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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

दो एक जैसे धारामापियों में से एक को अमीटर में तथा दूसरे को मिलीअमीटर में बदलना है। किसके शन्ट का प्रतिरोध अधिक होगा? क्यों।

Answer» मिलीअमीटर के शन्ट का। शन्ट का प्रतिरोध अधिक होने पर यन्त्र की कुण्डली में से गुजरने वाली धारा अधिक होगी तथा यह छोटी परास वाले यन्त्र का कार्य करेगा।
2.

एक वर्गाकार कुंडली जिसकी प्रत्येक भुजा 10 सेमी है, में 20 फेरे है और उसमे 12 ऐम्पियर विघुत धारा प्रवाहित हो रही है। कुंडली ऊर्ध्वाधरत: लटकी हुई है और इसके तल पर खींचा गया अभिलंब 0.80 टेस्ला के एकसमान चुंबकीय क्षेत्र की दिशा से `30^(@)` का एक कोण बनाता है। कुंडली पर लगने वाले बलयुग्म आघूर्ण का प्रमाण क्या है?

Answer» कुंडली पर लगने वाले बलयुग्म आघूर्ण
`tau=NiAB sin theta " ….(i)"`
यहाँ N = 20, I = 12 ऐम्पियर,
`A=10xx10^(-2)xx10xx10^(-2)=10^(-2)m^(2)`,
`B=0.80T, theta=30^(@)`
अतः `tau=20xx12xx10^(-2)xx0.80xxsin30^(@)`
`=240xx10^(-2)xx0.80xx(1)/(2)`
`tau=0.96` न्यूटन-मीटर।
3.

दो चल कुंडली गैल्वेनोमीटर मीटरों `M_(1)` एवं `M_(2)` के विवरण नीचे दिए गए है : `R_(1)=10Omega, N_(1)=30`, `A_(1)=3.6xx10^(-3)" मी"^(2), B_(1)=0.25` टेस्ला। `R_(2)=14Omega, N_(2)=42`, `A_(2)=1.8xx10^(-3)" मी"^(2), B_(2)=0.50` टेस्ला (दोनों मीटरों के लिए स्प्रिंग नियतांक समान है) (a) `M_(2)` एवं `M_(1)` की धारा-सुग्राहिताओं, (b) `M_(2)` एवं `M_(1)` की वोल्टता-सुग्राहितों का अनुपात ज्ञात कीजिए।

Answer» धारा-सुग्राहिता `I_(S)=(NBA)/(K)`
वोल्टेज-सुग्राहिता `V_(S)=(NBA)/(KR)`
जहाँ N कुण्डली में फेरों की संख्या, B चुम्बकीय क्षेत्र, A कुण्डली का क्षेत्रफल, R कुण्डली का प्रतिरोध तथा K स्प्रिंग नियतांक है।
(a) `M_(2)` एवं `M_(1)` मीटरों की धारा-सुग्राहिताओं का अनुपात
`((I_(S))_(2))/((I_(S))_(1))=(N_(2)B_(2)A_(2))/(N_(1)B_(1)A_(1))xx(K_(1))/(K_(2))`
यहाँ `K_(1)=K_(2)`
अतः `((I_(S))_(2))/((I_(S))_(1))=(N_(2)B_(2)A_(2))/(N_(1)B_(1)A_(1))=(42xx0.50xx1.8xx10^(-3))/(30xx0.25xx3.6xx10^(-3))=1.4`
(b) वोल्टेज-सुग्राहिताओं का अनुपात
`((V_(S))_(2))/((V_(S))_(1))=(N_(2)B_(2)A_(2)R_(1)K_(1))/(N_(1)B_(1)A_(1)R_(2)K_(2))=1.4xx(10)/(14)xx(1)/(1)=1`.
4.

चुम्बकीय द्विध्रुव का कोई एक उदाहरण दीजिए।

Answer» Correct Answer - धारा-लूप
5.

एक अचुम्बकित लोहे की कील एक दण्ड-चुम्बक की ओर आकर्षित होती है। इस आकर्षण बल की उत्पत्ति की व्याख्या कीजिए। कील को गतिज ऊर्जा कहाँ से मिलती है?

Answer» लोहे की कील दण्ड-चुम्बक के समीप लाये जाने पर प्रेरणा द्वारा चुम्बक बन जाती है। इसका चुम्बक के पास वाला सिरा विपरीत ध्रुव बनता है तथा चुम्बक की ओर आकर्षित हो जाता है। कील को गतिज ऊर्जा चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र में संचित ऊर्जा से मिलती है।
6.

चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण सदिश राशि है या अदिश राशि? इसका मात्रक तथा विमाएँ ज्ञात कीजिए।

Answer» सदिश, `"ऐम्पियर-मित्रे"^(2)`, `[L^(2) A]`
7.

एक वोल्टमीटर, एक अमीटर तथा एक प्रतिरोध सीसा-संचायक सेल के साथ श्रेणीक्रम में जोड़ दिये जाते है। वोल्टमीटर में विक्षेप आता है। परन्तु अमीटर का विक्षेप नगण्य होता है। इस घटना का कारण स्पष्ट कीजिए।

Answer» वोल्टमीटर श्रेणीक्रम में जुड़ जाने से परिपथ का प्रतिरोध बहुत ऊँचा जो जाता है तथा धारा बहुत घट जाती है। यह धारा वोल्टमीटर की कुण्डली में जाने पर कुछ विक्षेप उतपन्न करती है, परन्तु अमीटर में इसका अधिकांश भाग अमीटर के शन्ट से होकर चला जाता है, अतः अमीटर की कुण्डली में जाने वाली धारा इतनी कम रह जाती है कि विक्षेप नगण्य होता है।
8.

