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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

7201.

जो जन मातृभूमि के साथ अपना संबंध जोड़ना चाहते हैं, उन्हें किनके प्रति ध्यान देना चाहिए?

Answer»

जो जन मातृभूमि के साथ अपना संबंध जोड़ना चाहते हैं, उन्हें राष्ट्र-निर्माण के प्रति ध्यान देना चाहिए।

7202.

भूमि कब से है? 

Answer»

भूमि अनंत काल से है।

7203.

किसके विकास और अभ्युदय के द्वारा राष्ट्र की वृद्धि संभव है?

Answer»

संस्कृति के विकास और अभ्युदय के द्वारा राष्ट्र की वृद्धि संभव है।

7204.

किसका प्रवाह अनंत होता है? 

Answer»

जन का प्रवाह अनंत होता है।

7205.

भूमि का निर्माण किसने किया है?

Answer»

भूमि का निर्माण देवों ने किया है।

7206.

माता अपने सब पुत्रों को किस भाव से चाहती है?

Answer»

माता अपने सब पुत्रों को समान भाव से चाहती है।

7207.

राष्ट्रीयता कैसे बलवती होती है? 

Answer»

लेखक कहते हैं, भूमि के भौतिक रूप, उसके सौन्दर्य और समृद्धि के प्रति सचेत होना हमारा कर्तव्य है। इस भूमि के पार्थिव स्वरूप अर्थात् पहाड़, नदियाँ, मनुष्य सबकुछ के प्रति हम जितने अधिक जागरूक होंगे उतनी ही हमारी राष्ट्रीयता की भावना बलवती होगी।

7208.

समन्वययुक्त जीवन के संबंध में वासुदेवशरण अग्रवाल के विचार प्रकट कीजिए।

Answer»

माता अपने सब पुत्रों को समान भाव से चाहती है। इसी प्रकार पृथ्वी पर बसनेवाले जन बराबर हैं। उनमें ऊँच और नीच का भाव नहीं है। ये जन अनेक प्रकार की भाषाएँ बोलनेवाले
और अनेक धर्मों को माननेवाले हैं, फिर भी ये मातृभूमि के पुत्र हैं और इस कारण इनका सौहार्द्र भाव अखंड है। समन्वय के मार्ग से भरपूर प्रगति और उन्नति करने का सबको समान अधिकार है। राष्ट्रीय जीवन की अनेक विधियाँ राष्ट्रीय संस्कृति में समन्वय प्राप्त करती हैं। समन्वययुक्त जीवन ही राष्ट्र का सुखदायी रूप है।

7209.

विज्ञान और उद्यम दोनों से हम क्या खड़ा कर सकते हैं?

Answer»

विज्ञान और उद्यम दोनों को मिलाकर हम राष्ट्र के भौतिक स्वरूप का नया ठाट खड़ा कर सकते हैं। इस कार्य को प्रसन्नता, उत्साह और अथक परिश्रम के द्वारा नित्य आगे बढ़ाना चाहिए। देश की प्रगति के लिए सभी जनों का सामूहिक प्रयास जरूरी है।

7210.

राष्ट्र निर्माण में जन का क्या योगदान होता है?

Answer»

जन के हृदय में राष्ट्रीयता की कुंजी है। इसी भावना से राष्ट्र-निर्माण के अंकुर उत्पन्न होते हैं। जो जन पृथ्वी के साथ माता और पुत्र के सम्बन्ध को स्वीकार करता है, उसे ही पृथ्वी के वरदानों में भाग पाने का अधिकार है। माता के प्रति अनुराग और सेवाभाव पुत्र का स्वाभाविक कर्तव्य है। जो जन मातृभूमि के साथ अपना सम्बन्ध जोड़ना चाहता है, उसे अपने कर्तव्यों के प्रति पहले ध्यान देना चाहिए।

7211.

ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:भूमि माता है, मैं उसका पुत्र हूँ।

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘राष्ट्र का स्वरूप’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक वासुदेवशरण अग्रवाल हैं।
संदर्भ : जब तक लोगों के मन में भूमि के प्रति स्वाभाविक प्रेम, आदर सेवाभाव नहीं रहता – राष्ट्र की प्रगति नहीं हो सकती।
स्पष्टीकरण : मनुष्य अपनी माँ की कोख से जन्म लेता है, लेकिन बाद में उसका उदर पोषण करनेवाली माता पृथ्वी माता है। पृथ्वी न हो तो अन्न नहीं, जीवन नहीं, संस्कृती नहीं। पृथ्वी और जन दोनों के सम्मिलन से ही राष्ट्र का स्वरूप संपादित होता है। इसलिये लेखक कहते है कि भूमि माता है, मैं उसका पुत्र हूँ।

7212.

पूर्वजों के बारे में हमें कैसी भावना रखनी चाहिए?

