकारी वकील(क) नामदार वकील(ड) नोटरी |
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Answer» सही विकल्प है (अ) रिसीवर |
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हुंडी भारत में किस एक्ट (कानून) के तहत का दस्तावेज है ?(अ) भारतीय कंपनी एक्ट, 2013(ब) साझेदारी कानून, 1932(क) भारतीय करार का कानून, 1872(ड) नेगोशियेबल इन्स्ट्रुमेन्ट एक्ट, 1881 |
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Answer» सही विकल्प है (ड) नेगोशियेबल इन्स्ट्रुमेन्ट एक्ट, 1881 |
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हुंडी का नवीनीकरण अर्थात् –(अ) पुरानी हुंडी को पुनः अछे अक्षर से लिखा जाता है ।(ब) पुरानी हुंडी पर नया रेवन्यु स्टेम्प लगाया जाता है ।(क) पुरानी हुंड़ी के बदले नयी हुंडी नये समय के साथ लिखी जाती है ।(ड) पुरानी हुंडी के बदले ई-मेल द्वारा हुंडी भिजवायी जाती है । |
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Answer» सही विकल्प है (क) पुरानी हुंड़ी के बदले नयी हुंडी नये समय के साथ लिखी जाती है । |
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हुंडी के व्यवहार में रकम भुगतान की सुविधा के लिये ……………………….. दिन की छूट दी जाती है ।(अ) चार(ब) एक(क) तीन(ड) दो |
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Answer» सही विकल्प है (क) तीन |
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हुंडी में कितने पक्षकार होते है ? |
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Answer» हुंड़ी के विविध पक्षकार (Different Parties in a Bill of Exchange) : हुंड़ी में तीन पक्षकार होते है :
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वचनचिट्ठी की व्याख्या दीजिए । |
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Answer» वचनचिट्ठी की व्याख्या (Definition of Promissory Note) : भारत में 1881 के नेगोशियेबल इन्स्ट्रुमेन्ट एक्ट के तहत् वचनचिट्ठी की व्याख्या निम्न अनुसार है| ‘वचनचिट्ठी यह ऐसा लिखित दस्तावेज है कि जिसमें लिखनेवाला खुद की सही के साथ उसमें बताये गये निश्चित व्यक्ति को या वह व्यक्ति जिसे सूचित करे उसे अथवा दस्तावेज धारण करनेवाले व्यक्ति को अमुक निश्चित राशि अमुक निश्चित समय पर चुकाने का बिनशर्ती वचन देता है । |
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दर्शनी हुंडी अर्थात् क्या ? |
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Answer» दर्शनी हुंडी (Bill at Sight) अर्थात् जिस हुंड़ी पर हुंडी स्वीकार करनेवाले को जब हुंडी धारण करनेवाला व्यक्ति भुगतान की माँग करे तब तुरंत ही हुंडी की रकम भुगतान करनी पड़ती है । इस प्रकार की हुंडी को दर्शनी हुंडी या माँग पर तुरंत भुगतान पात्र हुंडी के रूप में जाना जाता है । कारण कि हुंडी दिखाने पर हुंडी स्वीकारकर्ता को तुरंत ही राशि का भुगतान करना होता है । इसके अलावा जिस हुंडी में भुगतान का समय या अवधि नहीं लिखी जाती उस हुंडी को भी दर्शनी हुंड़ी कहते हैं । |
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हंडी का समय अर्थात् क्या ? |
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Answer» हुंडी लिखनेवाले के द्वारा हुंडी स्वीकार करनेवाले को राशि चुकाने के लिये अमुक समय दिया जाता है, उसे हुंडी का समय कहते हैं । जैसे : तीन मास की हुंडी, दो मास की हुंडी वगैरह । |
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वचनचिट्ठी में कितने पक्षकार होते है ? |
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Answer» वचनचिट्टी के विविध पक्षकार (Different Parties of Promissory Note) : वचनचिट्ठी में सामान्यत: दो पक्षकार होते है :
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हुंडी का नवीनीकरण (अवधि परिवर्तन) अर्थात् क्या ? उसमें किन बातों को ध्यान में लिया जाता है ? |