250 फेरों वाली एक आयताकार कुण्डली की लम्बाई 2.1 सेमी तथा चौड़ाई 1.25 सेमी है। इससे `85 muA` की वैघुत धारा प्रवाहित हो रही है। इस पर 0.85 टेस्ला तीव्रता का एक चुम्बकीय क्षेत्र आरोपित किया जाता है। तो, बल आघूर्ण के विरुद्ध इस कुण्डली के `180^(@)` से घुमाने के लिये आवश्यक कार्य का मान होगा :A. `9.1 muJ`B. `4.55 muJ`C. `2.3 muJ`D. `1.15 muJ`

Answer» Correct Answer - A
जब चुम्बक को झुकाव `theta_(1)` से `theta_(2)` तक घुमाते है, तब घुमाने में कृत कार्य
`W=MB(cos theta_(1)-costheta_(2))`
जब इसे `180^(@)` घुमाया जाता है, तब
`W=MB(cos0-cos180^(@))=2MB=2(NiA)B`
`=2xx250xx85xx10^(-6)[1.25xx2.1xx10^(-4)]xx85xx10^(-2)`
`=9.1 muJ`
9.

एक दण्ड-चुम्बक को पतले तार द्वारा समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में लटकाया जाता है। तार के ऊपरी सिरे को `160^(@)` से ऐंठने पर चुम्बक अपनी स्थिति से `30^(@)` विक्षेपित हो जाता है। तार के ऊपरी सिरे को कितना ऐंठा जाये की चुम्बक अपनी प्रारम्भिक अवस्था से `90^(@)` घूम जाये?

Answer» तार के ऊपरी सिरे को `160^(@)` से ऐंठने पर चुम्बक निचले सिरे पर `30^(@)` घूमता है। अतः तार में ऐंठन `=(160^(@)-30^(@))=130^(@)`. यदि तार में ऐंठन के लिये ऐंठन का बल-युग्म C हो, तो `130^(@)` की ऐंठन के लिए
ऐंठन का बल-युग्म = `C xx 130^(@)`
चुम्बक स्वंय `30^(@)` घुमा है। अतः यदि चुम्बक का आघूर्ण M हो तथा पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवनमन `B_(H)` हो, तो चुम्बक पर लगने वाला बल-युग्म
`tau=MB_(H) sin 30^(@)`
सन्तुलन की अवस्था में ये दोनों बल-युग्म बराबर होंगे।
`thereforeCxx130^(@)=MB_(H)sin30^(@)" ....(i)"`
अब मान लो कि चुम्बक को उसकी प्रारम्भिक अवस्था से `90^(@)` घुमाने के लिए तार के ऊपरी सिरे को `theta^(@)` घुमाना पड़ता है। तब तार में ऐंठन = `(theta-90^(@))` अतः इस दशा में
`Cxx(theta-90^(@))=MB_(H) sin 90^(@)" ....(ii)"`
समीकरण (ii) को (i) से भाग करने पर
`(theta-90^(@))/(130^(@))=(sin90^(@))/(sin30^(@))=(1)/(1//2)=2`
`therefore theta-90^(@)=2xx130^(@)=260^(@)`
अथवा `theta=260^(@)+90^(@)=350^(@)`.
10.

एक दण्ड चुम्बक को रुई के पतले धागे से एकसमान क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र में samyavstha में लटकाया गया है। इसे `60^(@)` से घुमाने के लिये आवश्यक ऊर्जा W है। अब चुम्बक को इस नयी स्थिति में बनाये रखने के लिये आवश्यक बल-आघूर्ण होगा :A. `(2W)/(sqrt(3))`B. `(W)/(sqrt(3))`C. `sqrt(3)W`D. `(sqrt(3)W)/(2)`

Answer» Correct Answer - C
`W=U_(i)-U_(f)=-MBcos60^(@)-(-MB)`
`=MB(1-cos60^(@))=(MB)/(2)`
`tau=MBsin60^(@)=MB(sqrt(3))/(2)=sqrt(3)W`
11.

एक चुम्बकीय द्विध्रुव चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में स्थित है। इसकी स्थितिज ऊर्जा क्या है? यदि इसे घुमाया जाये, तो कितना कार्य करना होगा?

Answer» Correct Answer - M B, 2 M B
12.

I धारावाही, N फेरों ओर R त्रिज्या वाली वृत्ताकार कुंडली के लिए, इसके अक्ष पर, केन्द्र से x दूरी पर स्थित किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र के लिए निम्न व्यंजक है : `B=(mu_(0)IR^(2)N)/(2(x^(2)+R^(2))^(3//2))` (a) स्पष्ट कीजिए, इससे कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र के लिए सुपरिचित परिणाम, कैसे प्राप्त किया जा सकता है? (b) बराबर त्रिज्या R, एवं फेरों की संख्या N वाली दो वृत्ताकार कुंडलियाँ एक-दूसरे से R दूरी पर एक-दूसरे के समांतर, अक्ष मिलाकर रखी गई है। दोनों में समान विघुत धारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही है। दर्शाइए की कुंडलियों के अक्ष के लगभग मध्यबिंदु पर क्षेत्र, एक बहुत छोटी दूरी के लिए जोकि R से कम है, एकसमान है और इस क्षेत्र का लगभग मान निम्न है : `B=0.72 (mu_(0)NI)/(R)` [बहुत छोटे-से-क्षेत्र पर एकसमान चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए बनायी गई ऊपर वर्णित व्यवस्था हेल्महोल्ट्ज कुंडलियों के नाम से जानी जाती है।]