Answer»

हमारे पूर्वजों ने ही युग-युगों से सभ्यता का निर्माण किया है। उन्होंने चरित्र और धर्म-विज्ञान, साहित्य, कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में जो कुछ भी पराक्रम किया है उस पराक्रम को, उनकी उपलब्धियों को हमें गौरव के साथ स्वीकार करना चाहिए। अतीत हमारे लिए बोझ नहीं बल्कि गर्व की बात है। इसलिए हमें हमारे पूर्वजों के प्रति गौरव का भाव रखना चाहिए।

7213.

किनके सम्मिलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता है?

Answer»

भूमि, जन और संस्कृति के सम्मिलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता है।

7214.

विभिन्न समुदाय, संस्कृतियों के समन्वय के बारे में लेखक क्या कहते हैं?

Answer»

विभिन्न समुदाय, संस्कृतियों के समन्वय के बारे में लेखक कहते हैं कि जिस प्रकार जंगल में अनेक लता, वृक्ष और वनस्पति बिना किसी भेदभाव, विरोध के वृद्धि करते हैं, ठीक उसी प्रकार राष्ट्रीय जन अपनी संस्कृतियों के द्वारा एक-दूसरे के साथ मिलकर राष्ट्र में रहते हैं। जिस प्रकार नदियों के प्रवाह समुद्र में मिलकर एक हो जाते हैं, उसी तरह राष्ट्रीय जीवन की अनेक परंपराएँ राष्ट्रीय संस्कृति में समन्वय प्राप्त करती हैं। उपलब्धियों को हथं संस्कृति के क्षेत्र मध्यता का निर्माण किया है।

7215.

‘राष्ट्र का स्वरूप’ पाठ के लेखक कौन हैं?

Answer»

‘राष्ट्र का स्वरूप’ पाठ के लेखक श्री वासुदेवशरण अग्रवाल हैं।

7216.

ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:“वर्षों का समय बीत जाने फ भी पारसी सराय में मेरे साथ हुए दुर्व्यवहार का स्मरण करते ही मेरी आँखों में आँसू छलक पड़ते हैं।”

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक शान्ति स्वरूप बौद्ध हैं।
संदर्भ : बड़ौदा महाराज की नोकरी करते हुए डॉ. अंबेडकर को अनेक अपमान सहने पड़े थे। उनमें से एक घटना पारसी सराय में रहते हुए अंबेडकर के साथ घटी थी।
स्पष्टीकरण : बड़ौदा रियासत की नौकरी करते हुए अंबेडकर को बड़ौदा में रहने के लिए घर की जरूरत थी। मगर छूतछात की दूषित भावना के कारण अंबेडकर को कोई घर नहीं मिला। वे नाम बदलकर पारसी सराय में रहने लगे। मगर पारसियों को जब उनकी जाति का पता चला, तो उन्होंने डॉ. अंबेडकर को अपमानित करके खदेड़ दिया। अंबेडकर इस घटना को जीवन भर भूले नहीं। वे लिखते हैं – ‘वर्षों का समय बीत जाने पर भी पारसी सराय में मेरे साथ हुए दुर्व्यवहार का स्मरण करते ही मेरी आँखों में आँसू छलक पड़ते हैं।’

7217.

अंबेडकर को भारत के संविधान जनक माना जाता है। क्यों? 

Answer»

डॉ. अंबेडकर को देश का संविधान बनाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गयी। मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्होने भारत का संविधान लिखा। उन्होंने विश्व के लोकतंत्रों एवं संविधानों का अध्ययन कर भारतीय संविधान में श्रेष्ठतम प्रावधान किए। इसीलिए अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक माना जाता है।

7218.

डॉ. भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम क्या था? 

Answer»

डॉ. भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम रामजी सूबेदार था।

7219.

डॉ. बी.आर. अंबेडकर का जन्म कब हुआ?

Answer»

डॉ. बी.आर. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 ई. में हुआ।

7220.

ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए।“पृथ्वी के भौतिक स्वरूप की आद्योपांत जानकारी प्राप्त करना, उसकी सुंदरता, उपयोगिता और महिमा को पहिचानना आवश्यक धर्म है।”

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘राष्ट्र का स्वरूप’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक वासुदेवशरण अग्रवाल हैं।
संदर्भ : लेखक कह रहे हैं कि भूमि से संबंधित चीजों के प्रति हमारी जागरूकता ही राष्ट्रीय भावना को पैदा करती है।
स्पष्टीकरण : राष्ट्रीय भावना के विकास के लिए मातृभूमि के स्वरूप को समझना एवं उससे हृदय से जुड़ने पर ही जन के भीतर राष्ट्रीयता की भावना प्रकट होती है। राष्ट्रीयता की जड़ें पृथ्वी के साथ मजबूत जुड़ाव में निहित होती है। इसके लिए आवश्यक है कि हम इस पृथ्वी के भौतिक स्वरूप की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें। साथ ही पृथ्वी की सुन्दरता, उपयोगिता और उसके महत्व को पहचानना हमारा आवश्यक धर्म होना चाहिए।

7221.

ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए।“हमारा यह ध्येय हो कि राष्ट्र में जितने हाथ हैं, उनमें से कोई भी इस कार्य में भाग लिए बिना रीता न रहे|

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘राष्ट्र का स्वरूप’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक वासुदेवशरण अग्रवाल हैं।
संदर्भ : लेखक राष्ट्र की प्रगति के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता के बारे में बता रहे हैं।
स्पष्टीकरण : वासुदेवशरण अग्रवाल राष्ट्र के विकास के लिए जन की भागीदारी को रेखांकित करते हुए कह रहे हैं कि विज्ञान और परिश्रम को मिलाकर हमें राष्ट्र के विकसित स्वरूप को तैयार करना है। वे कहते हैं, यह कार्य प्रसन्नता, उत्साह और बिना थके परिश्रम करते हुए हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि राष्ट्र के भीतर जितने भी लोग हैं उनमें से कोई भी इस प्रयास में खाली न रहें।

7222.

ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए।“इसी दृढ़ चट्टान पर राष्ट्र का चिर जीवन आश्रित रहता है।” 

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘राष्ट्र का स्वरूप’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक वासुदेवशरण अग्रवाल हैं।
संदर्भ : लेखक कहते हैं कि – मातृभूमि के प्रति प्रणाम भाव ही राष्ट्रीय चेतना के विकास में सहायक होता है।
स्पष्टीकरण : जन का मातृभूमि के प्रति लगाव, उसके प्रति प्रणाम का भाव या मातृभूमि के साथ माँ और पुत्र के रिश्ते को स्वीकार करने का भाव ही एक राष्ट्र के रूप में विकसित होता है। लेखक कहते हैं – जिस समय भी जन का हृदय भूमि के साथ माता और पुत्र के संबंध को पहचानता है उसी क्षण उसके भीतर ‘माता पृथ्वी को प्रणाम है’ का भाव प्रकट होता है। भूमि और जन के इसी रिश्ते की दीवार पर राष्ट्र का भवन तैयार किया जाता है।

7223.

विलोम शब्द लिखिएःप्रसन्न, उत्साह, अमृत, स्वाभाविक, जन्म, ज्ञान।

Answer»
  • प्रसन्न – अप्रसन्न
  • उत्साह – निरुत्साह
  • अमृत – विष
  • स्वाभाविक – अस्वाभाविक
  • जन्म – मरण (मृत्यु)
  • ज्ञान – अज्ञान
7224.

लेखक ने राष्ट्र का क्या स्वरूप बताया है ?अथवाकिन-किन बातों से राष्ट्र का स्वरूप निश्चित होता है?

Answer»

भूमि, भूमि पर बसनेवाले लोग और संस्कृति इन तीनों के मेल से राष्ट्र का स्वरूप बनता है। प्रत्येक राष्ट्र पृथ्वी के एक निश्चित भाग पर अपना अधिकार रखता है। उस भू-भाग में छिपी कीमती धातुओं, रत्नों, नदियों, पर्वतों और वनों का उस राष्ट्र से गहरा सम्बन्ध होता है। राष्ट्र का दूसरा अंग उसके निवासी हैं। वे अपनी धरती को अपनी माता मानते हैं। उनकी यह भावना ही राष्ट्रीयता और एकता का आधार है। राष्ट्र का तीसरा अंग संस्कृति है। संस्कृति राष्ट्र के जीवन का सौंदर्य है। इस प्रकार भूमि, जन और संस्कृति इन तीन चीजों से राष्ट्र का स्वरूप बनता है।

7225.

राष्ट्र का स्वरूप कहानी का सारांश अँग्रेजी में  लिखें।

Answer»

Our ancestors had shown great promise in the fields of literature, arts, music and science. We must keep up that tradition. We must also be hopeful with respect to the future. Learning from our mistakes of the past, and living in the present, we must move towards our future with ambition and hope. In this endeavour, our culture will always be with us.

7226.

राष्ट्र की विभिन्न संस्कृतियों के बारे में लेखक का क्या मंतव्य है?

Answer»

लेखक कहता है कि धर्म, जाति और भाषा के आधार पर एक राष्ट्र में अलग-अलग संस्कृतियां हो सकती है। पर यह जरूरी नहीं कि इनमें विरोध हो। जंगल में जिस प्रकार अनेक लता, वृक्ष आदि एक-दूसरे का विरोध किए बिना फलते-फूलते हैं, उसी तरह राष्ट्र के लोग भी अपनी-अपनी संस्कृति के द्वारा एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहते हैं। जिस तरह अलग-अलग नदियों का पानी समुद्र में मिलकर एक हो जाता है, उसी प्रकार एक राष्ट्र की विविध संस्कृतियाँ मिल-जुलकर राष्ट्रीय संस्कृति का रूप ले लेती हैं। ये बाहर से अलग-अलग होकर भी भीतर से एक ही होती हैं।

7227.

राष्ट्र के स्वरूप में संस्कृति का क्या महत्त्व है?