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Answer» हुंड़ी का नवीनीकरण (अवधि परिवर्तन) (Renewal of Bill) : हुंडी पकने की तारीख पर हुंडी स्वीकार करनेवाला व्यक्ति राशि चुका देता है । परंतु यदि पकने की तारीख तक उसके पास रकम की व्यवस्था न हो पाये तब उसे हंडी अस्वीकृत करनी पड़ सकती है । जिससे बाजार में उसके शान और प्रतिष्ठा पर खराब प्रभाव पड़ता है और हुंडी की राशि न चुकाने पर कानूनी कारवाई का भय रहता है । इस परिस्थिति में हुंडी स्वीकार करनेवाला व्यक्ति हुंडी की पकने की तारीख से पहले हुंडी लेखक से मिलकर पुरानी हुंडी के बदले नयी हुंडी नयी अवधि के लिये लिखने की विनंती करता है और यदि हुंड़ी लेखक उसकी विनंती मान्य रखता है तब पुरानी हुंड़ी रद्द होकर नयी हुंडी अस्तित्व में आती है । इस प्रक्रिया को . हुंड़ी की अवधि परिवर्तन या हुंड़ी का नवीनीकरण कहते हैं । जब पुरानी हुंडी के स्थान पर नयी हुंडी अस्तित्व में आती है तब, निम्न तीन बातों को ध्यान में रखा जाता है :
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हुंडी स्वीकर्ता के दिवालियापन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए । |
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Answer» हुंडी स्वीकर्ता का दिवाला (Insolvency of the Acceptor of the Bill) : हुंड़ी पकने की तारीख से पहले यदि हुंडी स्वीकार करनेवाले व्यक्ति को अदालत दिवालिया घोषित कर दे तब जिस तारीख से व्यक्ति को दिवालिया घोषित किया जाये उस तारीख से उसने स्वीकार की हुंड़ी अप्रतिष्ठित होती है ऐसा मानकर लेखक के द्वारा बही में जरूरी हिसाबी लेखा करता है । जब कोर्ट के द्वारा किसी व्यक्ति को दिवालिया घोषित किया जाये तब उसकी संपत्तियों और दायित्वों के वितरण और भुगतान के लिये अधिकारी की नियुक्ति की जाती है जिसे रिसीवर कहते हैं । रिसीवर दिवालिया हुए व्यक्ति की संपत्तियों का कब्जा अपने अधिकार में लेकर उन्हें बेचकर दिवालिया व्यक्ति के दायित्व का वैधानिक अधिकार के प्रमाण में भुगतान करता है । इस प्रकार संपत्तियों की उपज के आधार पर दायित्व का प्रमाणसर भुगतान किया जाता है । इस प्रकार के प्राप्त भुगतान को कानूनी भाषा में डिविडेंड कहते हैं । लेनदार को जो राशि प्राप्त नहीं होती वह राशि लेनदार की बही में डूबत ऋण खाते उधार होती है । |
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लेनी हुंड़ी और देनी हुंडी अर्थात् क्या ? |
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Answer» लेनी हंडी और देनी हंडी (Bills Receivable and Bills Payable): हुंडी को मुख्यतः दो रूप में पहचाना जाता है :
जिस व्यक्ति या व्यापारी को अन्य व्यक्ति या ग्राहक के पास से रकम वसूल करनी हो तब व्यक्ति सामनेवाली व्यक्ति या ग्राहक पर हुंडी लिखता है । सामनेवाला व्यक्ति या ग्राहक उस हुंडी का स्वीकार करता है । यहाँ जो व्यक्ति हुंड़ी लिखता है उसके लिये यह लेनी हुंडी और जो व्यक्ति हुंडी स्वीकार करता है उसके लिये वह देनी हुंडी कहलाती है । अर्थात् लेनदार के लिये लेनी हंडी और देनदार के लिये वह देनी हुंड़ी कहलायेगी । उदाहरण के लिये – आकांक्षा को अदिति के पास से 15,000 रु. लेना है । यहाँ आकांक्षा 15,000 रु. की हुंड़ी अदिति पर लिखेगी और अदिति उसे स्वीकार करेगी । यह हुंडी आकांक्षा के लिये लेनी हुंडी और अदिति के लिये देनी हुंड़ी कहलायेगी। लेनी हुंड़ी यह हुंड़ी लिखनेवाली की संपत्ति गिनी जायेगी, जबकि देनी हुंड़ी यह हुंडी स्वीकार करनेवाली की जिम्मेदारी गिनी जायेगी । अगर हुंड़ी लिखनेवाला और राशि प्राप्त करनेवाला व्यक्ति एक ही हो तब हुंडी लिखनेवाले के लिये लेनी हुंडी और स्वीकार करनेवाले . के लिये देनी हुंडी कहलाती है । परंतु हुंडी लिखनेवाला और प्राप्त करनेवाला व्यक्ति अलग हो तब जो व्यक्ति हंडी धारण करता है उस व्यक्ति के लिये भी वह लेनी हंडी गिनी जाती है । आर्थिक चिट्ठा में लेनी हंडी को चालू संपत्ति के रूप में जबकि देनी हंडी चालू दायित्व के रूप में दर्शायी जाती है । |
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