Answer» (a) कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए x = 0
`B=(mu_(0)iR^(2)N)/(2R^(3))=(mu_(0)Ni)/(2R)`
(b) चुम्बकीय क्षेत्र के परिवर्तन की दर = `(dB)/(dx)`
एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र के लिये `(dB)/(dx)` = नियत
`therefore (d^(2)B)/(dx^(2))=0`
एक कुण्डली के कारण चुम्बकीय क्षेत्र `B=(mu_(0)NiR^(2))/(2(a^(2)+x^(2))^(3//2))`
`therefore (dB)/(dx)=(mu_(0)NiR^(2))/(2)(d)/(dx)(R^(2)+x^(2))^(-3//2)`
`=(mu_(0)NiR^(2))/(2)((-3)/(2))(R^(2)+x^(2))^(-5//2)2x`
`=(-3)/(2)mu_(0)NiR^(2)(R^(2)+x^(2))^(-5//2)x`
`(d^(2)B)/(dx^(2))=(-3)/(2)mu_(0)NiR^(2)(d)/(dx)[x(R^(2)+x^(2))^(-5//2)]`
`=(-3)/(2)mu_(0)NiR^(2)[(R^(2)+x^(2))^(-5//2)+x((-5)/(2))(R^(2)+x^(2))^(-7//2)2x]`
`=(-3)/(2)mu_(0)NiR^(2)[(R^(2)+x^(2))^(-5//2)-5x^(2)(R^(2)+x^(2))^(-7//2)]`
`=(-3)/(2)mu_(0)NiR^(2)(R^(2)+x^(2))^(-7//2)[(R^(2)+x^(2))-5x^(2)]`
यदि `(d^(2)B)/(dx^(2))=0`, तब `(R^(2)+x^(2))-5x^(2)=0`
अथवा `4x^(2)=R^(2)` अथवा `x=pm(R)/(2)`
इस प्रकार, कुण्डली के केन्द्र से दोनों ओर `(R)/(2)` दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र दूरी बढ़ने पर एकसमान रूप से घटता है। अतः दोनों कुण्डलियों के बीच चुम्बकीय क्षेत्र `(R)/(2)` दूरी पर एकसमान है। वहाँ पर दोनों कुण्डलियों के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
`B=2xx(mu_(0)NiR^(2))/(2(R^(2)+(R^(2))/(4))^(3//2))`
`=(8)/((5)^(3//2))(mu_(0)Ni)/(R)=0.77(mu_(0)Ni)/(R)`
यदि परिणाम हैल्महोल्ट्ज स्पर्शज्या धारामापी में प्रयुक्त किया जाता है।
13.

हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन `5.0xx10^(-11)` मी त्रिज्या की कक्षा में `2xx10^(6)` मी/से की चाल से गति कर रहा है। परमाणु का चुम्बकीय आघूर्ण ज्ञात कीजिए।

Answer» इलेक्ट्रॉन से उतपन्न धारा, `i=(e)/(T)=(e)/(2pir//v)=(ev)/(2pir)`
चुम्बकीय आघूर्ण,
`M=iA=(ev)/(2pir)xxpir^(2)=(evr)/(2)`
`=(1)/(2)xx1.6xx10^(-19)xx2xx10^(6)xx5.0xx10^(-11)` ऐम्पियर-`"मी"^(2)`
`=8.0xx10^(-24)` ऐम्पियर-`"मी"^(2)`|
14.

व्योमस्थ खींचे क्षैतिज बिजली के तार में 90 ऐम्पियर विघुत धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रही है। तार के 1.5 मी नीचे विघुत धारा के कारण उतपन्न चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण और दिशा क्या है?

Answer» `B=(mu_(0)i)/(2pir)=1.2xx10^(-5)` टेस्ला।
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा दायें हाथ की हथेली के नियम नं. 1 से उत्तर से दक्षिण की ओर है।
15.

5 `"सेमी"^(2)` क्षेत्रफल वाली एक कुण्डली 1.5 न्यूटन/(ऐम्पियर-मीटर) के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी है। कुण्डली में फेरों की संख्या 100 है। यदि कुण्डली में 0.2 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित की जाये, तो ज्ञात कीजिए : (i) चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण तथा (ii) अधिकतम बल-आघूर्ण।

Answer» (i) `10^(-2)` `ऐम्पियर-मीटर"^(2)`, (ii) `1.5xx10^(-2)` न्यूटन-मीटर।
16.

100 फेरों वाली तथा 15 सेमी`xx 10` सेमी क्षेत्रफल की एक कुण्डली `1.0` वेबर/मीटर`""^(2)` के चुम्बकीय क्षेत्र में रखी गई है। कुण्डली में धारा 0.2 ऐम्पियर है तथा कुण्डली का तल चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर है। कुण्डली पर लगने वाले बल-आघूर्ण की गणना कीजिए।

Answer» Correct Answer - 0.3 न्यूटन-मीटर।
17.

एक धारावाही लूप को एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र `vec(B)` में चार विभिन्न विन्यासो I, II, III तथा IV में रखा गया है। इन्हे स्थितिज ऊर्जा के घटते क्रम में व्यवस्थित कीजिए : A. `IgtIIIgtIIgtIV`B. `IgtIIgtIIIgtIV`C. `IgtIVgtIIgtIII`D. `IIIgtIVgtIgtII`

Answer» Correct Answer - C
जब धारा-लूप (द्विध्रुव) की अक्ष (`hat(n)` द्वारा इंगित) चुम्बकीय क्षेत्र `vec(B)` से `theta` कोण बनाती है, तब द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा `U=-MB cos theta` होती है, जहाँ M द्विध्रुव का चुम्बकीय आघूर्ण है। स्थिति (I) में, `theta=180^(@). therefore U=-M B cos 180^(@)=M B`
स्थिति (II) में, `theta=90^(@) therefore U = 0`
स्थिति (III) में, कोण, `- theta` है। `therefore U=-M B cos (- theta)`
`=-M B cos theta`
स्थिति (IV) में, कोण अधिक कोण `(90+theta)` है।
`therefore U=-M B cos (90^(@)+theta)`
`=M B sin theta`
18.