Answer»

मनुष्य और धरती की तरह संस्कृति भी राष्ट्र का आवश्यक अंग है। यदि धरती और मानव को अलग कर दिया जाए तो राष्ट्र का स्वरूप ही नहीं बन सकता। संस्कृति के सौंदर्य और सुगंध में ही राष्ट्र के लोगों का जीवन-सौंदर्य छिपा हुआ है। संस्कृति के रूप में राष्ट्र के जीवन का विकास प्रकट होता है। एक राष्ट्र में कई संस्कृतियाँ मिल-जुलकर रह सकती हैं, उनके मेल से एक राष्ट्रीय संस्कृति बनती है। राष्ट्र और उसके निवासी अपनी संस्कृति पर गर्व करते हैं। इस प्रकार राष्ट्र के स्वरूप में संस्कृति का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

7228.

राष्ट्र का स्वरूप कहानी का सारांश लिखें।

Answer»

डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल मशहूर इतिहासकार और प्राचीन भारत के विद्वान हैं। उन्होंने प्रस्तुत निबन्ध में राष्ट्र का स्वरूप, तत्व और लक्षणों के बारे में लिखा है। लेखक ने भारतीय संस्कृति की भी चर्चा की है। भूमि और उसके निवासी तथा उनकी संस्कृति का मिलन ही राष्ट्र है।

भूमि को हमारे ऋषि-मुनियों ने माता कहा है और पृथ्वी-संतान को पुत्र कहा गया है। भूमि अपनी संतान को जीवित रखने के लिए आवश्यक सभी वस्तुओं को देती है। इसीलिए भूमि को वसुंधरा कहते हैं। भूमि पर नद-नदी, टीले-पहाड़, तालाब-पोखर, कुएँ-बावड़ियाँ, झरने- प्रपात, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी हैं। इनसे प्रकृति का संतुलन बना रहता है। मनुष्य को पानी, आहार मिलता है। भगवान ने प्राकृतिक संपदा देकर मानव जाति को जीने की कई सुविधाएँ उपलब्ध कराई है।

राष्ट्र का दूसरा अंग है- जन या लोग, जो भूमि पर रहते हैं। वे भूमिपुत्र कहलाते हैं। भूमि पर रहनेवाले लोगों के लिए भूमि उनकी माता है। संतान की देखभाल करना माता का कर्तव्य है। माँ की सेवा करना और उसका हित चाहना पुत्र का कर्तव्य है। इस प्रकार भूमि और उसके जन का सम्बन्ध अटूट है।

भारत में भूमि को मातृभूमि, जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है। भूमि की चर-अचर, पशु-पक्षी तथा प्रकृति का संरक्षण करने पर ही यह भूमि हमारा ध्यान रखती है। अतः पर्यावरण की रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है।

राष्ट्र का तीसरा अंग है- संस्कृति। यह बहुत ही मुख्य अंग है। जीवन में जो भी अच्छाई है, वही संस्कृति कहलाती है। साहित्य, कलाएँ, आचार-विचार आदि मिलकर ‘संस्कृति’ का रूप लेते हैं। जीवन में जिस प्रकार अंतरंग और बहिरंग दो रूप होते हैं, वैसे संस्कृति के भी दो रूप होते हैं- खान-पान, घर-बार, मंदिर-मसजिद – ये संस्कृति के बहिरंग रूप हैं। साहित्य और संगीत का आनंद, ललित कलाओं की मधुर अनुभूति इत्यादि संस्कृति के अंतरंग रूप हैं।

हमारे पूर्वजों ने साहित्य, कला, संगीत, शास्त्र आदि क्षेत्रों में प्रतिभा दिखाई थी। हमें उस परंपरा को निभाए रखना चाहिए। भविष्य के प्रति आशावादी होना चाहिए। भूतकाल से सबक सीखते हुए, वर्तमान को साथ लेकर, अपने उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर होना है। इस कार्य में संस्कृति सदा हमारे साथ है।

7229.

लेखक ने जन और संस्कृति के बीच क्या सम्बन्ध बताया है?

Answer»

जन और संस्कृति के बिना राष्ट्र का स्वरूप नहीं बन सकता। बिना संस्कृति के जन की कल्पना नहीं की जा सकती। संस्कृति ही जन का मस्तिष्क होती है। यदि जन वृक्ष है तो संस्कृति उस पर खिलनेवाला पुष्प है। संस्कृति राष्ट्र के निवासियों को जोड़ती है। वह उनमें आत्मीयता पैदा करती है। साहित्य, कला, नृत्य, लोकगीत, धर्म, विज्ञान के रूप में संस्कृति राष्ट्र के लोगों के मानसिक विकास के दर्शन कराती है। संस्कृति के बिना जन वैसा ही है जैसे सिर के बिना धड़। इस प्रकार लेखक ने जन और संस्कृति के बीच अभिन्न सम्बन्ध बताया है।

7230.

कोष्टक में दिए गए कारक चिन्हों से रिक्त स्थान भरिएः(का, में, के, पर, की)1. उसके सीने ……….. दर्द उठने लगता है।2. उसके सीने ……….. दर्द उठने लगता है।3. मितली ……. शिकायत भी हो सकती है।4. पास ……….. डॉक्टर को बुला भेजें।5. कास्टेल उपस्थियों के संगम स्थल ……. जोरों का दर्द हो सकता है।

Answer»

1. में

2. का

3. की

4. के

5. पर

7231.