एक परमाणु में इलेक्ट्रॉन `0.50 Å` त्रिज्या की कक्षा में `4xx10^(15)` चक्कर/सेकण्ड से घूम रहा है। परमाणु के चुम्बकीय आघूर्ण का मान ज्ञात कीजिए।

Answer» धारा लूप का क्षेत्रफल, `A=pir^(2)=3.14xx(5xx10^(-11))=7.85xx10^(-21)मी^(2)`
लूप में प्रवाहित धारा = इलेक्ट्रॉन का आवेश `xx` 1 सेकण्ड में लगे चक्करों की संख्या
`i=1.6xx10^(-19)xx4xx10^(15)`
`=6.4xx10^(-4)` ऐम्पियर
चुम्बकीय आघूर्ण `=M=NiA=1xx6.4xx10^(-4)xx7.85xx10^(-21)`
`=5.02xx10^(-24)` ऐम्पियर-मीटर|
19.

एक 1.0 ऐम्पियर धारावाही, 100 फेरों की कुण्डली को एक चुम्बकीय क्षेत्र B=0.5 `"वेबर"//"मीटर"^(2)` में चित्रानुसार रखा गया है। कुण्डली पर कार्यरत बल-युग्म आघूर्ण ज्ञात कीजिए।

Answer» चुम्बकीय क्षेत्र B में स्थित, N फेरों तथा A क्षेत्रफल वाली धारावाही कुण्डली पर लगने वाला बल-आघूर्ण
`tau=NiAB sin theta`
जहाँ `theta` कुण्डली के घूमने की अक्ष तथा चुम्बकीय क्षेत्र `vec(B)` की दिशा के बीच कोण है।
प्रश्नानुसार, N = 100, i = 1.0 ऐम्पियर, A = 15 सेमी `xx` 15 सेमी `=225xx10^(-4)` `"मीटर"^(2), B= 0.5 "वेबर"//"मीटर"^(2)` (अथवा 0.5 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर) तथा `theta = 90^(@)`.
`therefore tau = 100 xx` (1.0 ऐम्पियर) `xx (225 xx 10^(-4) "मीटर"^(2))` `xx` (0.5 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर) `xx` 1 = 1.125 न्यूटन-मीटर|
चूँकि कुण्डली की भुजा PS पर बल ऊपर की और तथा भुजा QR पर बल नीचे की ओर है, अतः कुण्डली के आघूर्ण की दिशा वामावर्त होगी।
20.

परमाणु में परिक्रमण करने वाले इलेक्ट्रॉन के लिए चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण का सूत्र लिखिए। प्रयुक्त संकेतों के अर्थ बताइए।

Answer» Correct Answer - `M=(evr)/(2)`
21.

एक आयताकार धारावाही लूप किसी चुम्बकीय क्षेत्र में किसी भी अभिविन्यास में है। क्या लूप को उसके तल के लम्बवत किसी अक्ष के परित: घुमाने में कार्य करना पड़ेगा? कारण सहित बताइए।

Answer» नहीं , लूप पर लूप की भुजाओं के लम्बवत बल लगते है, समान्तर नहीं। अतः कोई ऐसा बल-आघूर्ण कार्य नहीं करता जिसकी प्रवृति लूप को उसके तल के लम्बवत अक्ष के परित: घूमने की हो।
22.

एक धारा-लूप का चुम्बकीय आघूर्ण `2.1xx10^(-25)` `"ऐम्पियर-मीटर"^(2)` है। लूप की अक्ष पर लूप के केन्द्र से `1 Å` दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात कीजिए।

Answer» `4.2xx10^(-2)` `"वेबर/मीटर"^(2)`|
23.

एक मेज पर परस्पर लम्बवत रेखाएँ खींची गई है। दो छोटे चुम्बक जिनके चुम्बकीय आघूर्ण 0.108 व 0.192 `"ऐम्पियर-मीटर"^(2)` है, इन रेखाओं पर रख दिये जाते है। यदि दोनों रेखाओं के कटान-बिन्दु की इन चुम्बको से दूरियाँ क्रमश: 30 व 40 सेमी हो, तो कटान बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात कीजिए।

Answer» `1.0xx10^(-6)` न्यूटन/(ऐम्पियर-मीटर)।
24.

उष्मित कैथोड से उत्सर्जीत और 2.0 किलोवोल्ट के विभवांतर पर त्वरित एक इलेक्ट्रॉन, 0.15 टेस्ला के एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है। इलेक्ट्रॉन का गमन पथ ज्ञात कीजिए यदि चुंबकीय क्षेत्र (a) प्रारंभिक वेग के लंबवत है (b) प्रारंभिक वेग की दिशा `30^(@)` से का कोण बनाता है।

Answer» V विभवान्तर द्वारा त्वरित इलेक्ट्रॉन के वेग v के लीए
`(1)/(2)mv^(2)=2V`
`therefore v = sqrt((2eV)/(m))`
यहाँ V = 2.0 किलोवोल्ट `=2.0 xx 10^(3)` वोल्ट, `e=1.6xx10^(-19)` कूलाम, `m=9xx10^(-31)` किग्रा
`therefore v= sqrt((2xx1.6xx10^(-19)xx2.0xx10^(3))/(9xx10^(-31)))`
`=(8)/(3)xx10^(7)` मीटर/सेकण्ड।
(a) जब इलेक्ट्रॉन चुम्बकीय क्षेत्र में लम्बवत प्रवेश करता है, तो इसका पथ वृत्ताकार हो जाता है। वृत्ताकार पथ की त्रिज्या r के लिए
`(mv^(2))/(r) = e v B implies r = (mv)/(eB)`
दिए गए मान रखने पर
`r=(9xx10^(-31)xx((8)/(3)xx10^(7)))/((1.6xx10^(-19))xx(0.15))`
`=10^(-3)` मीटर = 1 मिमी।
अतः इलेक्ट्रॉन का पथ वृत्ताकार है, जिसकी त्रिज्या 1 मिमी है।
(b) जब इलेक्ट्रॉन चुम्बकीय क्षेत्र में `30^(@)` के कोण पर प्रवेश करता है, तो इसका पथ कुण्डलिनी हो जाता है, जिसकी त्रिज्या
`r=(m(vsin30^(@)))/(eB)=((mv)/(eB))sin30^(@)`
=1मिमी `xx0.5=0.5` मिमी|
क्षेत्र की दिशा में वेग का घटक
`v_("||")=vcos30^(@)=((8)/(3)xx10^(7)" मी/से")xx(sqrt(3))/(2)`
`=2.3xx10^(7)` मीटर/सेकण्ड।
अतः इलेक्ट्रॉन का पथ 0.5 मिमी त्रिज्या की कुण्डलिनी है, जिसमे क्षेत्र की दिशा में वेग का घटक `2.3 xx 10^(7)` मीटर `"सेकण्ड"^(-1)` है
25.

एक चुम्बकीय आघूर्ण `6.7xx10^(-2)` `"ऐम्पियर-मीटर"^(2)` एवं जड़त्व आघूर्ण `7.5xx10^(-6)` `"किग्रा-मी"^(2)` वाली चुम्बकीय सुई एक 0.01 टेस्ला तीव्रता के चुम्बकीय क्षेत्र में सरल आवर्त दोलन कर रही है। 10 पूरे दोलन का समय होगा :A. 8.76 सेकण्डB. 6.65 सेकण्डC. 8.89 सेकण्डD. 6.98 सेकण्ड

Answer» Correct Answer - B
यदि दोलन करते समय किसी क्षण चुम्बकीय सुई का चुम्बकीय याम्योत्तर से कोणीय विक्षेप `theta` है तथा उस क्षण उसका कोणीय त्वरण a है तो चुम्बकीय सुई पर लगने वाला विक्षेपक बल-युग्म का आघूर्ण `I alpha` होगा, जहाँ I सुई का दोलन अक्ष के परित: जड़त्व आघूर्ण है। इस क्षण प्र्त्यानयन बल-युग्म का आघूर्ण `MB sin theta` है। दोनों आघूर्ण परस्पर बराबर व विपरीत होने चाहिए।
`therefore I alpha=-MBsin theta` कोण `theta` छोटा है। अतः `sin theta=theta`
`therefore alpha=-(MB)/(I)theta=-mu theta`
कोणीय त्वरण `prop` कोणीय विक्षेप
अतः चुम्बकीय सुई की गति सरल आवर्त्त है जिसका दोलनकाल `T=(2pi)/(sqrt(mu))=2pisqrt((1)/(MB))`
`=2pisqrt((7.5xx10^(-6))/(6.7xx10^(-2)xx00.1))=2pixx10^(-1)sqrt((75)/(67))`
`t=10 T=2pixx1.058=6.65` सेकण्ड।
26.

एक धारा-लूप का चुम्बकीय आघूर्ण `8.0xx10^(-25)` ऐम्पियर-`"मीटर"^(2)` है। लूप की अक्ष पर लूप के केन्द्र से 2 ऐंग्स्ट्राम की दूरी पर, चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात कीजिए। `(mu_(0)=4pixx10^(-7)" न्यूटन/ऐम्पियर"^(2))`

Answer» चुम्बकीय आघूर्ण M के धारा-लूप की अक्ष पर लूप के केन्द्र से r मीटर की दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान
`B=(mu_(0))/(4pi)(2M)/(r^(3))`
`=(10^(-7)"न्यूटन/ऐ"^(2))xx(2xx(8.0xx10^(-25)"ऐ-मी"^(2)) )/((2xx10^(-10)" मी")^(3))`
`=2xx10^(-2)` न्यूटन/(ऐम्पियर-मीटर)।
27.

एक दण्ड-चुम्बक जिसका चुम्बकीय आघूर्ण 2.5 ऐम्पियर-`"मीटर"^(2)` है, एक 0.2 टेस्ला के चुम्बकीय क्षेत्र में रखा है। चुम्बकीय क्षेत्र के सापेक्ष चुम्बक को समान्तर दिशा से विसमन्त्र दिशा तक घुमाने में किया गया कार्य ज्ञात कीजिए।

Answer» चुम्बकीय आघूर्ण M वाले दण्ड-चुम्बक को चुम्बकीय क्षेत्र B में समान्तर दिशा से विसमान्तर दिशा तक, अर्थात `180^(@)` घुमाने में किया गया कार्य
`W=M B (1-cos 180^(@))=2 M B`
=2 (2.5 ऐम्पियर-`"मीटर"^(2)`)`xx` (0.2 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर)
=1.0 न्यूटन-मीटर = 1.0 जूल।
28.

समान चुम्बकीय आघूर्ण M वाले दो सर्वसम पतले छड़-चुम्बको को सम्पर्क में चित्रानुसार रखा जाता है निकाय का चुम्बकीय आघूर्ण ज्ञात कीजिए।

Answer» Correct Answer - 2 M
29.

दो छोटे चुम्बक एक सीधी रेखा में परस्पर 20 सेमी की दूरी पर इस प्रकार रखे है कि उनके उत्तरी ध्रुव आमने-सामने है। यदि उनके चुम्बकीय आघूर्ण 0.20 तथा 0.40 `"ऐम्पियर-मीटर"^(2)` हो, तो उनके बीच में मध्य-बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात कीजिए।

Answer» `4.0xx10^(-5)` `"वेबर/मीटर"^(2)`|
30.