कोष्ठक में दिए गए कारक चिन्हों से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए:(के, का, में, के लिए, से)1. जन्म के समय डॉ. अंबेडकर ………….. नाम भीमराव रखा गया था।2. उस समय एक अछूत ………. यह बहुत अनोखी बात थी।3. इसी बीच उन्हें बड़ौदा …………. दीवान ने एक पत्र लिखा।4. आँखों ………….. आँसू छलक पड़ते हैं।5. उसके हाथ ………….. बड़ी किताब है।

Answer»

1. का

2. के लिए

3. के

4. में

5. में।

7232.

कोष्ठक में दिए गए कारक चिन्हों से रिक्त स्थान भरिएः(पर, का, के, में)1. जन ………… प्रवाह अनंत होता है।2. जीवन नदी ……….. प्रवाह की तरह है।3. पृथ्वी के गर्भ ……….. अमूल्य निधियाँ है।4. भूमि ……….. जन निवास करते हैं।5. उसने भिक्षुक …………. भीख दी।

Answer»

1. का

2. के

3. में

4. पर

5. को

7233.

तुंगनाथ शिखर के सौंदर्य के संबंध में लेखक ने क्या कहा है? 

Answer»

तुंगनाथ शिखर 12,080 फुट की ऊँचाई पर है। यद्यपि टेढ़ामेढ़ा उतार-चढ़ाव का रास्ता है, फिर भी थकान महसूस नहीं होती। गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ, चौखंभा आदि रजत-शिखर सूर्य-प्रकाश में चमकते रहते हैं। हिम-शिखरों के दर्शनों का यात्री लाभ उठाते हैं। यहाँ की प्रकृति यात्रियों को मोह लेती है। शाम होने से पूर्व ही यहाँ कोहरा छा जाता है।

7234.

Define fundamental units.

Answer»

Fundamental Units: Meter, Kilogram, Second, Ampere, Candela, Mole, Kelvin, Radian.

7235.

‘गरुड गंगा’ की महानता क्या है? 

Answer»

‘गरुड गंगा के बारे में मान्यता है कि जो भी यहाँ नहाकर बिना देखे पत्थर का एक टुकड़ा पूजा करने घर ले जाता है- उसे साँपों का डर नहीं रहता। इसी इलाके में पार्वती ने वर्षों पत्ते खाकर शिव से विवाह के लिए तप किया। इसलिए इसे पैखण्डा भी कहते हैं।

7236.

कोष्ठक में दिए गए कारक चिन्हों से रिक्त स्थान भरिएः(के, ने, का, पर)1. मंजिल …… पहुँच जाने पर रोमांच हो ही आता है।2. कहते हैं कि प्राचीन काल में भगवान ……. नर-नारायण के रूप में यहाँ तप किया था।3. देवदारू ……….. पेड़ भी इधर बहुत हैं।4. तीन दिन तक हम उस प्रदेश ………. वैभव देखते रहे।5. मंदिर ……… ओर मेरा घर है।

Answer»

1. पर

2. ने

3. के

4. की

5. की

7237.

ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:यह मार्ग अपेक्षाकृत भयानक है, इसलिए इसका सौंदर्य भी अभी अछूता है।

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘मेरी बद्रीनाथ यात्रा’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक विष्णु प्रभाकर है।
संदर्भ : केदारनाथ से वापस लौटते वक्त बीच में ऐसे मार्ग पर मुड़ गये जो चमौली पहुंचाता था। उसी मार्ग के बारे में बताते हुए लेखक यह वाक्य कहते हैं।
स्पष्टीकरण : यात्रा के नियमानुसार लेखक चमौली पहुंचते हैं। केदारनाथ की शीत-ऋतु की राजधानी उषीमठ और तुंगनाथ मंदिर यहीं है। मार्ग चाहे कितना कठिन क्यों न हो, फिर भी यात्री यहाँ आते हैं।

7238.

ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:जम कैसे सकता था, हमने वहाँ पानी लगने ही नहीं दिया। 

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘मेरी बद्रीनाथ यात्रा’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक विष्णु प्रभाकर है।
संदर्भ : लेखक जब केदारनाथ घाटी से गरूड़ गंगा पहुंचे, तब उन्हें स्नान करना था, लेकिन उनमें से एक मित्र यात्रा में नहाना आवश्यक नहीं समझते थे।
स्पष्टीकरण : बद्रीनाथ की घाटी में बहनेवाली ‘अलकनंदा’ नदी का पानी बहुत थंडा था। लेखक के मित्र यात्रा में नहाना आवश्यक नहीं समझते थे किन्तु यात्रा कि प्रथा के अनुसार सभी को नदी में नहाना जरूरी था। विवश होकर लेखक के मित्र नहा कर आये पर बुरी तरह काँप रहे थे; उन्हें छेड़ने के लिए लेखक ने पूछा “दिल जम गया या बच गया”। इसके उत्तर में उन्होंने भी हास्यपूर्ण ढंग से बताया कि “जम कैसे सकता है, दिल पर पानी लगने ही नहीं दिया।’

7239.

ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:हायं राम, वह तो सचमुच बिच्छू लग रहा था, पर वह चलता क्यों नहीं? 

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘मेरी बद्रीनाथ यात्रा’ नामक – पाठ से लिया गया है जिसके लेखक विष्णु प्रभाकर है।
संदर्भ : लेखक जब अपनी बद्रीनाथ, केदारनाथ यात्रा पर गये, तब उनकी यात्रा में लोगों के बीच बहुत हँसी-मजाक हुआ करता था।

स्पष्टीकरण : बद्रीनाथ यात्रा के दौरान लेखक को कई रोचक अनुभव हुए जिसमे कभी-कभी अनायास ही उनमें से कोई हँसी का पात्र बन जाता। एक दिन वे अपने दल के साथ एक छोटी सी चट्टी पर खाना खा रहे थे कि सहसा उनके दल के एक वयोवृद्ध सज्जन चिल्ला उठे, ‘अरे बिच्छू, बिच्छू’, जिसे सुनकर सभी चौंककर उस ओर देखने लगे। देखने पर बिच्छू सा कुछ दिखाई दिया परन्तु उसमें कोई हरकत न थी। मोमबत्ती की रोशनी में ध्यान से देखने पर ज्ञात हुआ कि जिसे सब बिच्छू समझ रहे थे वह चाबियों का गुच्छा था जो सज्जन की जेब से लटक-कर जाँघ पर आ गया था।

7240.

वाक्य शुद्ध कीजिए:1. हम प्रतिदिन सबेरे तीन बजे उठता था।2. वह तो सचमुच बिच्छू लग रही थी।3. लेकिन ये कथाएँ कहाँ तक कहा जाए।4. मंदिर में पूजा हो रहा था।

Answer»

1. हम प्रतिदिन सबेरे तीन बजे उठते थे। अथवा
मैं प्रतिदिन सबेरे तीन बजे उठता था।

2. वह तो सचमुच बिच्छू लग रहा था।

3. लेकिन ये कथाएँ कहाँ तक कही जाए।

4. मंदिर में पूजा हो रही थी।

7241.

ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:“इसी कारण नारायण यहाँ बदरी नारायण के नाम से प्रसिद्ध है।”

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘मेरी बद्रीनाथ यात्रा’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक विष्णु प्रभाकर हैं।
संदर्भ : लेखक नारायण के बदरी नारायण के रूप में प्रसिद्ध होने के पीछे का कारण बता रहे हैं।
स्पष्टीकरण : विशालापुरी में स्थित बदरी नारायण के मंदिर के बारे में विष्णु प्रभाकर जी बता रहे हैं। यहाँ प्राचीनकाल में भगवान ने नर-नारायण के रूप में तप किया था। उसी की याद में अलकनंदा के दोनों तरफ के पर्वत नर-नारायण कहलाते हैं। यहाँ कभी बेरी का वन था। बदरी बेर को कहते हैं। इसी कारण नारायण यहाँ बदरी नारायण के नाम से प्रसिद्ध है।

7242.

ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिए:वह आकर्षण है- सरल भक्ति का, प्रकृति के वैभव का।

Answer»

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘मेरी बद्रीनाथ यात्रा’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक विष्णु प्रभाकर है। .
संदर्भ : लेखक बद्रीनाथ के मंदिर के बारे में बताते हुए यह वाक्य कहते हैं।

स्पष्टीकरण : अत्यधिक ऊँचाई पर बसे इस मंदिर ने भयंकर तूफानों को झेला, नष्ट भी हुआ; फिर भी संघर्षशील मानव अपनी श्रद्धा और भक्ति समर्पण करने यहाँ आता है, जो प्रकृति का वैभव है। बद्रीनारायण मंदिर कला की दृष्टी से कोई महत्व नहीं रखता, फिर भी उसमें एक आकर्षण है। वह आकर्षण है सरल भक्ति का, प्रकृति के वैभव का है।

7243.

What is SI system? When was it introduced?

Answer»

SI system means International System of units. It was introduced in 1971.

7244.

Seconds are the units belongs to A) CGS system B) MKS system C) SI system D) Above all

Answer»

Correct option is D) Above all

7245.

By 2050, how much of the world population will be in cities?(A) 1/2(B) 1/4(C) 2/3(D) 3/4

Answer»

Correct option is (C) 2/3

7246.

Approximately, what was the percentage of population living in cities in 2011?(A) 20%(B) 32%(C) 35%(D) 25%

Answer»

Correct option is (B) 32%

7247.

निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे?1. ‘अरे बिच्छू-बिच्छू!’2. ‘कहिए, दिल जम गया या बच गया।3. मंजिल पर पहुँच जाने पर रोमांच हो ही आता है।4. यात्रा का यह अस्थायी स्नेह भी कितना पवित्र होता है।

Answer»

1. यह वाक्य एक वयोवृद्ध सज्जन ने दल के सदस्यों से कहा।

2. यह वाक्य लेखक ने अपने मित्र से कहा।

3. यह वाक्य लेखक ने पाठकों से कहा।

4. यह वाक्य लेखक ने पाठकों से कहा।

7248.