4.16 में वर्णित हेल्महोल्ट्ज कुंड़लियों का उपयोग करके किसी लघुक्षेत्र में टेस्ला का एकसमान चुंबकीय क्षेत्र स्थापित किया है। इसी क्षेत्र में कोई एकसमान स्थिरवैघुत क्षेत्र कुंड़लियों के उभयनिष्ठ अक्ष के लंबवत लगाया जाता है। (एक ही प्रकार के) आवेशित कणों का 15 किलोवोल्ट विभवान्तर पर त्वरित एक संकीर्ण किरण पुंज एक क्षेत्र में दोनों कुंड़लियों के अक्ष तथा स्थिरवैघुत क्षेत्र की लंबवत दिशा के अनुदिश प्रवेश करता है। यदि यह किरण पुंज `9.0xx10^(-5)" वोल्ट/मीटर"^(-1)`, स्थिरवैघुत क्षेत्र में अविक्षेपित रहता है तो यह अनुमान लगाइए कि किरण पुंज में कौन-से कण है? यह स्पष्ट कीजिए कि यह उत्तर एकमात्र उत्तर क्यों नहीं है?

Answer» दिया है, B = 0.75 टेस्ला, `E=9.0xx10^(5)` वोल्ट/मीटर, V = 15 किलोवोल्ट =15000 वोल्ट।
आवेशित कण का वेग v दिया जाता है।
`(1)/(2)mv^(2)=qVimpliesv=sqrt((2qV)/(m))`
`=sqrt((2qxx15000)/(m))=sqrt(3xx10^(4)(q//m))`
यदि कण एक साथ लम्बवत वैघुत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों में अविक्षेपित रहे, तो `qE=qvB` अथवा `v=(E)/(B)`
`therefore sqrt(3xx10^(4)((q)/(m)))=(E)/(B)`
`(q)/(m)=(E^(2))/(B^(2))xx(1)/(3xx10^(4))=((9xx10^(5))^(2))/((0.75)^(2))xx(1)/(3xx10^(4))`
`=4.8xx10^(7)` कूलाम/किग्रा।
इससे आवेशित कणों के `((q)/(m))` की जानकारी मिलती है, न कि किसी विशेष कण की। आवेशित कण ड्यूट्रान `(D^(+)), He^(++)` तथा `Li^(+++)` आयन आदि हो सकते है। अतः उत्तर एकमात्र (unique) नहीं है।
31.

एक दण्ड-चुम्बक को जिसका चुम्बकीय आघूर्ण 1.5 `"ऐम्पियर-मीटर"^(2)` है, एक बहा चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत लटकाने से उस पर 0.24 न्यूटन-मीटर का बल-आघूर्ण लगता है : (i) चुम्बकीय क्षेत्र का मान क्या है? (ii) इस स्थिति से स्थायी सन्तुलन की स्थिति में आने पर चुम्बक की स्थितिज ऊर्जा में कितना परिवर्तन हो जायेगा? (iii) यदि यह चुम्बक 100 फेरों वाली तथा 150 `"सेमी"^(2)` तल-क्षेत्रफल की धारावाही कुण्डली के तुल्य हो, तो कुण्डली में धारा का मान क्या होगा?

Answer» (i) 0.16 न्यूटन / (ऐम्पियर-मीटर), (ii) -0.24 जूल, (iii) 1.0 ऐम्पियर।
32.

एक स्वचालित वाहन की बैटरी से इसकी चालन मोटर को जोड़ने वाले तारों में 300 ऐम्पियर विघुत धारा (अल्प काल के लिए) प्रवाहित होती है। तारों के बीच प्रति एकांक लंबाई पर कितना बल लगता है यदि इनकी लंबाई 70 सेमी एवं बीच की दूरी 1.5 सेमी हो। यह बल आकर्षण बल है या प्रतिकर्षण बल?

Answer» धारावाही तारों के बीच प्रति एकांक लम्बाई पर बल
`(F)/(L)=(mu_(0)i_(1)i_(2))/(2pir)` न्यूटन `"मीटर"^(-1)`
यहाँ `i_(1)=i_(2)=300` ऐम्पियर, r=1.5 सेमी `=1.5xx10^(-2)` मीटर
`therefore (F)/(L)=(4pixx10^(-7)xx300xx300)/(2pixx1.5xx10^(-2))`
=1.2 न्यूटन `"मीटर"^(-1)`
तारों में धारा विपरीत दिशा में है, अतः प्रतिकर्षण बल है।
33.

एक छोटे छड़-चुम्बक का द्विध्रुव-आघूर्ण 4.0 `"ऐम्पियर-मीटर"^(2)` है। चुम्बक के केन्द्र से उसकी अक्ष पर 5.0 सेमी दूर स्थित बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात कीजिए। यदि इस चुम्बक की निरक्षीय रेखा पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र 0.05 `"वेबर/मीटर"^(2)` हो, तो उस बिन्दु की चुम्बक से दूरी क्या है?

Answer» `6.4xx10^(-3)` `"वेबर/मीटर"^(2)`, 2.0 सेमी।
34.

एक छोटे छड़-चुम्बक का द्विध्रुव-आघूर्ण 1.25 `"ऐम्पियर-मीटर"^(2)` है। इसकी अक्ष पर चुम्बक के केन्द्र से 5.0 मीटर दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र की गणना कीजिए।

Answer» `2xx10^(-6)` न्यूटन/(ऐम्पियर-मीटर)।
35.

दो कण जिनमे प्रत्येक का द्रव्यमान M तथा आवेश q है, 2 R लम्बाई की एक हल्की दृढ़ छड़ के दोनों सिरों पर चिपके है। छड़ को इसके केन्द्र से गुजरने वाली लम्बवत अक्ष के पारित: नियत कोणीय चाल से घुमाया जाता है। निकाय के चुम्बकीय आघूर्ण तथा छड़ के केन्द्र के परित: कोणीय संवेग के परिमाण का अनुपात है :A. `(q)/(2 m)`B. `(q)/(m)`C. `(2q)/(m)`D. `(q)/(pi m)`

Answer» Correct Answer - A
संकेत चुम्बकीय आघूर्ण `= i A = ((2q)/(T))A=(2q)/((2pi//omega))piR^(2)`
`=qR^(2)omega`
कोणीय संवेग `=Iomega=2mR^(2)omega`,
अतः `("चुम्बकीय आघूर्ण")/("कोणीय संवेग")=(q)/(2m)`.
36.

एक वृत्तीय धारालूप का चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण M है। यदि धारालूप की त्रिज्या आधी कर दी जाए तब चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण होगा :A. MB. `M//2`C. `M//4`D. 4M

Answer» Correct Answer - C
संकेत : `M=iA=i(pir^(2))`
37.

एक धारामापी में प्रति मिलीऐम्पियर धारा से 5 विभाजन का विक्षेप होता है। धारामापी का प्रतिरोध 40 ओम है। यदि धारामापी में 2 ओम का शन्ट लगा दिया जाये तथा धारामापी के पैमाने पर 50 विभाजन हो तो यह धारामापी अधिक से अधिक कितनी धारा नाप सकेगा?

Answer» धारामापी में पूर्ण विक्षेप (50 विभाजन का) देने वाली धारा
`i_(g)` = `(50 "विभाजन")/("5 विभाजन/मिलीऐम्पियर")=10` मिलीऐम्पियर
माना धारामापी में S ओम का शन्ट लगाने पर नापी जा सकने वाली अधिकतम धारा i है। इसमें से `i_(g)` धारा धारामापी की कुण्डली में जानी चाहिए, शेष शन्ट में से होकर जानी चाहिए। सूत्रानुसार,
`i_(g)=(S)/(S+G)i`
`i=(i_(g)(S+G))/(S)=10xx10^(-3)xx((2+40))/(2)`
अथवा i=210 मिलीऐम्पियर = 0.21 ऐम्पियर।
38.

एक `10 Omega` प्रतिरोध का धारामापी 1.0 मिलीऐम्पियर तक की धारा नाप सकता है। 2.5 ऐम्पियर तक की धारा नापने वाले अमीटर में परिवर्तित करने के लिये आवश्यक शन्ट है :A. `4xx10^(-1)Omega`B. `4xx10^(-2)Omega`C. `4xx10^(-3)Omega`D. `4xx10^(-4)Omega`

Answer» Correct Answer - C
39.

1 ऐम्पियर तक पढ़ने वाले अमीटर का प्रतिरोध 0.81 ओम है। इससे 10 ऐम्पियर तक नापने के लिये इसके साथ किस शन्ट का प्रयोग करना चाहिए?

Answer» Correct Answer - 0.09 ओम|
40.

एक धारामापी में 30 विभाजन है तथा उसकी धारा संवेदिता `20 muA` प्रति विभाजन है। यदि इसका प्रतिरोध `20 Omega` हो, तो इसे 1 A तक पढ़ने वाले अमीटर में किस प्रकार बदलेंगे?

Answer» `0.012 Omega` का शंट लगाकर।
41.

किसी गैल्वेनोमीटर की कुंडली का प्रतिरोध `15Omega` है। 4 mA की विघुत धारा प्रवाहित होने पर यह पूर्णस्केल विक्षेप दर्शाता है। आप इस गैल्वेनोमीटर को 0 से 6 ऐम्पियर परास वाले ऐमीटर में कैसे रूपांतरित करेंगे?

Answer» धारामापी को अमीटर में रूपान्तरित करने के लिये धारामापी के साथ शन्ट (धारामापी की कुण्डली के समान्तर में कम प्रतिरोध) लगाया जाता है। शन्ट S का मान है
`i_(g)=(S)/(S+G)i` अथवा `S=(i_(g))/(i-i_(g))G`
दिया है, `i_(g)=4` मिली-ऐम्पियर `=4xx10^(-3)` ऐम्पियर, i=6 ऐम्पियर, `G=15Omega`
`therefore S=(4xx10^(-3))/(6-4xx10^(-3))xx15`
`=(4xx10^(-3))/(6)xx15Omega`
`=10xx10^(-3)Omega=10mOmega`.
42.

एक धारामापी की कुण्डली का प्रतिरोध `1.0Omega` है तथा इसमें 50 मिलीऐम्पियर धारा से पूर्ण स्केल का विक्षेप प्राप्त होता है। इसे 2.5 वोल्ट तक नापने वाले वोल्टमीटर में किस प्रकार बदला जा सकता है? जिन दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर नापना होता है, वोल्टमीटर को उनके समान्तर में क्यों जोड़ते है?

Answer» `49 Omega` का प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़कर, जिससे वोल्टमीटर में उतपन्न विक्षेप इसकी कुण्डली में बहने वाली धारा के, और इस कारण इसके सिरों के बीच विभवान्तर के भी अनुक्रमानुपाती होगा।
43.

1 ऐम्पियर के किसी अमीटर की कुण्डली का प्रतिरोध 0.018 ओम है। इसे 10 ऐम्पियर तक नापने वाले अमीटर में कैसे परिवर्तित करेंगे?

Answer» 0.002 ओम का शन्ट जोड़कर।
44.

एक धारामापी का प्रतिरोध 30 ओम है। इसमें एक संकेतक लगा है और पैमाने पर 100 भाग है। `2xx10^(-4)` ऐम्पियर धारा के कारण संकेतक का विक्षेप पैमाने के एक भाग के बराबर हो जाता है। इस धारामापी से 5 ऐम्पियर की धारा नापने के लिये कितने प्रतिरोध के शन्ट की आवश्यकता होगी?