स्थानांतरण के कारणों को विस्तारपूर्वक समझाइए ।

Answer»

स्थानांतरण को विस्तृत समझने के लिए स्थानांतरण के कारणों को समझना चाहिए ।

स्थानांतरण के कारणों को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा गया है ।

(1) आर्थिक कारण : स्थानांतरण का महत्त्वपूर्ण कारण आर्थिक होता है । आर्थिक कारणों में निम्नलिखित कारणों का समावेश होता है :

  • नोकरी, व्यवसाय या धंधे के लिए : जब व्यक्ति को अपने मूल वतन में रोजगार नहीं मिलता है तब वह नोकरी, व्यवसाय या धंधे के लिए स्थानांतरण करता है ।
  • स्थानांतरण : जब व्यक्ति नोकरी करता हो तो उसका दूसरी जगह पर स्थानांतरण हुआ हो तब उसे दूर उस जगह पर स्थानांतरण करना पड़ता है ।
  • प्राकृतिक संपत्ति का प्रमाण : जब किसी एक स्थल पर प्राकृतिक संपत्ति विपुल प्रमाण में हो तब वहाँ अन्य जगहों से स्थानांतरण करके आकर स्थायी निवास करते हैं ।
  • शिक्षण से अधिक अवसर प्राप्त करने के लिए : जब अपने मूल वतन में शिक्षा की व्यवस्था न हो तब उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए व्यक्ति स्थानांतरण करता है ।
  • आरोग्य की सुविधाएँ प्राप्त करने के लिए : जब उत्तम प्रकार की आरोग्य की सुविधा न तब व्यक्ति उत्तम आरोग्य की
    सुविधा प्राप्त करने के लिए अपने वतन से स्थानांतरण करता है ।
  • आयोजित स्थानांतरण : जब परिवार के सदस्य आयोजन करके परिवार के एक अथवा अधिक सदस्य आर्थिक प्रवृत्ति
    के लिए वतन से दूर भेजे तो वह आयोजित स्थानांतरण गिना जाता है ।

(2) सामाजिक कारण : स्थानांतरण आर्थिक कारणों के साथ सामाजिक कारण भी जवाबदार हैं जैसे कि :

  • विवाह : विवाह होने से स्त्री अपना वतन छोड़कर जिस स्थान पर उसका विवाह हुआ हो वहाँ स्थायी रुप से निवास करे तो उसे सामाजिक स्थानांतरण कहते हैं ।
  • सामाजिक कुरिवाजों से मुक्ति के लिए : ग्रामीण विस्तारों में अधिकांशतः परंपरावादी रुढिचुस्त होते हैं । इनसे मुक्त होने के लिए लोग शहरों में स्थानांतरण करते हैं ।

(3) राजकीयकरण : स्थानांतरण के लिए राजनैतिक कारण भी जवाबदार हैं :

  • युद्ध और अशांति : जहाँ पर बार-बार युद्ध और अशांति रहती हो तब प्रजा भय की छाया में जीवन व्यतीत करती है । तब प्रजा भय से मुक्त होने के लिए सुरक्षित शांत विस्तारों में स्थानांतरण करती हैं ।
  • घर्षण दूर करने के लिए : जहाँ पर बार-बार दंगे, जाति से सम्बन्धित झगड़े, युद्ध होते हों तब ऐसे अशांत विस्तार से भी शांति की इच्छा रखनेवाली प्रजा स्थानांतरण करती है ।

(4) प्राकृतिक आपदाएँ या पर्यावरणीय परिबल : अकाल, बाढ़, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए लोग सुरक्षित विस्तारों में स्थानांतरण करते हैं ।

पर्यावरणीय परिबलों में आर्थिक विकास की प्रक्रिया कारण होनेवाले स्थानांतरण को विकासलक्षी स्थानांतरण कहते हैं । जैसे गुजरात में सरदार सरोवर योजना के कारण होनेवाला स्थानांतरण ।

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स्थानांतरण की नकारात्मक प्रभाव (असरों) की चर्चा कीजिए ।

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स्थानांतरण के सकारात्मक प्रभाव के साथ कुछ अनिच्छनीय घटनाएँ भी देखने को मिलती हैं । जिसे नकारात्मक असर कहते हैं ।

नकारात्मक असर निम्नानुसार हैं :

(1) अनियंत्रित शहरीकरण : गाँव में से अल्पशिक्षित, अकुशल, अल्प कौशल्य रखनेवाले गाँव के गरीब लोग शहरों में स्थानांतरण करते हैं तब नीची आय के कारण शहरों के अंतिम छोर पर अनिवार्य रुप से निवास करना पड़ता है । परिणाम स्वरूप अनियंत्रित शहरीकरण की समस्या सर्जित होती है । कम आय वाले लोगों को अच्छा मकान खरीदने के लिए पैसा न होने से नदी के किनारे, खुली जगह पर, सड़क के किनारे, झोपड़पट्टी का निर्माण करके निवास करते हैं परिणाम स्वरूप झोपड़पट्टी एवं गंदे क्षेत्रों का निर्माण होता है ।