Answer» Correct Answer - 0.12 ओम|
45.

किसी गैल्वेनोमीटर की कुंडली का प्रतिरोध `12 Omega` है। 3 मिली-ऐम्पियर की विघुत धारा प्रवाहित होने पर यह पूर्ण स्केल विक्षेप दर्शाता है। आप इस गैल्वेनोमीटर को 0 से 18 वोल्ट परास वाले वोल्टमीटर में कैसे रूपांतरित करेंगे?

Answer» पूर्ण स्केल विक्षेप के लिये आवश्यक धारा
`i_(g)=(V)/(G+R)` अथवा `R=(V)/(i_(g))-G`
यहाँ `G=12Omega, i_(g)=3` मिली-ऐम्पियर `= 3xx10^(-3)` ऐम्पियर, V=18 वोल्ट
`therefore R=(18)/(3xx10^(-3))-12=6000-12=5988 Omega`.
46.

एक धारामापी की कुण्डली का प्रतिरोध 100 ओम है। 5.0 मिलीऐम्पियर धारा से इसमें पूर्ण स्केल विक्षेपण प्राप्त होता है। इसे 0 से 10 ऐम्पियर परास के अमीटर में कैसे परिवर्तित करेंगे?

Answer» `0.05 Omega` का शन्ट लगाकर।
47.

एक वृत्ताकार कुंडली जिसमे 20 फेरे है और जिसकी त्रिज्या 10 सेमी है, एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में रखी है, जिसका परिमाण 0.10 टेस्ला है और जो कुंडली के तल के लंबवत है। यदि कुंडली में ऐम्पियर विघुत धारा प्रवाहित हो रही हो तो, (a) कुंडली पर लगने वाला कुल बलयुग्म आघूर्ण क्या है? (b) कुंडली पर लगने वाला कुल परिणामी बल क्या है? ltbgt (c ) चुंबकीय क्षेत्र के कारण कुंडली के प्रत्येक इलेक्ट्रान पर लगने वाला कुल औसत बल क्या है? (कुंडली `10^(-5)" मीटर"^(2)` अनुप्रस्थ क्षेत्र वाले ताँबे के तार से बनी है, और ताँबे में मुक्त इलेक्ट्रॉन घनत्व `10^(29)" मीटर"^(-3)` दिया गया है)

Answer» दिया है : N = 20, r = 10 सेमी = 0.10 मीटर, i=5.0 ऐम्पियर, B = 0.10 टेस्ला।
कुण्डली का क्षेत्रफल, `A = pi r^(2)=3.14xx(0.10)^(2)=3.14xx10^(-2)" मीटर"^(2)`
(a) कुण्डली के तल के लम्ब एवं चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच कोण 0 है।
`therefore` बल-आघूर्ण, `vec(tau)=Nivec(A)xxvec(B)=NiABsin0=0`.
(b) धारावाही कुण्डली पर एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में बल सदैव शून्य होता है।
(c ) एक इलेक्ट्रॉन पर औसत बल, `F=ev_(d)B` परन्तु
`v_(d)=(i)/(n eA)`
`thereforeF_(A)=e((i)/(n e A))B=(iB)/(n A)`, जिसमे A तार का अनुप्रस्थ परिच्छेद-क्षेत्रफल है।
`F_(A)=(5.0xx0.10)/(10^(29)xx10^(-5))=5xx10^(-25)` न्यूटन।
48.

(a) 30 फेरों वाली एक वृत्ताकार कुंडली जिसकी त्रिज्या सेमी है और जिसमे 6.0 ऐम्पियर विघुत धारा प्रवाहित हो रही है, 1.0 टेस्ला के एकसमान क्षैतिज चुंबकीय क्षेत्र में उर्ध्वाधरत: लटकी है। क्षेत्र रेखाएँ कुंडली के अभिलंब से `60^(@)` का कोण बनाती है। कुंडली को घूमने से रोकने के लिए जो प्रतिआघूर्ण लगाया जाना चाहिए उसके परिमाण परिकलित कीजिए। (b) यदि (a) में बतायी गई वृत्ताकार कुंडली को उसी क्षेत्रफल की अनियमित आकृति की समतलीय कुंडली से प्रतिस्थापित कर दिया जाए (शेष सभी विवरण अपरिवर्तित रहे) तो क्या आपका उत्तर परिवर्तित हो जायेगा?

Answer» (a) `tau=NiAB sin theta`,
`=30xx6xxpixx(0.08)^(2)xx1xxsin60^(@)`
=3.133 न्यूटन-मीटर।
(b) चूँकि बल-आघूर्ण का व्यंजक केवल क्षेत्रफल पर निर्भर करता है, कुण्डली के आधार के आकर पर नहीं, किसी भी आकर की समतल कुण्डली पर बल-आघूर्ण व्ही रहेगा, बशर्ते क्षेत्रफल का मान वही रहे।
49.

एक लंबे, सीधे तार में 35 ऐम्पियर विघुत धारा प्रवाहित हो रही है। तार से 20 सेमी दूरी पर स्थित किसी बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या है?

Answer» `B=(mu_(0)i)/(2pir)=(4pixx10^(-7)xx35)/(2pixx0.20)=3.5xx10^(-5)` टेस्ला।
50.

एक 3.0 सेमी लंबा तार जिसमे 10 ऐम्पियर विघुत धारा प्रवाहित हो रही है, एक परिनालिका के भीतर उसके अक्ष के लंबवत रखा है। परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र का मान 0.27 टेस्ला है। तार पर लगने वाला चुंबकीय बल क्या है?

Answer» `F=iBL sin theta=10xx0.27xx3.0xx10^(-2)xxsin90^(@)`
`=8.1xx10^(-2)` न्यूटन|