(2) ढाँचागत सुविधाओं का अपर्याप्त प्रमाण : अनियत्रंति शहरीकरण के कारण झोपड़पट्टी और गंदे आवासों के कारण स्थानिक प्रशासन उन्हें पर्याप्त प्रमाण में पानी, ड्रेनेज, बिजली, रास्ते, वाहनव्यवहार, संदेशाव्यवहार, शौचालय, शिक्षा, स्कूल, आरोग्य आदि जैसी ढाँचाकीय सुविधाएँ उपलब्ध करवाने में निष्फल जाता है । जिससे आरोग्य और स्वच्छता की समस्या खड़ी होती है । ऐसे गरीब लोग अनेक बीमारियों के शिकार बनते हैं ।

(3) पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्या : स्थानांतरण के कारण झोपड़पट्टी एवं गंदे क्षेत्रों का सर्जन होता है ऐसे झोपड़पट्टी और गंदे आवासों में शौचालय एवं ड्रेनेज की अपर्याप्त सुविधाएँ एवं कचरे का उचित निकाल न होने से पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्या खड़ी होती है । जिसके उदाहरण अहमदाबाद, अंकलेश्वर, सूरत, मुम्बई, कोलकता, दिल्ली जैसे शहरों में देख सकते हैं । अत्याधिक शहरीकरण के कारण वाहनों की संख्या बढ़ने से ट्राफिक की समस्या एवं प्रदूषण की समस्या खड़ी होती है । इसी प्रकार ध्वनिप्रदूषण, जलप्रदूषण की गंभीर समस्या देखने को मिलती है ।

(4) सामाजिक दूषण : जब गाँव में से शहरों में स्थानांतरण करके जो लोग शहरों में आते हैं । तब उन्हें उनकी अपेक्षा के अनुसार नियमित आय या रोजगार प्राप्त नहीं होता है । परिणाम स्वरूप इनमें से कुछ लोग चोरी, लूट जैसे असामाजिक कार्यों की ओर मुड जाते हैं । जिससे शहरों का सामाजिक संतुलन बिगड़ जाता है । इसे सामाजिक दूषण कहते हैं । स्थानांतरण के परिणाम स्वरुप प्रजा के बीच भाषा-संस्कृति, रहन-सहन आदि कारण सामाजिक संघर्ष खड़ा होता है ।

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स्थानांतरण के सकारात्मक असरों की विस्तृत चर्चा कीजिए ।

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स्थानांतरण के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों असर देखने को मिलते हैं । हम यहाँ सकारात्मक असरों की चर्चा करेंगे :

(1) आय में वृद्धि : स्थानांतरण का मुख्य उद्देश्य आय सर्जन और आवक वृद्धि का है । जो लोग गाँव में से शहरों में कमाने के जाते हैं । तब अपनी कमाई में कुछ हिस्सा गाँव में भेजते हैं परिणाम स्वरुप गाँव के लोगों के जीवनस्तर में सुधार होता है । उपरांत गाँव के लोगों की आय में वृद्धि होने से कृषि क्षेत्र में निवेश करते हैं । जिससे जमीन की फलद्रूपता में वृद्धि होती है । परिणाम स्वरूप उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि होती हैं ।

अंतिम कुछ वर्षों में ऐसा भी देखने को मिलता है कि गाँव के लोग ऐसी आय का कुछ हिस्सा उद्योग-धंधे में रोकते हैं । जिसके परिणाम स्वरूप गाँव में कृषि सम्बन्धित उद्योग-धंधो का विकास देखने को मिलता है । इस प्रकार स्थानांतरण के द्वारा आय वृद्धि सकारात्मक पहलू है ।

(2) देश के तीव्र आर्थिक विकास में योगदान : जब देश की जनसंख्या अन्य देशों में स्थानांतरण करती है तब ऐसी जनसंख्या अपनी आय का कुछ हिस्सा अपने वतन में निवास करनेवाले परिवारवालों को भेजता है । उपरांत अपने देश के धंधे, व्यापार उद्योगों में भी पूँजीनिवेश करते है, जिसके परिणाम स्वरूप देश में विदेशी चलन के आरक्षण में वृद्धि होने से देश के आर्थिक विकास में तीव्रता से वृद्धि होती है । 1991 के नये आर्थिक सुधारों के परिणाम स्वरुप स्थानांतरण को गति मिलने से देश में विदेशी चलन का प्रवाह सतत बढ़ने से भारत का आर्थिक विकास तीव्रता से हुआ है ।

इसके उपरांत अपने देश के लोग विदेशों में जाकर उच्च अध्ययन करके किसी भी एक क्षेत्र में उच्चतम कौशल्य प्राप्त करके और उस कौशल्य या टेक्नोलोजी का लाभ भारत को मिले और उसके परिणाम स्वरूप देश में विकास की प्रक्रिया को गति मिलती है । ऐसा भी देखने को मिलता है ।